Delhi HC ने महाराजा करणी सिंह के उत्तराधिकारी की याचिका की खारिज, केंद्र से की थी बकाए की मांग

Delhi HC ने महाराजा करणी सिंह के उत्तराधिकारी की याचिका की खारिज, केंद्र से की थी बकाए की मांग

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने बीकानेर हाउस का बकाया किराया चुकाने की मांग वाली महाराजा करणी सिंह के उत्तराधिकारी की याचिका ने खारिज कर दी. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने महाराजा डॉ. करणी सिंह के उत्तराधिकारी द्वारा दाखिल याचिका को सही नहीं मनाते हुए खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में महाराजा करणी सिंह की बेटी द्वारा दिए गए दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता बीकानेर हाउस की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार स्थापित करने में विफल रहीं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल जनवरी में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार से बीकानेर हाउस पर बकाया किराया चुकाने की मांग की गई थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>याचिका में किराया बकाया होने का किया था दावा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अर्जी में केंद्र से उस समय के किराए के बकाया पैसों के भुगतान के दावे की बात कही गयी थी, जब उन्होंने दिल्ली में बीकानेर हाउस पर कब्जा कर लिया था. उत्तराधिकारियों ने साल 1991 के बीच बकाया किराए के भुगतान की मांग की थी. जब केंद्र सरकार ने कथित तौर पर 1951 के समझौते के तहत बकाया किराए का भुगतान करना बंद कर दिया था और 2014 में जब उसने बीकानेर हाउस खाली कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC ने कहा- कानूनी अधिकार नहीं कर पाई साबित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा इस मामले से जुड़ी संपत्ति पर अपना अधिकार साबित करने में असफल रही वहीं याचिकाकर्ता ने जिस बकाया किराए को चुकाने की मांग की थी उसे पर भी अपना कानूनी अधिकार साबित करने के मामले में कोई दस्तावेज नहीं दे पाई. भारतीय डोमिनियन में रियासतों का एकीकरण 1947 से 1950 के बीच हुआ. सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन के प्रयासों से 560 से अधिक रियासतों का भारत में विलय किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार &nbsp;ने 1950 में राजस्थान सरकार और महाराजा करणी सिंह से बीकानेर हाउस को पट्टे पर ले लिया था. हालांकि उसे समय के नियमों के मुताबिक जो भी किराया मिलता था उसका 67% &nbsp;राजस्थान सरकार को किया जाना था, वहीं इनमें से 33 % को महाराजा करणी सिंह को आवंटित किया गया था. इस मामले को लेकर दायर की गई याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से खारिज कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/hn5RpYXGdt0?si=7mz-VYHtBhcHi9m8″ width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
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<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने बीकानेर हाउस का बकाया किराया चुकाने की मांग वाली महाराजा करणी सिंह के उत्तराधिकारी की याचिका ने खारिज कर दी. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने महाराजा डॉ. करणी सिंह के उत्तराधिकारी द्वारा दाखिल याचिका को सही नहीं मनाते हुए खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में महाराजा करणी सिंह की बेटी द्वारा दिए गए दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता बीकानेर हाउस की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार स्थापित करने में विफल रहीं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल जनवरी में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार से बीकानेर हाउस पर बकाया किराया चुकाने की मांग की गई थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>याचिका में किराया बकाया होने का किया था दावा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अर्जी में केंद्र से उस समय के किराए के बकाया पैसों के भुगतान के दावे की बात कही गयी थी, जब उन्होंने दिल्ली में बीकानेर हाउस पर कब्जा कर लिया था. उत्तराधिकारियों ने साल 1991 के बीच बकाया किराए के भुगतान की मांग की थी. जब केंद्र सरकार ने कथित तौर पर 1951 के समझौते के तहत बकाया किराए का भुगतान करना बंद कर दिया था और 2014 में जब उसने बीकानेर हाउस खाली कर दिया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली HC ने कहा- कानूनी अधिकार नहीं कर पाई साबित</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा इस मामले से जुड़ी संपत्ति पर अपना अधिकार साबित करने में असफल रही वहीं याचिकाकर्ता ने जिस बकाया किराए को चुकाने की मांग की थी उसे पर भी अपना कानूनी अधिकार साबित करने के मामले में कोई दस्तावेज नहीं दे पाई. भारतीय डोमिनियन में रियासतों का एकीकरण 1947 से 1950 के बीच हुआ. सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन के प्रयासों से 560 से अधिक रियासतों का भारत में विलय किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>केंद्र सरकार &nbsp;ने 1950 में राजस्थान सरकार और महाराजा करणी सिंह से बीकानेर हाउस को पट्टे पर ले लिया था. हालांकि उसे समय के नियमों के मुताबिक जो भी किराया मिलता था उसका 67% &nbsp;राजस्थान सरकार को किया जाना था, वहीं इनमें से 33 % को महाराजा करणी सिंह को आवंटित किया गया था. इस मामले को लेकर दायर की गई याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से खारिज कर दिया गया.</p>
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