DJ पर कमर तक पानी में नाचते लड़के:दुल्हन की मां बोली-शादी के लिए जुटाया राशन बहा; लखीमपुर में बाढ़ से तबाह जिंदगियों की कहानी

DJ पर कमर तक पानी में नाचते लड़के:दुल्हन की मां बोली-शादी के लिए जुटाया राशन बहा; लखीमपुर में बाढ़ से तबाह जिंदगियों की कहानी

लखीमपुर खीरी का लुधौरी गांव…जहां तक नजर जाती है, बस पानी ही पानी दिख रहा। एक घर में कुछ हलचल है। डीजे पर बज रहे संगीत की धुन पर घुटनों तक पानी के बीच कुछ युवा नाच रहे हैं। इस घर में आज शादी है। पानी के बीच शादी की रस्में निभाई जा रही हैं। जलमग्न हो चुके घर में बारात आई है। ये हाल है लखीमपुर खीरी में बाढ़ग्रस्त इलाके में फंसे लोगों का। दरअसल, यूपी का लखीमपुर खीरी इस समय बाढ़ की चपेट में है। दैनिक भास्कर की टीम बाढ़ और इसके बीच फंसे लोगों के हालात जानने ग्राउंड जीरो पर पहुंची। हमारा पहला पड़ाव बनी जिला मुख्यालय से तकरीबन 68 किमी दूर निघासन तहसील। समझिए बाढ़ के बीच जिंदगी के लिए जद्दोजहद करते लोगों का संघर्ष… बाजार की सड़क गायब, चल रही नाव
लुधौरी गांव जाने वाले रास्ते पर करीब तीन फीट पानी बह रहा है। गाड़ी से कुछ दूर चलते रहने पर लगा कि अब और आगे नहीं जा सकते। गाड़ी को थोड़ा आगे ले जाकर एक ऊंची जगह पर रोक दी। यहां से पानी के बीच पैदल चलना शुरू किया। जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे जो पानी भी बढ़ता जा रहा था। पहले घुटने के बराबर था, फिर कमर के ऊपर तक पहुंचने लगा। थोड़ा आगे जाने पर लुधौरी गांव का बाजार नजर आया। बाजार में नावें चल रही थीं। नाव पर सवार होकर हम गांव की तरफ बढ़े। साथ में बैठे लोगों ने बताया कि बाजार में इंटरलॉकिंग सड़क बनी हुई है। सड़क के ऊपर इतना पानी भर गया कि नाव चलानी पड़ रही है। कुछ लोग कमर बराबर पानी से होकर भी पैदल ही आ-जा रहे हैं। घर में आई थी बारात, दहेज के साथ ही खाने-पीने के सामान खराब हुआ
नाव पर बैठकर थोड़ा आगे बढ़े तो हमें तेज संगीत सुनाई देने लगा। साथ में नाव पर बैठे सुरेश गुप्ता ने बताया- गांव में विमला के बेटी की बारात आई है। सुरेश की बाजार में मिठाई की दुकान है। आखिर कमर भर पानी में कैसे शादी हो रही है, ये जानने के लिए नाव वाले से उधर चलने को कहा। जब हम पहुंचे तो वहां का नजारा ही अलग था। थोड़ी ऊंचाई पर एक डीजे बज रहा था और पानी में ही कुछ लड़के नाच रहे थे। नाव से उतर कर हम पैदल ही उस घर में पहुंचे जहां बारात आई थी। वहां घर का सारा सामान पानी में तैर रहा था। ऐसा लगा इनकी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी तैर रही हो। किसका सपना होगा, ऐसे हालात में शादी करने का? लेकिन बाढ़ की आफत ऐसी है कि उसमें ही अपनी जिंदगी को समेटने के लिए मजबूर हैं। जिस शादी में सारे शौक पूरे करने के सपने थे, वहां जल्दी-जल्दी बस रस्में निभाई जा रहीं थीं। गनीमत बस इतनी थी कि घर के एक कमरे में बाढ़ का पानी थोड़ा कम था। लड़की की मां बोली- मजदूरी करके सामान इकट्ठा किया, बाढ़ ने सब खराब कर दिया घुटने तक पानी में खड़ी वहीं हमें दुल्हन की मां विमला दिख गईं। विमला कहती हैं- 11 साल पहले पति की मौत हो गई। 7 बच्चा लोग हैं। 5 बिटिया और 2 बेटे। आज दूसरी बेटी की बारात आई है। मजदूरी करके राशन जुटाया था, लेकिन बाढ़ में वह भी बह गया। जिन लोगों के ऊंचाई पर घर बने हैं, वहां बारातियों को रोक कर उन्हें खाना खिलाया गया है। सालों से बिटिया की अच्छे से शादी करने की सोच रहे थे। बाढ़ ने सारे सपनों पर ग्रहण लगा दिया। दुल्हन के चाचा राम नरेश ने बताया कि बारात ऐसे ही पानी में आई है। किसी तरह से सारी रस्में पूरी की जा रही हैं। प्रशासन से कोई भी मदद नहीं मिली है। रानीगंज गांव में हर तरफ तबाही के निशान, सड़क बही, 5 घर टूटे लुधौरी से निकलकर हम वहां से 4 किमी दूर रानीगंज गांव पहुंचे। यहां हर ओर बाढ़ की तबाही का मंजर था। गांव में 90 फीसदी से ज्यादा खेती करने वाले परिवार रहते हैं। हालात ये हैं कि गांव मुख्य सड़क से कट चुका है। गांव को जोड़ने वाली सड़क बाढ़ में बह चुकी है। सड़क से करीब 15 फीट ऊंचाई तक पानी पूरे वेग के साथ बह रहा है। बाढ़ की इस तेज धारा ने गांव को दो हिस्सों में बांट दिया है। दोनों हिस्सों के लोग अपने-अपने इलाकों में फंसे हैं। वहां हमें सरदार जसवंत सिंह मिले। उन्होंने बताया कि यहां हालात बेहद खराब हैं। तकरीबन 4 एकड़ गन्ना और 2 एकड़ धान लगाया था। सब बाढ़ के पानी में बह गया। 4 से 5 लाख का खर्चा आया था। एक तिनका नहीं बचा। सुखदेव सिंह ने बताया कि 5 एकड़ गन्ना और 2 एकड़ धान लगाया था, सब बर्बाद हो गया। हम किसानों के जीने-खाने का यही साधन है। लेकिन, सरकार हमारे लिए कुछ भी नहीं कर रही है। पहले किसान सम्मान निधि भी आती थी, अब वो भी बंद है। आखिरकार हम अब क्या खाएं-पिएं? मंदिर और सड़क पर जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं मासूम रानीगंज और लुधौरा के बीच में एक राम जानकी का मंदिर है। मंदिर थोड़ा ऊंचाई पर बना है। बाढ़ का पानी जब लोगों के घरों में भरा तो लोग जान बचाने के लिए मंदिर में भाग कर आ गए। आनन-फानन में कुछ राशन और जरूरी चीजें ही साथ ला पाए। ज्यादातर सामान घर में छूट गया। सड़क पर रात गुजारने को मजबूर, भूख से बिलख रहे बच्चे वहां से थोड़ा आगे चलने पर सड़क का एक हिस्सा ऊंचा होने के कारण वहां पानी नहीं भरा था। सड़क पर ही एक परिवार गृहस्थी का सामान रखे मिल गया। 80 साल की निर्मला डबडबाई आंखों के साथ सिर पर हाथ धरे बैठी हैं। उन्हें ना अब ठीक से दिखाई देता है और ना ही कानों से सुनाई देता है। उनके बगल में खड़ी बहू ममता कहती हैं- पूरे घर में पानी भर गया है। बच्चे काफी छोटे हैं। अगर वहां से लेकर न भागती तो डूब जाते। अब यहां सड़क के ऊंचे हिस्से पर फंसे हुए हैं। लेकिन, खाने-पीने से लेकर गृहस्थी का सारा सामान बह गया है। जो सामान बच्चों के साथ लेकर भाग सकती थी, वह बचाकर निकल पाई हूं। अब डर इस बात का है कि अगर फिर से बारिश हुई, तब बच्चों और वृद्ध सास को कैसे बचाऊंगी। इसी की चिंता परेशान कर रही है। अब जानते हैं इन गांवों में बाढ़ आने 3 बड़ी वजह 1. घाघी नाले पर अवैध कब्जा: रानीगंज गांव के संतोष सिंह ने बताया कि लखीमपुर में बहने वाली शारदा नदी जब उफान पर आती है तो उसका पानी कई छोटी नहरों, नालों में बंट जाता है। इससे बाढ़ के हालात बेकाबू नहीं होते हैं। रानीगंज, लुधौरी सहित 20 गांवों से होकर एक नाला निकलता है। बाढ़ के समय जब नदी में पानी बढ़ता है तो नाले से होकर निकल जाता है, लेकिन इस नाले को गांव के कई लोगों ने पाट कर कब्जा कर लिया है। नाला पहले तकरीबन 60 फीट चौड़ा था, अब 25 फीट ही बचा है। जैसे ही शारदा नदी का पानी नाले में आता है, नाला उफान पर आ जाता है और तकरीबन 20 से ज्यादा गांव डूब जाते हैं। प्रशासन से इस बारे में बात करने पर कोई मदद नहीं मिलती। उल्टे रिश्वत मांगी जाती है। 2. नदी के बैराज पर बने फाटक को समय पर नहीं खोला गया: रानीगंज गांव के किसानों ने बताया कि यहां आसपास कई बैराज बने हैं। नदी में बाढ़ आने के बाद वो बैराज पर पानी की गहराई देखकर पानी छोड़ते हैं। इधर कई गांव में डूब जाते हैं। समय से फाटक खोले जाएं तो पानी की पासिंग हो जाए, जिससे कई गांव डूबने से बच जाएंगे। 3: बैराज की सफाई नहीं की जाती: ठाकुर पुरवा के किसानों के मुताबिक बैराज के फाटक पर जलकुंभी और दूसरे जलीय पौधे फंस जाते हैं। उसकी सही से सफाई नहीं की जाती, जिससे पानी फ्लो में नहीं निकल पाता है। पानी गांव में भरने लगता है और कई गांव डूब जाते हैं। लखीमपुर खीरी का लुधौरी गांव…जहां तक नजर जाती है, बस पानी ही पानी दिख रहा। एक घर में कुछ हलचल है। डीजे पर बज रहे संगीत की धुन पर घुटनों तक पानी के बीच कुछ युवा नाच रहे हैं। इस घर में आज शादी है। पानी के बीच शादी की रस्में निभाई जा रही हैं। जलमग्न हो चुके घर में बारात आई है। ये हाल है लखीमपुर खीरी में बाढ़ग्रस्त इलाके में फंसे लोगों का। दरअसल, यूपी का लखीमपुर खीरी इस समय बाढ़ की चपेट में है। दैनिक भास्कर की टीम बाढ़ और इसके बीच फंसे लोगों के हालात जानने ग्राउंड जीरो पर पहुंची। हमारा पहला पड़ाव बनी जिला मुख्यालय से तकरीबन 68 किमी दूर निघासन तहसील। समझिए बाढ़ के बीच जिंदगी के लिए जद्दोजहद करते लोगों का संघर्ष… बाजार की सड़क गायब, चल रही नाव
लुधौरी गांव जाने वाले रास्ते पर करीब तीन फीट पानी बह रहा है। गाड़ी से कुछ दूर चलते रहने पर लगा कि अब और आगे नहीं जा सकते। गाड़ी को थोड़ा आगे ले जाकर एक ऊंची जगह पर रोक दी। यहां से पानी के बीच पैदल चलना शुरू किया। जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे जो पानी भी बढ़ता जा रहा था। पहले घुटने के बराबर था, फिर कमर के ऊपर तक पहुंचने लगा। थोड़ा आगे जाने पर लुधौरी गांव का बाजार नजर आया। बाजार में नावें चल रही थीं। नाव पर सवार होकर हम गांव की तरफ बढ़े। साथ में बैठे लोगों ने बताया कि बाजार में इंटरलॉकिंग सड़क बनी हुई है। सड़क के ऊपर इतना पानी भर गया कि नाव चलानी पड़ रही है। कुछ लोग कमर बराबर पानी से होकर भी पैदल ही आ-जा रहे हैं। घर में आई थी बारात, दहेज के साथ ही खाने-पीने के सामान खराब हुआ
नाव पर बैठकर थोड़ा आगे बढ़े तो हमें तेज संगीत सुनाई देने लगा। साथ में नाव पर बैठे सुरेश गुप्ता ने बताया- गांव में विमला के बेटी की बारात आई है। सुरेश की बाजार में मिठाई की दुकान है। आखिर कमर भर पानी में कैसे शादी हो रही है, ये जानने के लिए नाव वाले से उधर चलने को कहा। जब हम पहुंचे तो वहां का नजारा ही अलग था। थोड़ी ऊंचाई पर एक डीजे बज रहा था और पानी में ही कुछ लड़के नाच रहे थे। नाव से उतर कर हम पैदल ही उस घर में पहुंचे जहां बारात आई थी। वहां घर का सारा सामान पानी में तैर रहा था। ऐसा लगा इनकी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी तैर रही हो। किसका सपना होगा, ऐसे हालात में शादी करने का? लेकिन बाढ़ की आफत ऐसी है कि उसमें ही अपनी जिंदगी को समेटने के लिए मजबूर हैं। जिस शादी में सारे शौक पूरे करने के सपने थे, वहां जल्दी-जल्दी बस रस्में निभाई जा रहीं थीं। गनीमत बस इतनी थी कि घर के एक कमरे में बाढ़ का पानी थोड़ा कम था। लड़की की मां बोली- मजदूरी करके सामान इकट्ठा किया, बाढ़ ने सब खराब कर दिया घुटने तक पानी में खड़ी वहीं हमें दुल्हन की मां विमला दिख गईं। विमला कहती हैं- 11 साल पहले पति की मौत हो गई। 7 बच्चा लोग हैं। 5 बिटिया और 2 बेटे। आज दूसरी बेटी की बारात आई है। मजदूरी करके राशन जुटाया था, लेकिन बाढ़ में वह भी बह गया। जिन लोगों के ऊंचाई पर घर बने हैं, वहां बारातियों को रोक कर उन्हें खाना खिलाया गया है। सालों से बिटिया की अच्छे से शादी करने की सोच रहे थे। बाढ़ ने सारे सपनों पर ग्रहण लगा दिया। दुल्हन के चाचा राम नरेश ने बताया कि बारात ऐसे ही पानी में आई है। किसी तरह से सारी रस्में पूरी की जा रही हैं। प्रशासन से कोई भी मदद नहीं मिली है। रानीगंज गांव में हर तरफ तबाही के निशान, सड़क बही, 5 घर टूटे लुधौरी से निकलकर हम वहां से 4 किमी दूर रानीगंज गांव पहुंचे। यहां हर ओर बाढ़ की तबाही का मंजर था। गांव में 90 फीसदी से ज्यादा खेती करने वाले परिवार रहते हैं। हालात ये हैं कि गांव मुख्य सड़क से कट चुका है। गांव को जोड़ने वाली सड़क बाढ़ में बह चुकी है। सड़क से करीब 15 फीट ऊंचाई तक पानी पूरे वेग के साथ बह रहा है। बाढ़ की इस तेज धारा ने गांव को दो हिस्सों में बांट दिया है। दोनों हिस्सों के लोग अपने-अपने इलाकों में फंसे हैं। वहां हमें सरदार जसवंत सिंह मिले। उन्होंने बताया कि यहां हालात बेहद खराब हैं। तकरीबन 4 एकड़ गन्ना और 2 एकड़ धान लगाया था। सब बाढ़ के पानी में बह गया। 4 से 5 लाख का खर्चा आया था। एक तिनका नहीं बचा। सुखदेव सिंह ने बताया कि 5 एकड़ गन्ना और 2 एकड़ धान लगाया था, सब बर्बाद हो गया। हम किसानों के जीने-खाने का यही साधन है। लेकिन, सरकार हमारे लिए कुछ भी नहीं कर रही है। पहले किसान सम्मान निधि भी आती थी, अब वो भी बंद है। आखिरकार हम अब क्या खाएं-पिएं? मंदिर और सड़क पर जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं मासूम रानीगंज और लुधौरा के बीच में एक राम जानकी का मंदिर है। मंदिर थोड़ा ऊंचाई पर बना है। बाढ़ का पानी जब लोगों के घरों में भरा तो लोग जान बचाने के लिए मंदिर में भाग कर आ गए। आनन-फानन में कुछ राशन और जरूरी चीजें ही साथ ला पाए। ज्यादातर सामान घर में छूट गया। सड़क पर रात गुजारने को मजबूर, भूख से बिलख रहे बच्चे वहां से थोड़ा आगे चलने पर सड़क का एक हिस्सा ऊंचा होने के कारण वहां पानी नहीं भरा था। सड़क पर ही एक परिवार गृहस्थी का सामान रखे मिल गया। 80 साल की निर्मला डबडबाई आंखों के साथ सिर पर हाथ धरे बैठी हैं। उन्हें ना अब ठीक से दिखाई देता है और ना ही कानों से सुनाई देता है। उनके बगल में खड़ी बहू ममता कहती हैं- पूरे घर में पानी भर गया है। बच्चे काफी छोटे हैं। अगर वहां से लेकर न भागती तो डूब जाते। अब यहां सड़क के ऊंचे हिस्से पर फंसे हुए हैं। लेकिन, खाने-पीने से लेकर गृहस्थी का सारा सामान बह गया है। जो सामान बच्चों के साथ लेकर भाग सकती थी, वह बचाकर निकल पाई हूं। अब डर इस बात का है कि अगर फिर से बारिश हुई, तब बच्चों और वृद्ध सास को कैसे बचाऊंगी। इसी की चिंता परेशान कर रही है। अब जानते हैं इन गांवों में बाढ़ आने 3 बड़ी वजह 1. घाघी नाले पर अवैध कब्जा: रानीगंज गांव के संतोष सिंह ने बताया कि लखीमपुर में बहने वाली शारदा नदी जब उफान पर आती है तो उसका पानी कई छोटी नहरों, नालों में बंट जाता है। इससे बाढ़ के हालात बेकाबू नहीं होते हैं। रानीगंज, लुधौरी सहित 20 गांवों से होकर एक नाला निकलता है। बाढ़ के समय जब नदी में पानी बढ़ता है तो नाले से होकर निकल जाता है, लेकिन इस नाले को गांव के कई लोगों ने पाट कर कब्जा कर लिया है। नाला पहले तकरीबन 60 फीट चौड़ा था, अब 25 फीट ही बचा है। जैसे ही शारदा नदी का पानी नाले में आता है, नाला उफान पर आ जाता है और तकरीबन 20 से ज्यादा गांव डूब जाते हैं। प्रशासन से इस बारे में बात करने पर कोई मदद नहीं मिलती। उल्टे रिश्वत मांगी जाती है। 2. नदी के बैराज पर बने फाटक को समय पर नहीं खोला गया: रानीगंज गांव के किसानों ने बताया कि यहां आसपास कई बैराज बने हैं। नदी में बाढ़ आने के बाद वो बैराज पर पानी की गहराई देखकर पानी छोड़ते हैं। इधर कई गांव में डूब जाते हैं। समय से फाटक खोले जाएं तो पानी की पासिंग हो जाए, जिससे कई गांव डूबने से बच जाएंगे। 3: बैराज की सफाई नहीं की जाती: ठाकुर पुरवा के किसानों के मुताबिक बैराज के फाटक पर जलकुंभी और दूसरे जलीय पौधे फंस जाते हैं। उसकी सही से सफाई नहीं की जाती, जिससे पानी फ्लो में नहीं निकल पाता है। पानी गांव में भरने लगता है और कई गांव डूब जाते हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर