<p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar News:</strong> बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में धांधली और अधिकारियों की मनमानी के पहले भी कई मामले सामने आए हैं. भ्रष्टाचार का आरोप लगाता रहा है. अब एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के स्टेट हेल्थ सोसायटी पर टेंडर में धांधली करने का आरोप लगा है और इसमें करोड़ के घपले की बात सामने आ रही है और इसके लिए एक मेडिकल कंपनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधे तौर साक्ष्य के साथ पत्र लिखकर सोसाइटी पर धांधली का आरोप लगाया है. साथ ही साथ सोसाइटी के खिलाफ न्यायालय में भी याचिका दायर कर दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने हब एंड स्पोक मॉडल पर डायग्नोस्टिक हेल्थ सर्विसेज के लिए टेंडर निकाला था. इस टेंडर में धांधली का आरोप लगा है. कंपनी ने आरोप लगाया है कि वह 77. 6 प्रतिशत डिस्काउंट टेंडर का बिड भरा था, लेकिन अधिकारियों ने गलत तरीके से 73% डिस्काउंट वाले को टेंडर दे दिया है जिससे राज्य सरकार को भी नुकसान होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फर्म ने सीएम नीतीश से की है शिकायत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सोसाइटी पर घालमेल करने का आरोप टेंडर में शामिल साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने लगाया है. कंपनी ने अपने पत्र में लिखा है कि अधिकारियों ने जान बूझकर उसके बिड को निरस्त कर दिया. फर्म ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायत के साथ ही पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही फर्म ने न्यायालय में याचिका भी दायर कर दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले के बारे में बताया जाता है कि बिहार हेल्थ सोसाइटी ने हब एंड स्पोक मॉडल पर डायग्नोस्टिक हेल्थ सर्विसेज के लिए टेंडर निकाला था. इस टेंडर में 7 फर्मों ने हिस्सा लिया था. इन सभी फर्मों को 21 अक्टूबर को टेक्निकल रूप से सफल घोषित किया गया था. इसके बाद इन फर्म की वित्तीय निविदा खोली गई. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि उसका बिड सबसे अधिक डिस्काउंट (77.06%) पर था. इसके बाद भी 30 अक्टूबर को दूसरे फर्म को टेंडर दे दिया गया. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने मुख्यमंत्री के लिखे पत्र में दर्शाया है कि ‘हमने इसकी शिकायत की तो अधिकारियों ने कहा कि हमारी फर्म की ओर से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग दरें लिखी गई थीं, जिस पर दो फर्म ने आपत्ति की थी.’ साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि हमने कोई गलती नहीं की है, हमारी बिड को जानबूझकर निरस्त किया गया है. कंपनी का आरोप है कि बिड निरस्त करने से पहले हमसे स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हेल्थ सोसाइटी पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्टेट हेल्थ सोसाइटी पर इस तरह का आरोप कोई नई बात नहीं है. पहले भी कई बार विपक्ष के कई नेताओं ने स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया पर धांधली का आरोप लगाया है. इससे पहले बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने एंबुलेंस के लिए एक टेंडर निकला था जो विवादों में घिर गया था. इस टेंडर में एक फर्म को नियमों के विरूद्ध योग्य घोषित कर दिया गया था. बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए निरस्त कर दिया और बाकी सभी फर्मों की निविदाओं का पुनर्मूल्यांकन करने का आदेश दिया था. बता दें कि कंपनी का आरोप अगर सही है तो निश्चित तौर पर समिति की इस धांधली से बिहार के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने हब एंड स्पोक मॉडल पर डायग्नोस्टिक हेल्थ सर्विसेज के लिए टेंडर निकाला था. इस टेंडर में धांधली का आरोप लगा है. कंपनी ने आरोप लगाया है कि वह 77. 6 प्रतिशत डिस्काउंट टेंडर का बिड भरा था, लेकिन अधिकारियों ने गलत तरीके से 73% डिस्काउंट वाले को टेंडर दे दिया है जिससे राज्य सरकार को भी नुकसान होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फर्म ने सीएम नीतीश से की है शिकायत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सोसाइटी पर घालमेल करने का आरोप टेंडर में शामिल साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने लगाया है. कंपनी ने अपने पत्र में लिखा है कि अधिकारियों ने जान बूझकर उसके बिड को निरस्त कर दिया. फर्म ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिकायत के साथ ही पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है. साथ ही फर्म ने न्यायालय में याचिका भी दायर कर दिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले के बारे में बताया जाता है कि बिहार हेल्थ सोसाइटी ने हब एंड स्पोक मॉडल पर डायग्नोस्टिक हेल्थ सर्विसेज के लिए टेंडर निकाला था. इस टेंडर में 7 फर्मों ने हिस्सा लिया था. इन सभी फर्मों को 21 अक्टूबर को टेक्निकल रूप से सफल घोषित किया गया था. इसके बाद इन फर्म की वित्तीय निविदा खोली गई. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि उसका बिड सबसे अधिक डिस्काउंट (77.06%) पर था. इसके बाद भी 30 अक्टूबर को दूसरे फर्म को टेंडर दे दिया गया. साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड ने मुख्यमंत्री के लिखे पत्र में दर्शाया है कि ‘हमने इसकी शिकायत की तो अधिकारियों ने कहा कि हमारी फर्म की ओर से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग दरें लिखी गई थीं, जिस पर दो फर्म ने आपत्ति की थी.’ साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि हमने कोई गलती नहीं की है, हमारी बिड को जानबूझकर निरस्त किया गया है. कंपनी का आरोप है कि बिड निरस्त करने से पहले हमसे स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हेल्थ सोसाइटी पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्टेट हेल्थ सोसाइटी पर इस तरह का आरोप कोई नई बात नहीं है. पहले भी कई बार विपक्ष के कई नेताओं ने स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया पर धांधली का आरोप लगाया है. इससे पहले बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने एंबुलेंस के लिए एक टेंडर निकला था जो विवादों में घिर गया था. इस टेंडर में एक फर्म को नियमों के विरूद्ध योग्य घोषित कर दिया गया था. बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए निरस्त कर दिया और बाकी सभी फर्मों की निविदाओं का पुनर्मूल्यांकन करने का आदेश दिया था. बता दें कि कंपनी का आरोप अगर सही है तो निश्चित तौर पर समिति की इस धांधली से बिहार के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.</p>
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