Bihar: सीतामढ़ी के इस मशहूर मंदिर के लिए बिहार सरकार ने दी 12 एकड़ जमीन, जानिए इसके बारे में

Bihar: सीतामढ़ी के इस मशहूर मंदिर के लिए बिहार सरकार ने दी 12 एकड़ जमीन, जानिए इसके बारे में

<p style=”text-align: justify;”><strong>Sitaji Temple in Bihar:</strong> रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में प्राचीन श्रीरामजानकी स्थान पर भव्य मंदिर-निर्माण के लिए प्रेस-वार्ता का आयोजन हुआ. इस प्रेस वार्ता में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने बिहार सरकार के अंतर्गत बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के माध्यम से काउंसिल को सीतामढ़ी में 12 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने की घोषणा की और केंद्र और बिहार सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’बिहार सरकार मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए पहल कर रही है'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि बिहार सरकार प्राकट्य स्थल पर भी मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए पहल कर रही है. उन्होंने मीडिया या आमजन से इस दिशा में कोई भ्रम न फैलाने की अपील करते हुए कहा कि प्राकट्य स्थान अलग है और सीतामढ़ी में जिस श्रीरामजानकी स्थान की चर्चा हम आज कर रहे हैं, वह मां सीताजी की प्राकट्य स्थली से चार किलोमीटर दूर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीतामढ़ी का यह प्राचीन मठ है, जो बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन है, जिसके जीर्णोद्धार के लिए काउंसिल लंबे समय से पहल कर रही थी और पर्षद से इसके लिए अनुमति भी मांगी थी. सीतामढ़ी में प्राकट्य स्थली के अलावा कई और मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार हो, नव-निर्माण हो, यह भी बहुत आवश्यक है और इसी दिशा में रामायण रिसर्च काउंसिल की पहल काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि काउंसिल के अंतर्गत सीतामढ़ी को हम लोग तीर्थ-क्षेत्र के रूप में विकसित करने का संकल्प ले रहे हैं. यहां हम लोग श्रीहनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का भी निर्माण करेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मैं स्वयं रामायण रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों से परिचित रहा हूं'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि मैं स्वयं रामायण रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों से परिचित रहा हूं और यह दिन हमारे लिए प्रतीक्षित था. अब भूमि के आवंटन होने के बाद हम सभी संत मिलकर सीतामढ़ी में मां सीताजी के इस मंदिर निर्माण के लिए जन-जन के बीच अभियान चलाएंगे और ज्यादा से ज्यादा नारी समाज को जोड़ेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, प्रेस वार्ता में ऑनलाइन जुड़े जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर दिव्य मंदिर होने के साथ अयोध्या में कई मंदिर और मठ हैं और उनका जीर्णोद्धार भी हुआ है, उसी तरह मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में भी जो भी प्रमुख स्थान हैं और प्राचीनता है, उसका प्रसार होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> मां सीताजी का जीवन प्रेरणादायी है- चिदानंद सरस्वती</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑनलाइन माध्यम से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती भी जुड़े. उन्होंने कहा कि मां सीताजी का जीवन प्रेरणादायी है और हम लोग केवल मंदिर ही नहीं बनाएंगे, बल्कि मां सीताजी के जीवन-दर्शन को पूरी दुनिया के बीच लेकर जाने वाले हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेस वार्ता में मौजूद निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानंद गिरि जी महाराज ने पूरे विश्व के सनातन परिवार से आह्वान किया कि वह रामायण रिसर्च काउंसिल के साथ जुड़ें और मां सीताजी के मंदिर निर्माण के लिए सहयोग दें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मां सीताजी के पुनौरा धाम पर भी दिव्य और भव्य मंदिर बनेगा- रामचंद्र दास</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आचार्य रामचंद्र दास जी महाराज ने कहा कि उनके गुरु पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज सीतामढ़ी में मां सीताजी के प्राकट्य-क्षेत्र पुनौराधाम में मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए लंबे समय से पहल कर रहे हैं. मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पुनौरा धाम पर भी दिव्य और भव्य मंदिर बनेगा. उन्होंने इस दिशा में केंद्र और बिहार सरकार के प्रयत्नों की भी प्रशंसा की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, वृंदावन में मिथिलाकुंज आश्रम से संत महामंडलेश्वर स्वामी किशोरीशरण जी महाराज ने कहा कि वह पूरे विश्व में रह रहे मिथिलाक्षेत्र के लोगों से आह्वान करेंगे कि काउंसिल के इस पुनीत कार्य से जुड़ें. अयोध्या में मिथिला आश्रम से स्वामी जयराम दास जी महाराज ने कहा कि उनके लिए हर्ष का विषय है कि अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला मंदिर के लिए उन्होंने कार्य किया और अब मां जानकी जी के लिए सीतामढ़ी में अपना श्रम देने जा रहे हैं. श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में मंदिर-निर्माण में लगे आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मौजूद रहे. उन्होंने अयोध्या की तरह सीतामढ़ी में भव्य मंदिर की रूपरेखा के विषय को मीडिया के समक्ष रखा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भव्य मंदिर बनाने की दिशा में सभी संत मिलकर आगे बढ़े</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेस वार्ता में सीतामढ़ी के सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि उनके लिए गौरव का विषय है कि उनके सांसद बनने के बाद एक तरफ बिहार और केंद्र सरकार मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पर भव्य मंदिर-निर्माण के लिए प्रयत्न कर रही है, तो वहीं रामायण रिसर्च काउंसिल जैसी संस्था सीतामढ़ी को तीर्थ क्षेत्र बनाने के लिए प्रयत्न कर रही है और आज सीतामढ़ी के ही अति प्राचीन श्रीरामजानकी स्थान पर भव्य मंदिर बनाने की दिशा में सभी संत मिलकर आगे बढ़ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने प्रेस वार्ता का संचालन करते हुए कहा कि मां सीताजी का संबंध भूमि से है, इसलिए काउंसिल के अंतर्गत जल्द ही सीतामढ़ी में भूमि आरती की शुरुआत होगी काउंसिल का शुरू से संकल्प था कि हम 51 शक्तिपीठों से मिट्टी एवं ज्योत लाकर मां सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित करेंगे, जिसे पूरा करने का अब समय आ गया है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Sitaji Temple in Bihar:</strong> रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में प्राचीन श्रीरामजानकी स्थान पर भव्य मंदिर-निर्माण के लिए प्रेस-वार्ता का आयोजन हुआ. इस प्रेस वार्ता में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने बिहार सरकार के अंतर्गत बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के माध्यम से काउंसिल को सीतामढ़ी में 12 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने की घोषणा की और केंद्र और बिहार सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’बिहार सरकार मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए पहल कर रही है'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि बिहार सरकार प्राकट्य स्थल पर भी मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए पहल कर रही है. उन्होंने मीडिया या आमजन से इस दिशा में कोई भ्रम न फैलाने की अपील करते हुए कहा कि प्राकट्य स्थान अलग है और सीतामढ़ी में जिस श्रीरामजानकी स्थान की चर्चा हम आज कर रहे हैं, वह मां सीताजी की प्राकट्य स्थली से चार किलोमीटर दूर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीतामढ़ी का यह प्राचीन मठ है, जो बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन है, जिसके जीर्णोद्धार के लिए काउंसिल लंबे समय से पहल कर रही थी और पर्षद से इसके लिए अनुमति भी मांगी थी. सीतामढ़ी में प्राकट्य स्थली के अलावा कई और मठ-मंदिरों का जीर्णोद्धार हो, नव-निर्माण हो, यह भी बहुत आवश्यक है और इसी दिशा में रामायण रिसर्च काउंसिल की पहल काफी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि काउंसिल के अंतर्गत सीतामढ़ी को हम लोग तीर्थ-क्षेत्र के रूप में विकसित करने का संकल्प ले रहे हैं. यहां हम लोग श्रीहनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का भी निर्माण करेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मैं स्वयं रामायण रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों से परिचित रहा हूं'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस दौरान आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि मैं स्वयं रामायण रिसर्च काउंसिल की गतिविधियों से परिचित रहा हूं और यह दिन हमारे लिए प्रतीक्षित था. अब भूमि के आवंटन होने के बाद हम सभी संत मिलकर सीतामढ़ी में मां सीताजी के इस मंदिर निर्माण के लिए जन-जन के बीच अभियान चलाएंगे और ज्यादा से ज्यादा नारी समाज को जोड़ेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, प्रेस वार्ता में ऑनलाइन जुड़े जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर दिव्य मंदिर होने के साथ अयोध्या में कई मंदिर और मठ हैं और उनका जीर्णोद्धार भी हुआ है, उसी तरह मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी में भी जो भी प्रमुख स्थान हैं और प्राचीनता है, उसका प्रसार होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong> मां सीताजी का जीवन प्रेरणादायी है- चिदानंद सरस्वती</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऑनलाइन माध्यम से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती भी जुड़े. उन्होंने कहा कि मां सीताजी का जीवन प्रेरणादायी है और हम लोग केवल मंदिर ही नहीं बनाएंगे, बल्कि मां सीताजी के जीवन-दर्शन को पूरी दुनिया के बीच लेकर जाने वाले हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेस वार्ता में मौजूद निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानंद गिरि जी महाराज ने पूरे विश्व के सनातन परिवार से आह्वान किया कि वह रामायण रिसर्च काउंसिल के साथ जुड़ें और मां सीताजी के मंदिर निर्माण के लिए सहयोग दें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मां सीताजी के पुनौरा धाम पर भी दिव्य और भव्य मंदिर बनेगा- रामचंद्र दास</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आचार्य रामचंद्र दास जी महाराज ने कहा कि उनके गुरु पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज सीतामढ़ी में मां सीताजी के प्राकट्य-क्षेत्र पुनौराधाम में मां सीताजी का मंदिर बनाने के लिए लंबे समय से पहल कर रहे हैं. मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पुनौरा धाम पर भी दिव्य और भव्य मंदिर बनेगा. उन्होंने इस दिशा में केंद्र और बिहार सरकार के प्रयत्नों की भी प्रशंसा की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं, वृंदावन में मिथिलाकुंज आश्रम से संत महामंडलेश्वर स्वामी किशोरीशरण जी महाराज ने कहा कि वह पूरे विश्व में रह रहे मिथिलाक्षेत्र के लोगों से आह्वान करेंगे कि काउंसिल के इस पुनीत कार्य से जुड़ें. अयोध्या में मिथिला आश्रम से स्वामी जयराम दास जी महाराज ने कहा कि उनके लिए हर्ष का विषय है कि अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला मंदिर के लिए उन्होंने कार्य किया और अब मां जानकी जी के लिए सीतामढ़ी में अपना श्रम देने जा रहे हैं. श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में मंदिर-निर्माण में लगे आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मौजूद रहे. उन्होंने अयोध्या की तरह सीतामढ़ी में भव्य मंदिर की रूपरेखा के विषय को मीडिया के समक्ष रखा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भव्य मंदिर बनाने की दिशा में सभी संत मिलकर आगे बढ़े</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेस वार्ता में सीतामढ़ी के सांसद देवेशचंद्र ठाकुर ने कहा कि उनके लिए गौरव का विषय है कि उनके सांसद बनने के बाद एक तरफ बिहार और केंद्र सरकार मां सीताजी के प्राकट्य-स्थल पर भव्य मंदिर-निर्माण के लिए प्रयत्न कर रही है, तो वहीं रामायण रिसर्च काउंसिल जैसी संस्था सीतामढ़ी को तीर्थ क्षेत्र बनाने के लिए प्रयत्न कर रही है और आज सीतामढ़ी के ही अति प्राचीन श्रीरामजानकी स्थान पर भव्य मंदिर बनाने की दिशा में सभी संत मिलकर आगे बढ़ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने प्रेस वार्ता का संचालन करते हुए कहा कि मां सीताजी का संबंध भूमि से है, इसलिए काउंसिल के अंतर्गत जल्द ही सीतामढ़ी में भूमि आरती की शुरुआत होगी काउंसिल का शुरू से संकल्प था कि हम 51 शक्तिपीठों से मिट्टी एवं ज्योत लाकर मां सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित करेंगे, जिसे पूरा करने का अब समय आ गया है.</p>  बिहार अखिलेश के चाचा शिवपाल ने लालू प्रसाद यादव को इस अंदाज में किया बर्थडे विश, मुलायम को भी किया याद