सिंह साहिबान की बैठक 30 को:सुखबीर के खिलाफ बढ़ा विरोध, पद से हटाने को 22 दिन में 5 बार अकालतख्त साहिब पहुंचे पंथक… अमृतसर | शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौर में डेरा सिरसा मुखी को माफी, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी समेत अन्य पंथक मुद्दों को लेकर पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल के खिलाफ जारी विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। उसी कड़ी में मंगलवार को डिब्रूगढ़ जेल में बंद खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह और चाचा सुखचैन सिंह ने अपनी पूरी टीम के साथ श्री अकाल तख्त के जत्थेदार से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने सुखबीर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पार्टी पद से हटाने और सियासी तथा धार्मिक तौर पर ताउम्र और परिवार को 10 साल के लिए प्रतिबंधित करने की मांग की है। इस दौरान सांसद परिवार ने बंदी सिखों की रिहाई करने के िलए केंद्र सरकार तथा सूबा सरकार को भी गंभीर होने को कहा और चेतावनी दी कि ऐसा न हुआ तो पैदा होने वाली स्थिति के लिए सरकारें जिम्मेदार होंगी। ज्ञापन सुखबीर बादल और बागी अकालियों की शिकायतों और स्पष्टीकरण को लेकर 30 अगस्त को सिंह साहिबान की होने वाली निर्णायक बैठक से 4 दिन पहले सौंपा गया है। तरसेम सिंह ने कहा कि बादल परिवार शुरू से ही गुमराह कर पंथ विरोधी सियासत करता रहा है। स्वांग मामले में डेरा मुखी को सजा हुई तो दबाव में माफी दिलवा दी गई। बेअदबियों में इंसाफ नहीं किया गया और इंसाफ मांगने वालों को गोलियां मारी गईं। उन्होंने माफी वाले मामले में तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह का हवाला देते हुए कहा कि सिंह साहिबान कोई ऐसा फैसला न लें जिसका कि संगत विरोध करे। सांसद टीम का कहना है कि बादल परिवार गलतियां कर-कर उन पर पर्दा डालता रहा, जो कि बज्र गुनाह है इसलिए सुखबीर को पार्टी पद से हटा कर सियासी और धार्मिक किसी भी पद के लिए ताउम्र और परिवार को 10 साल तक प्रतिबंधित किया जाए। एसजीपीसी के खर्चे गए 90 लाख रुपए को सूद समेत वसूला जाए। तरसेम सिंह ने अमृतपाल सिंह समेत अन्य बंदी सिखों की रिहाई के लिए केंद्र और सूबा सरकार को चेतावनी दी है कि उनको जल्द से जल्द रिहा किया जाए । इसी तरह से अभिनेत्री और मंडी की भाजपा सांसद कंगना रणौत की बयानबाजी और उनकी फिल्म इमरजेंसी को लेकर तरसेम सिंह ने कहा कि वह साजिश के तहत पंजाबियों, सिखों और किसानों को निशाना बना रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि उसे चुप करवाए और उसके खिलाफ कार्रवाई करे। सिंह साहिबान ने 5 अगस्त को सुखबीर का स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया और इस मुद्दे पर 30 अगस्त की तिथि मुकर्रर कर दी। इसके बाद से विरोध और तेज हो गया। बागी और दूसरे पंथक दल सुखबीर पर कार्रवाई करते हुए उनको पदमुक्त करने के लिए एक-एक करके आने लगे। 7 अगस्त को बागी अकाली और अकाली सुधार लहर के कन्वीनर गुरप्रताप सिंह वडाला, सुरजीत सिंह रखड़ा आदि श्री अकाल तख्त पहुंचे और पंथ की राय मांगी। 14 अगस्त को बागियों में शुमार अकाली सुधार लहर के नेता और एसजीपीसी मेंबर भाई मनजीत सिंह इसी सिलसिले में जत्थेदार से मिले। 16 को पंच प्रधानी के प्रधान और किसान तथा पंथक नेता बलदेव सिंह सिरसा ने भी अकाल तख्त पहुंच कर भी कार्रवाई की मांग उठाई। 24 को बाबा नागर सिंह और नौरंग सिंह की अगुवाई में कई नेता गुरमता देने पहुंचे और आज अर्थात 27 अगस्त को अमृतपाल के पिता और समर्थकों ने भी 30 की बैठक में पंथोचित फैसला सुनाने की मांग की। जब प्रकाश सिंह बादल का निधन हुआ तो एक बड़ा समूह सुखबीर के खिलाफ खड़ा हो गया। हालांकि उसमें शामिल लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इससे विरोध पंथक हलके में भी पहुंच गया। पहली जुलाई को बागियों का दल जिसमें बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा, सुच्चा सिंह छोटेपुर, गुरप्रताप सिंह वडाला समेत तमाम बागी और टकसाली अकाली जत्थेदार के पास पहुंचे थे और सुखबीर के खिलाफ लिखित शिकायत देते हुए सत्ता का हिस्सा रहने के कारण खुद को भी दोषी मान क्षमा याचना की थी और सुखबीर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आगे 15 जुलाई को सिंह साहिबान की बैठक में सुखबीर को 15 दिन के भीतर पेश होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया गया था। सुखबीर 24 जुलाई को पेश हुए और अपना स्पष्टीकरण बंद लिफाफे में जत्थेदार को सौंपा था। शिवराज द्रुपद | अमृतसर डेरा सिरसा मुखी को माफी, बेअदबी समेत अन्य पंथक मुद्दों को लेकर शिरोमणि अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल और बागी अकालियों के बीच जारी द्वंद्व को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब पर 30 अगस्त को होने वाली पंज सिंह साहिबान की बैठक का समय जैसे-जैसे निकट आता जा रहा है वैसे-वैसे विरोधी पंथक दल सुखबीर की घेराबंदी और कसते जा रहे हैं। इसी कड़ी के तहत सांसद अमृतपाल सिंह के पिता और अन्य समर्थकों ने सुखबीर पर कार्रवाई करने को जत्थेदार को ज्ञापन सौंपा। ऐसी ही मांगों को लेकर पहले भी कई पंथक दलों ने तख्त श्री पर गुहार लगाई है और उचित फैसला करने की मांग की है। वैसे तो सुखबीर को पार्टी पद से हटाने का लंबे समय से विरोध जारी है। लेकिन 3 चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार और सूबे में कई जगहों पर होने वाली बेअदबियों में इंसाफ न मिलने से विरोध बढ़ता ही गया।