हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है। हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में आज भारी बारिश का अलर्ट:कांगड़ा, चंबा, सोलन व सिरमौर को चेतावनी, 2-NH सहित 159 सड़कें बंद, 1083 करोड़ की संपत्ति नष्ट
हिमाचल में आज भारी बारिश का अलर्ट:कांगड़ा, चंबा, सोलन व सिरमौर को चेतावनी, 2-NH सहित 159 सड़कें बंद, 1083 करोड़ की संपत्ति नष्ट हिमाचल के कई भागों में बीती रात से भारी बारिश हो रही है। कांगड़ा में बीते 24 घंटे में सबसे ज्यादा 155 मिलीमीटर बारिश हुई है। कांगड़ा की कई सड़कें इससे जलमग्न हो गई। नदी-नाले उफान पर है। कांगड़ा के ही धर्मशाला में 150.7 मिलीमीटर, सिरमौर के नाहन में 119.9 मिमी, नयना देवा में 78.2 मिमी और पांवटा साहिब में 48 मिलीमीटर बारिश हुई है। इस बीच मौमस विभाग (IMD) ने ताजा बुलेटिन जारी कर कांगड़ा, चंबा, सोलन और सिरमौर जिला में कुछेक स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में बारिश के बाद बाढ़ और लैंडस्लाइड का खतरा बना हुआ है। अन्य सभी जिलों में येलो अलर्ट दिया गया है। IMD के अनुसार, प्रदेश में आज और कल मानसून एक्टिव रहेगा। मानसून 17 व 18 अगस्त को कमजोर पड़ेगा। इन दो दिनों के दौरान कांगड़ा, शिमला, सोलन व सिरमौर जिला में ही हल्की बारिश हो सकती है। प्रदेश में सामान्य से 25% कम बादल बरसे प्रदेश में इस मानसून सीजन में नॉर्मल से 25 प्रतिशत कम बारिश हुई है। IMD के अनुसार, 1 जून से 14 अगस्त के बीच प्रदेश में 497.2 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 373.3 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। शिमला इकलौता ऐसा जिला है जहां सामान्य से ज्यादा बरसात हुई है। शिमला में 450.2 मिलीमीटर बारिश हुई, है, जबकि सामान्य बारिश 425.6 मीटर होती है। अन्य सभी जिलों में सामान्य से काफी कम बादल बरसे है। कांगड़ा में 1022 मिलीमीटर बारिश कांगड़ा जिला में जरूर पूरे मानसून सीजन के दौरान 1022.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, लेकिन सामान्य बारिश 1114.1 मिलीमीटर के मुकाबले यह 8 प्रतिशत कम है। लाहौल स्पीति में पूरे मानसून सीजन में सबसे कम 63.7 मिलीमीटर बारिश हुई है। प्रदेश में 2 NH-159 सड़कें बंद, सेब ढुलाई में परेशानी प्रदेश में बीते चार दिनों के दौरान हुई बारिश से 2 नेशनल हाईवे सहित 159 सड़कें वाहनों की आवाजाही के लिए बंद पड़ी है। शिमला जोन में सबसे ज्यादा 111 सड़कें अवरुद्ध है। इससे सेब ढुलाई में बागवानों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। मंडी जोन में 17, हमीरपुर में 10 और कांगड़ा जोन में 21 सड़कें बंद पड़ी है। शिलाई को जोड़ने वाला हाईवे 24 घंटे से ज्यादा समय से बंद है। किन्नौर को जोड़ने वाला हाईवे भी बंद पड़ा है। हालांकि पिछले कल कुछ देर को बहाल कर दिया गया था, मगर वह रात में दोबारा बंद हो गया है। इससे किन्नौर जिला का राजधानी शिमला से संपर्क कट गया है। किसानों की 141 करोड़ की फसले तबाह प्रदेश में इस मानसून सीजन में भारी बारिश से 1083 करोड़ रुपए की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी को सबसे ज्यादा 470 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है। इस बरसात में किसानों-बागवानों की फसलों को भी 141 करोड़ रुपए की चपत लगी है।
CM साय की मौजूदगी में हुई बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली, 75 करोड़ का बजट पास
CM साय की मौजूदगी में हुई बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली, 75 करोड़ का बजट पास <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद सोमवार (18 नवंबर) को बस्तर जिले के चित्रकोट पर्यटन स्थल में बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली बैठक आयोजित की गई, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप, खेल मंत्री टंकराम वर्मा, प्राधिकरण की उपाध्यक्ष लता उसेंडी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव समेत बस्तर के सभी बीजेपी कांग्रेस विधायक सांसद के साथ सातों जिलों के प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे, इस प्राधिकरण की बैठक में बस्तर के विकास के लिए 75 करोड़ का बजट पास किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बैठक में खासकर नक्सल प्रभावित जिलों को फोकस करते हुए कई योजनाएं भी तैयार किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है. माइनिंग से प्राप्त निधियों का उपयोग विकास कार्यों में किया जा रहा है.</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>बस्तर संभाग के विकास को और गति देने हेतु आज चित्रकोट में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली। बैठक में मंत्रीगणों, प्राधिकरण के सम्मानित सदस्यों, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ बस्तर अंचल के पर्यटन के लिए चिन्हित स्थानों को विकसित करने के लिए रणनीति तैयार की गई।… <a href=”https://t.co/5CSX8FZQFu”>pic.twitter.com/5CSX8FZQFu</a></p>
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) <a href=”https://twitter.com/vishnudsai/status/1858499208317227267?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 18, 2024</a></blockquote>
<p>
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</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनता के लिए बताया निराशाजनक </strong><br />एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ने इस प्राधिकरण के बैठक को बस्तर आदिवासी विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना, वहीं दूसरी तरफ इस बैठक में शामिल हुए पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेसी विधायक कवासी लखमा ने इस बैठक को फिजूल खर्च बताया, लखमा ने कहा कि इस बैठक में बस्तर के विकास पर कोई चर्चा नहीं की गई, ना ही कोई एजेंडे तैयार किये गये, कवासी लखमा ने बैठक की आलोचना करते हुए इसे बस्तर की जनता के लिए निराशाजनक बताया, उन्होंने कहा कि एनएमडीसी के लिए सुरक्षित रखी गई, वहीं सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल को निरस्त कर दिया गया है जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ा नुकसान है, लखमा ने इसे जनता के साथ धोखा बताया और कहा कि वे इस फैसले का विरोध करेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बैठक में 7 एजेंडों पर की गई चर्चा</strong><br />दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर के विकास के लिए 19 साल पहले प्राधिकरण का गठन किया गया था, हालांकि कांग्रेस के कार्यकाल में बस्तर के स्थानीय कांग्रेस से विधायक को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया था, वहीं बीजेपी शासन काल में मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं, वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में पहली बैठक चित्रकोट पर्यटन स्थल में आयोजित की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”>लगभग 3 घंटे तक चली इस बैठक में 7 एजेंडे में चर्चा की गई, जिसमें मुख्य रूप से प्राधिकरण के गठन का स्वरूप ,प्राधिकरण का कार्य क्षेत्र, प्राधिकरण मद से स्वीकृत किए जाने वाले प्रमुख कार्य, वित्तीय वर्ष 2024- 25 में प्राधिकरण के लिए प्रावधानित बजट की जानकारी, इसके अलावा प्राधिकरण मद से वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023- 24 तक स्वीकृत कार्यों की प्रगति की समीक्षा और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण बैठक का पालन प्रतिवेदन और इसके अलावा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता की अनुमति से अन्य विषयों पर चर्चा की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’डॉक्टरों और स्टाफ की कमी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं'</strong><br />सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों और सुझावों पर भी चर्चा की गई है, बैठक में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास के लिए अपनी अपनी राय भी दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां बिजली की कमी है वहां सोलर ऊर्जा से बिजली और पानी की आपूर्ति की जा रही है, मोबाइल नेटवर्क के लिए टॉवर लगाए जा रहे हैं ताकि संचार व्यवस्था बेहतर हो सके, इसके अलावा औद्योगिक पार्क बनाने की तैयारी हो रही है, साथ ही सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल बनाया जा रहा है, जिससे बस्तर वासियों को लाभ मिलेगा,हालांकि अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कांग्रेस के विधायक ने बैठक को बताया ढकोसला </strong><br />इधर इस बैठक में शामिल हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बैठक की आलोचना करते हुए इसे बस्तर की जनता के लिए निराशाजनक बताया, उन्होंने कहा कि एनएमडीसी के लिए सुरक्षित रखी गई जमीन पर सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल की योजना को निरस्त कर दिया गया है जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ा नुकसान है, लखमा ने कहा कि इस बैठक को जिला कलेक्टर कार्यालय या संभाग आयुक्त कार्यालय में भी किया जा सकता था, लेकिन पिकनिक मनाने के उद्देश्य से बीजेपी के नेताओं ने इस प्राधिकरण की बैठक को चित्रकोट पर्यटन स्थल में रखा जिस वजह से पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा ,इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस बैठक में नक्सलवाद के मुद्दे पर भी कोई चर्चा नहीं की गई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का बड़ा फरमान, जुमे की नमाज की तकरीर के लिए लेनी होगी मंजूरी” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/chhattisgarh-waqf-board-decision-mosques-permission-sermon-after-friday-prayers-2825587″ target=”_self”>छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का बड़ा फरमान, जुमे की नमाज की तकरीर के लिए लेनी होगी मंजूरी</a></strong></p>
Hathras Stampede: भोले बाबा के आश्रम के बाहर क्यों तैनात की गई थी पुलिस, जानें क्या बोले मैनपुरी DSP?
Hathras Stampede: भोले बाबा के आश्रम के बाहर क्यों तैनात की गई थी पुलिस, जानें क्या बोले मैनपुरी DSP? <p style=”text-align: justify;”><strong>Bhole Babaa Ashram in Mainpuri:</strong> उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुए हादसे के बाद से ही भोले बाबा अंडरग्राउंड हो गया है. मंगलवार देर रात को भी पुलिस भोले बाबा के मैनपुरी स्थिति आश्रम पहुंची थी और बुधवार को भी पुलिस की टीम जांच के लिए आश्रम पहुंची है लेकिन, बाबा नहीं मिले. इस बीच बाबा के आश्रम की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. बाहर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात हैं. जिस पर अब डीएसपी सुनील कुमार का बयान सामने आया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बुधवार को डीएसपी सुनील कुमार के साथ पुलिस की टीम भोले बाबा के आश्रम पहुंची और करीब एक घंटे तक अंदर रही. भोले बाबा के आश्रम के बाहर बढ़ाई गई पुलिस की तैनाती पर डीएसपी ने कहा कि हमारी टीम अंदर और बाहर हर दिन सर्च करते हैं ताकि कोई दिक्कत न हो. पुलिस की टीम कल भी यहां पर तैनात थी और आज भी तैनात हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुलिस की तैनाती पर डीएसपी का जवाब</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं जब उनसे आश्रम में बाबा के होने पर सवाल किया गया तो डीएसपी ने इस बार से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि “आश्रम के अंदर 40-50 सेवादार हैं. इनमें महिलाएं और पुरूष दोनों शामिल हैं. वो (भोले बाबा) अंदर नहीं हैं, न तो वह कल थे और न ही आज हैं. हम ड्यूटी बाहर कर रहे हैं. वहीं भोले बाबा के आश्रम के बाहर पुलिस की तैनाती पर एसपी सिटी राहुल मिठास ने भी आश्रम में बाबा के नहीं मिलने का दावा किया है. एसपी सिटी ने कहा, “मैं आश्रम की सुरक्षा जांचने आया था. यहां कोई नहीं मिला है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/AHindinews/status/1808602236194603434[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/AHindinews/status/1808612406500991360[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के मुताबिक बुधवार रात 9.30 बजे एसपी सिटी राहुल मिठास आश्रम पहुंचे थे. उन्होंने पुलिसकर्मियों को कुछ निर्देश दिए और वापस चले गए. आधे घंटे पर एसपी सिटी, एसओजी टीम आई और आश्रम के अंदर गई थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में आश्रम के सेवादारों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि भोले बाबा आश्रम के अंदर ही है. हाथरस हादसे के बाद बाबा यहां आए थे और तब से बाहर नहीं गए हैं. हालांकि पुलिस की ओर से इन दावों से इनकार किया गया हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/hathras-news-mainpuri-sp-rahul-mithas-has-reached-inside-baba-ashram-2729425″>हाथरस हादसा: बाबा की तलाश में मैनपुरी के आश्रम पहुंची पुलिस, DSP और SOG की टीम मौजूद</a></strong></p>