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70वीं BPSC की परीक्षा रद्द करने की मांग, अभ्यर्थी बोले- एक सेंटर के री-एग्जाम से नुकसान होगा
70वीं BPSC की परीक्षा रद्द करने की मांग, अभ्यर्थी बोले- एक सेंटर के री-एग्जाम से नुकसान होगा <p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”><strong>70th BPSC:</strong> बिहार के अलग-अलग जिलों में 13 दिसंबर को 70वीं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा हुई थी. पटना के कुम्हरार स्थित बापू परीक्षा केंद्र पर हंगामे के बाद सिर्फ इसी सेंटर की परीक्षा रद्द की गई है. इस सेंटर की परीक्षा फिर से ली जाएगी. एक केंद्र पर होने वाले री-एग्जाम को लेकर बीपीएससी के अभ्यर्थी आक्रोशित हैं. बुधवार (18 दिसंबर) को कुछ अभ्यर्थियों ने पटना के गर्दनीबाग में प्रदर्शन किया. कहा कि पूरे बिहार में हुई इस (प्रारंभिक) परीक्षा को रद्द किया जाए.</p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”>अभ्यर्थियों ने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) इतनी बड़ी गलती क्यों कर रहा है? 70वीं बीपीएससी पीटी परीक्षा में करीब 4.15 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. 15 सूत्री मांगों को लेकर हंगामा करते हुए कहा कि सिर्फ 12000 अभ्यर्थियों का फिर से एग्जाम लेकर अन्य अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.</p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”><strong>कई सेंटर पर अव्यवस्था का लगाया आरोप</strong></p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”>अभ्यर्थियों ने अपनी मांग में अव्यवस्था का आरोप लगाया है. कहा है कि कई परीक्षा केंद्रों पर जैमर नहीं लगा था. कई सेंटर पर सीसीटीवी सही से काम नहीं कर रहा था. भागलपुर में भी परीक्षा केंद्र के कंट्रोल से इसकी जानकारी दी गई थी. कुछ अभ्यर्थियों ने कहा कि कई परीक्षा केंद्रों पर लाइट की सही व्यवस्था नहीं थी. कई जगह लेट से प्रश्न पत्र बांटे गए. अन्य जगहों पर इतना (पटना के जैसा) ज्यादा हंगामा नहीं हुआ तो क्यों उन केंद्रों की परीक्षा को रद्द नहीं किया जा रहा है?</p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”><strong>री-एग्जाम से नुकसान की कही गई बात</strong></p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”>दूसरी ओर अभ्यर्थियों ने यह कहा कि फिर से जो परीक्षा ली जाएगी उसका पैटर्न लगभग बराबर ही होगा. प्रश्न में भले बदलाव होगा, लेकिन पैटर्न में बदलाव नहीं होगा. हम लोग जो परीक्षा देकर आए हैं उस पैटर्न पर अगर 100 अंक का बना है तो दोबारा उसी पैटर्न पर परीक्षा देते हैं तो 130 अंक का बना देंगे. निश्चित तौर पर पैटर्न में तो बदलाव बीपीएससी नहीं करेगा तो हम लोग के लिए परेशानी होगी. अब बापू परीक्षा सेंटर के जो अभ्यर्थी फिर से परीक्षा देंगे उनके लिए आसान हो जाएगा. हम लोगों का रिजल्ट नहीं आ पाएगा, इसलिए फिर से परीक्षा होनी चाहिए. अगर बीपीएससी फिर से एग्जाम नहीं लेता है तो हम लोगों का आंदोलन उग्र होगा.</p>
<p dir=”ltr” style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-education-department-salaries-of-128-principals-will-be-deduct-in-siwan-for-apaar-card-ann-2844540″>Bihar Education Department: बिहार के इस जिले में प्रधानाध्यापकों का कटेगा वेतन, लिस्ट में 100 से अधिक के नाम</a></strong></p>
भाजपा नेता राकेश जम्वाल का सीएम सुक्खू पर तंज:बोले-इतना झूठ मत बोलो कि जनता उठकर चली जाए, ज्यादा दिन नहीं चलेगी दुकान
भाजपा नेता राकेश जम्वाल का सीएम सुक्खू पर तंज:बोले-इतना झूठ मत बोलो कि जनता उठकर चली जाए, ज्यादा दिन नहीं चलेगी दुकान हिमाचल प्रदेश के मंडी में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने सुक्खू सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश को आर्थिक और प्रशासनिक संकट के कगार पर ला खड़ा किया है। जनता के बीच झूठे दावे कर रही सरकार की वास्तविकता अब लोगों के सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि यह पहली ऐसी सरकार है। जो अपनी कमियों का जश्न मनाने में व्यस्त है। जिले के सिराज में मुख्यमंत्री के हालिया कार्यक्रम का हवाला देते हुए राकेश जम्वाल ने कहा कि अब जनता इनकी बातों को सुनना भी पसंद नहीं करती। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में लोग उनके संबोधन से पहले ही उठकर जाने लगे। राकेश जम्वाल ने कहा कि यह सरकार अपनी कथनी और करनी के बड़े अंतर के कारण जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। कांग्रेस के हर विधायक को विरोध झेलना पड़ेगा राकेश जम्वाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार के मंत्री मुख्यमंत्री के दबाव में काम करने में असमर्थ हैं, और यही कारण है कि लोग उनके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। मंत्री जगत नेगी और पूर्व सीपीएस संजय अवस्थी को जिस विरोध का सामना करना पड़ा, वह आने वाले दिनों में कांग्रेस के हर मंत्री और विधायक को झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री की झूठ की दुकान अब ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। जो बोया है, उसे काटने का समय आ गया है। हिमाचल की जनता कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाएगी। रिश्तेदारों और करीबियों को नौकरी देने का दावा सही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि झूठ बोलने की आदत पहले सिर्फ मुख्यमंत्री में थी। लेकिन अब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी उसी राह पर चल पड़े हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री के बयान, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार ने दो साल में जितनी नौकरियां दी हैं, उतनी पिछली सरकार ने 5 साल में नहीं दीं, लेकिन प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर नौकरियां अपने रिश्तेदारों, मित्रों और करीबियों को देने की बात हो रही है, तो यह दावा सही है। लेकिन जनता और बेरोजगार युवाओं को ठगने के लिए कांग्रेस सरकार को कभी माफ नहीं किया जाएगा।”
पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट और फौज आमने-सामने!:जस्टिस मंसूर अली शाह नए चीफ जस्टिस बनेंगे, यही इमरान खान की उम्मीद हैं
पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट और फौज आमने-सामने!:जस्टिस मंसूर अली शाह नए चीफ जस्टिस बनेंगे, यही इमरान खान की उम्मीद हैं क्रिकेटर और पाकिस्तान के पूर्व वजीर-ए-आजम तथा तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के फाउंडर इमरान खान इस वक्त रावलपिंडी की अडियाला जेल में कैद हैं। बीते रविवार की शाम को जब जेल बंद हो चुकी थी और उस वक्त किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं थी, उसी दौरान इमरान की ही पार्टी का एक लीडर भीतर जाता है। उसके हाथ में फौज का एक पैगाम था, जिसका लब्बोलुआब था- फौज से डील कर लीजिए, जेल के दरवाजे खुल जाएंगे। डील में उनसे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा गया था। लेकिन खान ने पैगाम लाने वाले से साफ कह दिया, ‘उनसे कहो कि मैं नवाज शरीफ नहीं हूं। वो सत्ता के लिए उनसे सौदेबाजी कर सकते हैं, मैं ऐसा हरगिज नहीं करूंगा। इस्लामाबाद हाईकोर्ट कॉम्प्लेक्स से उन्होंने मुझे जिस तरह से उठाया था, उस पर माफी तो उन्हें मुझसे मांगनी चाहिए।’
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने खान के खिलाफ आरोप मुल्तवी कर दिए हैं, लेकिन हुकूमत के वेश में फौज उनके खिलाफ नित नए इल्जाम लगा रही है। अब जेल के भीतर ही वे एक नए मुकदमे से रूबरू हो रहे हैं। यह अल-कादिर यूनिवर्सिटी को दी गई जमीन में कथित भ्रष्टाचार को लेकर है। कुछ पत्रकारों को मुकदमे की रिपोर्टिंग करने के लिए जेल में भीतर जाने की इजाजत दी गई थी। खान ने इस मौके का फायदा उठाते हुए पत्रकारों के सामने एक बड़ा बयान दे दिया कि शहबाज शरीफ की हुकूमत दो महीने के भीतर गिर जाएगी। इसके बाद से रह-रहकर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इमरान खान के इतने भरोसे की वजह क्या है कि दो माह के भीतर मौजूदा हुकूमत गिर जाएगी? अब यहां तस्वीर में आती है सुप्रीम कोर्ट। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्ण पीठ ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को हुक्म सुनाया कि पीटीआई को विधानसभाओं में औरतों और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों से गलत तरीके से महरूम किया गया है और ये सीटें पीटीआई को दी जानी चाहिए। अगर पीटीआई को ये सीटें मिल जाती हैं तो नेशनल असेंबली और पंजाब विधानसभा में नंबर गेम बदल जाएगा। पीटीआई बड़ी आसानी से अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ को हटा सकती है। अगर पंजाब में पीएमएल-एन की सरकार गिरती है तो उसके लिए केंद्र का हुकूमत में बने रहना मुश्किल हो जाएगा, जहां शहबाज शरीफ के पास साधारण बहुमत नहीं है। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की मदद से वजीर-ए-आजम बने हैं।
लाहौर और इस्लामाबाद में इलेक्शन ट्रिब्यूनल्स ने पहले ही अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है और पीएमएल-एन नेशनल असेंबली की कम से कम 15 से 20 सीटें खो सकती है। चुनाव आयोग ने ये सीटें पीएमएल-एन को दीं, जो हकीकत में पीटीआई समर्थित उम्मीदवारों द्वारा जीती गई थीं। लेकिन आरक्षित सीटों को लेकर शहबाज शरीफ हुकूमत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमलीजामा पहनाने के मूड में नहीं है। सवाल यह है कि वे इस फैसले को अमल में कब तक नहीं ला पाएंगे? पाकिस्तान के मौजूदा चीफ जस्टिस काजी फयाज इसा हैं, जो 25 अक्टूबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस मंसूर अली शाह नए चीफ जस्टिस बनेंगे। यही इमरान खान की उम्मीद हैं, जो पाकिस्तान की असल ताकत यानी फौज की नहीं सुनने वाले हैं। जस्टिस मंसूर अली शाह ने 11 अगस्त रविवार को साफ कर दिया कि ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजर-अंदाज करने का मतलब होगा संविधान को नजर-अंदाज करना।’ दीगर अल्फाज में कहें तो उन्होंने शहबाज शरीफ को इनडायरेक्टली आगाह कर दिया है कि अगर कोर्ट के हुक्म को अमल में नहीं लाया जाता है तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इससे पहले साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के हुक्म का पालन नहीं करने पर तब के वजीर-ए-आजम यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य ठहरा दिया गया था। तारीख (इतिहास) फिर से खुद को दोहरा सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट के हुक्म लागू नहीं किए गए तो पाकिस्तान अराजकता की ओर बढ़ सकता है। हाल ही में बांग्लादेश में जो कुछ हमने देखा, पाकिस्तान में उसका दोहराव हो सकता है। पीटीआई ने सितंबर में अडियाला जेल की ओर एक लंबा मार्च निकालने का ऐलान किया है। बेहतर होगा कि मसलों को सड़कों पर नहीं, अदालतों में सुलझाया जाए।