उन्नाव हादसा, बस मालिक बोला-हमारी 56 करोड़ की बसें फंसी:125 बसों वाली ट्रैवल कंपनी है डिफॉल्टर; गाड़ी चलाने वाली कंपनी का मालिक फरार

उन्नाव हादसा, बस मालिक बोला-हमारी 56 करोड़ की बसें फंसी:125 बसों वाली ट्रैवल कंपनी है डिफॉल्टर; गाड़ी चलाने वाली कंपनी का मालिक फरार

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे में बुधवार को 18 लोगों की मौत हो गई। बस बिहार के मोतिहारी से दिल्ली जा रही थी। इस हादसे के बाद ARTO उन्नाव की तरफ से एक मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस अब जांच कर रही है। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि रोड टैक्स बचाने के लिए राजस्थानी मालिक की बस का यूपी में रजिस्ट्रेशन हुआ था। यह यूपी की सड़कों पर बिना परमिट और इंश्योरेंस दौड़ रही थी। इसके बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे। आखिर यह सब कैसे हो रहा था, इसके लिए हमने तीन बिंदुओं पर पड़ताल की… पहला: दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी का बैकग्राउंड क्या है? दूसरा: बिहार से दिल्ली तक जाने वाली गाड़ी का रजिस्ट्रेशन यूपी से क्यों? तीसरा: क्या इस तरह के हादसों के पीछे कोई सिंडिकेट काम कर रहा? हमने अपनी पड़ताल उन्नाव हादसे में हुई FIR से शुरू की। इसमें पता चला कि यह गाड़ी केसी जैन ट्रैवल कंपनी जोधपुर के नाम पर है। उसी FIR से सोहन जैन का नंबर मिला, जो केसी जैन के पार्टनर बताए जाते हैं। पढ़िए ट्रैवल कंपनी के पार्टनर सोहन जैन ने हमें क्या बताया… 4 साल पहले हो चुकी है मालिक की मौत, कंपनी डिफॉल्टर
सोहन जैन को हमने फोन किया, तो उन्होंने बताया- उन्नाव हादसे में जो दुर्घटनाग्रस्त बस है, वह केसी जैन ट्रैवल्स की है। कंपनी जोधपुर में है। कंपनी के मालिक केसी जैन की कोरोना काल में 2020 में मौत हो गई थी। उसके बाद कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है। हमने सवाल किया- क्यों डिफॉल्टर घोषित हो गई कंपनी? सोहन कहते हैं- दरअसल, कंपनी में 100 से ज्यादा गाड़ियां हैं। हम लोग कभी खुद गाड़ियां नहीं चलाते। अलग-अलग ट्रैवल एजेंसी वालों से एग्रीमेंट करके गाड़ियां चलाने को देते हैं। सभी बसें फाइनेंस पर होती हैं। जब कोरोना आया तो व्यापार एकदम ठप हो गया। न किश्त जमा हो पा रही थी, न किराया मिल रहा था। अचानक से उसी बीच केसी जैन का देहांत हो गया। जिसकी वजह से कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो गई। सोहन जैन ने बताया- एक नॉर्मल बस की कीमत 45 लाख रुपए के आसपास होती है। ऐसे में हमारी 56 करोड़ 25 लाख की बसें फंसी हैं। ऐसा नहीं है कि केसी जैन की मौत के बाद हमने उन्हें छुड़वाने की कोशिश नहीं की। दिक्कत ये है कि जिनके पास गाड़ियां हैं, वे सभी जानते हैं कि मालिक की मौत हो चुकी है। ऐसे में वह बसें देने में आनाकानी करने लगे हैं। इसके लिए हमने कुछ मुकदमे भी किए, लेकिन आज के समय तक कोई भी बस हमें वापस नहीं मिल पाई है। रोड टैक्स और इंश्योरेंस की जिम्मेदारी गाड़ी चलवाने वाले की
सोहन जैन बताते हैं- हम ठेके पर गाड़ी चलाने को देते हैं। इसमें एक एग्रीमेंट होता है कि रोड टैक्स, जो गाड़ी चलवाएगा, वह जमा करेगा। साथ ही इंश्योरेंस भी वही करवाएगा। उन्नाव में जो हादसा हुआ, वह गाड़ी हमने दिल्ली पहाड़गंज के चंदन जायसवाल को चलाने को दी थी। चंदन की ‘नमस्ते बिहार’ के नाम से ट्रैवल एजेंसी है। हमारा उनसे एग्रीमेंट हुआ था। जब केसी जैन की माैत के बाद किराया आना बंद हो गया, तब से हम गाड़ी की किश्तें भी नहीं जमा कर पा रहे थे। इसके बाद हमने चंदन जायसवाल से संपर्क किया, लेकिन मौके पर गाड़ी नहीं मिली। ऐसे ही चला आ रहा था। हादसे के बाद बुधवार को चंदन ने एक बार फोन उठाया था। उसके बाद से उसका फोन बंद है। रोड टैक्स बचाने के लिए राजस्थान के मालिक ने यूपी से कराया रजिस्ट्रेशन
सोहन जैन से दूसरा सवाल किया- अगर मालिक राजस्थान के हैं तो गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन महोबा के पुष्पेंद्र के पते पर क्यों है? सोहन जैन बताते हैं- पुष्पेंद्र हमारी कंपनी में पहले काम करता था। जब गाड़ियां खरीदी गईं तो उसे बिहार, यूपी और दिल्ली रूट पर चलना था। इसीलिए रोड टैक्स बचाने के लिए केवल बिहार और यूपी में रजिस्ट्रेशन कराया गया। जब इस रूट पर चलना था, तो राजस्थान में रजिस्ट्रेशन क्यों करवाया जाता? इस समय पुष्पेंद्र के एड्रेस पर 35 बसें रजिस्टर्ड हैं। पुष्पेंद्र का काम था- जिन लोगों को बसें चलाने को दी गई थीं, उनसे किराया वसूलना, रोड टैक्स और इंश्योरेंस जमा करवाना। ऐसे ही अलग-अलग लोगों के नाम पर बसें रजिस्टर्ड हैं। इन सब कामों के लिए पुष्पेंद्र के साथ एग्रीमेंट भी था। टैक्स बचाने के लिए चल रहा है बस माफियाओं का सिंडिकेट
सोहन जैन की बातों से साफ था कि बस माफियाओं का सिंडिकेट चल रहा है। बड़ी ट्रैवल कंपनियां रोड टैक्स बचाने के लिए दूसरे राज्यों के लोकल लोगों का पता इस्तेमाल करती हैं। ऐसे ही एक पीड़ित व्यक्ति महोबा के सत्येंद्र अग्निहोत्री सामने आए। उन्होंने बताया- उसके अस्थाई पते को दिखाकर बहुत सी बसों का संचालन किया जा रहा है। वह साल 2020 में भी लिखित रूप से ARTO महोबा को इसकी शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुधवार को उन्नाव में हुए हादसे के बाद वह फिर आज RTO ऑफिस में शिकायत लेकर पहुंचे। ताकि उनके पते पर दर्ज बसें दुर्घटनाग्रस्त होकर उनके लिए नासूर न बन जाए। अब तक पुलिस की जांच में क्या निकला है?
उन्नाव पुलिस की जांच में पता चला कि गाड़ी चलवाने वाला चंदन जायसवाल फरार है। उसका मोबाइल नंबर बंद है। गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीमें भी गठित कर दी गई हैं। इसके आगे किसी भी सवाल के जवाब में पुलिस का कहना है कि सब कुछ जांच का विषय है। दो बस ड्राइवर के भरोसे थी 1006 किमी की यात्रा
RTO महोबा के मुताबिक, बस बिहार के मोतिहारी से मंगलवार सुबह 5 बजे चली थी। यानी हादसे से 24 घंटे पहले। बस में दो ड्राइवर और एक क्लीनर था। गोरखपुर में मंगलवार रात जब बस ढाबे पर रुकी, तो वहां से दूसरा ड्राइवर बस चलाने लगा। इससे पहले किस चालक ने कितनी-कितनी देर बस चलाई, स्पष्ट जानकारी नहीं है। वहीं, बस में सवार यात्री साहिल बताते हैं- मंगलवार दोपहर 1 बजे मैं बिहार के सीवान से बस से दिल्ली के लिए चला था। रात में 11 बजे के आस-पास गोरखपुर गोंडा के बीच गुरुनानक देव ढाबे पर बस रुकी। लोगों ने वहां खाना खाया। ड्राइवर ने भी खाना खाया। यहां से कुछ दूरी तय होने के बाद ड्राइवर ने एक और जगह बस रोकी। यहां कुछ यात्री निकलकर वॉशरूम गए। तब रात के करीब 12 बज रहे होंगे। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे में बुधवार को 18 लोगों की मौत हो गई। बस बिहार के मोतिहारी से दिल्ली जा रही थी। इस हादसे के बाद ARTO उन्नाव की तरफ से एक मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस अब जांच कर रही है। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि रोड टैक्स बचाने के लिए राजस्थानी मालिक की बस का यूपी में रजिस्ट्रेशन हुआ था। यह यूपी की सड़कों पर बिना परमिट और इंश्योरेंस दौड़ रही थी। इसके बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे। आखिर यह सब कैसे हो रहा था, इसके लिए हमने तीन बिंदुओं पर पड़ताल की… पहला: दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी का बैकग्राउंड क्या है? दूसरा: बिहार से दिल्ली तक जाने वाली गाड़ी का रजिस्ट्रेशन यूपी से क्यों? तीसरा: क्या इस तरह के हादसों के पीछे कोई सिंडिकेट काम कर रहा? हमने अपनी पड़ताल उन्नाव हादसे में हुई FIR से शुरू की। इसमें पता चला कि यह गाड़ी केसी जैन ट्रैवल कंपनी जोधपुर के नाम पर है। उसी FIR से सोहन जैन का नंबर मिला, जो केसी जैन के पार्टनर बताए जाते हैं। पढ़िए ट्रैवल कंपनी के पार्टनर सोहन जैन ने हमें क्या बताया… 4 साल पहले हो चुकी है मालिक की मौत, कंपनी डिफॉल्टर
सोहन जैन को हमने फोन किया, तो उन्होंने बताया- उन्नाव हादसे में जो दुर्घटनाग्रस्त बस है, वह केसी जैन ट्रैवल्स की है। कंपनी जोधपुर में है। कंपनी के मालिक केसी जैन की कोरोना काल में 2020 में मौत हो गई थी। उसके बाद कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है। हमने सवाल किया- क्यों डिफॉल्टर घोषित हो गई कंपनी? सोहन कहते हैं- दरअसल, कंपनी में 100 से ज्यादा गाड़ियां हैं। हम लोग कभी खुद गाड़ियां नहीं चलाते। अलग-अलग ट्रैवल एजेंसी वालों से एग्रीमेंट करके गाड़ियां चलाने को देते हैं। सभी बसें फाइनेंस पर होती हैं। जब कोरोना आया तो व्यापार एकदम ठप हो गया। न किश्त जमा हो पा रही थी, न किराया मिल रहा था। अचानक से उसी बीच केसी जैन का देहांत हो गया। जिसकी वजह से कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो गई। सोहन जैन ने बताया- एक नॉर्मल बस की कीमत 45 लाख रुपए के आसपास होती है। ऐसे में हमारी 56 करोड़ 25 लाख की बसें फंसी हैं। ऐसा नहीं है कि केसी जैन की मौत के बाद हमने उन्हें छुड़वाने की कोशिश नहीं की। दिक्कत ये है कि जिनके पास गाड़ियां हैं, वे सभी जानते हैं कि मालिक की मौत हो चुकी है। ऐसे में वह बसें देने में आनाकानी करने लगे हैं। इसके लिए हमने कुछ मुकदमे भी किए, लेकिन आज के समय तक कोई भी बस हमें वापस नहीं मिल पाई है। रोड टैक्स और इंश्योरेंस की जिम्मेदारी गाड़ी चलवाने वाले की
सोहन जैन बताते हैं- हम ठेके पर गाड़ी चलाने को देते हैं। इसमें एक एग्रीमेंट होता है कि रोड टैक्स, जो गाड़ी चलवाएगा, वह जमा करेगा। साथ ही इंश्योरेंस भी वही करवाएगा। उन्नाव में जो हादसा हुआ, वह गाड़ी हमने दिल्ली पहाड़गंज के चंदन जायसवाल को चलाने को दी थी। चंदन की ‘नमस्ते बिहार’ के नाम से ट्रैवल एजेंसी है। हमारा उनसे एग्रीमेंट हुआ था। जब केसी जैन की माैत के बाद किराया आना बंद हो गया, तब से हम गाड़ी की किश्तें भी नहीं जमा कर पा रहे थे। इसके बाद हमने चंदन जायसवाल से संपर्क किया, लेकिन मौके पर गाड़ी नहीं मिली। ऐसे ही चला आ रहा था। हादसे के बाद बुधवार को चंदन ने एक बार फोन उठाया था। उसके बाद से उसका फोन बंद है। रोड टैक्स बचाने के लिए राजस्थान के मालिक ने यूपी से कराया रजिस्ट्रेशन
सोहन जैन से दूसरा सवाल किया- अगर मालिक राजस्थान के हैं तो गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन महोबा के पुष्पेंद्र के पते पर क्यों है? सोहन जैन बताते हैं- पुष्पेंद्र हमारी कंपनी में पहले काम करता था। जब गाड़ियां खरीदी गईं तो उसे बिहार, यूपी और दिल्ली रूट पर चलना था। इसीलिए रोड टैक्स बचाने के लिए केवल बिहार और यूपी में रजिस्ट्रेशन कराया गया। जब इस रूट पर चलना था, तो राजस्थान में रजिस्ट्रेशन क्यों करवाया जाता? इस समय पुष्पेंद्र के एड्रेस पर 35 बसें रजिस्टर्ड हैं। पुष्पेंद्र का काम था- जिन लोगों को बसें चलाने को दी गई थीं, उनसे किराया वसूलना, रोड टैक्स और इंश्योरेंस जमा करवाना। ऐसे ही अलग-अलग लोगों के नाम पर बसें रजिस्टर्ड हैं। इन सब कामों के लिए पुष्पेंद्र के साथ एग्रीमेंट भी था। टैक्स बचाने के लिए चल रहा है बस माफियाओं का सिंडिकेट
सोहन जैन की बातों से साफ था कि बस माफियाओं का सिंडिकेट चल रहा है। बड़ी ट्रैवल कंपनियां रोड टैक्स बचाने के लिए दूसरे राज्यों के लोकल लोगों का पता इस्तेमाल करती हैं। ऐसे ही एक पीड़ित व्यक्ति महोबा के सत्येंद्र अग्निहोत्री सामने आए। उन्होंने बताया- उसके अस्थाई पते को दिखाकर बहुत सी बसों का संचालन किया जा रहा है। वह साल 2020 में भी लिखित रूप से ARTO महोबा को इसकी शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुधवार को उन्नाव में हुए हादसे के बाद वह फिर आज RTO ऑफिस में शिकायत लेकर पहुंचे। ताकि उनके पते पर दर्ज बसें दुर्घटनाग्रस्त होकर उनके लिए नासूर न बन जाए। अब तक पुलिस की जांच में क्या निकला है?
उन्नाव पुलिस की जांच में पता चला कि गाड़ी चलवाने वाला चंदन जायसवाल फरार है। उसका मोबाइल नंबर बंद है। गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीमें भी गठित कर दी गई हैं। इसके आगे किसी भी सवाल के जवाब में पुलिस का कहना है कि सब कुछ जांच का विषय है। दो बस ड्राइवर के भरोसे थी 1006 किमी की यात्रा
RTO महोबा के मुताबिक, बस बिहार के मोतिहारी से मंगलवार सुबह 5 बजे चली थी। यानी हादसे से 24 घंटे पहले। बस में दो ड्राइवर और एक क्लीनर था। गोरखपुर में मंगलवार रात जब बस ढाबे पर रुकी, तो वहां से दूसरा ड्राइवर बस चलाने लगा। इससे पहले किस चालक ने कितनी-कितनी देर बस चलाई, स्पष्ट जानकारी नहीं है। वहीं, बस में सवार यात्री साहिल बताते हैं- मंगलवार दोपहर 1 बजे मैं बिहार के सीवान से बस से दिल्ली के लिए चला था। रात में 11 बजे के आस-पास गोरखपुर गोंडा के बीच गुरुनानक देव ढाबे पर बस रुकी। लोगों ने वहां खाना खाया। ड्राइवर ने भी खाना खाया। यहां से कुछ दूरी तय होने के बाद ड्राइवर ने एक और जगह बस रोकी। यहां कुछ यात्री निकलकर वॉशरूम गए। तब रात के करीब 12 बज रहे होंगे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर