हिमाचल में 22 से बारिश-बर्फबारी:स्पीति में कड़ाके की सर्दी; सामान्य से 4 डिग्री नीचे गिरेगा पारा, पोस्ट-मानसून सीजन में नॉर्मल से 98% कम बारिश

हिमाचल में 22 से बारिश-बर्फबारी:स्पीति में कड़ाके की सर्दी; सामान्य से 4 डिग्री नीचे गिरेगा पारा, पोस्ट-मानसून सीजन में नॉर्मल से 98% कम बारिश

हिमाचल प्रदेश में 4 दिन बाद मौसम करवट बदलेगा। इससे 4 जिलों में लंबा ड्राइ स्पेल टूटने के आसार है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 22 नवंबर से वेस्टर्न-डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव होने से लाहौल स्पीति, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू जिला की ऊंची चोटियों पर हल्की बारिश बर्फबारी हो सकती है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ बना रहेगा। मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि 22 से WD एक्टिव जरूर हो रहा है। मगर बहुत ज्यादा बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। पहाड़ों पर इससे हल्की बारिश व बर्फबारी का ही पूर्वानुमान है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में दो प्रमुख कारणों से अच्छी बारिश बर्फबारी नहीं हुई। पहली वजह WD आए ही नहीं। दूसरा कारण जो WD आए, वह बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर बढ़ गए। 49 दिन से बारिश-बर्फबारी नहीं यही वजह है कि बरसात के बाद 49 दिन से बारिश-बर्फबारी नहीं है। प्रदेश में सामान्य से 98 प्रतिशत कम बादल बरसे है। एक अक्टूबर से 19 नवंबर तक 0.7 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 35.3 मिलीमीटर बारिश होती है। इससे हालात खराब होते जा रहे है। 90% जमीन पर गेंहू की बुवाई नहीं हो सकी किसानों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। राज्य में इस बार 10 फीसदी जमीन पर ही किसान गेंहू की बुवाई कर पाए है। कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में 3.26 लाख हैक्टेयर जमीन पर गेंहू की बुवाई होती है, लेकिन इस बार लगभग 30 हजार हैक्टेयर जमीन पर ही किसान गेंहू बीज पाए हैं। अब गेंहू की बुवाई का उचित समय भी बीत गया है। एक महीने तक अच्छी बारिश-बर्फबारी नहीं शोभित कटियार ने बताया कि अगले एक महीने तक भी बहुत ज्यादा बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। जाहिर है कि प्रदेश वासियों को सूखे से बहुत जल्दी छुटकारा मिलने के आसार नहीं है, जबकि सूखे ने पहले ही प्रदेश के लोगों की चिंता बढ़ा रखी है। शोभित कटियार ने बताया कि अगले दो सप्ताह तक प्रदेश में तापमान नॉर्मल से 2 डिग्री सेल्सियस कम व ज्यादा रहेगा, जबकि इस अवधि में स्पीति के कुछेक क्षेत्रों में खूब ठंड पड़ेगी और तापमान नॉर्मल से तीन-चार डिग्री तक नीचे गिर सकता है। क्या होता है वेस्टर्न डिस्टरबेंस? वेस्टर्न डिस्टरबेंस भू-मध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक तूफान है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक सर्दियों में बारिश लाता है, यह बरसात मानसून की बरसात से अलग होती है। आने वाले तूफान या कम दबाव वाले क्षेत्र भू-मध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भागों और अटलांटिक महासागर में उत्पन्न होते हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान न्यूनतम और अधिकतम तापमान ज्यादातर शहरों का सामान्य से नीचे गिर गया है। लाहौल स्पीति के ताबो का तापमान माइनस 5.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। दो जिलों में धुंध का अलर्ट मौमस विभाग ने बिलासपुर और मंडी जिला के कुछेक स्थानों पर अगले तीन दिन तक धुंध का येलो अलर्ट जारी किया है। इसे देखते हुए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हिमाचल प्रदेश में 4 दिन बाद मौसम करवट बदलेगा। इससे 4 जिलों में लंबा ड्राइ स्पेल टूटने के आसार है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 22 नवंबर से वेस्टर्न-डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव होने से लाहौल स्पीति, चंबा, कांगड़ा और कुल्लू जिला की ऊंची चोटियों पर हल्की बारिश बर्फबारी हो सकती है। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ बना रहेगा। मौसम विज्ञानी शोभित कटियार ने बताया कि 22 से WD एक्टिव जरूर हो रहा है। मगर बहुत ज्यादा बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। पहाड़ों पर इससे हल्की बारिश व बर्फबारी का ही पूर्वानुमान है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में दो प्रमुख कारणों से अच्छी बारिश बर्फबारी नहीं हुई। पहली वजह WD आए ही नहीं। दूसरा कारण जो WD आए, वह बिन बरसे लेह-लद्दाख की ओर बढ़ गए। 49 दिन से बारिश-बर्फबारी नहीं यही वजह है कि बरसात के बाद 49 दिन से बारिश-बर्फबारी नहीं है। प्रदेश में सामान्य से 98 प्रतिशत कम बादल बरसे है। एक अक्टूबर से 19 नवंबर तक 0.7 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 35.3 मिलीमीटर बारिश होती है। इससे हालात खराब होते जा रहे है। 90% जमीन पर गेंहू की बुवाई नहीं हो सकी किसानों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। राज्य में इस बार 10 फीसदी जमीन पर ही किसान गेंहू की बुवाई कर पाए है। कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में 3.26 लाख हैक्टेयर जमीन पर गेंहू की बुवाई होती है, लेकिन इस बार लगभग 30 हजार हैक्टेयर जमीन पर ही किसान गेंहू बीज पाए हैं। अब गेंहू की बुवाई का उचित समय भी बीत गया है। एक महीने तक अच्छी बारिश-बर्फबारी नहीं शोभित कटियार ने बताया कि अगले एक महीने तक भी बहुत ज्यादा बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। जाहिर है कि प्रदेश वासियों को सूखे से बहुत जल्दी छुटकारा मिलने के आसार नहीं है, जबकि सूखे ने पहले ही प्रदेश के लोगों की चिंता बढ़ा रखी है। शोभित कटियार ने बताया कि अगले दो सप्ताह तक प्रदेश में तापमान नॉर्मल से 2 डिग्री सेल्सियस कम व ज्यादा रहेगा, जबकि इस अवधि में स्पीति के कुछेक क्षेत्रों में खूब ठंड पड़ेगी और तापमान नॉर्मल से तीन-चार डिग्री तक नीचे गिर सकता है। क्या होता है वेस्टर्न डिस्टरबेंस? वेस्टर्न डिस्टरबेंस भू-मध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक तूफान है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक सर्दियों में बारिश लाता है, यह बरसात मानसून की बरसात से अलग होती है। आने वाले तूफान या कम दबाव वाले क्षेत्र भू-मध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भागों और अटलांटिक महासागर में उत्पन्न होते हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान न्यूनतम और अधिकतम तापमान ज्यादातर शहरों का सामान्य से नीचे गिर गया है। लाहौल स्पीति के ताबो का तापमान माइनस 5.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। दो जिलों में धुंध का अलर्ट मौमस विभाग ने बिलासपुर और मंडी जिला के कुछेक स्थानों पर अगले तीन दिन तक धुंध का येलो अलर्ट जारी किया है। इसे देखते हुए लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर