घरौंडा पहुंचे इजरायली एंबेसी एग्रीकल्चर अतासे ओरी रूबिंस्टेन:बोले- फ्यूचर में हाईटेक तकनीक लाने की कोशिश; ​​सीईवी को अपग्रेड करने पर हुई चर्चा

घरौंडा पहुंचे इजरायली एंबेसी एग्रीकल्चर अतासे ओरी रूबिंस्टेन:बोले- फ्यूचर में हाईटेक तकनीक लाने की कोशिश; ​​सीईवी को अपग्रेड करने पर हुई चर्चा

घरौंडा में स्थापित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र (सीईवी) को अपग्रेड करने की दिशा में कवायद शुरू हो चुकी है। सोमवार को इजरायली एबेंसी से एग्रीकल्चर अतासे मिस्टर ओरी रूबिंस्टेन और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट डेनियल हदाद सीईवी पहुंचे। मिस्टर ओरी रूबिंस्टेन ने बताया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के विजिन को साकार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस सोच को आगे बढ़ाते हुए, हम फ्यूचर की हाईटेक एग्रीकल्चर तकनीकों को वर्तमान में लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए, हमने घरौंडा स्थित इंडो-इजरायल सेंटर में इन तकनीकों को लागू करने पर मंथन शुरू कर दिया है। नई टेक्नोलॉजी को लेकर किया मंथन उन्होंने सेंटर पर इस्तेमाल होने वाले पोली हाउस स्ट्रक्चर, इरिगेशन सिस्टम, मिट्टी के बैड तैयार करने के तरीकों, डेमोस्ट्रेशन के लिए लगाई जाने वाली फसलों, वॉक इन टनल, नेट हाउस, एनवीपीएच, हाईटेक नर्सरी व अन्य विषयों पर विस्तृत जानकारी हासिल की। उन्होंने सेंटर का विजिट किया और नई टेक्नोलॉजी को लेकर बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ मंथन किया। सीईवी को अपग्रेड करने की जरूरत- डिप्टी डायरेक्टर सीईवी में बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बिल्लु यादव ने बताया कि सब्जी उत्कृष्टता केंद्र को स्थापित हुए लगभग 14 साल का समय हो चुका है। इसलिए सीईवी को अपग्रेड करने की जरूरत है। समय के साथ कुछ तकनीकों में भी बदलाव हुआ है, जैसे प्रोटेक्टिव स्ट्रक्चर, हाईटेक नर्सरी, इरिगेशन ऑटोमेशन व अन्य तकनीकों में चेंज आया है। इन्हीं टेक्नोलोजी से सीईवी को अपग्रेड करना है, जाे समय की जरूरत भी है। सेंटर पर होती है पुरानी टेक्नोलोजी यूज उन्होंने बताया कि सीइवी 2011 में बनाया गया था। इसमें जो टेक्नोलोजी इस्तेमाल हो रही है, वह भी पुरानी है। सेंटर को नई टेक्नोलोजी के साथ कैसे अपग्रेड किया जाए, उसी को लेकर आज इजरायली और हरियाणा बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ साथ मंथन किया गया है। इसके साथ ही फसलों में किसी तरह की कोई बीमारी आ रही है, तो उसको लेकर एक्सपर्ट कैसे निपटेंगे, उस पर भी चर्चा की गई है। देखा गया है कि फसल में किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं। घरौंडा में स्थापित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र (सीईवी) को अपग्रेड करने की दिशा में कवायद शुरू हो चुकी है। सोमवार को इजरायली एबेंसी से एग्रीकल्चर अतासे मिस्टर ओरी रूबिंस्टेन और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट डेनियल हदाद सीईवी पहुंचे। मिस्टर ओरी रूबिंस्टेन ने बताया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के विजिन को साकार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस सोच को आगे बढ़ाते हुए, हम फ्यूचर की हाईटेक एग्रीकल्चर तकनीकों को वर्तमान में लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए, हमने घरौंडा स्थित इंडो-इजरायल सेंटर में इन तकनीकों को लागू करने पर मंथन शुरू कर दिया है। नई टेक्नोलॉजी को लेकर किया मंथन उन्होंने सेंटर पर इस्तेमाल होने वाले पोली हाउस स्ट्रक्चर, इरिगेशन सिस्टम, मिट्टी के बैड तैयार करने के तरीकों, डेमोस्ट्रेशन के लिए लगाई जाने वाली फसलों, वॉक इन टनल, नेट हाउस, एनवीपीएच, हाईटेक नर्सरी व अन्य विषयों पर विस्तृत जानकारी हासिल की। उन्होंने सेंटर का विजिट किया और नई टेक्नोलॉजी को लेकर बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ मंथन किया। सीईवी को अपग्रेड करने की जरूरत- डिप्टी डायरेक्टर सीईवी में बागवानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बिल्लु यादव ने बताया कि सब्जी उत्कृष्टता केंद्र को स्थापित हुए लगभग 14 साल का समय हो चुका है। इसलिए सीईवी को अपग्रेड करने की जरूरत है। समय के साथ कुछ तकनीकों में भी बदलाव हुआ है, जैसे प्रोटेक्टिव स्ट्रक्चर, हाईटेक नर्सरी, इरिगेशन ऑटोमेशन व अन्य तकनीकों में चेंज आया है। इन्हीं टेक्नोलोजी से सीईवी को अपग्रेड करना है, जाे समय की जरूरत भी है। सेंटर पर होती है पुरानी टेक्नोलोजी यूज उन्होंने बताया कि सीइवी 2011 में बनाया गया था। इसमें जो टेक्नोलोजी इस्तेमाल हो रही है, वह भी पुरानी है। सेंटर को नई टेक्नोलोजी के साथ कैसे अपग्रेड किया जाए, उसी को लेकर आज इजरायली और हरियाणा बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ साथ मंथन किया गया है। इसके साथ ही फसलों में किसी तरह की कोई बीमारी आ रही है, तो उसको लेकर एक्सपर्ट कैसे निपटेंगे, उस पर भी चर्चा की गई है। देखा गया है कि फसल में किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर