झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजातों की मौत का आंखो-देखा:डॉक्टर अधजला शव लेकर भागे, प्रसूता चीख उठीं-हाय मेरा बच्चा, चेहरा तो दिखा दो

झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजातों की मौत का आंखो-देखा:डॉक्टर अधजला शव लेकर भागे, प्रसूता चीख उठीं-हाय मेरा बच्चा, चेहरा तो दिखा दो

हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है। हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर