हरियाणा में ठंड के साथ कोहरे के कारण प्रभावित होने वाले रेल यातायात से निपटने के लिए इस बार रेलवे की तरफ से बड़ी तैयारी की गई है। ठंड के मौसम में ट्रेनों के निर्बाध संचालन के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर मंडल ने विशेष तैयारी के तहत 210 पैसेंजर ट्रेनों और 180 गुड्स ट्रेनों में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाई जाएंगी। जयपुर से दिल्ली वाया बांदीकुई-अलवर, जयपुर से टुंडला, जयपुर से लुहारू, चूरू, हिसार, फुलेरा से रेवाड़ी (आरपीसी) व रेवाड़ी से मथुरा रेलखंड विशेष रूप से कोहरे से प्रभावित रहता है। ठंड के मौसम में कोहरे के समय लोको पायलटों को उपयोग के लिए फॉग डिवाइस दी जाएगी, जो लोको पायलट को सिग्नल के संबंध में सही सूचना देगी। यह फॉग डिवाइस ट्रेन संचालन के समय आगे आने वाले सिग्नल के बारे में जानकारी देगा। यह डिवाइस लगभग 2000 मीटर से पहले ही लोको पायलट को आने वाले सिग्नल के बारे में सूचित करना शुरू कर देती है, इससे लोको पायलट अपनी गाड़ी की गति को नियंत्रित करते हुए आगामी सिग्नल को सुरक्षित पार करने के लिए तैयार रहता है। जयपुर मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक कृष्ण कुमार मीणा ने बताया कि फॉग सेफ्टी डिवाइस जीपीएस आधारित होती है जो कि सिग्नल की वास्तविक लोकेशन से 500 मीटर पहले उसके बारे में कॉल करके सूचित करती है। इससे गाड़ियों के संचालन में सुविधा मिलती है। वर्तमान में फॉग सेफ्टी डिवाइस पूरे साल लॉबी द्वारा साइन ऑन के समय प्रदान की जाती है। यह रेल संचालन में एक श्रेष्ठ डिवाइस साबित होगी। गुड्स वार्निंग बोर्ड से मिलेगी सिग्नल की सूचना रेलपथ पर गुड्स वार्निंग बोर्ड होम सिग्नल से 1400 मीटर पहले लगाया जाता है। इस पर रेडियम स्ट्रिप लगाई जाती है, जो लोकोमोटिव की लाइट को रिफ्लेक्ट करके आने वाले सिग्नल की सूचना देती है। होम सिग्नल से पहले गिट्टियों को ऊंचा करके चूना पट्टी की जाती है जिससे फॉग का प्रभाव कम होता है। रेल पथ पर रात्रि गश्त के लिए ट्रैक मेंटेनर की ड्यूटी लगाई जाती है ताकि रेल लाइन फैक्चर की सूचना मिल सके और खतरे की स्थिति को टाला जा सके। इसके लिए ट्रैक मेंटेनर को डेटोनेटर दिए जाते हैं। इन डेटोनेटर को ट्रैक मेंटेनर रेललाइन फैक्चर होने पर गाड़ी आने की दिशा में एक निश्चित दूरी पर रेल लाइन पर फिट करता है, ताकि जब इंजन के व्हील इस डेटोनेटर के ऊपर से गुजरते हैं, तो डेटोनेटर तेज आवाज के साथ फूटता है और लोको पायलट इस आवाज को सुनकर गाड़ी की गति को नियंत्रित करते हुए खतरे के स्थान से पहले ही गाड़ी रोक देता है। इस प्रकार खतरे को टाला जाता है। लोको पायलट को आने वाले स्टेशन की सूचना देता है डेटोनेटर लोको पायलट को आने वाले स्टेशन के होम सिग्नल की सूचना देने को लेकर भी डेटोनेटर का उपयोग किया जाता है जिन्हें रेल कर्मचारी होम सिग्नल से गाड़ी आने की दिशा में निश्चित दूरी पर रेल पटरी पर लगाता है। जब इंजन के व्हील (पहिए) गुजरते हैं तो इंजन के भारी दबाव के कारण डेटोनेटर तेज आवाज के साथ फटता है। इस तेज आवाज को सुनकर लोको पायलट समझ जाता है, कि आगे सिग्नल आने वाला है और अपनी गाड़ी की गति को नियंत्रित करता है एवं सिग्नल को सुरक्षित पार करने के लिये तैयार रहता है। हरियाणा में ठंड के साथ कोहरे के कारण प्रभावित होने वाले रेल यातायात से निपटने के लिए इस बार रेलवे की तरफ से बड़ी तैयारी की गई है। ठंड के मौसम में ट्रेनों के निर्बाध संचालन के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर मंडल ने विशेष तैयारी के तहत 210 पैसेंजर ट्रेनों और 180 गुड्स ट्रेनों में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाई जाएंगी। जयपुर से दिल्ली वाया बांदीकुई-अलवर, जयपुर से टुंडला, जयपुर से लुहारू, चूरू, हिसार, फुलेरा से रेवाड़ी (आरपीसी) व रेवाड़ी से मथुरा रेलखंड विशेष रूप से कोहरे से प्रभावित रहता है। ठंड के मौसम में कोहरे के समय लोको पायलटों को उपयोग के लिए फॉग डिवाइस दी जाएगी, जो लोको पायलट को सिग्नल के संबंध में सही सूचना देगी। यह फॉग डिवाइस ट्रेन संचालन के समय आगे आने वाले सिग्नल के बारे में जानकारी देगा। यह डिवाइस लगभग 2000 मीटर से पहले ही लोको पायलट को आने वाले सिग्नल के बारे में सूचित करना शुरू कर देती है, इससे लोको पायलट अपनी गाड़ी की गति को नियंत्रित करते हुए आगामी सिग्नल को सुरक्षित पार करने के लिए तैयार रहता है। जयपुर मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक कृष्ण कुमार मीणा ने बताया कि फॉग सेफ्टी डिवाइस जीपीएस आधारित होती है जो कि सिग्नल की वास्तविक लोकेशन से 500 मीटर पहले उसके बारे में कॉल करके सूचित करती है। इससे गाड़ियों के संचालन में सुविधा मिलती है। वर्तमान में फॉग सेफ्टी डिवाइस पूरे साल लॉबी द्वारा साइन ऑन के समय प्रदान की जाती है। यह रेल संचालन में एक श्रेष्ठ डिवाइस साबित होगी। गुड्स वार्निंग बोर्ड से मिलेगी सिग्नल की सूचना रेलपथ पर गुड्स वार्निंग बोर्ड होम सिग्नल से 1400 मीटर पहले लगाया जाता है। इस पर रेडियम स्ट्रिप लगाई जाती है, जो लोकोमोटिव की लाइट को रिफ्लेक्ट करके आने वाले सिग्नल की सूचना देती है। होम सिग्नल से पहले गिट्टियों को ऊंचा करके चूना पट्टी की जाती है जिससे फॉग का प्रभाव कम होता है। रेल पथ पर रात्रि गश्त के लिए ट्रैक मेंटेनर की ड्यूटी लगाई जाती है ताकि रेल लाइन फैक्चर की सूचना मिल सके और खतरे की स्थिति को टाला जा सके। इसके लिए ट्रैक मेंटेनर को डेटोनेटर दिए जाते हैं। इन डेटोनेटर को ट्रैक मेंटेनर रेललाइन फैक्चर होने पर गाड़ी आने की दिशा में एक निश्चित दूरी पर रेल लाइन पर फिट करता है, ताकि जब इंजन के व्हील इस डेटोनेटर के ऊपर से गुजरते हैं, तो डेटोनेटर तेज आवाज के साथ फूटता है और लोको पायलट इस आवाज को सुनकर गाड़ी की गति को नियंत्रित करते हुए खतरे के स्थान से पहले ही गाड़ी रोक देता है। इस प्रकार खतरे को टाला जाता है। लोको पायलट को आने वाले स्टेशन की सूचना देता है डेटोनेटर लोको पायलट को आने वाले स्टेशन के होम सिग्नल की सूचना देने को लेकर भी डेटोनेटर का उपयोग किया जाता है जिन्हें रेल कर्मचारी होम सिग्नल से गाड़ी आने की दिशा में निश्चित दूरी पर रेल पटरी पर लगाता है। जब इंजन के व्हील (पहिए) गुजरते हैं तो इंजन के भारी दबाव के कारण डेटोनेटर तेज आवाज के साथ फटता है। इस तेज आवाज को सुनकर लोको पायलट समझ जाता है, कि आगे सिग्नल आने वाला है और अपनी गाड़ी की गति को नियंत्रित करता है एवं सिग्नल को सुरक्षित पार करने के लिये तैयार रहता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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