बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाकर गुरुवार से धरने पर बैठी हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह को करणी सेना का समर्थन भी मिल गया है। वही दूसरी तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भाष्करादित्य त्रिपाठी भी वीसी आवास के बाहर महामना की तस्वीर लेकर धरने पर बैठ गये है। अब विश्वविद्यालय में पीएचडी को लेकर यह दूसरा मामला सामने आ गया है जिससे विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। कार्यवाहक कुलपति पहुंचे रात में छात्रा के पास उधर, विश्वविद्यालय के कार्यवाह कुलपति प्रो. संजय कुमार भी केंद्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर धरना दे रही छात्रा से मिलने पहुंचे और धरना स्थल पर जमीन पर ही बैठकर उसकी बात सुनी। इससे पहले हिन्दी विभागाध्यक्ष और परीक्षा नियंता सहित अन्य अधिकारियों ने अर्चिता को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह देर रात तक धरने पर बैठी रही। पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर पिछले दिनों छात्रों के आरोप और आंदोलनों के कारण विश्वविद्यालय की किरकिरी हुई थी। शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के सामने अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा। छात्रा ने कार्यवाहक कुलपति के सामने रखी अपनी बात अर्चिता ने बताया कि हिन्दी पीएचडी में प्रवेश के लिए निर्धारित काउंसिलिंग तिथि पर उपस्थित होकर उसने अपने सभी प्रमाण पत्र जमा किए थे। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) प्रमाण पत्र पिछले वर्ष का था। विभाग द्वारा मांगने पर छात्रा ने शपथपत्र दाखिल कर 31 मार्च तक यह प्रमाण पत्र जमा करने की बात कही। उसने 29 मार्च को नया ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र ईमेल और हार्ड कापी दोनों माध्यमों से विभाग को सौंप दिया। प्रतीक्षा सूची में प्रथम स्थान पर होने के बावजूद भी उसे प्रवेश नहीं दिया गय। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा अंडरटेकिंग या शपथ पत्र नहीं है नियम अब विश्वविद्यालय का कहना है कि कि अंडरटेकिंग या शपथ पत्र का कोई नियम नहीं है, जबकि कई छात्रों ने समय लेकर अपने प्रमाण पत्र जमा किए हैं। छात्रा का प्रकरण प्रवेश समन्वय समिति को भेजा गया है। वहीं, छात्रा का कहना है कि जब तक प्रवेश नहीं मिलता, धरना स्थल से नहीं हटेगी। अब समझिए उसी सीट पर दावेदारी करके वीसी आवास के बाहर धरने पर बैठे छात्र ने क्या कहा…. भाष्करादित्य त्रिपाठी ने कहा जिस प्रकार से किसी भी विषय को बिना समझे बूझे राजनीतिक फायदे के लिए दूसरा रंग दे दिया जाता है छात्रों के बीच गलत तथ्य गलत आरोप परोसकर विद्वेष उत्पन्न किया जाता है यह बिल्कुल ही गलत है। विश्वविद्यालय प्रशासन और विभागीय गलतियों का नतीजा छात्र भुगतते है। उन्होंने कहा जब कोई छात्र फार्म भरता है तब ही उसके पार EWS का सार्टिफिकेट होना चाहिए।उन्होंने विभाग के कुछ अध्यापकों पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया कि 1 अप्रैल को विभाग के एक अध्यापक द्वारा छात्रा को बुलाकर उससे एप्लीकेशन लिखवाकर बैक डेट में उसका EWS प्रमाणपत्र स्वीकृत करवा कर उसका अवैधानिक रूप से एडमिशन करवाने का प्रयास किया जाता है। विभाग के कुछ प्रोफेसर पर लगाया मिलीभगत का आरोप जिसकी जानकारी होने पर मैंने विभागाध्यक्ष और विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की | चूंकि इस अनैतिक कृत्य से मेरे एडमिशन में बाधा उत्पन्न हो रही है और नियमानुसार एडमिशन का मेरा दावा भी बनता है तो इस सम्बन्ध में अपनी सक्रियता जारी रखी और नियमानुसार कार्रवाई की प्रतीक्षा की जो अभी तक लंबित है , छात्रा ने भी अपने स्तर से प्रयास किया और करना भी चाहिए। धरने पर बैठे भाष्करादित्य त्रिपाठी को समझाने के लिए मौके पर डीन आफ स्टू़डेंट सहित अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे लेकिन उन्होंने कहा कि जबतक एडमिशन नहीं होता धरना जारी रहेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी छात्रा के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचे उन्होंने आरोप लगाया कि हमने सेंट्रल ऑफिस से बाहर से तीन बार कुलपति को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा. इसके बाद हमने हेड को फोन मिलाया उनसे बात की लेकिन उन्होंने बातों को घुमा कर जवाब दिया। 24 घंटे हम बीएचयू प्रशासन को देते हैं कि वह इस बच्ची को एडमिशन दे दे।अगर इस छात्रा का एडमिशन नहीं होता तो करणी सेना बड़ा आंदोलन करेगी, पूरे प्रदेश से करणी सेना के लोग आकर बीएचयू में इस बच्ची का समर्थन करेंगे, बीएचयू प्रशासन को बच्चों को न्याय देना ही होगा। बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाकर गुरुवार से धरने पर बैठी हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह को करणी सेना का समर्थन भी मिल गया है। वही दूसरी तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भाष्करादित्य त्रिपाठी भी वीसी आवास के बाहर महामना की तस्वीर लेकर धरने पर बैठ गये है। अब विश्वविद्यालय में पीएचडी को लेकर यह दूसरा मामला सामने आ गया है जिससे विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। कार्यवाहक कुलपति पहुंचे रात में छात्रा के पास उधर, विश्वविद्यालय के कार्यवाह कुलपति प्रो. संजय कुमार भी केंद्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर धरना दे रही छात्रा से मिलने पहुंचे और धरना स्थल पर जमीन पर ही बैठकर उसकी बात सुनी। इससे पहले हिन्दी विभागाध्यक्ष और परीक्षा नियंता सहित अन्य अधिकारियों ने अर्चिता को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह देर रात तक धरने पर बैठी रही। पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर पिछले दिनों छात्रों के आरोप और आंदोलनों के कारण विश्वविद्यालय की किरकिरी हुई थी। शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के सामने अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना पड़ा। छात्रा ने कार्यवाहक कुलपति के सामने रखी अपनी बात अर्चिता ने बताया कि हिन्दी पीएचडी में प्रवेश के लिए निर्धारित काउंसिलिंग तिथि पर उपस्थित होकर उसने अपने सभी प्रमाण पत्र जमा किए थे। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) प्रमाण पत्र पिछले वर्ष का था। विभाग द्वारा मांगने पर छात्रा ने शपथपत्र दाखिल कर 31 मार्च तक यह प्रमाण पत्र जमा करने की बात कही। उसने 29 मार्च को नया ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र ईमेल और हार्ड कापी दोनों माध्यमों से विभाग को सौंप दिया। प्रतीक्षा सूची में प्रथम स्थान पर होने के बावजूद भी उसे प्रवेश नहीं दिया गय। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा अंडरटेकिंग या शपथ पत्र नहीं है नियम अब विश्वविद्यालय का कहना है कि कि अंडरटेकिंग या शपथ पत्र का कोई नियम नहीं है, जबकि कई छात्रों ने समय लेकर अपने प्रमाण पत्र जमा किए हैं। छात्रा का प्रकरण प्रवेश समन्वय समिति को भेजा गया है। वहीं, छात्रा का कहना है कि जब तक प्रवेश नहीं मिलता, धरना स्थल से नहीं हटेगी। अब समझिए उसी सीट पर दावेदारी करके वीसी आवास के बाहर धरने पर बैठे छात्र ने क्या कहा…. भाष्करादित्य त्रिपाठी ने कहा जिस प्रकार से किसी भी विषय को बिना समझे बूझे राजनीतिक फायदे के लिए दूसरा रंग दे दिया जाता है छात्रों के बीच गलत तथ्य गलत आरोप परोसकर विद्वेष उत्पन्न किया जाता है यह बिल्कुल ही गलत है। विश्वविद्यालय प्रशासन और विभागीय गलतियों का नतीजा छात्र भुगतते है। उन्होंने कहा जब कोई छात्र फार्म भरता है तब ही उसके पार EWS का सार्टिफिकेट होना चाहिए।उन्होंने विभाग के कुछ अध्यापकों पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया कि 1 अप्रैल को विभाग के एक अध्यापक द्वारा छात्रा को बुलाकर उससे एप्लीकेशन लिखवाकर बैक डेट में उसका EWS प्रमाणपत्र स्वीकृत करवा कर उसका अवैधानिक रूप से एडमिशन करवाने का प्रयास किया जाता है। विभाग के कुछ प्रोफेसर पर लगाया मिलीभगत का आरोप जिसकी जानकारी होने पर मैंने विभागाध्यक्ष और विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की | चूंकि इस अनैतिक कृत्य से मेरे एडमिशन में बाधा उत्पन्न हो रही है और नियमानुसार एडमिशन का मेरा दावा भी बनता है तो इस सम्बन्ध में अपनी सक्रियता जारी रखी और नियमानुसार कार्रवाई की प्रतीक्षा की जो अभी तक लंबित है , छात्रा ने भी अपने स्तर से प्रयास किया और करना भी चाहिए। धरने पर बैठे भाष्करादित्य त्रिपाठी को समझाने के लिए मौके पर डीन आफ स्टू़डेंट सहित अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे लेकिन उन्होंने कहा कि जबतक एडमिशन नहीं होता धरना जारी रहेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी छात्रा के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचे उन्होंने आरोप लगाया कि हमने सेंट्रल ऑफिस से बाहर से तीन बार कुलपति को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा. इसके बाद हमने हेड को फोन मिलाया उनसे बात की लेकिन उन्होंने बातों को घुमा कर जवाब दिया। 24 घंटे हम बीएचयू प्रशासन को देते हैं कि वह इस बच्ची को एडमिशन दे दे।अगर इस छात्रा का एडमिशन नहीं होता तो करणी सेना बड़ा आंदोलन करेगी, पूरे प्रदेश से करणी सेना के लोग आकर बीएचयू में इस बच्ची का समर्थन करेंगे, बीएचयू प्रशासन को बच्चों को न्याय देना ही होगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
BHU में धरने पर बैठी छात्रा से मिलने पहुंचे कार्यवाहक-वीसी:जमीन पर बैठकर छात्रा से की बात,उसी सीट पर दावेदारी करने वाले छात्र ने भी शुरू किया धरना
