CJI जो पैतृक घर तलाश रहे, भास्कर ने ढूंढ निकाला:​​​​​​​कटड़ा शेर सिंह में रहता था परिवार, वहां मार्केट बन गया; दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे

CJI जो पैतृक घर तलाश रहे, भास्कर ने ढूंढ निकाला:​​​​​​​कटड़ा शेर सिंह में रहता था परिवार, वहां मार्केट बन गया; दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे

जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार (11 नवंबर) को देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ली। उनके चीफ जस्टिस बनते ही निजी जिंदगी से जुड़ा एक अहम पहलू सामने आया। जिसमें पता चला कि वह पंजाब के अमृतसर में अपने पैतृक घर को ढूंढ रहे हैं। यह घर उनके दादा जी ने बनवाया था। इसकी तलाश में जब भी वे अमृतसर आते हैं तो कटड़ा शेर सिंह इलाके में जरूर जाते हैं, जहां उनका यह घर था। हालांकि उन्हें कभी उस घर के बारे में पता नहीं चला। दैनिक भास्कर ने उनके पैतृक घर वाली जगह ढूंढ निकाली। हालांकि अब यहां घर नहीं बल्कि मार्केट बन चुका है। इसे चीफ जस्टिस के चाचा ने 1970 में बेच दिया था। इसे अमृतसर के 2 व्यापारी भाइयों ने खरीदा। इसकी पुष्टि कटड़ा शेर सिंह में आजादी से पहले (यानी 1947 से पहले) जन्मे जंगी महाजन ने भी की। उन्होंने यह भी बताया कि जब परिवार यहां से गया था तो चीफ जस्टिस तब महज 5 साल के थे। यही वजह है कि नए CJI को अमृतसर के कटड़ा शेर सिंह में घर की बात तो याद है, लेकिन वह जगह याद नहीं है, जहां वह घर बना हुआ था। 1947 के पहले से रह रहे जंगी महाजन ने बताई घर की पूरी कहानी…
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पैतृक घर की तलाश के बारे में पता चलने पर दैनिक भास्कर कटड़ा शेर सिंह पहुंचा। चूंकि यह घर चीफ जस्टिस के दादा सरव दयाल खन्ना ने बनवाया था, इसलिए उन्हीं के बारे में वहां पड़ताल की। कटड़ा शेर सिंह पहुंचने पर हमें 80 साल के जंगी महाजन मिले। उन्होंने कहा कि वे 1947 से पहले यहां रह रहे हैं। सरव दयाल का नाम उन्होंने सुना है। उनकी फैमिली को वकीलों का परिवार कहा जाता था। उनके 2 बेटे जज बने थे। एक बेटा दिल्ली में (जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना) और दूसरे बेटे (चीफ जस्टिस हंसराज खन्ना) सुप्रीम कोर्ट में जज बने। जंगी महाजन ने बताया कि चीफ जस्टिस खन्ना जिस घर की तलाश में हैं, वह अब वहां नहीं है। उस घर की जगह अब एक मार्केट बन चुका है, जो महाजन मार्केट के नाम से मशहूर है। दरअसल, 1970 के बाद इस बिल्डिंग को बेच दिया गया था। जिसे 2 भाइयों सतपाल महाजन और मोहन लाल महाजन ने खरीद लिया था। घर का सौदा दिल्ली में हंस राज खन्ना के यहां हुआ था। उस वक्त पूरी बिल्डिंग 1.10 लाख रुपए में बिकी थी। जिसे महाजन परिवार ने तोड़ा और मार्केट बना दिया। हालांकि मार्केट बनाने वाले भाई भी अब जीवित नहीं हैं। बंटवारे के दंगों में जल गई थी बिल्डिंग, CJI के दादा ने दोबारा बनवाई
मार्केट में दुकान चला रहे अशोक महाजन ने कहा कि हमें यह भी पता चला था कि जस्टिस खन्ना का ये पैतृक घर 1947 में बंटवारे के दंगों की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद सरव दयाल खन्ना ने इसे दोबारा बनवाया था। इसी घर में जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना और चाचा हंसराज खन्ना का भी जन्म हुआ था। मगर आजादी के कुछ समय बाद परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था। अशोक महाजन ने बताया कि उस समय वे काफी छोटे थे। यहां जो परिवार के मेंबर रहते थे, वे दिल्ली चले गए थे और वे जज साहब बने थे। स्वतंत्रता सेनानी थे सरव दयाल खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना के दादा सरव दयाल खन्ना भी एक वकील थे। इतना ही नहीं, वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। पुराने लोग बताते हैं कि उन्हें अमृतसर का मेयर भी बनाया गया था। संजीव खन्ना के पिता और चाचा काफी छोटे थे, जब सरव दयाल खन्ना की पत्नी का देहांत हो गया था। पूरे परिवार को संजीव खन्ना की परदादी ने संभाला था। पिता दिल्ली हाईकोर्ट, चाचा सुप्रीम कोर्ट के जज थे
संजीव खन्ना की विरासत वकालत की रही है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं। वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था। साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। 1977 में वरिष्ठता के आधार पर उनका चीफ जस्टिस बनना तय माना जा रहा था, लेकिन जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया गया। इसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा की सरकार गिरने के बाद वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में 3 दिन के लिए कानून मंत्री भी बने थे। चाचा से प्रभावित हुए जस्टिस संजीव, वकालत को करियर चुना
जस्टिस संजीव अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसेल भी रहे। स्टैंडिंग काउंसेल का आम भाषा में अर्थ सरकारी वकील होता है। 2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला। 2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। हालांकि, उनका यह प्रमोशन भी विवादों में रहा था। दरअसल, 2019 में जब CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश की, तब सीनियॉरिटी में जस्टिस खन्ना 33वें नंबर पर थे। जस्टिस गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा काबिल बताते हुए प्रमोट किया। उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी। जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी। इस विरोध के बावजूद राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के बतौर अपॉइंट किया। 18 जनवरी 2019 को संजीव ने पद ग्रहण कर लिया। आर्टिकल-370, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे जस्टिस खन्ना के बड़े फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के करियर में जस्टिस खन्ना 450 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने खुद 115 फैसले लिखे। इसी साल जुलाई में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी। 8 नवंबर को AMU से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस दिए जाने का समर्थन किया है। छोटे कार्यकाल में 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस खन्ना
पूर्व CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब 2 साल का रहा है। इसकी तुलना में CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल छोटा होगा। जस्टिस खन्ना बतौर चीफ जस्टिस सिर्फ 6 महीने पद पर रहेंगे। 13 मई 2025 को उन्हें रिटायर होना है। इस कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रोसेस, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह (sedition) की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करनी है। ************* CJI खन्ना से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बने, छह महीने का कार्यकाल जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं (पूरी खबर पढ़ें) जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार (11 नवंबर) को देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ली। उनके चीफ जस्टिस बनते ही निजी जिंदगी से जुड़ा एक अहम पहलू सामने आया। जिसमें पता चला कि वह पंजाब के अमृतसर में अपने पैतृक घर को ढूंढ रहे हैं। यह घर उनके दादा जी ने बनवाया था। इसकी तलाश में जब भी वे अमृतसर आते हैं तो कटड़ा शेर सिंह इलाके में जरूर जाते हैं, जहां उनका यह घर था। हालांकि उन्हें कभी उस घर के बारे में पता नहीं चला। दैनिक भास्कर ने उनके पैतृक घर वाली जगह ढूंढ निकाली। हालांकि अब यहां घर नहीं बल्कि मार्केट बन चुका है। इसे चीफ जस्टिस के चाचा ने 1970 में बेच दिया था। इसे अमृतसर के 2 व्यापारी भाइयों ने खरीदा। इसकी पुष्टि कटड़ा शेर सिंह में आजादी से पहले (यानी 1947 से पहले) जन्मे जंगी महाजन ने भी की। उन्होंने यह भी बताया कि जब परिवार यहां से गया था तो चीफ जस्टिस तब महज 5 साल के थे। यही वजह है कि नए CJI को अमृतसर के कटड़ा शेर सिंह में घर की बात तो याद है, लेकिन वह जगह याद नहीं है, जहां वह घर बना हुआ था। 1947 के पहले से रह रहे जंगी महाजन ने बताई घर की पूरी कहानी…
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पैतृक घर की तलाश के बारे में पता चलने पर दैनिक भास्कर कटड़ा शेर सिंह पहुंचा। चूंकि यह घर चीफ जस्टिस के दादा सरव दयाल खन्ना ने बनवाया था, इसलिए उन्हीं के बारे में वहां पड़ताल की। कटड़ा शेर सिंह पहुंचने पर हमें 80 साल के जंगी महाजन मिले। उन्होंने कहा कि वे 1947 से पहले यहां रह रहे हैं। सरव दयाल का नाम उन्होंने सुना है। उनकी फैमिली को वकीलों का परिवार कहा जाता था। उनके 2 बेटे जज बने थे। एक बेटा दिल्ली में (जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना) और दूसरे बेटे (चीफ जस्टिस हंसराज खन्ना) सुप्रीम कोर्ट में जज बने। जंगी महाजन ने बताया कि चीफ जस्टिस खन्ना जिस घर की तलाश में हैं, वह अब वहां नहीं है। उस घर की जगह अब एक मार्केट बन चुका है, जो महाजन मार्केट के नाम से मशहूर है। दरअसल, 1970 के बाद इस बिल्डिंग को बेच दिया गया था। जिसे 2 भाइयों सतपाल महाजन और मोहन लाल महाजन ने खरीद लिया था। घर का सौदा दिल्ली में हंस राज खन्ना के यहां हुआ था। उस वक्त पूरी बिल्डिंग 1.10 लाख रुपए में बिकी थी। जिसे महाजन परिवार ने तोड़ा और मार्केट बना दिया। हालांकि मार्केट बनाने वाले भाई भी अब जीवित नहीं हैं। बंटवारे के दंगों में जल गई थी बिल्डिंग, CJI के दादा ने दोबारा बनवाई
मार्केट में दुकान चला रहे अशोक महाजन ने कहा कि हमें यह भी पता चला था कि जस्टिस खन्ना का ये पैतृक घर 1947 में बंटवारे के दंगों की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद सरव दयाल खन्ना ने इसे दोबारा बनवाया था। इसी घर में जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना और चाचा हंसराज खन्ना का भी जन्म हुआ था। मगर आजादी के कुछ समय बाद परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था। अशोक महाजन ने बताया कि उस समय वे काफी छोटे थे। यहां जो परिवार के मेंबर रहते थे, वे दिल्ली चले गए थे और वे जज साहब बने थे। स्वतंत्रता सेनानी थे सरव दयाल खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना के दादा सरव दयाल खन्ना भी एक वकील थे। इतना ही नहीं, वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। पुराने लोग बताते हैं कि उन्हें अमृतसर का मेयर भी बनाया गया था। संजीव खन्ना के पिता और चाचा काफी छोटे थे, जब सरव दयाल खन्ना की पत्नी का देहांत हो गया था। पूरे परिवार को संजीव खन्ना की परदादी ने संभाला था। पिता दिल्ली हाईकोर्ट, चाचा सुप्रीम कोर्ट के जज थे
संजीव खन्ना की विरासत वकालत की रही है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं। वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था। साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। 1977 में वरिष्ठता के आधार पर उनका चीफ जस्टिस बनना तय माना जा रहा था, लेकिन जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया गया। इसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा की सरकार गिरने के बाद वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में 3 दिन के लिए कानून मंत्री भी बने थे। चाचा से प्रभावित हुए जस्टिस संजीव, वकालत को करियर चुना
जस्टिस संजीव अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसेल भी रहे। स्टैंडिंग काउंसेल का आम भाषा में अर्थ सरकारी वकील होता है। 2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला। 2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। हालांकि, उनका यह प्रमोशन भी विवादों में रहा था। दरअसल, 2019 में जब CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश की, तब सीनियॉरिटी में जस्टिस खन्ना 33वें नंबर पर थे। जस्टिस गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा काबिल बताते हुए प्रमोट किया। उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी। जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी। इस विरोध के बावजूद राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के बतौर अपॉइंट किया। 18 जनवरी 2019 को संजीव ने पद ग्रहण कर लिया। आर्टिकल-370, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे जस्टिस खन्ना के बड़े फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के करियर में जस्टिस खन्ना 450 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने खुद 115 फैसले लिखे। इसी साल जुलाई में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी। 8 नवंबर को AMU से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस दिए जाने का समर्थन किया है। छोटे कार्यकाल में 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस खन्ना
पूर्व CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब 2 साल का रहा है। इसकी तुलना में CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल छोटा होगा। जस्टिस खन्ना बतौर चीफ जस्टिस सिर्फ 6 महीने पद पर रहेंगे। 13 मई 2025 को उन्हें रिटायर होना है। इस कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रोसेस, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह (sedition) की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करनी है। ************* CJI खन्ना से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बने, छह महीने का कार्यकाल जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं (पूरी खबर पढ़ें)   पंजाब | दैनिक भास्कर