हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है। हाय मेरा बच्चा, एक बार शक्ल तो दिखा दो। एक बार आंचल से लगा लेने दो ऐसा बोलते हुए प्रसूता नीलू बेहोश हो जाती है। उसका पति उसे संभलता है। पानी पिलाता है। ढांढस बंधाता है। ऐसा सिर्फ एक दंपति के साथ नहीं था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड में आग लगने से 10 नवजात बच्चे जिंदा जलकर मर गए। एक-एक कर इनके शव निकाले गए। डॉक्टर इन्हें लेकर दौड़ते दिखे। वार्ड में भर्ती सभी नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जाने लगा। पूरा कैंपस चित्कार से गूंजने लगा। आवाजें आईं- अरे मेरे बच्चे का चेहरा तो दिखा दो। यह सब 11 बजे से 11.30 बजे के करीब हुआ। SNCU, जहां जन्म के बाद नवजात बच्चों को रखा गया था, वह जलकर राख हो गया। मशीनें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं। पूरी घटना शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे की है, दैनिक भास्कर रिपोर्टर सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। जो दृश्य था, वो विचलित कर देने वाला था। पढ़िए भास्कर रिपोर्टर का आंखों देखा… एक डॉक्टर के हाथ में तीन नवजात, नर्स और लोगों के साथ हम भी दौड़े हम जब SNCU वार्ड के पास पहुंचे, फायर ब्रिगेड की दो छोटी गाड़ी गेट पर लगी थीं। डायल-112 और पुलिस फोर्स तैनात थी। कदम तेज हुए। जैसे ही भीड़ के पास पहुंचे। दो डॉक्टरों को देख हमारे होश उड़ गए। एक डॉक्टर के हाथ में कालिख लगा नवजात था। उनके पीछे दूसरे डॉक्टर के हाथों में तीन नवजात थे, जो आग में झुलसे हुए प्रतीत हो रहे थे। आगे बढ़े डॉक्टर ने पीछे मुड़कर देखा, फिर दोनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पीछे से आवाजें आईं- अरे राम-राम। सब जल गए… हम भी इनके पीछे दौड़े… करीब 200 मीटर तक दूर तक गए। डॉक्टरों के पीछे नर्सें दौड़ रहीं थीं, लोग थे। हमने तेजी से कदम बढ़ाए। एक आदमी के करीब पहुंचे, पूछा क्या बात हो गई। वो बोला- बच्चे जल गए। वार्ड की खिड़की से किया जा रहा था रेस्क्यू इस घटना को देखने के बाद हमने कदम रोके। फिर हम उस ओर बढ़ चले, जहां से ये लोग आ रहे थे। यहां चारों तरफ धुआं था, जलने की दुर्गंध आ रही थी। ये मेडिसिन और इलेक्ट्रॉनिक सामान जलने की थी। लाइट काटी जा चुकी थी, अंधेरा था। पास गए तो देखा- कुछ लोग वार्ड की खिड़की से अंदर जा रहे हैं। इनके हाथों में टॉर्च थी। यह झांसी मेडिकल कॉलेज का शिशु वार्ड था। पास जाते ही वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया- साहब 8 बच्चे जले हुए निकले हैं। संतरा देवी बोलीं- किसी की बच्ची मुझे मिली, मेरा नाती नहीं हम अस्पताल के अंदर जाने के लिए जैसे ही गैलरी के पास पहुंचे। हमसे संतरा देवी टकरा गईं। वह एक बच्ची को लेकर दौड़ रही थीं। पूछने पर बोलीं- मेरा बच्चा नहीं मिला। यह किसी की बेटी मिल गई। ये भी मर जाती, लेकिन मैं इसे बचा लूंगी। संतरा देवी ने जैसे ही इस बच्ची को दूसरे वार्ड पहुंचाया, वह हमसे लिपटकर रोने लगीं। बोलीं- हमारे बेटे का नाम बालकिशन सविता है। बहू का नाम कविता है। हम उसके बेटे को नहीं बचा पाए हैं। हम दवा लेने गए थे, जब वापस लौटे, तो सभी कहने लगे- आग लग गई, आग लग गई। हमें मेरा बेटा नहीं मिला है। सभी अपने बच्चे लेकर भागने लगे। अंदर जाने नहीं दिया गया। सविता ने कहा- हमें कभी भी अंदर नहीं जाने दिया। माइक से कह देते थे कि दवा ले आओ, ये ले आओ बस। इसके बाद वो जोर-जोर से रोने लगती हैं। जलकर राख हुआ SNCU वार्ड हम वार्ड की तरफ लौटे। शोर था- अब कोई बच्चा अंदर नहीं है। सभी निकाल दिए हैं। आग शांत है। पीछे से एक फायर ब्रिगेड कर्मी ने कहा- देखना जरा, कहीं भी धुआं हो तो बताना, अंदर से आवाज आई- अब कहीं कुछ नहीं है। इसके बाद धीरे-धीरे यह जगह खाली हुई। हम पास गए। वार्ड पूरी तरह राख में तब्दील हो चुका था। जिन मशीनों में बच्चों को रखा जाता था, वह जल गईं थीं। रोते-बिलखते बदहवास हो गई प्रसूता, पति बोला- डॉक्टर की लापरवाही है बेटे को जन्म देने के बाद नीलू कमजोर थी। उसका बेटा सही से सांस नहीं ले पा रहा था। इसलिए उसे शिशु वार्ड में रखा गया था। ऐसा नीलू के पति कुलदीप ने बताया। उससे लिपटी हुई नीलू बदहवास थी। वह अपने पति से सिर्फ इतना कह रही थी- मेरे बेटे को ला दो। कुलदीप ने बताया- हम लोग महोबा के रहने वाले हैं। यहां नीलू का मायका है। डिलीवरी 9 नवंबर को हुई थी। समय से पहले बच्चा हो गया, तो परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन अब अनहोनी हो गई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा नहीं मिल रहा है। अंदर किसी को नहीं जाने देते थे। सब बाहर ही थे। सड़क पर बेहोश हो गई प्रसूता की सास नीलू और कुलदीप को ढांढस बंधाने के बाद हम कुछ दूर बढ़े ही थे कि एक प्रसूता की सास सड़क पर बेहोश हो गई। उसके परिजन उसे उठाने के लिए पानी लेने दौड़ पड़े। डीएम साहब आए, जवाब मिला- 10 बच्चों की मौत हुई यह सब कुछ महज आधे घंटे के भीतर हुआ। इसके बाद शोर हुआ- डीएम साहब आ गए हैं। पुलिस वाले गेट की तरफ बढ़ने लगे। हम भी उस तरफ गए। डीएम अविनाश कुमार ने अस्पताल के स्टाफ से बात की। इसके बाद वह मीडिया से मिले। डीएम अविनाश कुमार ने कहा- यहां बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है, दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाली यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का सकुशल रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अभी तक 10 बच्चों की मौत की सूचना है। डीएम ने कहा- प्रथम दृष्ट्या जो बात निकलकर सामने आई है, उसमें शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। डीएम के जाने के कुछ देर बाद कांग्रेस के नेता पहुंचे, जो लोगों की मदद की बात करते नजर आए। अभी तक हमें यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। इस सवाल के जवाब में हम मेडिकल स्टाफ से भी मिले। लेकिन, उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। संजना बोलीं- मेरा बच्चा जल गया है डीएम जैसे ही वहां से निकले। उनकी गाड़ी के पीछे एक महिला दौड़ते हुए दिखाई दी। वह हमारे पास आकर रुकी। बोली- भैया हमारा बच्चा जलकर मर गया है। हमने नाम पूछा, तो बताने लगी- संजना नाम है। इसके बाद फिर उसने दौड़ लगा दी। संजना ने कहा- हमें बस मेरा बच्चा चाहिए। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कुछ देर बाद कमिश्नर विमल दुबे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बताया- अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। CMS बोले- 54 बच्चे भर्ती थे, पूरे कमरे में आग फैल गई झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा- NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई। यह वार्ड हाई ऑक्सीजेनेट होता है। जैसे ही आग लगी, यह पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की अभी तक मौत हुई है। बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है। रेस्क्यू के बाद नॉर्मल वार्ड में रखे गए बच्चे CMS के बयान के बाद हम उस वार्ड में गए, जहां रेस्क्यू के बाद बच्चों को रखा गया था। यहां NICU जैसी सुविधा नहीं थी। बच्चों को कपड़ों और तौलिए से लपेटकर रखा गया था। स्टाफ भी नहीं दिखाई दिया। लोग बोले- धमाके जैसी आवाज आई मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- आग लगने का शोर हुआ, कुछ देर बाद वार्ड में धुआं हो गया था। इसके बाद धमाके जैसी आवाज भी आई। ऐसा लगा मानो बम फटा हो। फिर डॉक्टर और नर्स भागते दिखाई दिए। ये अस्पताल वालों की लापरवाही से हुआ है। 12 घंटे में जांच रिपोर्ट सबमिट करने के निर्देश देर रात करीब एक बजे अस्पताल में करीब आधा दर्जन थानों की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। इस दौरान लखनऊ से झांसी तक सूचना आई कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्वास्थ्य सचिव झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। पूरा प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर एक्टिव हो गया। सीएम योगी ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश के बाद एक जांच समिति गठित की है। कमिश्नर और डीआईजी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड की जांच करेंगे। सीएम योगी मे जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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एसपी सिटी अभिमन्यु मांगलिक ने बताया- थाना गंगोह के ततारपुर गांव के रहने वाले इनाम ने बेटे वसीम की गला घोटकर हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। वसीम ट्रक चलाता था। उसका शव 5 फरवरी 2024 को अजय व मन्नत ढाबे के बीच एक ईंख के खेत में मिला था। पुलिस ने मामले में जांच शुरू की। बदमाशों की तलाश में सीसीटीवी फुटेज खंगाले। इसके बाद आरोपियों को पकड़ा। साड़ी पहनकर खड़े होते थे
हाईवे पर ट्रक ड्राइवरों को टारगेट करने वाले दो गैंग है। एक गैंग में जुल्फान और लंबू। दूसरे गैंग में मोटी, छोटी और प्रदीप हैं। मुखबिर की सूचना पर परवेज उर्फ मोटी, जुल्फान उर्फ बुडढ़ी, मुसाहिब उर्फ लंबो और सोनू उर्फ नरेंद्र को अरेस्ट कर लिया है। जबकि आरोपी प्रदीप अभी पुलिस के हाथ नहीं लगा है। पुलिस इसकी तलाश कर रही है। दोनों गैंग के सदस्य हाईवे पर लेडीज के कपड़े पहनकर लूट करते थे। पहली बार किया मर्डर…बस करते थे लूट
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया-नंदी फिरोजपुर हाईवे पर ढाबे के आगे एक ट्रक चालक को टॉर्च की लाइट का इशारा करके यमुनानगर जाने वाली लाइन पर रोका था। ड्राइवर ने लेडीज के कपड़ों में देखकर ट्रक रोक लिया। ड्राइवर को शारीरिक संबंध बनाने का लालच दिया। जिसके बाद ट्रक चालक को वे एक ईंख के खेत में ले गए। वहां पर अन्य गैंग के सदस्य भी आ गए। ट्रक चालक को पकड़ लिया। उसके हाथ पैर बांध दिए। जब चालक ज्यादा हाथ-पैर चलाने लगा तो उसकी बेल्ट निकालकर उसका गला घोट दिया। उसकी हत्या कर दी। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने पहली बार मर्डर किया है। क्योंकि वो ज्यादा हाथ-पैर चला रहा था। 20 हजार रुपए आपस में बाट लिए थे
आरोपियों ने बताया कि ट्रक चालक के पास से 20 हजार रुपए, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, दो फोटो वसीम, एक लाल रंग की चादर, एक गर्म टोपा लेकर फरार हो गए थे। आरोपियों ने 20 हजार रुपए को आपस में बाट लिया था। उनमें से 3110 रुपए जो बरामद हुए है, वे लूट के ही है। मास्टरमाइंड निकला जुल्फान
दो गैंगों का सरगना जुल्फान है। उसने दोनों गैंग को मिलाकर एक साथ लूट की घटनाओं को अंजाम दिया है। पुलिस अन्य लूट के मामले में आरोपियों से पूछताछ कर रही है। आरोपियों ने बताया कि फरार प्रदीप ने लेडीज कपड़े पहनकर ट्रक चालक को रोका था। वो चालक को ईंख के खेत में ले गया था। उसके बाद हत्याकांड को अंजाम दिया था। ———— यह खबर भी पढ़िए… UPPSC ने दो शिफ्ट में परीक्षा का फैसला वापस लिया, लेकिन, RO/ARO एग्जाम में फंसा पेंच; प्रयागराज में 4 दिन से छात्र आंदोलन कर रहे उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की प्रोविंशियल सिविल सर्विस (PCS) की प्रारंभिक परीक्षा अब एक शिफ्ट में होगी। 20 हजार छात्रों के आंदोलन के बाद कमीशन को 10 दिन में ही फैसला वापस लेना पड़ा। UPPSC ने गुरुवार,14 नवंबर को 2 शिफ्ट में परीक्षा का फैसला वापस लिया। पढ़िए पूरी खबर..
कुएं में गिरी बकरी निकालने उतरे चाचा-भतीजे की मौत:ढाई घंटे चला रेस्कयू, मंगानी पड़ी जेसीबी; रस्सी में कांटा फंसाकर बाहर निकाला; जहरीली गैस से गई जान
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8:45 बजे एंबुलेंस व पुलिस पहुंच गई। कुछ देर बाद दमकल भी मौके पर पहुंच गई। जहरीली गैस की चपेट में आने की संभावना पर दमकल कर्मियों ने टार्च की रोशनी मारी तो दोनों कुएं में बेहोश पड़े दिखाई दिए। जेसीबी और ऑक्सीजन सिलेंडर के माध्यम से रेस्क्यू कर कुंए से युवकों को बाहर निकालने की कवायद शुरू की। दमकल के कर्मियों ने पहले सीढ़ी को लगाकर उतरने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने गैस का आंकलन कर हिम्मत नहीं जुटाई। लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। रेस्क्यू की दो तस्वीरें रस्सी में कांटा फंसा कर दोनों युवकों को निकाला
इसी बीच सीएफओ अनूप सिंह, एफएसओ राम मिलन भारती, मसूक अली, नीरज, सौरभ, विमल, रघुनंदन के नेतृत्व में दमकल कर्मियों ने ग्रामीणों की मदद से रस्सी में कांटा फंसा कर दोनों युवकों को बेहोशी की हालत में कुएं से बाहर निकाला। डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद कपड़ों में कांटा फंसा दोनों को बाहर निकालकर सीएचसी सफीपुर ले जाया गया। हालत गंभीर देख डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां पर डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। दोनों की मौत से परिजन बेहाल हैं। उधर घटना की जानकारी पर एएसपी प्रेमचंन्द ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच पड़ताल की है। कुंए गहरा था गैंस होने का नहीं लगा सके अंदाजा
ग्रामीणों की मानें तो कुंआ घर के अन्दर ही बना है ।उसके ऊपर से जाल पड़ा है। काफी दिनों से इस कुएं में पानी नहीं भरा जाता और सूखा है। कुंए में उतरते समय लाला गैंस होने का आकलन नहीं कर सका। लेकिन कुछ देर में ही वह नीचे बेहोश हो गया। इधर रात का अंधेरा होने के चलते ग्रामीण भी तत्काल में कोई सम्भव मदद नहीं कर सके। परिजनों ने देर से दी जानकारी
एफएसओ शिवराम यादव ने बताया कि सूखे और गहरे कुएं में धीरे धीरे कचरा जमा होने से नमी हो जाती है, जिससे मीथेन गैस बनती है। यह गैस जहरीली और जानलेवा होती है। इसी गैस की चपेट में आने पर दोनों की मौत की संभावना जताई है। सीओ माया राय ने बताया कि परिजनों ने घटना की जानकारी एक घंटे बाद दी। पहले सूचना मिल जाती तो दोनों को जल्दी बाहर निकाल लिया जाता और दोनों की जान बच जाती। इस खबर को भी पढ़ें… कुएं में जहरीली गैस से पिता-दो बेटों की मौत:बड़े बेटे को बचाने में छोटा बेटा और पिता चपेट में आये, 2 ग्रामीण भी हुए बेहोश महोबा में कुएं में बोरिंग की मोटर ठीक करने उतरे पिता सहित दो पुत्रों की जहरीली गैस की चपेट में आकर मौत हो गई। बताया जाता है कि खेत में सिंचाई करने तीनों गए थे। एक एक कर दो बेटे पहले कुएं में उतरे थे, उन्हें बचाने के चक्कर में पिता भी उतरा था। उसी दौरान तीनों कुएं में फैली जहरीली गैस की चपेट में आ गए। तीनों को बचाने में दो ग्रामीण भी अचेत हो गए थे। पढ़ें पूरी खबर…
हाईकोर्ट में वीडियो कॉल पर गवाही की अनुमति:अमेरिका से महिला ने कोर्ट में लगाई गुहार, संपत्ति पर कब्जे से जुड़ा है मामला
हाईकोर्ट में वीडियो कॉल पर गवाही की अनुमति:अमेरिका से महिला ने कोर्ट में लगाई गुहार, संपत्ति पर कब्जे से जुड़ा है मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक आपराधिक मामले में गवाह को अमेरिका से व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए अपना बयान दर्ज कराने की इजाजत दे दी है। यह मामला ट्रायल कोर्ट से होते हुए हाईकोर्ट पहुंचा था, जहां आरोपी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। आरोपी ने दलील दी थी कि गवाह का बयान दूतावास जाकर ही दर्ज कराया जाना चाहिए, ताकि गवाही में किसी तरह के बाहरी प्रभाव या शिक्षण की संभावना न रहे। हालांकि हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को कुछ शर्तों के साथ बरकरार रखा और कहा कि अगर गवाह व्हाट्सएप या किसी अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बयान दर्ज कराना चाहता है तो उसे इजाजत दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि गवाही दर्ज कराने के लिए बार-बार दूतावास जाना न सिर्फ समय और पैसे की बर्बादी होगी, बल्कि इससे कई अन्य समस्याएं भी पैदा होंगी। सावधानियों के साथ गवाही की अनुमति हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गवाह का बयान उसके निजी स्थान से भी दर्ज किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ सावधानियों का पालन करना अनिवार्य होगा। जिस कमरे से गवाह गवाही दे रहा है, वह पूरा कमरा वीडियो में दिखाई देना चाहिए, ताकि किसी भी तरह की अनियमितता से बचा जा सके। इसके अलावा गवाह के मोबाइल फोन नंबर और ई-मेल की भी जांच की जानी चाहिए, ताकि गवाही की सत्यता पर कोई सवाल न उठे। यह मामला एक महिला गवाह से जुड़ा है, जिसने व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए बयान दर्ज कराने की गुहार लगाई थी। मामला जबरन संपत्ति में घुसने और कब्जा करने के प्रयास से जुड़ा था। हाईकोर्ट का यह आदेश वीडियो कॉल के जरिए गवाही देने के मामलों में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा, खासकर ऐसे मामलों में जहां गवाह विदेश में रहते हैं और उन्हें बार-बार दूतावास जाने में दिक्कत होती है।