हिमाचल में गरीब बच्चों को पढ़ाने के दावे झूठे:2700 प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 450 बच्चे एनरोल; मुफ्त शिक्षा का नहीं उठा पा रहे ‌फायदा

हिमाचल में गरीब बच्चों को पढ़ाने के दावे झूठे:2700 प्राइवेट स्कूलों में सिर्फ 450 बच्चे एनरोल; मुफ्त शिक्षा का नहीं उठा पा रहे ‌फायदा

हिमाचल के प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ाई को आगे नहीं आ रहे। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश के 2700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में केवल 450 गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा ले रहे हैं, जबकि अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में प्रत्येक प्राइवेट स्कूल में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। इस लिहाज से 67 हजार से ज्यादा बच्चे राज्य के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर सकते हैं। मगर हिमाचल के सरकारी स्कूलों में एक प्रतिशत बच्चे भी RTE में मिले मुफ्त शिक्षा के अधिकार को नहीं भुना पा रहे हैं। यह खुलासा शिक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। RTE एक्ट लागू होने के 14 साल बाद विभाग शिक्षा विभाग जागरूकता की कमी का रोना रो रहा है। जागरूकता में कमी के लिए आज तक किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई। अब शिक्षा विभाग और शिक्षाविद से जानते हैं कि ‘निर्धन बच्चे प्राइवेट स्कूलों में क्यों दाखिला नहीं ले पा रहे’। डॉ. भुरेटा बोले- जागरूकता को व्यापक स्तर पर कैंपेन की जरूरत राज्य संसाधन केंद्र के डायरेक्टर और नेशनल लेवल की ज्ञान विज्ञान समिति के महासचिव डॉ. ओपी भुरेटा ने बताया कि गरीब बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ पाने की 3 वजह है। प्राइवेट एजुकेशन की देखा-देखी में खाली हो रहे सरकारी स्कूल हैरानी इस बात की है कि प्राइवेट एजुकेशन की होड़ में राज्य के सरकारी स्कूलों से बच्चे तेजी से पलायन कर रहे हैं। इससे सरकारी स्कूलों पर खतरा मंडरा रहा है। यही वजह है कि इस साल कांग्रेस सरकार ने 450 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद या साथ लगते स्कूल में मर्ज कर दिया है और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। मगर प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा को आवेदन नहीं कर रहे। जबकि RTE एक्ट सभी इच्छुक बच्चों को भी पहली से आठवीं कक्षा तक की प्राइवेट एजुकेशन का अधिकार देता है। क्या बोले प्रारंभिक शिक्षा निदेशक? प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का आंकड़ा हैरान करने वाला है। खासकर ऐसे वक्त में जब बच्चों के परिजन प्राइवेट एजुकेशन को काफी तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई प्राइवेट स्कूल प्रबंधन निर्धन बच्चों को एडमिशन देने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा को लेकर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए है। सभी डिप्टी डायरेक्टर को कहा गया है कि वह प्राइवेट स्कूलों में जाकर पता लगाए कि कैसे गरीब बच्चों की एनरोलमेंट को बढ़ाया जा सकता है। कैसे करें प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई को आवेदन RTE एक्ट की धारा 12(1)सी में किसी प्राइवेट स्कूल के आसपास के बच्चे पढ़ाई को आवेदन कर सकते है। यदि कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में एडमिशन को आवेदन करता है तो प्राइवेट स्कूल प्रबंधन उसे शिक्षा देने से इनकार नहीं कर सकता। इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को डिप्टी डायरेक्टर को देनी होगी। इसके बाद शिक्षा विभाग उस बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाएग। यह प्रावधान RTE एक्ट में निहित है। विभाग ने डिप्टी डायरेक्टर को दिए निर्देश शिक्षा विभाग ने RTE के इस प्रावधान में मुफ्त शिक्षा ले रहे बच्चों का आंकड़ा सामने आने के बाद सभी डिप्टी डायरेक्टर को निर्देश दिए है कि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई के लिए जागरूक किया जाए। संबंधित क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट को भी इसे लेकर दिशा-निर्देश दिए जाए। यदि कोई स्कूल गरीब बच्चों को पढ़ाने को इनकार करता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। हिमाचल के प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ाई को आगे नहीं आ रहे। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश के 2700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में केवल 450 गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा ले रहे हैं, जबकि अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में प्रत्येक प्राइवेट स्कूल में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। इस लिहाज से 67 हजार से ज्यादा बच्चे राज्य के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कर सकते हैं। मगर हिमाचल के सरकारी स्कूलों में एक प्रतिशत बच्चे भी RTE में मिले मुफ्त शिक्षा के अधिकार को नहीं भुना पा रहे हैं। यह खुलासा शिक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। RTE एक्ट लागू होने के 14 साल बाद विभाग शिक्षा विभाग जागरूकता की कमी का रोना रो रहा है। जागरूकता में कमी के लिए आज तक किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई। अब शिक्षा विभाग और शिक्षाविद से जानते हैं कि ‘निर्धन बच्चे प्राइवेट स्कूलों में क्यों दाखिला नहीं ले पा रहे’। डॉ. भुरेटा बोले- जागरूकता को व्यापक स्तर पर कैंपेन की जरूरत राज्य संसाधन केंद्र के डायरेक्टर और नेशनल लेवल की ज्ञान विज्ञान समिति के महासचिव डॉ. ओपी भुरेटा ने बताया कि गरीब बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ पाने की 3 वजह है। प्राइवेट एजुकेशन की देखा-देखी में खाली हो रहे सरकारी स्कूल हैरानी इस बात की है कि प्राइवेट एजुकेशन की होड़ में राज्य के सरकारी स्कूलों से बच्चे तेजी से पलायन कर रहे हैं। इससे सरकारी स्कूलों पर खतरा मंडरा रहा है। यही वजह है कि इस साल कांग्रेस सरकार ने 450 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद या साथ लगते स्कूल में मर्ज कर दिया है और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। मगर प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चे मुफ्त शिक्षा को आवेदन नहीं कर रहे। जबकि RTE एक्ट सभी इच्छुक बच्चों को भी पहली से आठवीं कक्षा तक की प्राइवेट एजुकेशन का अधिकार देता है। क्या बोले प्रारंभिक शिक्षा निदेशक? प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का आंकड़ा हैरान करने वाला है। खासकर ऐसे वक्त में जब बच्चों के परिजन प्राइवेट एजुकेशन को काफी तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई प्राइवेट स्कूल प्रबंधन निर्धन बच्चों को एडमिशन देने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा को लेकर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए है। सभी डिप्टी डायरेक्टर को कहा गया है कि वह प्राइवेट स्कूलों में जाकर पता लगाए कि कैसे गरीब बच्चों की एनरोलमेंट को बढ़ाया जा सकता है। कैसे करें प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई को आवेदन RTE एक्ट की धारा 12(1)सी में किसी प्राइवेट स्कूल के आसपास के बच्चे पढ़ाई को आवेदन कर सकते है। यदि कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में एडमिशन को आवेदन करता है तो प्राइवेट स्कूल प्रबंधन उसे शिक्षा देने से इनकार नहीं कर सकता। इसकी जानकारी स्कूल प्रबंधन को डिप्टी डायरेक्टर को देनी होगी। इसके बाद शिक्षा विभाग उस बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाएग। यह प्रावधान RTE एक्ट में निहित है। विभाग ने डिप्टी डायरेक्टर को दिए निर्देश शिक्षा विभाग ने RTE के इस प्रावधान में मुफ्त शिक्षा ले रहे बच्चों का आंकड़ा सामने आने के बाद सभी डिप्टी डायरेक्टर को निर्देश दिए है कि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई के लिए जागरूक किया जाए। संबंधित क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल की मैनेजमेंट को भी इसे लेकर दिशा-निर्देश दिए जाए। यदि कोई स्कूल गरीब बच्चों को पढ़ाने को इनकार करता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।   हिमाचल | दैनिक भास्कर