बीएचयू के बहु प्रतीक्षित पीजी डिप्लोमा और स्पेशल कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सत्र 2024-25 के लिए 56 से स्पेशल कोर्स का एक ऑनलाइन लिंक जारी कर दिया है साथ ही 56 स्पेशल कोर्स का बुलेटिन अपने वेबसाइट https://bhuonline.in/ पर जारी कर दिया है। आवेदन की अंतिम तिथि 21 दिसंबर है। आवेदन की फीस 300 से 600 रुपए है। जनरल कटेगी के अभ्यर्थियों को एक विषय के 600 रुपए और एससी एसटी और पीडब्ल्यूडी के लिए 300 रुपए देने होंगे। वहीं, एक अभ्यर्थी को दूसरे कोर्स में आवेदन के लिए जनरल और ओबीसी कटेगरी में 400 रुपए और बाकी को 200 रुपए देने होंगे। अभी इस कोर्स में अप्लाई शुरू नहीं हुआ है। आवेदन आज से शुरू हो सकता है। 6 से अधिक कोर्स को विश्वविद्यालय ने किया बंद शुक्रवार ऑनलाइन अप्लाई भी शुरू हो सकता है। बीएचयू ने अपने एडमिशन पोर्टल बीएचयू ऑनलाइन पर स्पेशल कोर्स में एडमिशन सूचना को फ्लैश कर दिया है। हर साल 60 या इससे ज्यादा डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन होते थे, लेकिन इस साल छह से ज्यादा कोर्स को बंद कर दिया गया। ऐसे में कई को हटा दिया गया है। छात्रों कर रहे थे डिप्लोमा कोर्स का इंतजार बीएचयू पीजी डिप्लोमा कोर्स को लेकर प्रतिभागियों को लंबे समय से इंतजार था। जिन छात्र या छात्रा का रेगुलर कोर्स में एडमिशन नहीं हो पाया था, वे कैंपस में फिर से डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स की क्लास कर सकते हैं। इसमें छह महीने से लेकर एक साल और दो-दो साल के डिप्लोमा कोर्स हैं। बीएचयू के बहु प्रतीक्षित पीजी डिप्लोमा और स्पेशल कोर्स में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सत्र 2024-25 के लिए 56 से स्पेशल कोर्स का एक ऑनलाइन लिंक जारी कर दिया है साथ ही 56 स्पेशल कोर्स का बुलेटिन अपने वेबसाइट https://bhuonline.in/ पर जारी कर दिया है। आवेदन की अंतिम तिथि 21 दिसंबर है। आवेदन की फीस 300 से 600 रुपए है। जनरल कटेगी के अभ्यर्थियों को एक विषय के 600 रुपए और एससी एसटी और पीडब्ल्यूडी के लिए 300 रुपए देने होंगे। वहीं, एक अभ्यर्थी को दूसरे कोर्स में आवेदन के लिए जनरल और ओबीसी कटेगरी में 400 रुपए और बाकी को 200 रुपए देने होंगे। अभी इस कोर्स में अप्लाई शुरू नहीं हुआ है। आवेदन आज से शुरू हो सकता है। 6 से अधिक कोर्स को विश्वविद्यालय ने किया बंद शुक्रवार ऑनलाइन अप्लाई भी शुरू हो सकता है। बीएचयू ने अपने एडमिशन पोर्टल बीएचयू ऑनलाइन पर स्पेशल कोर्स में एडमिशन सूचना को फ्लैश कर दिया है। हर साल 60 या इससे ज्यादा डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन होते थे, लेकिन इस साल छह से ज्यादा कोर्स को बंद कर दिया गया। ऐसे में कई को हटा दिया गया है। छात्रों कर रहे थे डिप्लोमा कोर्स का इंतजार बीएचयू पीजी डिप्लोमा कोर्स को लेकर प्रतिभागियों को लंबे समय से इंतजार था। जिन छात्र या छात्रा का रेगुलर कोर्स में एडमिशन नहीं हो पाया था, वे कैंपस में फिर से डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स की क्लास कर सकते हैं। इसमें छह महीने से लेकर एक साल और दो-दो साल के डिप्लोमा कोर्स हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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<p style=”text-align: justify;”>दरअसल, सीएम ने गुरुवार को सपा सदस्यों से मुखातिब होते हुए कहा, ”आपको बुलडोजर से डर लगता है लेकिन यह निर्दोष के लिए नहीं है बल्कि उन अपराधियों के लिए है जो प्रदेश के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं, प्रदेश के व्यापारियों और बेटियों की सुरक्षा में सेंध लगाने का काम करते हैं. मैं यहां नौकरी करने के लिये नहीं आया हूं. मेरा दायित्व बनता है कि अगर कोई गड़बड़ी करेगा तो वह भुगतेगा भी. मैं अपना दायित्व मानता हूं कि हम लोग उससे लड़ेंगे. यह हमारी सामान्य लड़ाई नहीं है. यह प्रतिष्ठा की लड़ाई भी नहीं है. मुझे प्रतिष्ठा प्राप्त करनी होती तो उससे ज्यादा प्रतिष्ठा मुझे अपने मठ में मिल जाती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/cm-yogi-government-withdraw-decision-of-digital-attendance-and-bulldozer-in-pantnagar-nazool-jameen-kanoon-2751434″><strong>UP Politics: योगी सरकार बैकफुट पर! एक महीने में तीन फैसलों पर लगी रोक, अपनों ने ही किया विरोध</strong></a></p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>परिजनों ने बताया- दोनों को बुलाया गया था कॉल करके</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मृतकों की पहचान पारू थाना क्षेत्र के मोहजमा निवासी सूरज दास 18 वर्ष और 14 वर्षीय किशोर के रूप में हुई है. घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. वारदात को लेकर परिजन ने बताया कि कॉल करके दोनों को बुलाया गया था फिर घटना को अंजाम दिया गया है. वहीं, इस मामले में पुलिस तीन आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. </p>
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लखीमपुर खीरी कांड के 11 आरोपियों को मिली नियमति जमानत:लखनऊ हाई कोर्ट ने सशर्त दी जमानत; बोले-ट्रायल अभी लंबा चल सकता है
लखीमपुर खीरी कांड के 11 आरोपियों को मिली नियमति जमानत:लखनऊ हाई कोर्ट ने सशर्त दी जमानत; बोले-ट्रायल अभी लंबा चल सकता है लखीमपुर खीरी तिकुनिया में अक्टूबर 2021 में हुए चर्चित मामले में शामिल 11 आरोपियों को लगभग तीन साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नियमित जमानत दे दी है। इनमें अंकित दास समेत अन्य प्रमुख अभियुक्त शामिल हैं, जो इस मामले में जेल में थे। घटना में आठ लोगों की जान गई थी, जिसके बाद इन सभी को जेल भेजा गया था। सभी आरोपी पहले से ही अंतरिम जमानत पर थे, लेकिन अब कोर्ट ने इन्हें नियमित जमानत भी सशर्त मंजूर की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में सहयोग न करने की स्थिति में जमानत रद्द की जा सकती है। तिकुनिया कांड क्या है? यह घटना 3 अक्टूबर 2021 की है, जब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसान आंदोलन के दौरान तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर आरोप लगा कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार पर थार गाड़ी चढ़ा दी, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने आशीष मिश्रा के ड्राइवर और दो अन्य लोगों को मार दिया। पुलिस ने जांच के दौरान कई अन्य लोगों के नाम उजागर किए, जिनमें अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ़ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी, शेखर भारती, धर्मेंद्र सिंह बंजारा, आशीष पांडेय, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल शामिल हैं। विवेचना के बाद इन सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जमानत कैसे हुई मंजूर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सभी अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की और नियमित जमानत को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को ट्रायल में सहयोग करना होगा, अन्यथा उनकी जमानत निरस्त की जा सकती है। अभियुक्तों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कुल 114 गवाह हैं, जिनमें से अभी तक सिर्फ सात गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं। मुख्य आरोपी को पहले ही मिल चुकी है जमानत तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2024 में नियमित जमानत दे दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने भी ध्यान देते हुए अन्य आरोपियों की नियमित जमानत याचिकाएं स्वीकार कर लीं। अंतरिम जमानत पर रिहा रहने के दौरान इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई शिकायत भी सामने नहीं आई है, जिससे कोर्ट ने उनकी जमानत की मंजूरी दी। सरकार और वादी पक्ष का विरोध राज्य सरकार और वादी के अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया था। उनका कहना था कि इन आरोपियों की रिहाई से ट्रायल पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया कि ट्रायल में सहयोग करने की शर्त पर अभियुक्तों को नियमित जमानत दी जा रही है। जेल में नहीं रखा जा सकता अदालत का कहना है कि केस का ट्रायल अभी लंबा चल सकता है। मुख्य आरोपी को पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, और अंतरिम जमानत के दौरान अन्य आरोपियों ने शर्तों का पालन किया है। अब कोर्ट के आदेश के बाद ये सभी 11 आरोपी जेल नहीं जाएंगे, जज ने कहा बशर्ते वे ट्रायल में सहयोग करें और अदालत की शर्तों का पालन करते रहें।