बाबासाहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में PG पाठ्यक्रमों की पहली मेरिट सूची जारी कर दी गई है। काउंसलिंग शेड्यूल भी जारी किया गया है। अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। इसके अनुसार अभ्यर्थी को 4 जुलाई को चयन किए गए कार्यक्रम के विभाग की समिति के जरिए प्रोविजनल डाक्यूमेंट्स का सत्यापन समर्थ पोर्टल पर कराना होगा। 5 जुलाई को अलग-अलग विभाग के प्रवेश अगला समिति चालान जनरेट करेगी। प्रवेश के लिए फीस 6 जुलाई तक जमा की जा सकती है। बची हुई सीटों की जानकारी वेबसाइट पर जारी की जाएगी। दूसरी मेरिट लिस्ट 8 जुलाई को होगी जारी। बाबासाहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में PG पाठ्यक्रमों की पहली मेरिट सूची जारी कर दी गई है। काउंसलिंग शेड्यूल भी जारी किया गया है। अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। इसके अनुसार अभ्यर्थी को 4 जुलाई को चयन किए गए कार्यक्रम के विभाग की समिति के जरिए प्रोविजनल डाक्यूमेंट्स का सत्यापन समर्थ पोर्टल पर कराना होगा। 5 जुलाई को अलग-अलग विभाग के प्रवेश अगला समिति चालान जनरेट करेगी। प्रवेश के लिए फीस 6 जुलाई तक जमा की जा सकती है। बची हुई सीटों की जानकारी वेबसाइट पर जारी की जाएगी। दूसरी मेरिट लिस्ट 8 जुलाई को होगी जारी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
मंडी के गोहर में बारिश से सड़कें बनी तालाब:गणई चौक पर 1 फीट पानी; तेज़ बहाव में दो बार गिरी महिला, वीडियो वायरल
मंडी के गोहर में बारिश से सड़कें बनी तालाब:गणई चौक पर 1 फीट पानी; तेज़ बहाव में दो बार गिरी महिला, वीडियो वायरल मंडी जिले के गोहर में अचानक हुई बारिश से पूरा गणई चौक तालाब में तब्दील हो गया। यहां सड़क पार कर रहे एक दंपती को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। पानी का बहाव इतना तेज़ था कि महिला सड़क पार करने से पहले ही दो बार सड़क पर गिर पड़ी। ग़नीमत रही कि जिस जगह महिला गिरी वहां पर पानी गहरा नहीं था। पूरी घटना का वीडियो किसी ने अपने मोबाइल में बना लिया। जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि तालाब बने चौक पर सड़क पार कर रही महिला पहले गिरती है, फिर उसका पति उसे उठाता है और फिर महिला पानी मे गिर जाती है। चौक में 1 फीट से ऊपर पानी भरा छोटी सी बारिश में यह चौक तालाब का रूप धारण कर लेता है, जिसकी वजह से यहां हर बार इस तरह की स्थिति पैदा हो जाती है। पानी की सही निकासी ना होने के चलते पूरा पानी चौक में 1 फीट से ऊपर पानी जमा हो जाता है। जिससे वाहन चालकों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों ने जिला प्रशासन से समस्या का जल्द हल करवाने की मांग की। उपायुक्त ने की सावधानी बरतने की अपील उपायुक्त अपुर्व देवगन ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने नदी नालों से दूर रहने की सलाह दी है। अपुर्व देवगन ने कहा कि कहीं भी कोई घटना होती है तो उसकी सूचना जिला प्रशासन को दें। वहीं चंडीगढ़ -मानाली नेशनल हाइवे 9 मील के पास वनवे चल रहा है ,पुलिस की देखरेख में यहां से वाहन गुजारे जा रहे है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या टिक पाएगी यूपी सरकार की नियमावली?:DGP की तैनाती पर फंस सकता है पेंच, ऐसी नियुक्ति को निष्पक्ष नहीं माना गया
सुप्रीम कोर्ट में क्या टिक पाएगी यूपी सरकार की नियमावली?:DGP की तैनाती पर फंस सकता है पेंच, ऐसी नियुक्ति को निष्पक्ष नहीं माना गया उत्तर प्रदेश में DGP की नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार ने जो फॉर्मूला अपनाया है, उसे दूसरे राज्य भी अपना सकते हैं। निगाह सुप्रीम कोर्ट पर है कि वह इस फॉर्मूले को स्वीकार करता है या नहीं। यूपी सरकार, मसौदा कैबिनेट से पास होने के बाद अब विस्तृत नियमावली बनाने में लग गई है। सरकार काे 14 नवंबर से पहले शीर्ष अदालत में जवाब दाखिल करना है। माना जा रहा है कि उससे पहले मौजूदा DGP की स्थाई नियुक्ति के लिए सरकार अपनी प्रक्रिया पूरी कर लेगी। सवाल उठ रहा है कि योगी कैबिनेट का फैसला सुप्रीम कोर्ट में कितना टिक पाएगा? DGP की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब जानिए…. पहले जानिए क्यों उठ रहे सवाल
दरअसल, DGP की तैनाती के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी। उसका मुख्य उद्देश्य पुलिस के राजनीतिकरण को रोकना था, ताकि पुलिस फ्री एंड फेयर तरीके से काम कर सके। यानी पुलिस को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखने के लिए DGP की नियुक्ति में संघ लोकसेवा आयोग को शामिल किया गया था। लेकिन, यूपी सरकार ने जो नियम बनाए हैं, उसमें संघ लोकसेवा आयोग का हस्तक्षेप सिर्फ इतना ही रहेगा कि उसका एक सदस्य बोर्ड का मेंबर रहेगा। पूर्व DGP और इलाहाबाद हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सुलखान सिंह कहते हैं- सुप्रीम कोर्ट की मूल भावना निष्पक्ष पुलिसिंग की थी। सरकार ने जो बोर्ड गठित किया है, उसकी निष्पक्षता पर संदेह हमेशा बना रहेगा। इस बोर्ड में प्रदेश के गृहमंत्री के अतिरिक्त रिटायर्ड जज के स्थान पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनकी ओर से नामित सिटिंग जज और नेता विरोधी दल को शामिल किया गया होता तो यह बोर्ड निष्पक्ष माना जाता। पूर्व DGP प्रकाश सिंह की रिट पर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में पुलिस में सुधार संबंधित पहला फैसला सुनाया था। प्रकाश सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बनाया गया कानून काफी हद तक सुप्रीम कोर्ट की भावना के करीब है। फर्क बस इतना नजर आ रहा है प्रदेश सरकार ने यूपीएससी की भूमिका को सीमित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार को DGP बनने की योग्यता और सभी मापदंड पूरा करने वाले पुलिस अफसरों का ब्यौरा यूपीएससी को भेजना होता है। फिर यूपीएससी वरिष्ठता के क्रम में तीन अफसरों के नामों का पैनल राज्य सरकार को भेजता है। राज्य सरकार को अधिकार होता है कि वह उन तीन में से जिसे चाहे DGP बना ले। प्रकाश सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार ने DGP की नियुक्ति के लिए जो मापदंड तय किए हैं, वह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुरूप ही हैं। हरियाणा समेत कई राज्यों ने भी की थी ऐसी कोशिश पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- 2019 से पहले कई राज्यों ने अपनी मर्जी का डीजीपी बनाने के लिए एक्ट बनाया था। इसमें हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, तेलंगाना, पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट के उन प्राविधानों पर अमल करने से रोक लगा दी थी, जो सुप्रीम कोर्ट की मंशा के विपरीत थे। उनके मुताबिक पंजाब पुलिस एक्ट, 2007 के मुताबिक, राज्य सरकार पंजाब कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों में से डीजीपी के चयन का प्राविधान था। इसके तहत मुख्य सचिव, पंजाब सरकार के गृह मामलों के प्रधान सचिव, न्याय विभाग के प्रधान सचिव और निवर्तमान पुलिस महानिदेशक, पंजाब की एक समिति बनाई गई थी। जिन्हें डीजीपी का चयन करना था। इसी तरह राजस्थान पुलिस ने भी 2007 में अधिनियम बनाया था, जिसमें डीजीपी की नियुक्ति करने का हक राज्य सरकार को था। डीजी रैंक में प्रमोशन पा चुके किसी भी अफसर को डीजीपी बनाया जा सकता था। हरियाणा पुलिस एक्ट 2007 के तहत अधिकार था कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। यहां भी डीजी रैंक के किसी भी अफसर को डीजीपी बनाया जा सकता था। इस एक्ट में डीजीपी का कार्यकाल एक साल का बताया गया था। 14 नवंबर से पहले होगी डीजीपी की स्थाई नियुक्ति कैबिनेट से नियमावली के मसौदे पर मुहर लगने के बाद अब उसकी विस्तृत नियमावली बनाई जा रही है। इसके लिए गृह विभाग में काम तेजी से हो रहा है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अवमानना की नोटिस के बाद अगली तारीख से पहले प्रदेश सरकार बोर्ड के जरिए डीजीपी की स्थाई नियुक्ति कर देगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया उससे पहले पूरी कर ली जाएगी। केंद्र की क्या होगी भूमिका? आईपीएस केंद्र का विषय है। ऐसे में उनसे संबंधित कोई भी नियमावली केंद्र सरकार ही बनाता है। डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन में केंद्र की भूमिका तय की गई थी। यूपीएससी जिन तीन नामों का पैनल बनाती है, उसे तय करने वाले बोर्ड में पांच सदस्य होते हैं। यूपीएससी के चेयरमैन के अलावा केंद्रीय गृह सचिव या उनके स्तर से नामित विशेष सचिव और पैरामिलिट्री फोर्स का डीजी, जो संबंधित स्टेट का न हो, जहां के लिए डीजीपी का चयन होना है। राज्य से जो दो सदस्य होते हैं, उसमें मुख्य सचिव और वर्तमान डीजीपी को बुलाया जाता है। कार्यवाहक डीजीपी बोर्ड में नहीं शामिल हो सकते। …तो दूसरे राज्य भी बना सकते हैं इस तरह का नियम अगर यूपी सरकार का फॉर्मूला सुप्रीम कोर्ट स्वीकार कर लेता है तो दूसरे राज्य या यूं कहें कि गैर भाजपा शासित राज्य भी इस तरह की नियमावली बनाकर अपनी मर्जी का डीजीपी बना सकते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार शायद ही ऐसा होने दे। उठ रहे ये सवाल … तो प्रशांत कुमार को मिलेगा 2 साल का कार्यकाल सरकार की नई नियमावली के तहत मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार को दो साल का कार्यकाल मिलना तय हो गया है, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट यूपी के इस फॉर्मूले को मान ले। देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत कुमार को दो वर्ष का कार्यकाल कार्यवाहक डीजीपी के रूप में जॉइन करने की तिथि से मिलेगा या फिर पूर्णकालिक डीजीपी के रूप में नियुक्ति की तिथि से मिलेगा। प्रशांत कुमार 1 फरवरी 2024 काे कार्यवाहक डीजीपी बने थे। अगर इस तिथि से तैनाती मानी गई तो 31 जनवरी 2026 तक डीजीपी रह सकते हैं। वहीं, अगर पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति की तिथि से दो साल का कार्यकाल गिना जाएगा तो वह नवंबर 2026 तक डीजीपी रह सकते हैं। जानिए क्या है पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत 7 राज्यों में कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई है। उसके बाद योगी सरकार ने DGP की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब खुद ही DGP की नियुक्ति करेगी। यानी सरकार को अब UPSC पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। DGP का न्यूनतम कार्यकाल 2 साल तय किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि अब प्रशांत कुमार को स्थायी DGP बनाया जाएगा। इसके लिए यूपी सरकार ने नियमावली ( उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024) बनाई है, जिसे सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी है। ———————- ये भी पढ़ें… यूपी में DGP की नियुक्ति के नियम बदले:सरकार अब खुद करेगी; अखिलेश का तंज-खुद 2 साल रहेंगे या नहीं? योगी सरकार ने DGP की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार अब खुद ही DGP की नियुक्ति करेगी। यानी सरकार को अब UPSC पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। DGP का न्यूनतम कार्यकाल 2 साल तय किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि अब प्रशांत कुमार को स्थायी DGP बनाया जाएगा। इसके लिए यूपी सरकार ने नियमावली ( उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024) बनाई है, जिसे सोमवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में मनोनयन समिति गठित करने का प्रावधान है। पढ़ें पूरी खबर…
Telangana CM Revanth Reddy urges Centre to announce southern part of RRR as national highway
Telangana CM Revanth Reddy urges Centre to announce southern part of RRR as national highway The CM asked the union minister to declare Kalwakurthi to Kolhapur-Somasila-Karivena-Nandyal (NH-167K) road as a national highway and call for tenders to take up works on the 142 km stretch.