DFSC बनने के बाद बेटी पहुंची करनाल:HCS में किया था 69वां रैंक हासिल, भाई का सहयोग और परिवार का मिला समर्थन

DFSC बनने के बाद बेटी पहुंची करनाल:HCS में किया था 69वां रैंक हासिल, भाई का सहयोग और परिवार का मिला समर्थन

हरियाणा में करनाल के कुटेल गांव की बेटी कविता चौहान ने हरियाणा सिविल सेवा (HCS) परीक्षा में 69वां रैंक हासिल करके अपने परिवार और शहर का नाम रोशन किया है।किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली कविता अब जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) के पद पर नियुक्त होंगी। HCS बनने के बाद रविवार को कविता अपने गांव पहुंची यहां पहुंचने पर परिवार व ग्रामीणों उसका जोरादार स्वागत किया। कविता की सफलता का यह सफर उनकी कड़ी मेहनत, परिवार के समर्थन और अटूट विश्वास की कहानी है। किसान परिवार की संघर्षपूर्ण यात्रा कविता के पिता राधीराम और मां केला देवी ने अपनी तीनों बेटियों की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए, भले ही वे स्वयं कम पढ़े-लिखे थे। राधीराम ने शुरू से ही ठान लिया था कि वे अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाकर उनके सपनों को साकार करेंगे। उनकी तीनों बेटियां मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई कर रही थीं, लेकिन कविता ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का निर्णय लिया। भाई का सहयोग और परिवार का समर्थन कविता की तैयारी के दौरान, उनके भाई ने उन्हें UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित किया। कविता ने मेडिकल की पढ़ाई के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की और इस दौरान एच.सी.एस. की परीक्षा में भी बैठीं। परीक्षा में 69वां रैंक हासिल करने पर पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। कविता की बड़ी बहन पीजीआई में तैनात हैं और दूसरी बहन MBBS पास हैं। सफलता की कहानी कविता ने बताया कि जब भी उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा, उनके माता-पिता और भाई ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। कविता की बहन पूजा ने कहा कि कविता हमेशा पढ़ाई में अव्वल रही हैं और जब कभी पढ़ाई में परेशानी होती थी, तो वह आसानी से समस्या का हल निकाल लेती थीं। कविता की मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। माता-पिता की खुशी और गर्व कविता की सफलता पर उनके माता-पिता बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। राधीराम ने कहा कि बेटियों का अपने पैरों पर खड़ा होना बेहद जरूरी है ताकि वे समाज में अपनी मजबूत पहचान बना सकें। उन्होंने अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। कविता की मां केला देवी ने अपनी बेटियों की आरती उतार कर बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। सभी परिवारों के लिए प्ररेणा ​​​​​​​कविता चौहान की सफलता की कहानी हरियाणा के सभी परिवारों के लिए प्रेरणा है। यह साबित करता है कि अगर सपनों को पूरा करने का जुनून और परिवार का समर्थन हो, तो कोई भी मंजिल पाना असंभव नहीं है। कविता ने यह दिखा दिया कि मेहनत और समर्पण से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है और सफलता की ऊंचाइयों को छूना संभव है। हरियाणा में करनाल के कुटेल गांव की बेटी कविता चौहान ने हरियाणा सिविल सेवा (HCS) परीक्षा में 69वां रैंक हासिल करके अपने परिवार और शहर का नाम रोशन किया है।किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली कविता अब जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) के पद पर नियुक्त होंगी। HCS बनने के बाद रविवार को कविता अपने गांव पहुंची यहां पहुंचने पर परिवार व ग्रामीणों उसका जोरादार स्वागत किया। कविता की सफलता का यह सफर उनकी कड़ी मेहनत, परिवार के समर्थन और अटूट विश्वास की कहानी है। किसान परिवार की संघर्षपूर्ण यात्रा कविता के पिता राधीराम और मां केला देवी ने अपनी तीनों बेटियों की शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए, भले ही वे स्वयं कम पढ़े-लिखे थे। राधीराम ने शुरू से ही ठान लिया था कि वे अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाकर उनके सपनों को साकार करेंगे। उनकी तीनों बेटियां मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई कर रही थीं, लेकिन कविता ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का निर्णय लिया। भाई का सहयोग और परिवार का समर्थन कविता की तैयारी के दौरान, उनके भाई ने उन्हें UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित किया। कविता ने मेडिकल की पढ़ाई के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की और इस दौरान एच.सी.एस. की परीक्षा में भी बैठीं। परीक्षा में 69वां रैंक हासिल करने पर पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। कविता की बड़ी बहन पीजीआई में तैनात हैं और दूसरी बहन MBBS पास हैं। सफलता की कहानी कविता ने बताया कि जब भी उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा, उनके माता-पिता और भाई ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। कविता की बहन पूजा ने कहा कि कविता हमेशा पढ़ाई में अव्वल रही हैं और जब कभी पढ़ाई में परेशानी होती थी, तो वह आसानी से समस्या का हल निकाल लेती थीं। कविता की मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। माता-पिता की खुशी और गर्व कविता की सफलता पर उनके माता-पिता बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। राधीराम ने कहा कि बेटियों का अपने पैरों पर खड़ा होना बेहद जरूरी है ताकि वे समाज में अपनी मजबूत पहचान बना सकें। उन्होंने अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। कविता की मां केला देवी ने अपनी बेटियों की आरती उतार कर बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। सभी परिवारों के लिए प्ररेणा ​​​​​​​कविता चौहान की सफलता की कहानी हरियाणा के सभी परिवारों के लिए प्रेरणा है। यह साबित करता है कि अगर सपनों को पूरा करने का जुनून और परिवार का समर्थन हो, तो कोई भी मंजिल पाना असंभव नहीं है। कविता ने यह दिखा दिया कि मेहनत और समर्पण से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है और सफलता की ऊंचाइयों को छूना संभव है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर