लखनऊ में वॉटर-वेपर थेरेपी से प्रोस्टेट का ट्रीटमेंट:मशीन से भाप का इंजेक्शन देकर किया इलाज, लोहिया संस्थान में अमेरिकन टेक्निक से हुआ ऑपेरशन
लखनऊ में वॉटर-वेपर थेरेपी से प्रोस्टेट का ट्रीटमेंट:मशीन से भाप का इंजेक्शन देकर किया इलाज, लोहिया संस्थान में अमेरिकन टेक्निक से हुआ ऑपेरशन लखनऊ के डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीज को वॉटर-वेपर थेरेपी यानी भाप का इंजेक्शन देकर प्रोस्टेट की समस्या का इलाज किया। डॉक्टरों के मुताबिक इस अमेरिकन हाईटेक तरीके से इलाज में चीरा और टांके लगाने की जरूरत पड़ती है। बड़ी बात ये है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत ही नही पड़ती। उसी दिन अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है। डॉक्टरों का दावा है कि अमेरिका में बनी 2 करोड़ की हाईटेक मशीन से पहली बार उत्तर प्रदेश में ऐसा ऑपेरशन हुआ है। 2 मरीजों का हुआ इलाज लोहिया संस्थान के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग ने प्रोस्टेट से पीड़ित दो गंभीर मरीजों में भाप का इस्तेमाल करके सफल इलाज में कामयाबी हासिल की है। मेडिकल साइंस में इस तकनीक को रेजूम कहा जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर मरीज को सर्जरी के दर्द से बचाया जा सकता है। पहले से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे मरीज लोहिया संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. ईश्वर राम ध्याल ने बताया कि 69 साल का बुजुर्ग मरीज हाई रिस्क पेशेंट रहा। उसे हार्ट, बीपी, शुगर जैसी कई गंभीर बीमारी पहले से थी। इस बीच प्रोस्टेट बढ़ने से बुजुर्ग मरीज की हालत और बिगड़ गई। मरीज को एनेस्थीसिया देकर ऑपेरशन करना नही था सेफ डॉ.ईश्वर ने बताया कि अब तक ट्रांसयूरेथ्रल रीसेक्शन ऑफ द प्रोस्टेट (TURP) तकनीक से मरीज का इलाज किया जाता था। इस ऑपेरशन में एनेस्थीसिया दिया जाता है। ऐसे में पहले से गंभीर बीमारी से पीड़ित इन मरीजों का ऑपेरशन करना सेफ नही होता है। ऐसे में रेजूम तकनीक बेहद मुफीद होता है। मिनिमल इनवेसिव सर्जरी से किया इलाज रेजूम के जरिए मिनिमल इनवेसिव, गैर-सर्जिकल से इलाज किया जाता है। इसमें प्रोस्टेट एंडोस्कोप के माध्यम से महीन निडिल पहुंचाई जाती है। फिर भाप बढ़ी प्रोस्टेट ग्रंथि पर डाली जाती है। निशुल्क हुआ दोनों मरीजों का इलाज लोहिया संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ.ईश्वर राम ध्याल ने बताया कि ये बेहद हाईटेक टेक्नोलॉजी है। इसे सबसे ज्यादा अमेरिका में प्रयोग में लाया जा रहा। 2 करोड़ की मशीन को टेस्टिंग के लिए संस्थान में लाया गया है। और इसी से सर्जरी की जा रही है। मरीज के लिए राहत की बात ये रही कि इलाज सफल रहा।ऑपेरशन के महज कुछ घंटे बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई। साथ ही पूरा निशुल्क इलाज किया गया। डॉक्टरों की इस टीम ने किया इलाज डॉ.ईश्वर के अलावा इलाज करने वाली टीम में सर्जिकल टीम में प्रोफेसर डॉ.आलोक श्रीवास्तव, प्रोफेसर डॉ.संजीत सिंह, डॉ.शिवानी, डॉ.नंदन, डॉ.नितेश, डॉ.प्रवीण, डॉ.हिमांशु, डॉ.अभिषेक शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम से प्रोफेसर डॉ.पीके दास और डॉ.शरीफ मौजूद रहे।