हिमाचल BJP अध्यक्ष को जयराम का नाम आगे:विरोधी खेमे के नेताओं ने रखा प्रस्ताव; ऐसा हुआ तो नेता प्रतिपक्ष बदलेगा, मुख्यमंत्री पद पर निशाना

हिमाचल BJP अध्यक्ष को जयराम का नाम आगे:विरोधी खेमे के नेताओं ने रखा प्रस्ताव; ऐसा हुआ तो नेता प्रतिपक्ष बदलेगा, मुख्यमंत्री पद पर निशाना हिमाचल प्रदेश में BJP अध्यक्ष के लिए अंदरखाते जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। अध्यक्ष की रेस में पहले ही आठ से अधिक दावेदार शामिल है। आखिरी दौर में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का नाम भी अचानक आगे किया गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि जयराम ठाकुर का नाम अध्यक्ष के लिए विरोधी खेमे के नेताओं ने रणनीति के तहत आगे किया है, क्योंकि जयराम यदि अध्यक्ष बनते हैं तो राज्य में नया नेता प्रतिपक्ष (LOP) चुना जाना तय है। जो BJP विधायक LOP बनेगा, उसकी अगले मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी मजबूत हो जाएगी। अभी CM के लिए जयराम की दावेदारी मजबूत अभी जयराम ठाकुर LOP होने के नाते अगले मुख्यमंत्री के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। सूत्रों बताते हैं कि कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के नेताओं ने बीते दिनों दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात कर जयराम के नाम का प्रस्ताव रखा है। जयराम ठाकुर अध्यक्ष बनेंगे या फिर LOP बने रहेंगे। यह तो पार्टी हाईकमान तय करेगा। मगर, सियासी गलियारों में नए प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है। इस प्रस्ताव पर शीर्ष नेतृत्व भी चर्चा कर चुका है। अब बीजेपी हाईकमान विभिन्न समीकरणों पर मंथन कर रहा है। जल्द केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हिमाचल आकर नए अध्यक्ष का ऐलान करेंगे। जयराम अध्यक्ष बने तो ये नेता LOP के मजबूत दावेदार पार्टी जयराम को यदि अध्यक्ष बनाती हैं तो कांगड़ा के सुलह से विधायक विपिन सिंह परमार, जसवां-परागपुर से विधायक बिक्रम ठाकुर और ऊना से सत्तपाल सिंह सत्ती की दावेदारी LOP के लिए मजबूत मानी जा रही है। ये तीनों विधायक अभी अध्यक्ष पद की दौड़ में भी शामिल है। तीनों नेता दिल्ली में नड्डा से भी मुलाकात कर चुके हैं। अभी ये नेता अध्यक्ष की रेस में हिमाचल में अभी 3 सांसद, 5 विधायक और मौजूदा प्रधान राजीव बिंदल का नाम अध्यक्ष पद की रेस में थे। राज्यसभा सांसद में डॉ. सिकंदर कुमार, कांगड़ा से MP डा. राजीव भारद्वाज, राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी में से किसी एक के अध्यक्ष बनने की संभावनाएं ज्यादा है। क्योंकि 2027 में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में किसी विधायक के अध्यक्ष बनने पर उसके चुनाव न लड़ने की शर्त लग सकती है। वहीं MLA में से किसी को पार्टी अध्यक्ष बनाती है तो विपिन सिंह परमार, सत्तपाल सत्ती, बिक्रम ठाकुर, रणधीर शर्मा और त्रिलोक जम्वाल इसके दावेदार माने जा रहे हैं। अब इस लिस्ट में जयराम ठाकुर का नाम भी जुड़ा है। राजीव बिंदल भी दोबारा अध्यक्ष बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। त्रिलोक जम्वाल का नाम नड्डा के कारण खूब चर्चा में राजनीति के जानकारों की माने तो हाईकमान ने नड्डा को फ्री-हेंड दिया तो विधायक त्रिलोक जम्वाल को भी अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जा सकती है। जम्वाल अध्यक्ष बने तो बिलासपुर से अगला चुनाव नड्डा अपने बेटे को लड़ा सकते हैं। इसी वजह से त्रिलोक जम्वाल का नाम खूब चर्चा में है।

हिमाचल में आज बारिश-बर्फबारी के आसार:कल-परसो खिलेगी धूप, 4 फरवरी को स्नोफॉल का अलर्ट, जनवरी में 83% कम बादल बरसे

हिमाचल में आज बारिश-बर्फबारी के आसार:कल-परसो खिलेगी धूप, 4 फरवरी को स्नोफॉल का अलर्ट, जनवरी में 83% कम बादल बरसे हिमाचल प्रदेश में आज मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान है। मौसम विभाग के अनुसार, अधिक ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है। प्रदेश के अधिक ऊंचे क्षेत्रों में बीती रात से ही मौसम खराब बना हुआ है। मौसम विभाग की माने तो, अगले कल प्रदेशभर में मौसम साफ हो जाएगा। तीन फरवरी को वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) दोबारा एक्टिव होगा। इससे 4 और 5 फरवरी को बारिश बर्फबारी के आसार बन रहे है। खासकर 4 जनवरी को प्रदेश के ज्यादातर भागों में बारिश बर्फबारी हो सकती है। सामान्य से 83% कम बारिश प्रदेश में अब तक बहुत कम बारिश हुई है। इससे सूखे जैसे हालात पनप रहे हैं। जनवरी महीने सामान्य से 83 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस अवधि में 85.3 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार मात्र 14.4 मिलीमीटर बादल बरसे हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस बार-बार कमजोर पड़ रहा प्रदेश में जनवरी माह में बार-बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव जरूर हुआ है। मगर हर बार बिन बरसे कमजोर पड़ा हैं। आज भी प्रदेश के ज्यादातर भागों में अच्छी बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान था। तापमान में आया उछाल बारिश-बर्फबारी से पहले तापमान में उछाल दर्ज किया गया है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.2 डिग्री ज्यादा और अधिकतम तापमान भी नॉर्मल से 2.3 डिग्री अधिक हो गया है।

लुधियाना सेंट्रल जेल में हवालाती भिड़े:हवालाती के सिर पर मारे कड़े और गिलास,8 टांके लगे, कुछ महीने पहले पकड़वाया था मोबाइल

लुधियाना सेंट्रल जेल में हवालाती भिड़े:हवालाती के सिर पर मारे कड़े और गिलास,8 टांके लगे, कुछ महीने पहले पकड़वाया था मोबाइल पंजाब के लुधियाना में बीती रात सेंट्रल जेल में हंगामा हो गया। चक्की में बंद कैदियों ने एक हवालाती के साथ जमकर मारपीट की। उसके सिर पर हमलावरों ने कड़े और गिलास मारे। खून से लथपथ हवालाती को जेल स्टाफ सिविल अस्पताल लेकर आया जहां डाक्टरों ने उसके सिर पर 8 टांके लगाए। घायल हवालाती का नाम हरदीप सिंह है जो कि गुरु अर्जुन देव नगर का रहने वाला है। इस मामले में थाना डिवीजन नंबर 7 की पुलिस मामले की जांच कर रही है। 8 से 10 हवालातियों ने किया हमला जानकारी मुताबिक ताजपुर रोड स्थित सेंट्रल जेल में हवालाती हरदीप पर 8 से 10 दर्जन हवालातियों ने हमला कर दिया। घायल हरदीप सिंह ने बताया कि वह समराला चौक के नजदीक गुरु अर्जुन देव नगर के पास रहता है। 2 साल पहले गैंग बनाता धरा था पुलिस ने हरदीप थाना डिवीजन 7 की पुलिस ने 2 साल पहले उसे लूट की नीयत के चलते गैंग बनाने के आरोप में पकड़ा था। जिसके चलते वह 2 वर्षों से ही जेल में बंद है। वह अपने बैरक में रात को मौजूद था, तभी वहां पर 8 से 10 हवालातियों ने उसे घेरा डालकर स्टील के गिलास और कड़ों से हमला कर दिया। हमले के दौरान उसके सिर पर गहरी चोट आई। जिसे रात को जेल प्रशासन ने सिविल अस्पताल में पहुंचाया। जहां से मेडिकल जांच के बाद उसे वापिस जेल भेज दिया गया। जेल में मारपीट की घटनाएं कही न कही जेल सुरक्षा पर कड़े सवाल खड़े कर रही है।

पिहोवा में रिटायर्ड फौजी के भाई की मौत:अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी; काम करके बाइक से जा रहा था घर

पिहोवा में रिटायर्ड फौजी के भाई की मौत:अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी; काम करके बाइक से जा रहा था घर कुरुक्षेत्र के पिहोवा के हिसार-चंडीगढ़ एचएन-152 पर अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में रिटायर्ड फौजी के भाई की मौत हो गई। वह रात में काम करके घर लौट रहा था। इसी दौरान हादसा हो गया। आर्मी से रिटायर्ड हरजीत सिंह निवासी भौर सैयदा के अनुसार, उसका 51 वर्षीय भाई गुरजीत सिंह डंपर चलाता था। 30 जनवरी को उसका भाई गुरजीत सिंह अपनी बाइक पर किसी काम से इस्माइलाबाद गया था। काम निपटा कर उसका भाई रात करीब 9 बजे बाइक पर अपने घर लौट रहा था। नेशनल हाईवे-152 पर तलहेड़ी गांव के मोड़ पर पहुंचा, तो किसी अज्ञात वाहन ने उसके भाई की बाइक को टक्कर मार दी। मामले की जांच कर रही पुलिस रात को ही वह हादसे की सूचना पाकर पिहोवा के सरकारी अस्पताल पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने उसके भाई गुरजीत सिंह की जांच करके मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने अज्ञात वाहन ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज कर पोस्टमॉर्टम के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया।

जालंधर वेस्ट पूर्व विधायक अंगुराल का गंभीर आरोप:बोले-शहर में बिक रहा नशा, राजनीतिक लोग बिकवा रहे; कई मौतें ओवरडोज से हुईं

जालंधर वेस्ट पूर्व विधायक अंगुराल का गंभीर आरोप:बोले-शहर में बिक रहा नशा, राजनीतिक लोग बिकवा रहे; कई मौतें ओवरडोज से हुईं जालंधर में नशा बिकने को लेकर आज पूर्व विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शीतल अंगुराल ने राज्य सरकार और कांग्रेस के सांसद और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पर गंभीर आरोप लगाए। शीतल ने कहा- शहर में गली गली में नशा बिक रहा है। इसके पीछे सिर्फ राजनीतिक लोग हैं। जालंधर वेस्ट हलके से पूर्व विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शीतल अंगुराल ने कहा- पिछले काफी समय से जालंधर वेस्ट से कई दुखद खबरें सामने आई हैं। पिछले कुछ दिनों मैं तीन बार लाइव हुआ हूं, तीनों बार कोई न कोई बच्चा वेस्ट हलके में नशे की वजह से दुनिया से चला गया। विधायक बोले- जिस युवक की ओवरडोज से मौत हुई, उसकी बहन भी नशे की आदी भार्गव नगर में एक माह पहले एक नाबालिग बच्चे की नशे की ओवरडोज से मौत हुई। उसके बाद चार दिन पहले एक बच्चे की नशे से मौत हो गई। ये तो वो केस हैं, जो हम तक पहुंच गए। मगर जो मेरे तक नहीं पहुंचे, वो अलग है। बीते दिन भार्गव नगर में जिस युवक की मौत नशे से हुई, उसे राजनीतिक दबाव में कुदरती मौत बताया गया। उस घर की नाबालिग बेटी की भी मौत होने वाली है। जोकि नशे की आदी है। मैं कोशिश कर रहा हूं कि उक्त बच्ची का इलाज करवाऊं, मगर परिवार डर के मारे इलाज करवाने को तैयार नहीं है। मैं आवाज उठाता रहूंगा, मुझे जेल जाना पड़े। मगर मैं सच बोलूंगा। पूर्व विधायक बोले- गली गली में बिक रहा जहर पूर्व विधायक अंगुराल ने कहा- एरिया में नशा सियासी लीडर बिकवा रहे हैं। हमारे जालंधर में बच्चे नशे से मर रहे हैं। मगर मौजूदा सरकार के नेता दिल्ली चुनाव में व्यस्त हैं। उन्हें पंजाब से ज्यादा दिल्ली की जरूरत है। अंगुराल ने आगे कहा- राजनीतिक लोग ही इलाके के लोगों के लिए नहीं खड़े हो रहे। गली गली में जहर बिक रहा है, मेरा कमिश्नर साहिब से अनुरोध है कि वह इस मामले में कार्रवाई करे। पूर्व विधायक बोले- सांसद चन्नी नशा खत्म करने का दावा कर सत्ता में आए, मगर कुछ नहीं किया पूर्व विधायक अंगुराल आगे बोले- बाहर से आए उम्मीदवार सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने लोगों से वादा किया था कि या रहेगा नशा या रहेगा चन्नी। लोगों ने चन्नी साहब पर यकीन किया और वोटें देकर विजय बनाया। मगर मुझे आज दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि चन्नी जब से जीते हैं, तब किसी भी व्यक्ति या शहर वासी के दुख में दिखाई नहीं दिए हैं। लोगों के साथ धोखा हुआ है। क्योंकि चन्नी ने नशा खत्म करने को कहा था। हमारे लोग नशे के दलदल में फंसे हुए हैं, मगर सियासी पार्टियां नशा खत्म नहीं कर सकीं। आगे से नशा तीन गुना बढ़ गया है।

अमेरिका में जिस युवक से राहुल गांधी मिले,वह घर लौटा:कहा- डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं, चल नहीं पाए तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे

अमेरिका में जिस युवक से राहुल गांधी मिले,वह घर लौटा:कहा- डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं, चल नहीं पाए तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे हरियाणा के जिस युवक से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में मुलाकात की थी, वह घर लौट आया है। अमेरिका दौरे के दौरान राहुल गांधी युवक से मिले थे। इस दौरान उन्होंने उससे वादा किया था कि वह भारत लौटकर उसके परिवार से जरूर मिलेंगे। इसके बाद 20 सितंबर 2024 को राहुल गांधी करनाल के गांव घोघड़ीपुर में युवक के परिवार से मिलने पहुंचे थे। युवक अमित मान का 21 मई 2024 को अमेरिका में काम से लौटते वक्त एक्सीडेंट हो गया था। एक्सीडेंट के 23 दिन बाद अमित होश में आया था। हालांकि उसने 3 महीने बाद अपने घरवालों को एक्सीडेंट की जानकारी दी थी। अमित अपनी तीन बीघा जमीन बेचकर डंकी के रास्ते अमेरिका गया था। वहां वह ट्रक चलाता था। अमित के मुताबिक विदेश में जाने 42 लाख रुपए खर्च हुए। आज भी घर गिरवी पड़ा हुआ है। 29 जनवरी को वह घर लौटा। अमित ने दैनिक भास्कर से बातचीत में डंकी रूट की पूरी सच्चाई बताई। उसने बताया कि डंकी रूट पर लाशें मिलती हैं। अगर चलने में असमर्थ हो गए तो वहीं पर तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है। नीचे पढ़ें पूरी बातचीत… 17 अप्रैल 2023 को घर से गया था
अमित ने बताया कि डंकी का रास्ता बहुत ही ज्यादा खतरनाक था। मैं 17 अप्रैल 2023 को घर से चला था और 6 जुलाई को अमेरिका की दीवार कूद गया था। चप्पे चप्पे पर दिक्कतें आती हैं, जिस भी देश से गुजरते हैं, वहां पर रास्ते में पुलिस वाले पैसे छीन लेते हैं। जंगल क्रॉस करने पड़ते हैं। जंगलों में न तो कुछ खाने के लिए होता है और न ही कुछ पीने के लिए। अमित ने बताया कि एक तो हम परिवार से दूर होते हैं और दूसरा लाखों रुपए लगते हैं। मेरे 42 लाख रुपए खर्च हुए और आज भी घर गिरवी पड़ा हुआ है। रास्ते में कब कौन मार दे, कुछ नहीं पता
अमित ने बताया कि डंकी कहने में आसान है, लेकिन जब घर से निकलते हैं और जंगलों, नदियों और पहाड़ों को पार करते हैं तब पता चलता है कि डंकी होती क्या है। वहां पर कब, कौन, कहां पर किसे मार दे, इसका भी कुछ नहीं पता होता। हालांकि डंकी का रास्ता गलत है, लेकिन क्या करें बेरोजगारी ही इतनी है। डंकी का रास्ता सबसे गंदा
उसने बताया कि डंकी का रास्ता सबसे गंदा है। यहां बैठे युवा यह तो देख लेते हैं कि अमेरिका में डॉलर में पैसे आएंगे और बढ़िया लाइफ होगी, लेकिन डंकी से जाते वक्त कितनी कठिनाइयां आती हैं वह तो नहीं देखते। रास्ते में मिलते हैं कंकाल ​​​​​​
अमित ने बताया कि डंकी की भयानकता इस बात से समझ लीजिए कि जब जंगलों से गुजरते हैं तो रास्ते में इंसानों के कंकाल मिलते हैं। वहां एजेंटों को किसी से कोई सरोकार नहीं है। आप अपने दम पर आगे बढ़ेंगे तो ठीक, अगर आपको कोई चोट भी लग जाती है तो कोई एजेंट साथ नहीं देता। अगर आप चलने में समर्थ नहीं हैं तो आपको वहीं पर छोड़ दिया जाएगा और वहीं पर तड़प-तड़प कर आपकी मौत हो जाएगी। इतनी लाशें देखने को मिलती है जंगलों में, जिसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। ऐसा कोई ही युवक होगा, जिसने यह चीज नहीं देखी होगी। कैसे हुई राहुल गांधी से मुलाकात?
अमित ने बताया कि उसके भाई तेजी मान और सोनीपत के एक युवा उपेंद्र मान के जरिए राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। वहां पर राहुल गांधी ने हाल-चाल पूछा और वादा किया कि वे मेरे घर पर आएंगे और उन्होंने वादा भी निभाया। पूर्व प्रत्याशी इलाज का खर्चा उठा रहे
अमित ने बताया कि वह अच्छे तरीके से नहीं चल पाता है और न ही ढंग से दिखाई देता है। राइट साइड में कभी भी दर्द शुरू हो जाता है। राहुल गांधी के निर्देश पर अब घरौंडा से कांग्रेस के पूर्व कैंडिडेट वीरेंद्र सिंह राठौर उसके इलाज का खर्च उठा रहे हैं।

भूपेंद्र हुड्‌डा के पिता रणबीर हुड्‌डा की पुण्यतिथि आज:मंत्री-सांसद और संविधान सभा के मेंबर रहे; इंदिरा की पसंद, फिर भी CM नहीं बन पाए

भूपेंद्र हुड्‌डा के पिता रणबीर हुड्‌डा की पुण्यतिथि आज:मंत्री-सांसद और संविधान सभा के मेंबर रहे; इंदिरा की पसंद, फिर भी CM नहीं बन पाए जुलाई 1947, आजादी की तारीख तय हो चुकी थी। अलग-अलग जेलों में बंद नेताओं को छोड़ा जा रहा था। इस दौरान दिल्ली से 81 किलोमीटर दूर रोहतक के सांघी गांव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक संदेश आया- ‘गांधीवादी नेता रणबीर सिंह को देश की संविधान सभा में भेजा जा रहा है।’ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्‌डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्‌डा की आज पुण्यतिथि है। 1 फरवरी 2009 को उनका निधन हुआ था। आज हुड्‌डा परिवार उन्हें रोहतक के IMT चौक स्थित प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करेगा। चौधरी रणबीर सिंह सबसे कम उम्र में भारत की संविधान सभा के मेंबर रहे। वह देश के इकलौते ऐसे नेता रहे, जो अपने जीवनकाल में 7 सदनों के मेंबर रहे। चौधरी रणबीर सिंह जेल जाने वाले पहले जाट ग्रेजुएट थे। उस समय रणबीर सिंह डीसी ऑफिस में कार्यरत थे। मगर 1941 में नौकरी छोड़कर व्यक्तिगत सत्याग्रह में कूद पड़े। रणबीर सिंह 8 जेलों में रहे, जिनमें से आज 4 पाकिस्तान और 4 हिंदुस्तान में हैं। रणबीर हुड्‌डा के जीवन की कहानी… माता-पिता की तीसरी संतान, सब कुछ छोड़ आजादी के आंदोलन में कूद पड़े
26 नवंबर 1914 को रोहतक में जन्मे रणबीर सिंह माता-पिता की तीसरी संतान थे। पिता चौधरी मातूराम राजनीति में सक्रिय थे। वे रोहतक में कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे आर्य समाज में शामिल होने वाले शुरुआती लोगों में शामिल थे। रणबीर के बचपन और शिक्षा पर भी आर्य समाज का प्रभाव था। 1937 में दिल्ली के रामजस कॉलेज से BA पास करने के बाद वे सोच में पड़ गए कि नौकरी करें, वकालत करें या फिर खेती-बाड़ी। फिर सब कुछ छोड़कर वह आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। महात्मा गांधी का संयुक्त पंजाब में दौरा हुआ तो रणबीर उनसे जुड़ गए। उन्हें 3 साल जेल की सजा हुई। 2 साल तक नजरबंद रखा गया। वह रोहतक, अंबाला, हिसार, फिरोजपुर, लाहौर, मुल्तान और सियालकोट की जेलों में कैद रहे। मेव समुदाय पाकिस्तान जाने लगा तो महात्मा गांधी के पास गए
आजादी के बाद हरियाणा, राजस्थान और UP के साथ लगते मेवात यानी मेव बाहुल्य इलाकों में दंगे शुरू हो गए। बताया जाता है कि मेव समुदाय के लोग मूल रूप से राजपूत, जाट, अहीर और मीणा जाति के थे, लेकिन 12वीं सदी के बीच उन्होंने इस्लाम अपना लिया। दंगों की वजह से मेव समुदाय के लोगों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। पंजाब विधानसभा के सदस्य और मेवात के रहने वाले चौधरी यासीन खान मेवातियों के इस फैसले के खिलाफ थे। उन्होंने इसकी जानकारी चौधरी रणबीर सिंह को दी। रणबीर सिंह, यासीन को लेकर महात्मा गांधी के पास पहुंचे। 19 दिसंबर 1947 को गांधी उनके साथ मेवात पहुंचे। गांधी ने कहा- ‘मेव कौम हिंदुस्तान के रीढ़ की हड्डी है। किसी से डरना नहीं है। आज से तुम्हारी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है।’ गांधी की अपील का असर हुआ और लोगों ने पाकिस्तान जाने का फैसला बदल लिया। मेवात एरिया में आज भी मेव समुदाय की बड़ी आबादी है। इन इलाकों में रणबीर सिंह का मजबूत प्रभाव था। 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए। रणबीर रोहतक से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1957 में वे दूसरी बार रोहतक से चुने गए। इसके बाद 1962 में वे संयुक्त पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए। उन्हें प्रताप सिंह कैरों सरकार में बिजली, सिंचाई, PWD और स्वास्थ्य जैसे महकमों की जिम्मेदारी दी गई। भाखड़ा-नांगल पावर प्रोजेक्ट में उनका अहम योगदान रहा। इंदिरा की पसंद होने के बाद भी क्यों CM नहीं बन पाए रणबीर सिंह
1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना। मुख्यमंत्री पद के लिए तीन दावेदार थे- रणबीर सिंह, भगवत दयाल शर्मा और राव बीरेंद्र सिंह। रणबीर सिंह अपनी आत्मकथा ‘स्वराज के स्वर’ में लिखते हैं- ‘लोग मेरे पास आए और कहने लगे, ‘आप कैसे बैठे हैं? आप सबसे ज्यादा तजुर्बेकार हैं। पंजाब में सीनियर मंत्री रहे हैं। आपसे ज्यादा योग्य यहां कौन है? मैंने जवाब दिया- सब योग्य हैं। मैंने आज तक सत्ता के लिए भागदौड़ नहीं की। अब क्यों करूं?’ रणबीर आत्मकथा में लिखते हैं- ‘मैं सब कुछ तटस्थ भाव से देखता रहा। इंदिरा गांधी मेरी वरिष्ठता और देश के लिए जो कुछ भी मैंने किया था, उसे देखते हुए मुझे मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं। उस वक्त गुलजारी लाल नंदा गृहमंत्री थे। वह पंजाब-हरियाणा के मामलों को देख रहे थे। इंदिरा उनकी बात सुन लेती थीं। उन्होंने भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बनाने में पूरा जोर लगा दिया।’ इस तरह भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के पहले CM बने और रणबीर सिंह कैबिनेट मंत्री। तब रणबीर सिंह 52 साल के थे। उन्हें लगने लगा था कि वह ज्यादा दिन राजनीति नहीं कर पाएंगे। बड़े बेटे चुनाव नहीं जीत सके, छोटे बेटे 2 बार मुख्यमंत्री बने
साल 1972 में कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी थी। कांग्रेस (R) यानी इंदिरा का गुट और कांग्रेस (O) यानी सिंडिकेट नेताओं का गुट। तब कांग्रेस के भीतर ताकतवर नेताओं का एक ग्रुप हुआ करता था, जिसे मीडिया ने सिंडिकेट नाम दिया था। इसी साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। रणबीर ने बड़े बेटे प्रताप सिंह को कांग्रेस (R) के टिकट पर रोहतक जिले की किलोई सीट से चुनाव में उतारा, लेकिन वे हार गए। कुछ ही सालों बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली। इधर, छोटे बेटे भूपेंद्र वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोहतक कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे थे। वे कॉलेज के वक्त ही कांग्रेस से जुड़ गए थे। इसके बाद वे 2 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। भूपेंद्र हुड्‌डा के बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा इस वक्त रोहतक से सांसद हैं।

अनिल विज की नाराजगी, अंबाला DC की छुट्‌टी:अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते, फिर भी सारी बातें मानी जाती, इसकी 6 वजहें

अनिल विज की नाराजगी, अंबाला DC की छुट्‌टी:अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलते, फिर भी सारी बातें मानी जाती, इसकी 6 वजहें सबसे पहले अनिल विज के बैक टू बैक दिए 2 बयान पढ़िए तारीख: 30 जनवरी
अनिल विज ने कहा- ”अब मैं ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में शामिल नहीं होऊंगा, क्योंकि इस मीटिंग में जारी आदेशों का पालन नहीं होता। अंबाला के हक के लिए डल्लेवाल (किसान नेता) की तरह अनशन पर भी बैठ जाऊंगा।” तारीख: 31 जनवरी
अनिल विज ने कहा- ”मुझे चुनाव हराने की कोशिश करने वालों के बारे में लिखकर दे चुका, 100 दिन बीत गए, कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारे मुख्यमंत्री, जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से उड़न खटोले पर ही हैं। नीचे उतरे तो जनता के प्रति देखें।” अनिल विज का दूसरा बयान आते ही सरकार ने अंबाला के डिप्टी कमिश्नर (DC) पार्थ गुप्ता को हटा दिया। साफ दिखा कि प्रदेश के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज की नाराजगी सरकार ज्यादा देर नहीं झेल पाई। सवाल ये है कि आखिर ऐसी क्या बात है कि अनिल विज के अपनी ही सरकार के प्रति तीखे तेवरों के बावजूद वह न केवल पार्टी में बने हुए हैं बल्कि सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाता है। फिर सरकार को उनके आगे झुकना भी पड़ता है। इसकी 6 बड़ी वजहें मानी जा रही हैं…. 1. बड़े मंत्रालय संभाले, भ्रष्टाचार के दाग नहीं
2014 में जब प्रदेश में पहली बार BJP की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो अनिल विज उसमें कैबिनेट मंत्री बने। 2019 की सरकार में भी उन्हें फिर मंत्री बनाया गया। इस दौरान उनके पास गृह, हेल्थ, ट्रांसपोर्ट जैसे बड़े मंत्रालय रहे। इसके बावजूद उन पर कभी कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। इस वजह से हरियाणा ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी अनिल विज को ईमानदार छवि का नेता माना जाता है। उनके बेबाक रवैये के बावजूद पार्टी के नेता उन्हें सम्मान देते हैं। 2. कॉलेज टाइम से RSS से जुड़े
अनिल विज कॉलेज टाइम से ही RSS से जुड़े हुए हैं। वे पढ़ाई के दौरान ही ABVP में शामिल हो गए थे। 1970 में वे ABVP के महासचिव बने। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद और ऐसे अन्य संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम किया। विज 1974 में भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी करने लगे, लेकिन बीजेपी से जुड़े रहे। 1990 में जब सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गईं तो अंबाला छावनी की सीट खाली हो गई। अनिल विज ने बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सुषमा स्वराज की सीट से उपचुनाव लड़े। अनिल विज यह उपचुनाव जीत गए। 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 3. पार्टी के सीनियर नेता, 7वीं बार विधायक बने
अनिल विज पहली बार 1990 में उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे। हालांकि इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। 1996 और 2000 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता। साल 2005 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2009 में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ा औऱ जीत गए। इसके बाद से वह लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इस बार उन्होंने अंबाला कैंट से 7वीं बार चुनाव जीता। इसी वजह से सरकार में CM के बाद उनकी इमेज नंबर टू नेता की है। 4. CM नहीं बनाया तो केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाए
साल 2014 में प्रदेश में भाजपा अकेले बहुमत ले आई। तब सब तरफ चर्चा थी कि अनिल विज अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। हालांकि अचानक पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्‌टर का नाम आगे आ गया। विज कैबिनेट मंत्री बनकर रह गए। मगर उनकी तरफ से कभी केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर सवाल नहीं उठाए गए। 2024 के चुनाव में भी उन्होंने CM पद पर दावा ठोका। विज ने कहा कि मैं सीनियरिटी के हिसाब से दावा कर रहा हूं। जब उन्हें कहा गया कि अमित शाह नायब सैनी को सीएम चेहरा घोषित कर चुके हैं तो विज ने कहा कि वे सिर्फ उन अफवाहों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया कि विज तो मुख्यमंत्री बनना ही नहीं चाहते। विज ने ये भी कहा था कि वे इसके लिए कोई लॉबिंग नहीं करेंगे। 5. विज नाराज जरूर होते हैं लेकिन बगावती तेवर नहीं
अनिल विज सरकार से नाराज जरूर होते हैं लेकिन उनमें कभी सरकार या पार्टी के प्रति बगावती तेवर नहीं दिखते। 12 मार्च 2024 को जब मनोहर लाल खट्‌टर ने इस्तीफा दिया और नायब सैनी को नया सीएम चुना गया तो विज इससे नाराज हो गए। वे चंडीगढ़ में विधायक दल की मीटिंग से उठकर सीधे अंबाला में गोलगप्पे खाने पहुंच गए। इस नाराजगी में विज ने सैनी के पहले कार्यकाल में मंत्री पद तक स्वीकार नहीं किया। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो विज का कहना था- ”इतना बड़ा फैसला ले लिया और मुझे किसी ने बताया तक नहीं”। जब पार्टी से नाराजगी पर सवाल हुआ तो विज बोले- ” मैं BJP का भक्त हूं। परिस्थितियां बदलती रहती हैं। मैंने हर परिस्थिति में बीजेपी के लिए काम किया है। अब भी करूंगा और पहले से कई गुना ज्यादा करूंगा।” 6. केंद्रीय नेतृत्व में अच्छी पकड़
अनिल विज की केंद्रीय नेतृत्व में भी अच्छी पकड़ है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के साथ उनके घरेलू संबंध माने जाते हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी के साथ वह लगातार संपर्क में रहते हैं। नई सरकार में मंत्री बनने के बाद अनिल विज तीन दौरे दिल्ली के कर चुके हैं, जहां उन्होंने पीएम से लेकर कई केंद्रीय नेताओं से सीधे मुलाकात की। पहले भी नाराज हो चुके अनिल विज 1. 2019 में भाजपा के दोबारा सत्ता में आने के बाद विज को गृह मंत्री बनाया गया था, लेकिन CID विज के बजाय तत्कालीन सीएम मनोहर लाल को रिपोर्ट कर रही थी। इससे विज नाराज हुए। बाद में मनोहर लाल ने CID को गृह विभाग से अलग कर दिया। 2. पिछले कार्यकाल में विज के गृह विभाग संभालने के बाद सीएमओ से आईपीएस के तबादलों की लिस्ट भेजी गई। विज ने यह वापस कर दी। कहा कि पहले चर्चा क्यों नहीं की। तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने उन्हें चंडीगढ़ बुलाकर मामले को शांत किया। 3. तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव से भी विज का 36 का आंकड़ा रहा। यादव के 2 वर्ष पूरे होते ही विज ने सरकार को लिखा कि उन्हें रिलीव किया जाए। इसके बाद भी वे 2-3 माह और पद पर रहे। इसके बाद वापस केंद्र में डेपुटेशन पर चले गए। 4. मनोहर लाल खट्‌टर के दूसरे टर्म में विज डीजी हेल्थ को हटाने को लेकर अड़ गए थे। इस दौरान विज ने एक महीने तक हेल्थ डिपार्टमेंट की एक भी फाइल नहीं देखी थी। विज की नाराजगी को देखते हुए मनोहर लाल खट्‌टर ने डीजी हेल्थ को बदल दिया था। 5. 12 मार्च 2024 को मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाने की घोषणा हुई तो विज नाराज होकर बैठक से चले गए। फिर मंत्री भी नहीं बने। शपथग्रहण समारोह में भी नहीं गए।

CM सैनी बोले– बेचारी आतिशी क्या करे, वह महिला है:AAP बोली- महिला विरोधी चेहरा; हरियाणा BJP ने कहा- केजरीवाल ने झूठे-मक्कारों की फौज बनाई

CM सैनी बोले– बेचारी आतिशी क्या करे, वह महिला है:AAP बोली- महिला विरोधी चेहरा; हरियाणा BJP ने कहा- केजरीवाल ने झूठे-मक्कारों की फौज बनाई हरियाणा के CM नायब सैनी के दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को बेचारी कहने पर BJP और AAP की सियासी लड़ाई शुरू हो गई है। दरअसल, CM सैनी पानीपत आए थे, जहां उन्होंने कहा कि मलाई तो केजरीवाल खा गया। आतिशी क्या करेगी बेचारी, वह तो महिला है। इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने वीडियो के इस हिस्से को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि BJP का महिला विरोधी चेहरा सामने आ गया है। वहीं इस पर हरियाणा BJP ने भी पलटवार करते हुए कहा कि वीडियो को गलत तरीके से एडिट कर वायरल किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने झूठे-मक्कारों की फौज बनाई। सिलसिलेवार ढंग से पूरा विवाद पढ़िए… CM ने कहा था- आतिशी तो टाइम काट रही
CM सैनी ने कहा- आतिशी को मैंने ये कहा था कि इसने ये गारा तुम्हारे ऊपर कर दिया। आतिशी ने मुझे कहा कि मैं तो टाइम काट रही हूं। 5-10 दिन रह गए, उसके बाद अपनी छुट्‌टी है। उसका नहीं है कुछ भी। जो मलाई खा गया, अब आतिशी क्या करे बेचारी, वह तो महिला है। वे वहां की CM हैं। उसने कोशिश की है काम करने की। मगर केजरीवाल की आंख कमीशन की तरफ होती है। AAP ने कहा- BJP का ‘महिला विरोधी’ चेहरा सामने आया
AAP ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा- हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जिस तरह की भाषा दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री आतिशी के लिए इस्तेमाल की है, उससे साफ पता चलता है कि BJP महिलाओं के प्रति कितनी घटिया मानसिकता रखती है। हरियाणा BJP का पलटवार– दिल्ली की जनता सब देख रही
AAP के बयान पर हरियाणा BJP ने सोशल मीडिया पर पलटवार करते हुए कहा- हजारों ‘झूठे’ मरे होंगे, तब कहीं जाकर 1 केजरीवाल पैदा हुआ और आज उसने झूठे-मक्कारों की पूरी फौज खड़ी कर रखी है, जो वीडियोज को गलत तरीके से एडिट कर सोशल मीडिया पर प्रसारित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन दिल्ली की जागरूक जनता सब देख रही है। —————- ये खबर भी पढ़ें… यमुना का सैंपल लेकर दिल्ली पहुंचे CM सैनी, 2 सैंपल दिखाकर बोले- हमारे यहां साफ पानी यमुना नदी के पानी को लेकर हरियाणा के CM नायब सैनी और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल आमने-सामने हो गए हैं। शुक्रवार को CM सैनी यमुना के पानी के 2 सैंपल लेकर दिल्ली के वजीराबाद पहुंचे। जहां पहले सैंपल को दिखाते हुए कहा कि केजरीवाल साहब मैं यह पानी पल्ला (हरियाणा) से लेकर आया हूं। पूरी खबर पढ़ें…

हरियाणा के 9 जिलों में बारिश का अलर्ट:ओले गिरने की संभावना; फतेहाबाद में धुंध के कारण क्रूजर गाड़ी नहर में गिरी, 11 लापता

हरियाणा के 9 जिलों में बारिश का अलर्ट:ओले गिरने की संभावना; फतेहाबाद में धुंध के कारण क्रूजर गाड़ी नहर में गिरी, 11 लापता हरियाणा में मौसम विभाग ने आज से 5 फरवरी तक बारिश की संभावना जताई है। पश्चिमी पंजाब और पाकिस्तान के ऊपर बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण हरियाणा के पंजाब के साथ लगते इलाकों सिरसा, फतेहाबाद, जींद, कैथल, हिसार, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला में बारिश के आसार हैं। इस दौरान ओले गिरने की भी संभावना है। इसके साथ धुंध भी छाएगी। इधर, फतेहाबाद में शुक्रवार देर रात घने कोहरे के कारण एक क्रूजर गाड़ी भाखड़ा नहर में जा गिरी। इस हादसे में 11 लोग लापता हो गए, जबकि एक बच्चे सहित 2 लोगों बचाया गया था, जिनमें से एक की मौत हो गई है। वहीं, ड्राइवर ने हादसा होने से ठीक पहले गाड़ी से छलांग लगाकर अपनी जान बचा ली। ये लोग पंजाब में एक शादी से लौट रहे थे। फतेहाबाद हादसे के 2 PHOTOS…