<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025 Voting:</strong> दिल्ली की 70 विधानसभा सीट पर बुधवार (05 फरवरी) को हुए मतदान में पाकिस्तान के 186 हिंदू शरणार्थियों ने पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. दिल्ली के मजनू का टीला स्थित एक मतदान केंद्र पर रेशमा नामक महिला ने मतदान किया. रेशमा (50) ने अपने जीवन में पहली बार मतदान किया. उन्होंने केवल एक उम्मीदवार को चुनने के लिए, बल्कि अपने परिवार के भविष्य के लिए भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पाकिस्तान से आए 186 हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता मिली. पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी समुदाय के अध्यक्ष धर्मवीर सोलंकी ने उम्मीद जताई की अब उनका संघर्ष कम हो जाएगा. उन्होंने कहा, ”अब हमें लगातार अपना स्थान नहीं बदलना पड़ेगा. हमें अंततः स्थायी घर और आजीविका का एक स्थिर साधन मिल जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों ने किया मतदान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सोलंकी ने कहा कि हमारे समुदाय के लोग मतदान करने के लिए इतने उत्साहित थे कि वे मजनू का टीला स्थित मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़े थे. शरणार्थियों को मजनू का टीला में रहने की जगह दी गई है. चंद्रमा ने भावुक होते हुए कहा, ”मैं यहां 17 साल से रह रही हूं लेकिन आज पहली बार मुझे सचमुच ऐसा महसूस हो रहा है कि अब मैं हिंदुस्तान का हिस्सा हूं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मतदान के बाद खुशी नहीं रोक पा रहे शरणार्थी!</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पाकिस्तान के हिंदू धार्मिक उत्पीड़न से बचकर दशकों से भारत में शरण ले रहे हैं. कई लोग दिल्ली के मजनू का टीला में अस्थायी आश्रयों में रहने लगे और दिहाड़ी मजदूरी करने लगे. पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों में 27 वर्षीय यशोदा को सबसे पहले भारत की नागरिकता मिली थी और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का भी मौका मिला था. आज मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़ी यशोदा अपनी खुशी नहीं रोक पाईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”हमने कई साल दिहाड़ी मजदूरी करके गुज़ारे हैं और जीने के लिए संघर्ष किया है. अब जब हमारे पास भारतीय नागरिकता है तो हमें अब उम्मीद है कि हमें उचित नौकरी, घर और सम्मानजनक जीवन मिलेगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’जब मैंने बटन दबाया तो बदलाव महसूस हुआ'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>फरीदाबाद से मजनू का टीला के मतदान केंद्र पर वोट डालने आईं 23 वर्षीय मैना के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था. उन्होंने कहा, ”जब मैं मतदान केंद्र में गई तो मुझे नहीं पता था कि वोट कैसे देना है या कौन सी पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन एक बार जब मैंने बटन दबाया तो मुझे बदलाव महसूस हुआ कि आखिरकार मुझे आवाज मिली.” भारत के इन नए नागरिकों के लिए मतदान करना केवल नागरिक कर्तव्य नहीं था बल्कि यह इस बात की घोषणा करता है वे भी अब नागरिक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार ने पिछले साल 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन की घोषणा की थी, जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: </strong><strong><a title=”Delhi Exit Poll Result: एग्जिट पोल्स पर सोमनाथ भारती का चौंकाने वाला बयान, ‘इस बार केजरीवाल सरकार…'” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-election-exit-poll-results-2025-aap-leader-somnath-bharti-claim-victory-arvind-kejriwal-2878145″ target=”_self”>Delhi Exit Poll Result: एग्जिट पोल्स पर सोमनाथ भारती का चौंकाने वाला बयान, ‘इस बार केजरीवाल सरकार…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025 Voting:</strong> दिल्ली की 70 विधानसभा सीट पर बुधवार (05 फरवरी) को हुए मतदान में पाकिस्तान के 186 हिंदू शरणार्थियों ने पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. दिल्ली के मजनू का टीला स्थित एक मतदान केंद्र पर रेशमा नामक महिला ने मतदान किया. रेशमा (50) ने अपने जीवन में पहली बार मतदान किया. उन्होंने केवल एक उम्मीदवार को चुनने के लिए, बल्कि अपने परिवार के भविष्य के लिए भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पाकिस्तान से आए 186 हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता मिली. पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी समुदाय के अध्यक्ष धर्मवीर सोलंकी ने उम्मीद जताई की अब उनका संघर्ष कम हो जाएगा. उन्होंने कहा, ”अब हमें लगातार अपना स्थान नहीं बदलना पड़ेगा. हमें अंततः स्थायी घर और आजीविका का एक स्थिर साधन मिल जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों ने किया मतदान</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सोलंकी ने कहा कि हमारे समुदाय के लोग मतदान करने के लिए इतने उत्साहित थे कि वे मजनू का टीला स्थित मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़े थे. शरणार्थियों को मजनू का टीला में रहने की जगह दी गई है. चंद्रमा ने भावुक होते हुए कहा, ”मैं यहां 17 साल से रह रही हूं लेकिन आज पहली बार मुझे सचमुच ऐसा महसूस हो रहा है कि अब मैं हिंदुस्तान का हिस्सा हूं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मतदान के बाद खुशी नहीं रोक पा रहे शरणार्थी!</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पाकिस्तान के हिंदू धार्मिक उत्पीड़न से बचकर दशकों से भारत में शरण ले रहे हैं. कई लोग दिल्ली के मजनू का टीला में अस्थायी आश्रयों में रहने लगे और दिहाड़ी मजदूरी करने लगे. पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों में 27 वर्षीय यशोदा को सबसे पहले भारत की नागरिकता मिली थी और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का भी मौका मिला था. आज मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़ी यशोदा अपनी खुशी नहीं रोक पाईं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”हमने कई साल दिहाड़ी मजदूरी करके गुज़ारे हैं और जीने के लिए संघर्ष किया है. अब जब हमारे पास भारतीय नागरिकता है तो हमें अब उम्मीद है कि हमें उचित नौकरी, घर और सम्मानजनक जीवन मिलेगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’जब मैंने बटन दबाया तो बदलाव महसूस हुआ'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>फरीदाबाद से मजनू का टीला के मतदान केंद्र पर वोट डालने आईं 23 वर्षीय मैना के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया था. उन्होंने कहा, ”जब मैं मतदान केंद्र में गई तो मुझे नहीं पता था कि वोट कैसे देना है या कौन सी पार्टी किसका प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन एक बार जब मैंने बटन दबाया तो मुझे बदलाव महसूस हुआ कि आखिरकार मुझे आवाज मिली.” भारत के इन नए नागरिकों के लिए मतदान करना केवल नागरिक कर्तव्य नहीं था बल्कि यह इस बात की घोषणा करता है वे भी अब नागरिक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार ने पिछले साल 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन की घोषणा की थी, जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया था.</p>
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