लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट चर्चित DSP जियाउल हक हत्याकांड मामले में आज सजा सुनाएगी। 5 अक्टूबर को 10 लोगों को दोषी करार दिया गया था। दरअसल 11 साल पहले कुंडा में सर्किल अफसर (CO) जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था। कुंडा में हुई इस घटना के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया था। घटना 2 मार्च 2013 की है। दोषियों में फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी, और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं। सभी को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। मामले की जांच के दौरान रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव को क्लीन चिट मिल चुकी है। हालांकि इस मामले के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलके में काफी हलचल थी। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद आज सजा सुनाई जा रही है। सीबीआई ने शुरू की थी जांच, राजा भैया को देना पड़ा था इस्तीफा
अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दिया था। सीओ की पत्नी की ओर से दर्ज मुकदमे की एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दी थी। हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दिया था। सीबीआई ने राजा भैया की मांग पर नार्को टेस्ट भी कराया था। प्रधान के हत्यारोपी कामता पाल के घर हुई आगजनी
बलीपुर चौराहे पर विवादित जमीन पर बने मकान को लेकर प्रधान नन्हें सिंह की गांव के कामता पाल से रंजिश चल रही थी। हत्या से आक्रोशित प्रधान समर्थकों ने कामता के घर धावा बोला। किसी के न मिलने पर आग लगा दिया। वे गुड्डू सिंह के घर की ओर बढ़े तो हथिगवां पुलिस पहुंच गई। जिसके चलते लोग तितर बितर हो गए।
मां बोली- दोषियों को सजा के बाद मिलेगी कलेजे को ठंडक
सीओ जियाउल हक की मां हाजरा खातून और पिता समसुलहक का कहना है कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। तभी कलेजे को ठंडक मिलेगी। पिता शमसुल हक ने कहा सही फैसला हो जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिल जाए तो बेटे की आत्मा को शांति मिल जाएगी। अब जानिए पूरा मामला… 2012 में जियाउल हक को कुंडा में मिली थी तैनाती
DSP जियाउल हक देवरिया जिले के गांव नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले थे। उन्हें 2012 में प्रतापगढ़ के कुंडा का सीओ बनाया गया था। कुंडा में तैनाती के बाद से ही जियाउल हक पर कई तरह के दबाव आते रहते थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जियाउल हक के परिजनों ने बताया था कि कुंडा में तैनाती के बाद से ही राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था। प्रधान की हत्या पर हुआ था बवाल
कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च, 2013 की शाम साढ़े सात बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय हुई, जब नन्हे यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे। दो बाइक से आए बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था। गांव में पीछे के रास्ते से दाखिल हुई थी पुलिस
नन्हे सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई। कामता पाल से ही नन्हे का विवाद था। गांव में इस कदर बवाल था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हे सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। तभी सीओ जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े। जियाउल हक को ग्रामीणों ने घेर लिया
गांव वाले फायरिंग कर रहे थे। फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और SSI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। सीओ जियाउल हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई। पहले लाठी-डंडों से पीटा, फिर गोली मारी
सुरेश की मौत के बाद गांव वालों ने सीओ जियाउल हक को घेर लिया। लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। फिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। रात 11 बजे भारी पुलिस टीम बलीपुर गांव पहुंची और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटे बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई FIR में था राजा भैया का नाम
बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सबसे आखिर में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें 5 आरोपी थे- गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। इन सभी पर IPC की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120B और CLA एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था। CBI को सौंपी गई थी जांच
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने जियाउल हक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी। हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। यह भी पढ़ें:- DSP जियाउल हक हत्याकांड…बार-बार शक राजा भैया पर क्यों?:जेल में बंद आरोपी ने कहा था-राजा के शूटर ने मारा; बाकी पुलिसवालों को चोट भी नहीं लगी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया…30 साल से कुंडा के विधायक हैं। प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक वही बनता है, जिसे राजा चाहते हैं। जमीन का विवाद हो या फिर पारिवारिक झगड़ा, लोग थाने जाने के बजाय राजा के दरबार में जाते हैं। राजा ने जो फैसला सुना दिया, वही मान्य हो जाता है। यहां राजा भैया से जुड़ी अपराध की कहानियां भी खूब चलती हैं, लेकिन इसे बताने से पहले ‘कहा जाता है कि’ लाइन का प्रयोग होता है। पढ़ें पूरी खबर… लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट चर्चित DSP जियाउल हक हत्याकांड मामले में आज सजा सुनाएगी। 5 अक्टूबर को 10 लोगों को दोषी करार दिया गया था। दरअसल 11 साल पहले कुंडा में सर्किल अफसर (CO) जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था। कुंडा में हुई इस घटना के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया था। घटना 2 मार्च 2013 की है। दोषियों में फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी, और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं। सभी को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा। मामले की जांच के दौरान रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव को क्लीन चिट मिल चुकी है। हालांकि इस मामले के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलके में काफी हलचल थी। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद आज सजा सुनाई जा रही है। सीबीआई ने शुरू की थी जांच, राजा भैया को देना पड़ा था इस्तीफा
अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दिया था। सीओ की पत्नी की ओर से दर्ज मुकदमे की एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दी थी। हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दिया था। सीबीआई ने राजा भैया की मांग पर नार्को टेस्ट भी कराया था। प्रधान के हत्यारोपी कामता पाल के घर हुई आगजनी
बलीपुर चौराहे पर विवादित जमीन पर बने मकान को लेकर प्रधान नन्हें सिंह की गांव के कामता पाल से रंजिश चल रही थी। हत्या से आक्रोशित प्रधान समर्थकों ने कामता के घर धावा बोला। किसी के न मिलने पर आग लगा दिया। वे गुड्डू सिंह के घर की ओर बढ़े तो हथिगवां पुलिस पहुंच गई। जिसके चलते लोग तितर बितर हो गए।
मां बोली- दोषियों को सजा के बाद मिलेगी कलेजे को ठंडक
सीओ जियाउल हक की मां हाजरा खातून और पिता समसुलहक का कहना है कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। तभी कलेजे को ठंडक मिलेगी। पिता शमसुल हक ने कहा सही फैसला हो जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिल जाए तो बेटे की आत्मा को शांति मिल जाएगी। अब जानिए पूरा मामला… 2012 में जियाउल हक को कुंडा में मिली थी तैनाती
DSP जियाउल हक देवरिया जिले के गांव नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले थे। उन्हें 2012 में प्रतापगढ़ के कुंडा का सीओ बनाया गया था। कुंडा में तैनाती के बाद से ही जियाउल हक पर कई तरह के दबाव आते रहते थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जियाउल हक के परिजनों ने बताया था कि कुंडा में तैनाती के बाद से ही राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था। प्रधान की हत्या पर हुआ था बवाल
कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च, 2013 की शाम साढ़े सात बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय हुई, जब नन्हे यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे। दो बाइक से आए बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था। गांव में पीछे के रास्ते से दाखिल हुई थी पुलिस
नन्हे सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई। कामता पाल से ही नन्हे का विवाद था। गांव में इस कदर बवाल था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हे सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। तभी सीओ जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े। जियाउल हक को ग्रामीणों ने घेर लिया
गांव वाले फायरिंग कर रहे थे। फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और SSI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। सीओ जियाउल हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई। पहले लाठी-डंडों से पीटा, फिर गोली मारी
सुरेश की मौत के बाद गांव वालों ने सीओ जियाउल हक को घेर लिया। लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। फिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। रात 11 बजे भारी पुलिस टीम बलीपुर गांव पहुंची और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटे बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई FIR में था राजा भैया का नाम
बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सबसे आखिर में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें 5 आरोपी थे- गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। इन सभी पर IPC की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120B और CLA एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था। CBI को सौंपी गई थी जांच
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने जियाउल हक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी। हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। यह भी पढ़ें:- DSP जियाउल हक हत्याकांड…बार-बार शक राजा भैया पर क्यों?:जेल में बंद आरोपी ने कहा था-राजा के शूटर ने मारा; बाकी पुलिसवालों को चोट भी नहीं लगी रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया…30 साल से कुंडा के विधायक हैं। प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख तक वही बनता है, जिसे राजा चाहते हैं। जमीन का विवाद हो या फिर पारिवारिक झगड़ा, लोग थाने जाने के बजाय राजा के दरबार में जाते हैं। राजा ने जो फैसला सुना दिया, वही मान्य हो जाता है। यहां राजा भैया से जुड़ी अपराध की कहानियां भी खूब चलती हैं, लेकिन इसे बताने से पहले ‘कहा जाता है कि’ लाइन का प्रयोग होता है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर