हरियाणा में करनाल के पंजोखरा गांव के एक युवक के साथ विदेश भेजने के नाम पर 15 लाख रुपए की ठगी करने का मामा सामने आया है। आरोपियों ने युवक को ऑस्ट्रेलिया का झांसा देकर दुबई में भेज दिया। जहां पर वह 4-5 महीने तक बंधक बनाकर रखा गया। अपने बेटे के लिए तड़पते परिजनों ने किसी तरह से अपने बेटे को दुबई से इंडिया लाए। घर आते ही पीड़ित युवक ने अपने साथ हुई यातना की कहानी घर वालों को बताई। जिससे परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पहले लिए 5 लाख रुपए पंजोखरा निवासी संजीव कुमार ने अपने बेटे हेमन चौधरी को आस्ट्रेलिया भेजने के लिए गढ़ी बीरबल निवासी विकास को 5 लाख रुपए दिए थे।संजीव ने बताया कि कुल 15 लाख रुपए में बच्चे को विदेश भेजने का समझौता हुआ था, परन्तु विकास ने पहले उसे दुबई भेज दिया और लगातार बहाने बनाकर आस्ट्रेलिया भेजने की बात टालता रहा। पैसे देने के बाद भी बेटे को विदेश नहीं भेजा, बकाया की मांग और धमकियां पीड़ित का कहना है कि 27 अगस्त 2023 को उसके बेटे को दुबई भेज दिया गया, जहां उसे करीब 5 महीने तक रखकर आस्ट्रेलिया भेजने का वादा किया गया। इस दौरान विकास ने और 10 लाख रुपए की मांग की और चेतावनी दी कि अगर कुछ बताया गया तो बेटे की जान ले ली जाएगी। परिवार ने 4 नवंबर 2023 को 5 लाख रुपए नगद विकास के पिता प्रेमचंद को दिए, जिसमें एक अन्य व्यक्ति राजकुमार भी मौजूद था। बचे हुए 5 लाख रुपये 7 नवंबर को भी विकास और उसके भाई प्रीतम दास को दिए गए। 5 महीने बाद भारत लौटकर बेटे ने बताई यातना की कहानी हेमन चौधरी ने भारत लौटने के बाद खुलासा किया कि दुबई में उसे समय पर खाना नहीं दिया जाता था और उससे मजदूरी का काम करवाया गया। हर बार धमकी दी जाती थी कि अगर उसने घर पर सच बताया, तो उसे जान से मार दिया जाएगा। जब भी वह परिवार से बात करता था, तो वहां मौजूद लोग इस बात का ध्यान रखते थे कि वह कुछ न कह सके। पैसे वापसी की गुहार पर टालमटोल जब संजीव कुमार ने अपने पैसे वापिस मांगने की कोशिश की तो दोषियों ने बहाने बनाते हुए पैसे देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि विकास के पिता प्रेमचंद और भाई प्रीतम दास ने भी इस लेनदेन के बारे में जानकारी होने से इंकार कर दिया, जबकि सभी बातें उनके सामने ही तय हुई थीं। पीड़ित ने एजेंट से अपने पैसे वापिस मांगे तो एजेंट ने उसके बेटे को जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद पुलिस को शिकायत दी गइ। पुलिस कार्रवाई और पासपोर्ट जब्त करने की मांग संजीव कुमार ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि दोषी विकास के पास पासपोर्ट है और वह विदेश भागने की फिराक में है। इंद्री थाना के जांच अधिकारी शमशेर सिंह ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा में करनाल के पंजोखरा गांव के एक युवक के साथ विदेश भेजने के नाम पर 15 लाख रुपए की ठगी करने का मामा सामने आया है। आरोपियों ने युवक को ऑस्ट्रेलिया का झांसा देकर दुबई में भेज दिया। जहां पर वह 4-5 महीने तक बंधक बनाकर रखा गया। अपने बेटे के लिए तड़पते परिजनों ने किसी तरह से अपने बेटे को दुबई से इंडिया लाए। घर आते ही पीड़ित युवक ने अपने साथ हुई यातना की कहानी घर वालों को बताई। जिससे परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पहले लिए 5 लाख रुपए पंजोखरा निवासी संजीव कुमार ने अपने बेटे हेमन चौधरी को आस्ट्रेलिया भेजने के लिए गढ़ी बीरबल निवासी विकास को 5 लाख रुपए दिए थे।संजीव ने बताया कि कुल 15 लाख रुपए में बच्चे को विदेश भेजने का समझौता हुआ था, परन्तु विकास ने पहले उसे दुबई भेज दिया और लगातार बहाने बनाकर आस्ट्रेलिया भेजने की बात टालता रहा। पैसे देने के बाद भी बेटे को विदेश नहीं भेजा, बकाया की मांग और धमकियां पीड़ित का कहना है कि 27 अगस्त 2023 को उसके बेटे को दुबई भेज दिया गया, जहां उसे करीब 5 महीने तक रखकर आस्ट्रेलिया भेजने का वादा किया गया। इस दौरान विकास ने और 10 लाख रुपए की मांग की और चेतावनी दी कि अगर कुछ बताया गया तो बेटे की जान ले ली जाएगी। परिवार ने 4 नवंबर 2023 को 5 लाख रुपए नगद विकास के पिता प्रेमचंद को दिए, जिसमें एक अन्य व्यक्ति राजकुमार भी मौजूद था। बचे हुए 5 लाख रुपये 7 नवंबर को भी विकास और उसके भाई प्रीतम दास को दिए गए। 5 महीने बाद भारत लौटकर बेटे ने बताई यातना की कहानी हेमन चौधरी ने भारत लौटने के बाद खुलासा किया कि दुबई में उसे समय पर खाना नहीं दिया जाता था और उससे मजदूरी का काम करवाया गया। हर बार धमकी दी जाती थी कि अगर उसने घर पर सच बताया, तो उसे जान से मार दिया जाएगा। जब भी वह परिवार से बात करता था, तो वहां मौजूद लोग इस बात का ध्यान रखते थे कि वह कुछ न कह सके। पैसे वापसी की गुहार पर टालमटोल जब संजीव कुमार ने अपने पैसे वापिस मांगने की कोशिश की तो दोषियों ने बहाने बनाते हुए पैसे देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि विकास के पिता प्रेमचंद और भाई प्रीतम दास ने भी इस लेनदेन के बारे में जानकारी होने से इंकार कर दिया, जबकि सभी बातें उनके सामने ही तय हुई थीं। पीड़ित ने एजेंट से अपने पैसे वापिस मांगे तो एजेंट ने उसके बेटे को जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद पुलिस को शिकायत दी गइ। पुलिस कार्रवाई और पासपोर्ट जब्त करने की मांग संजीव कुमार ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि दोषी विकास के पास पासपोर्ट है और वह विदेश भागने की फिराक में है। इंद्री थाना के जांच अधिकारी शमशेर सिंह ने बताया कि शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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चंडीगढ़ में 1 लाख देकर भी नहीं मिला ट्यूटर:बायजूस कोचिंग को 15 हजार लौटाने के आदेश, मानसिक पीड़ा और अनुचित व्यवहार का दोष चंडीगढ़ में एक लाख में खरीदे एप में ट्यूटर नहीं मिलने के मामले मे जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बायजूस कोचिंग को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी करार देते हुए मानसिक पीड़ा और वित्तीय नुकसान के लिए 15 हजार 512 रुपए अदा करने के निर्देश दिए हैं। यह याचिका सेक्टर-40 डी के रहने वाले अवतार सिंह और उनकी पत्नी नवदीप कौर ने आयोग में बायजूस कोचिंग के खिलाफ दायर की थी। बेहतर पढ़ाई के लिए खरीदा एप बेहतर पढ़ाई के लिए कोचिंग बायजूस नाम का लर्निंग एप खरीदा था। 30 जून, 2019 को खरीदे एजुकेशन एप के लिए 1 लाख में से 6,200 रुपए का नकद भुगतान किया था। बकाया रकम का भुगतान 4656 रुपए की मासिक किस्त में किया जाना था। शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें एक ट्यूटर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्हें किसी भी प्रकार की शिकायत आती है तो एजुकेशन एप को रद्द करने और रिफंड का अधिकार होगा। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ट्यूटर के लिए अनुरोध किया, लेकिन उपलब्ध नहीं करवाया गया। इसके बावजूद प्रति माह 4656 रुपए की किस्त काटते रहे। ना एप रद्द किया और ना ही लौटए रुपए शिकायतकर्ताओं ने ऐप को रद्द करने और राशि वापस करने का अनुरोध किया। बायजूस कोचिंग ने न तो एप को रद्द किया और न ही राशि वापस की। हालांकि, बाद में आरोपी पक्ष ने किस्त को काटना बंद कर दिया, लेकिन शिकायतकर्ताओं को पहले काटी राशि वापस नहीं की। इस पर उपभोक्ता ने अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी ठहराते हुए आयोग में शिकायत दायर की थी।
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हरियाणा में शहीद मेजर का परिवार भिड़ा:बहू बोली- सास-ससुर को डेढ़ करोड़ मिला, अब सरकारी नौकरी भी ननद के लिए चाहते हैं हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत को 10 माह ही हुए हैं, इसी बीच उनका पारिवारिक विवाद घर से निकल कर सरेआम आ गया है। आशीष के परिवार और उनकी पत्नी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। इसी बीच पत्नी ज्योति भी सामने आई है। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में ज्योति ने सभी आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया और परिवार के बीच चल रही हर खटपट के बारे में विस्तार से बताया। सास ने इसलिए टॉर्चर किया, मैं खुद सब छोड़कर चली जाऊं
ज्योति ने कहा कि 2021 में आशीष की पोस्टिंग श्रीनगर में आई थी। तब मैं अपनी बेटी के साथ पानीपत अपनी ससुराल में शिफ्ट हुई थी। आशीष की शहादत के बाद मेरी सास कमला ने परिवार के बीच में ये कह दिया था कि मैं इसे (ज्योति) अपने साथ नहीं रख सकती हूं। अगर इसे रहना होगा तो ये घर के पहले फ्लोर पर रह लेगी। मैं वहीं रहती रही। ये सोच कर कि ये मेरे पति का घर है, मेरी बेटी का घर है। इसके बाद मेरी सास ने मुझे टॉर्चर करना शुरू कर दिया। मुझे ताने दिए, बात-बात पर झगड़ा किया और बात करना बंद कर देना। उनका मकसद था कि मैं परेशान होकर सब कुछ छोड़कर चली जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। मुझे मेरी बेटी का भविष्य देखना था। ननदोई ने दी धमकियां, इसलिए मैंने घर आना किया बंद
29 दिसंबर को छमाही पर सभी बड़ों के कहने पर मैंने अपना सामान पहले फ्लोर पर रख लिया था। मेरे ससुर इन सब बातों में शामिल हैं। मैंने घर नहीं छोड़ा। मैंने न ही दूसरी शादी की है। न ही मैंने तलाक लिया है तो मैं घर छोड़कर क्यों जाऊं। मैं बीच-बीच में अपने मायके भी आती रही। यहां आने के बाद मेरे पास धमकी भरे फोन भी आने लगे। मेरी सबसे बड़ी ननद अंजू के पति संजय नांदल ने सास-ससुर के कहने पर धमकियां दी है। इसी डर से मैंने वहां जाना छोड़ दिया। मैंने सिर्फ अपने पहले फ्लोर पर ही लॉक लगाया है। वहां पर मेरी तीनों ननदों, उनके पति, बच्चों की जगह है, लेकिन मेरे और मेरी बेटी के लिए वहां जगह नहीं है। शहादत के बाद मेरे सास-ससुर को सरकार की ओर से डेढ़ करोड़ मिला था। ये पूरा खेल सिर्फ ननद को सरकारी नौकरी दिलवाने के खेला जा रहा है। जिस सोने की बात वे खुद ही कह रहे हैं कि उन्होंने शादी के वक्त दिया था, तो वह मेरा ही हुआ न। अगर मैं वो अपना स्त्रीधन साथ ले आई तो उसमें किसी को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। पैतृक जमीन भी बेच दी
ज्योति ने कहा कि पानीपत में शुभआंगन सोसाइटी का प्लाट अगस्त में बेचा था। TDI स्थित आवास के ग्राउंड फ्लोर में वे खुद रह रहे हैं। फर्स्ट फ्लोर पर मेरा सामान है। दूसरी मंजिल किराए पर दी हुई है। जिसका किराया भी सास-ससुर के पास आता है। मेरे ससुर एनएफएल से रिटायर्ड हैं, वो पेंशन भी आ रही है। बिंझौल गांव की पैतृक जमीन भी बेच दी है। 25 लाख की एफडी भी है। इसके अलावा सास कमला के नाम रोहतक में दो प्लॉट भी है। जबकि मेरे पास सिर्फ वो सहयोग राशि है, जो मेरे पति की शहादत के बाद सरकार की ओर से दी गई थी। इसके अलावा मेरे पास अब मिलने वाली नौकरी की आशा थी। शहादत बदनाम न हो, इसलिए रही चुप
उन्होंने कहा कि मेरे साथ ससुराल में अकसर प्रताड़ना की जाती थी, लेकिन मैंने कभी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। क्योंकि पहले मेरे पति मुझे इन प्रताड़नाओं से प्रोटेक्ट करते थे। उनके बाद मैंने इसलिए कभी कोई आवाज नहीं उठाई क्योंकि मैं एक शहीद की पत्नी हूं। उनकी शहादत को मैं इस तरह बदनाम कभी नहीं कर सकती, जैसे मेरे ससुराल वालों ने किया है। मैंने कभी कोई डिमांड नहीं की। अब पढ़िए शहीद की मां ने क्या कहा…. आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
दैनिक भास्कर से बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका इकलौता बेटा मेजर आशीष धौंचक (36) जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने अपने तेवर बदल लिए थे। जब तक सरकार की ओर से निर्धारित पूरी राशि नहीं मिली वह बहुत प्यार से बात करती थी। आखिर चेक आने पर उसने घर से जाने का प्लान बना लिया था। शहादत के कुछ समय बाद ही उसने जींद स्थित अपने मायका में 7 दिन जाने की बात कही थी। इसके बाद वह अपनी ढाई साल की बेटी वामिनी को लेकर घर से चली गई और वापस नहीं लौटी। 30 तोला सोना भी ले गई ज्योति
ज्योति से जब भी बात करते हैं, वह कभी भी वापस न आने की बात कहती है। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। मां ने कहा कि ज्योति जाते समय घर से 30 तोला सोना भी ले गई है। इसके अलावा फरीदपुर टीडीआई में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करती हैं कि उनकी बहू ज्योति को सरकारी नौकरी देने का जो प्रस्ताव मंजूर हुआ था, वह नामंजूर किया जाए। क्योंकि ज्योति उनके साथ नहीं रहती है। वह इस नौकरी को अपनी बेटी को दिलवाना चाहती है। क्योंकि बेटी ही उनकी सेवा कर रही है। ये बात पॉलिसी में भी लिखा है कि जिसे नौकरी दी जाएगी, अगर वह मां-बाप की केयर नहीं करेगा या करेगी, तो उसकी नौकरी को मां-बाप के कहने पर नामंजूर किया जाएगा। इसके अलावा मां ने यह भी कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। वह अपने कैंटीन कार्ड बनवाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। सेना से कई बार संपर्क किया। सेना की ओर से उन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई।
सिरसा में फरार हुआ नशा तस्कर हरिद्वार से काबू:थाना के सामने SI को धक्का देकर भागा था; HNCB टीम सम्मानित होगी
सिरसा में फरार हुआ नशा तस्कर हरिद्वार से काबू:थाना के सामने SI को धक्का देकर भागा था; HNCB टीम सम्मानित होगी हरियाणा के सिरसा में फिल्मी अंदाज में हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (HNCB) की हिरासत से फरार हुए नशा तस्कर विक्की को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके फरार होने के बाद पुन: गिरफ्तारी के लिए दो टीमों का गठन किया गया था। इसके बाद विक्की के हरिद्वारा में होने का इनपुट मिला और टीम वहां पहुंच गई। उसे गंगा के किनारे से दबोचा गया। एनसीबी सिरसा यूनिट के इंचार्ज इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने बताया कि विक्की को 3 जून को सांगवान चौक के पास से पकड़ा गया था। उसके पास से नशे की करीब 4 हजार गोलियां बरामद हुई थी। इनमें 1000 गोलियां ट्रामाडोल व 2990 अन्य नशीली गोलियां शामिल थी। इंचार्ज राकेश कुमार ने बताया कि विक्की कुमार सिरसा में भगत सिंह कॉलोनी बरनाला रोड का रहने वाला है। 4 जून को टीम उसे कोर्ट में पेश करने के लिए जा रही थी। रास्ते में वह पुलिस कर्मचारी सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार को धक्का मार कर शहर थाने के सामने से तंग गलियों का फायदा उठाकर फरार हो गया। इसके बाद तुरंत प्रभाव से कंट्रोल रूम में सूचना देंकर वीटी करवाई गई व एनसीबी यूनिट सिरसा की दो टीम गठित की गई। इसके बाद 24 घंटे में ही सब इंस्पेक्टर तरसेम सिंह, एएसआई सुखदेव सिंह, एएसआई चानन राम व मुख्य सिपाही राजेश कुमार की टीम ने आरोपी को उत्तराखंड के हरिद्वार से धर दबोचा। कोर्ट में पेश का डिमांड हासिल करेगी एनसीबी सब इंस्पेक्टर तरसेम सिंह ने बताया कि आरोपी को काेर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड हासिल किया जाएगा। रिमांड अवधि के दौरान आरोपी यह नशीली गोलियां कहां से लेकर आया था और इसे कहां सप्लाई किया जाना था के बारे में पता लगाया जाएगा।इंस्पेक्टर राकेश का कहना ह कि आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने वाले सब इंस्पेक्टर तरसेम व उनकी टीम को सम्मानित किया जाएगा।