<p style=”text-align: justify;”>गुजरात में आणंद के पास अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस हाईवे पर एक ट्रक और एक लग्जरी बस के बीच टक्कर हो गई. इस हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. महाराष्ट्र से राजस्थान जा रही बस पीछे से टक्कर लगने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिससे उसमें सवार लोग नीचे फंस गए. आनंद फायर ब्रिगेड और स्थानीय पुलिस सहित आपातकालीन सेवाओं ने तुरंत कार्रवाई की.</p> <p style=”text-align: justify;”>गुजरात में आणंद के पास अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेस हाईवे पर एक ट्रक और एक लग्जरी बस के बीच टक्कर हो गई. इस हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. महाराष्ट्र से राजस्थान जा रही बस पीछे से टक्कर लगने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिससे उसमें सवार लोग नीचे फंस गए. आनंद फायर ब्रिगेड और स्थानीय पुलिस सहित आपातकालीन सेवाओं ने तुरंत कार्रवाई की.</p> गुजरात झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान का इंडिया गठबंधन पर बड़ा बयान, ‘BJP इनकी…’
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पंजाब में निहंगों ने शिवसेना नेता को तलवारों से काटा:गनमैन की रिवॉल्वर छीनी, हिंदू नेताओं ने सड़क जाम की, माहौल तनावपूर्ण पंजाब के लुधियाना में शुक्रवार दोपहर को शिवसेना टकसाली नेता एवं सुखदेव थापर के वंशज संदीप थापर पर सिविल अस्पताल के बाहर 3 निहंगों ने हमला कर दिया। निहंगों ने बीच सड़क उन पर तलवारों से वार किए। हमले के वक्त गनमैन संदीप के साथ मौजूद था। उसके पास रिवॉल्वर थी, लेकिन निहंगों ने उसे छीन लिया। हमला करने के बाद निहंग संदीप की ही स्कूटी लेकर फरार हो गए। इसके बाद संदीप को सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें सीएमसी में भर्ती कराया गया।
वहीं इस घटना के बाद हिंदू नेता भड़क गए और सड़क जाम कर दी। इसे देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया है। माहौल तनावपूर्ण है। उधर, डीसीपी जसकरन सिंह तेजा संदीप थापर से मिलने अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि आरोपियों पर 307 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। शहर में नाकाबंदी करवा दी है। जल्द आरोपी काबू कर लिए जाएंगे। पहले गाली-गलौज, फिर हमला किया
संदीप थापर ने बताया कि वह एक धार्मिक समागम में शामिल होकर अपने गनमैन के साथ घर लोट रहे थे। सिविल अस्पताल के पास 3 निहंग उनके पास आए और गाली-गलौज करने लगे। इसके बाद तलवार से उन पर हमला कर दिया। आरोपियों ने उनके गनमैन की रिवॉल्वर भी छीन ली। पहले से मिल रही थी धमकियां
संदीप थापर ने बताया कि उन्हें पहले भी कई बार अज्ञात लोगों से फोन पर जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। उन्होंने कई बार पुलिस को बताया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और आज उन पर हमला हुआ। जिसमें वह बाल-बाल बच गए, लेकिन उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस हमले के लिए लुधियाना के सीपी कुलदीप चहल जिम्मेदार हैं। जिनसे वह तीन महीने से लगातार सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। हिंदू नेताओं ने सड़क जाम कर दिया धरना
घटना के बाद हिंदू नेताओं ने सड़क जाम कर दिया धरना दिया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। मौके पर पहुंचे शिवसेना नेता भानु प्रताप और अमित कौंडल ने कहा कि संदीप थापर को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं और पुलिस सब कुछ जानते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। यहां तक कि सीपी साहब ने भी उनकी शिकायत को नजरअंदाज किया, जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। लुधियाना में गुंडागर्दी फैल चुकी है और पुलिस इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है। अस्पताल में भी लगे सीपी मुर्दाबाद के नारे
सिविल अस्पताल के अंदर हिंदू नेताओं ने सीपी लुधियाना कुलदीप चहल के खिलाफ नारेबाजी की और सीपी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। उन्होंने सरकार से सीपी को हटाने की मांग की। मामले की जांच कर रहे एसीपी अक्षय जैन ने कहा कि थाना डिवीजन नंबर-2 की पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। सीपी बोले- आरोप लगाना पूरी तरह से गलत
सीपी कुलदीप चहल ने कहा कि उन पर या किसी पर भी इस तरह के आरोप लगाना पूरी तरह से गलत हैं। हमने पहले ही उन्हें गनमैन मुहैया करा दिया है। हम लुधियाना में किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने देंगे।
मायावती फिर बसपा की अध्यक्ष चुनी गईं:21 साल से पद पर काबिज; आकाश अभी कोऑर्डिनेटर ही बने रहेंगे
मायावती फिर बसपा की अध्यक्ष चुनी गईं:21 साल से पद पर काबिज; आकाश अभी कोऑर्डिनेटर ही बने रहेंगे मायावती को एक बार फिर से बसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। लखनऊ में मंगलवार को पार्टी कार्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सतीश मिश्र ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद सर्वसम्मति से मायावती बसपा प्रमुख चुनी गईं। मायावती 21 साल (18 सितंबर, 2003) से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हर 5 साल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। यानी 2029 तक मायावती राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगी। मायावती ने सोमवार को कहा था कि सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का सवाल ही नहीं उठता है। मैं आखिरी सांस तक बहुजन मिशन के लिए काम करती रहूंगी। मायावती ने भतीजे आनंद का कद बढ़ाया
मायावती के भतीजे आकाश आनंद अभी नेशनल कोऑर्डिनेटर बने रहेंगे। हालांकि, उनका कद और बढ़ाया गया है। नेशनल कोऑर्डिनेटर के साथ उन्हें 4 चुनावी राज्यों (हरियाणा, जम्मू-कश्मीर,झारखंड, महाराष्ट्र) का प्रभारी भी बनाया गया है। उपचुनाव में बसपा चलाएगी व्यापक जनसंपर्क अभियान
बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी पदाधिकारी को जिम्मेदारियां सौंप गईं। 10 सीटों पर व्यापक तरीके से जन संपर्क अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया- कुछ सालों से जरूर हमारे वोटिंग परसेंटेज में कमी आई है, लेकिन ऐसा नहीं है कि बसपा के वोटर पूरी तरह से हमसे अलग हो गए हैं। अब बहन जी एक बार फिर से पूरी तरह से सक्रिय होती नजर आ रही हैं। इससे पूरे बहुजन समाज में एक उम्मीद है कि वो उनकी आवाज को एक बार फिर से उठाएंगी। मायावती के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- मायावती के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का सबसे बड़ा कारण है- उनका अपने समुदाय के प्रति संवेदनशीलता का होना। इसके अलावा यूपी में 20% फीसदी वोट बैंक दलित वोटर्स का है, ऐसे में उनकी आवाज को समय-समय पर मायावती उठाती रहती हैं। मायावती इस वक्त आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ-साथ कांग्रेस और सपा पर हमलावर हैं। यही वजह है कि उन्होंने भारत बंद का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिया। मायावती इसके जरिए बिखर चुके दलित वोट बैंक को दोबारा से एकजुट कर सकती हैं। बसपा में मायावती और आकाश के अलावा कोई चेहरा भी नहीं है। आकाश को अभी इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दे सकती थीं। चलिए अब आपको मायावती की कहानी बताते हैं… 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में रहने वाले डाक-तार विभाग के क्लर्क प्रभुदास के घर एक बच्ची की किलकारी गूंजी। नाम रखा मायावती। मायावती अपने घर की तीसरी बेटी थीं। उनका कोई भाई नहीं था। घर में लगातार तीसरी बार लड़की के जन्म से पिता प्रभुदास दुखी हो गए। उन्हें अपना वंश आगे बढ़ाने के लिए एक बेटा चाहिए था। मायावती के जन्म के बाद प्रभुदास के रिश्तेदारों ने उन्हें उनकी पत्नी राम रती के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि राम रती ने लगातार तीन बेटियां पैदा की हैं। अगर उन्हें लड़का चाहिए तो दूसरी शादी कर लें। प्रभुदास ने कुछ वक्त सोचा वो भी दूसरी शादी के लिया तैयार हो गए। मायावती के दादा मंगलसेन को जब यह बात बता चली तो वह नाराज हो गए और उन्होंने प्रभुदास को दूसरी शादी करने से रोक दिया। 10 साल की उम्र में मायावती ने छोटे भाई की जान बचाई
मायावती 5वीं क्लास में थीं। उनकी मां प्रेग्नेंट थीं। एक दिन अचानक उनको पेट में दर्द हुआ। पास के अस्पताल में एडमिट कराया गया। उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन जन्म के दो दिन बाद ही उस बच्चे को निमोनिया हो गया। उस वक्त मायावती के पिता घर के किसी काम से गाजियाबाद गए थे। बच्चे के इलाज के लिए उसे 6 किलोमीटर दूर राजेंद्र नगर की सरकारी डिस्पेंसरी में ले जाना था। पिता घर में नहीं थे और मां बिस्तर से उठने की हालत में नहीं थीं। मायावती उस वक्त सिर्फ 10 साल की थीं। उन्हें कुछ भी समझ नहीं आया। वो उठीं। पिता का डिस्पेंसरी कार्ड उठाया। एक बोतल में पानी भरा और बच्चे को उठाकर चल पड़ीं। रास्ते में जब वो बच्चा रोता तो मायावती उसके मुंह में पानी की कुछ बूंदें डाल देती थीं। रास्ता लंबा था। जब भी वो थक जातीं बच्चे को कभी दाएं कंधे की तरफ तो कभी बाएं कंधे की तरफ कर लेतीं। पसीने से तरबतर आखिर में वह अस्पताल पहुंच गईं। डॉक्टरों ने देखा तो हैरान रह गए। बच्चे का इलाज शुरू हुआ। इंजेक्शन लगे और तीन घंटे बाद उसकी हालत में सुधार आ गया। मायावती ने इसके बाद बच्चे को फिर से गोद में उठाया और पैदल ही घर के लिए निकल लीं। जब घर पहुंची तो रात के साढ़े नौ बजे थे। स्कूल में पढ़ाती थीं मायावती; IAS बनने का सपना था
किताब ‘बहनजी’ में अजय बोस लिखते हैं कि मायावती के बाद प्रभुदास को लगातार 6 बेटे हुए। वह इस बात से फूले नहीं समाते थे कि वह 6 बेटों के पिता हैं। बेटों के आने से अपनी बेटियों के प्रति उनका व्यवहार भी बदल गया। सभी भाई-बहनों में मायावती पढ़ने में सबसे अच्छी थीं, लेकिन फिर भी उनके पिता में लड़की होने की वजह से उनका और बहनों का एडमिशन सस्ते सरकारी स्कूल में करवाया। जबकि बेटों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया गया। इस भेदभाव से आहत मायावती ने ठान ली कि वो बहुत मेहनत करेंगी और बड़े होकर IAS बनेंगी। 1975 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस और इकॉनॉमिक्स से BA किया। उसके बाद BEd करके वो स्कूल में टीचर के तौर पर काम करने लगीं। दिन में पहले पढ़ातीं फिर घर जाकर UPSC की तैयारी करतीं। इसके साथ ही उन्होंने LLB की डिग्री भी हासिल की। कांशीराम ने कहा- मैं तुम्हारे सामने IAS की लाइन लगा दूंगा UPSC की तैयारी के वक्त ही दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में एक सम्मेलन हो रहा था। मायावती भी वहां मौजूद थीं। उस वक्त के स्वास्थ्य मंत्री राज नारायण भी थे। उनका भाषण शुरू हुआ। उन्होंने जैसे ही दलितों को हरिजन कहकर संबोधित किया मायावती नाराज हो गईं। वो स्टेज पर चढ़ीं और उन्होंने इस चीज का विरोध किया। वहां मौजूद लोगों ने मायावती के इस फायरब्रांड अवतार की खूब सराहना की। सम्मेलन खत्म हुआ। हर जगह इस घटना की चर्चा होने लगी। कांशीराम को जब यह बात पता चली तो अगले ही दिन वो मायावती से मिलने उनके घर पहुंच गए। मायावती उस समय लालटेन की रोशनी में पढाई कर रहीं थीं। कांशीराम ने उनसे पूछा तुम क्या बनना चाहती हो? मायावती बोलीं, “मैं IAS अफसर बनना चाहती हूं ताकि अपने समाज के लिए कुछ कर सकूं।” मायावती का यह जवाब सुनकर कांशीराम बोले, “मैं तुम्हें उस मुकाम पर ले जाऊंगा जहां दर्जनों IAS अफसर तुम्हारे सामने लाइन लगाकर खड़े होंगे। सही मायने में तुम तब अपने समाज की सेवा कर पाओगी। अब तुम तय कर लो, तुम्हें क्या करना है?” मायावती ने कांशीराम की इस बात पर सोच-विचार किया। आखिरकार वो उनके आंदोलन से जुड़ने को तैयार हो गईं। पहले तीन चुनावों में हार से शुरू हुआ मायावती का राजनीतिक सफर
साल 1984 में जब बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा की स्थापना हुई, तब मायावती उसकी कोर टीम का हिस्सा थीं। उन्होंने साल 1984 में पहली बार कैराना लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। उसके बाद 1985 में बिजनौर और 1987 में हरिद्वार से भी हार गईं। फिर, 1989 के उपचुनाव में मायावती बिजनौर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंच गईं। साल 1991 आया। देश में एक बार फिर लोकसभा चुनाव हुए। बसपा दो ही सीटें जीत सकी। मायावती बिजनौर और हरिद्वार दोनों जगह से चुनाव हार गईं। UP की पहली दलित महिला CM बनीं मायावती
साल 1995 में राज्यपाल ने मुलायम सिंह यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया और मायावती भाजपा के समर्थन के साथ UP की CM बन गईं। CM की कुर्सी तक पहुंचने वाली वो देश की पहली दलित महिला थीं। उस वक्त के PM पी.वी.नरसिम्हा राव ने इसे ‘लोकतंत्र का चमत्कार’ कहा था। इसके बाद धीरे-धीरे मायावती सियासत की मंझी हुई खिलाडी बन गईं। संघर्ष हुआ, सियासी गुणा-भाग हुआ, लेकिन मायावती का सटीक निशाना लगता रहा। इसके बाद साल 1997, 2002 और 2007 में भी मायावती ने CM के तौर पर UP की कमान संभाली। इसी बीच साल 2003 में उन्हें BSP का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। तब से लेकर आज तक वो BSP की सबसे बड़ी नेता और UP की सियासत के बड़े चेहरे के रूप में जानी जाती हैं। यह खबर भी पढ़ें…
मायावती बोलीं- राजनीति से रिटायरमेंट नहीं लूंगी:आखिरी सांस तक डटी रहूंगी, राष्ट्रपति नहीं बनूंगी बसपा प्रमुख मायावती ने राजनीति से रिटायरमेंट की खबरों का खंडन किया है। सोमवार को सोशल मीडिया X पर उन्होंने लिखा- सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का सवाल ही नहीं उठता है। मैं आखिरी सांस तक बहुजन मिशन के लिए काम करती रहूंगी। पढ़ें पूरी खबर
यूपी उपचुनाव में CM योगी और अखिलेश की सीधी लड़ाई? पढ़ें हर सीट का जातीय समीकरण
यूपी उपचुनाव में CM योगी और अखिलेश की सीधी लड़ाई? पढ़ें हर सीट का जातीय समीकरण <p style=”text-align: justify;”><strong>UP Bypoll Election 2024:</strong> उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. यूपी में होने वाले उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इन उपचुनाव के नतीजों से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन सारा खेल राजनीतिक धारणा का है. 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीटें बेहद कम हो गई थीं, जिसकी वजह से बीजेपी अकेले बहुमत का आंकड़ा छूने में नाकाम रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2024 के चुनाव नतीजों के बाद यूपी में यह पहला चुनाव हो रहा है, जिसे यूपी में सत्ताधारी दल बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. दोनों ही दल उपचुनाव में ज़्यादा से ज़्यादा सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. बीजेपी की तरफ से कमान खुद <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने संभाली है तो सपा की ओर अखिलेश चुनावी कैंपेन में जुटे हैं. दोनों ही नेता यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि उपचुनाव के नतीजे उनके सियासी भविष्य को तय करने वाले होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी में जिन 9 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से 5 सीटों पर बीजेपी और उनके सहयोगी दलों ने 2022 के आम विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. जबकि 4 विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. हालांकि मीरापुर सीट रालोद ने सपा के साथ गठबंधन में जीती थी, लेकिन अब रालोद ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किस सीट पर था किसका कब्जा?</strong><br />साल 2022 में एनडीए ने जिन प्रदेश की मझवां, फूलपुर, खैर, गाजियाबाद और मीरापुर विधानसभा सीट पर जीत का परचम लहराया था. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने कटेहरी, सीसामऊ, करहल और कुंदरकी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी. इन सभी 9 सीटों पर इस बार भी बीजेपी और सपा आमने-सामने हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सभी 9 सीटों के जातीय और राजनीतिक समीकरण</strong><br /><strong>कटेहरी विधानसभा</strong><br />अयोध्या से सटे ज़िले अंबेडकरनगर की एक विधानसभा सीट है. लंबे समय से बीजेपी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा इस सीट से विधायक बने लेकिन 2024 में अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद बन जाने के बाद लालजी वर्मा ने कटेहरी सीट से इस्तीफ़ा दे दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस वजह से यहां पर उपचुनाव हो रहा है. इस उपचुनाव में बीजेपी ने धर्मराज निषाद और सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है. बीएसपी ने अमित वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कटेहरी में 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को 93 हजार 524 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी को 85,828 वोट मिले थे और बीएसपी को 58 हजार 482 वोट प्राप्त हुए थे. सपा ने 8 हजार 266 वोटों से कटेहरी सीट जीती थी. इस बार उपचुनाव में बीएसपी के वोट बैंक पर दोनों ही दलों की नज़र है, जिसे बीएसपी का वोट ट्रांसफर होगा, वही कटेहरी में जीत दर्ज करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कटेहरी में जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. SC- 87,000<br />2. मुस्लिम- 50,000<br />3. ब्राह्मण- 45,000<br />4. यादव- 29,000<br />5. कुर्मी- 42,000<br />6. निषाद- 21,000<br />7. ठाकुर- 18,000<br />8. प्रजापति- 11,000<br />9. राजभर- 18,000<br />10. पाल- 5,500<br />11. नाई- 5,000<br />12. विश्वकर्मा- 5,000<br />13. मौर्य- 6,500<br />14. बनिया- 13,000</p>
<p style=”text-align: justify;”><br /><strong>मझवां विधानसभा </strong><br />मिर्जापुर जिले की एक विधानसभा सीट है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी की तरफ से डॉ विनोद बिंद चुनाव जीते. 2024 के लोकसभा चुनाव में डॉ विनोद बिंद बीजेपी के टिकट पर भदोही से लोकसभा सांसद बन गए और मझवां विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2022 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी को 1 लाख 3 हजार 235 वोट मिले और सपा को 69 हजार 648 वोट जबकि बीएसपी को 52 हजार 990 वोट मिले थे. बीजेपी गठबंधन ने इस सीट पर 33 हजार 587 वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार उपचुनाव में सीधा मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच है, लेकिन बीएसपी इस सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ती दिखाई दे रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी ने सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है जबकि सपा ने पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है. सपा और बीजेपी दोनों ने ही ओबीसी उम्मीदवारों पर दांव लगाया है, जबकि बीएसपी ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दीपक तिवारी को टिकट दिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी गठबंधन से अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने बहुत ही करीबी मुकाबले में जीत हासिल की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मझवां का जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. बिंद- 70,000<br />2. ब्राह्मण- 65,000<br />3. कुशवाहा या मौर्य- 35,000<br />4. कुर्मी- 25,000<br />5. मुस्लिम- 22,000<br />6. पाल- 22,000<br />7. यादव- 30,000<br />8. SC- 65,000<br />9. भूमिहार- 22,000<br />10. ठाकुर- 10,000</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फूलपुर विधानसभा </strong><br />प्रयागराज जिले और फूलपुर लोकसभा की एक विधानसभा सीट है. फूलपुर एक जमाने में पंडित नेहरू की राजनीतिक कर्मभूमि रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने चुनाव जीता था. बीजेपी की तरफ से प्रवीण पटेल विधायक बने थे लेकिन 2024 के <a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> में प्रवीण पटेल सांसद बन गए और फूलपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां पर बीजेपी को 1 लाख 3 हजार 557 वोट मिले थे और समाजवादी पार्टी को 1 लाख 825 वोट प्राप्त हुए थे. बीजेपी ने 2 हजार 732 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव जीता था. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 33 हजार 36 वोट मिले थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बार उपचुनाव में बीजेपी ने पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल को टिकट दिया है और सपा ने मुज्तबा सिद्दीकी को चुनावी मैदान में उतारा है. मुज्तबा 2022 का विधानसभा चुनाव भी इसी सीट से लड़ चुके हैं. बीएसपी ने इस बार जितेन्द्र कुमार सिंह को टिकट दिया है. इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच बहुत ही कांटे की टक्कर बताई जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फूलपुर जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. पटेल- 60,000<br />2. यादव- 70,000<br />3. मुस्लिम- 50,000<br />4. ब्राह्मण- 50,000<br />5. पासी- 35,000<br />6. निषाद- 22,000<br />7. वैश्य- 16,000<br />8. ठाकुर- 15,000<br />9. एससी- 75,000</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीसामऊ विधानसभा</strong><br />कानपुर जिले की एक विधानसभा सीट है. कई बार से लगातार समाजवादी पार्टी जीत हासिल कर रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के इरफान सोलंकी विधायक बने थे लेकिन कोर्ट से एक मामले में सजा होने के बाद इरफान सोलंकी को इस्तीफा देना पड़ा. इसी वजह से यहां पर विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2022 के विधानसभाव चुनाव में सपा को 79,163 वोट मिले थे जबकि बीजेपी को 66,897 वोट हासिल हुए थे. सपा ने इस सीट पर 12,266 वोटों से जीत दर्ज की थी. 2022 के चुनाव में बीएसपी को मात्र 2,937 और कांग्रेस को 5,616 वोट मिले थे. इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही है. इस बार बीजेपी ने सीसामऊ सीट से सुरेश अवस्थी को टिकट दिया है तो सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को चुनावी मैदान में उतारा है. बीएसपी ने वीरेन्द्र कुमार शुक्ला को टिकट दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीसामऊ में जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. मुस्लिम- 1,11,000<br />2. ब्राह्मण- 70,000<br />3. SC- 60,000<br />4. कायस्थ- 26,000<br />5. सिंधी और पंजाबी- 6,000<br />6. ठाकुर- 6,000<br />7. अति पिछड़ा- 13,000<br />8. यादव- 4,000</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कुंदरकी विधानसभा </strong><br />मुरादाबाद जिले और संभल लोकसभा सीट की एक विधानसभा सीट है. यह एक मुस्लिम बाहुल्य सीट है.2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के जियाउर्रहमान बर्क ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 में संभल लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद जियाउर्रहमान बर्क ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस वजह से कुंदरकी में विधानसभा उपचुनाव प्रस्तावित है. 2022 विधानसभा चुनाव में सपा को 1 लाख 25 हजार 792 वोट मिले और बीजेपी ने 82 हजार 630 वोट हासिल किया था. सपा ने इस सीट पर 43 हजार 162 वोटों से जीत दर्ज की थी. 2022 के चुनाव में बीएसपी को 42 हजार 742 वोट मिले थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस चुनाव में भी मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच ही है. इस उपचुनाव में बीजेपी ने रामवीर सिंह को टिकट दिया है तो सपा ने हाजी रिजवान को चुनावी मैदान में उतारा है. बीएसपी ने रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा को टिकट दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कुंदरकी का जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. मुस्लिम- 2,20,000<br />2. SC- 30,000<br />3. यादव- 10,000<br />4. ठाकुर- 20,000<br />5. सैनी- 25,000<br />6. लोधी- 15,000<br />7. ब्राह्मण- 5,000<br />8. जाट- 4,000<br />9. अति पिछड़ा- 40,000</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गाजियाबाद शहर विधानसभा</strong><br />गाजियाबाद जिले की एक विधानसभा सीट है. यह एक शहरी सीट है और बीजेपी का गढ़ माना जाता है. बीजेपी का अभेद्य किला है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लंबे अंतर से इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी. बीजेपी के अतुल गर्ग विधायक बने थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>2024 में अतुल गर्ग गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए, जिसकी वजह से गाजियाबाद में विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है. 2022 के चुनाव में बीजेपी को 1 लाख 50 हजार 205 वोट मिले थे और सपा ने मात्र 44 हजार 668 वोट हासिल हुए थे. बीएसपी को 32 हजार 691 वोट मिले थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी ने बहुत बड़े अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी ने संजीव शर्मा को टिकट दिया है, तो सपा ने राज जाटव पर भरोसा जताया है. सपा ने सामान्य सीट पर एससी समाज के नेता को चुनावी मैदान में उतारा है. बीएसपी ने परमानंद गर्ग को टिकट दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गाजियाबाद का जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>1. बनिया- 80,000<br />2. SC- 85,000<br />3. मुस्लिम- 60,000<br />4. पंजाबी- 30,000<br />5. ठाकुर- 8,000<br />6. त्यागी- 15,000<br />7. जाट- 18,000<br />8. यादव- 10,000<br />9. अति पिछड़ा- 50,000<br />10. प्रवासी वोट- 60,000 (अलग अलग राज्यों के लोग बड़ी संख्या में मतदाता है)</p>
<p><strong>खैर विधानसभा </strong><br />अलीगढ़ जिले की एक विधानसभा सीट है. 2022 में बीजेपी ने इस सीट पर बहुत बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. बीजेपी विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि जब 2024 में हाथरस लोकसभा सीट से सांसद बने तो यह खैर विधानसभा सीट रिक्त हो गई.</p>
<p>साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 1 लाख 39 हजार 643 वोट मिले और सपा को 41 हजार 644 वोट ही मिल पाए थे. जबकि बीएसपी को 65 हजार 302 वोट प्राप्त हुए थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी खैर विधानसभा सीट पर लगभग 14 सौ वोटों से पीछे हो गई थी. </p>
<p>खैर उपचुनाव में बीजेपी ने पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के बेटे सुरेन्द्र दिलेर को टिकट दिया है और सपा ने चारू कैंन को टिकट दिया है. बीएसपी ने यहां पर डॉ पहल सिंह को टिकट दिया है. खैर सीट एससी वर्ग के लिए सुरक्षित सीट है, इसीलिए सभी दलों ने एससी समाज के नेता को ही टिकट दिया है. </p>
<p>खास बात यह है कि सपा की चारू कैंन हैं तो एससी समाज से लेकिन इनकी शादी जिले के एक जाट परिवार में हुई है. इस समीकरण से पहली बार खैर में मुकाबला देखने को मिल सकता है, लेकिन इस सीट पर हार जीत जाट मतदाताओं के रूख पर निर्भर होगा.</p>
<p><strong>खैर का जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p>1. जाट- 1,15,000<br />2. ब्राह्मण- 75,000<br />3. SC- 82,000<br />4. बघेल- 10,000<br />5. ठाकुर- 14,000<br />6. वैश्य- 15,000<br />7. यादव- 1,000<br />8. बंजारा- 5,000<br />9. कोली- 5,000<br />10. अन्य पिछड़ी जातियां- 55,000</p>
<p><strong>करहल विधानसभा सीट</strong><br />मैनपुरी जिले की एक विधानसभा सीट है. समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. लंबे समय से इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी. </p>
<p>अखिलेश यादव ने यहां 67 हजार 504 वोटों के एक बड़े अंतर से चुनाव जीते. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को 1 लाख 48 हजार 196 वोट, बीजेपी को 80 हजार 692 वोट और बीएसपी को 15 हजार 701 वोट मिले थे. </p>
<p>इस बार सपा ने अखिलेश यादव के भतीजे पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव को टिकट दिया है, तो बीजेपी ने मुलायम सिंह के दूर के रिश्तेदार अनुजेश यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. बीएसपी ने अवनीश शाक्य को टिकट दिया है.</p>
<p><strong>करहल का जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p>1. यादव- 1,25,000<br />2. शाक्य- 35,000<br />3. बघेल- 30,000<br />4. ठाकुर- 30,000<br />5. SC- 22,000<br />6. ब्राह्मण- 16,000<br />7. लोधी- 15,000<br />8. वैश्य- 15,000</p>
<p><strong>मीरापुर विधानसभा चुनाव </strong><br />मुज़फ्फरनगर जिले की एक विधानसभा सीट है. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा- आरएलडी गठबंधन के तहत आरएलडी प्रत्याशी चंदन चौहान जीतकर विधायक बने. 2024 के चुनाव में बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन हुआ. 2024 में चंदन चौहान ने आरएलडी के टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बने, जिस वजह से मीरापुर सीट खाली हो गई. </p>
<p>इस बार उपचुनाव में बीजेपी ने यह सीट आरएलडी के कोटे में दी है. आरएलडी ने मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा को टिकट दिया है. बीएसपी ने शाहनजर और आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन को टिकट दिया है. मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी में ही माना जा रहा है.</p>
<p><strong>मीरापुर में जातीय समीकरण (अनुमानित)</strong></p>
<p>1. मुस्लिम- 1,35,000<br />2. SC- 50,000<br />3. जाट- 38,000<br />4. सैनी- 20,000<br />5. पाल- 20,000<br />6. गुर्जर- 15,000<br />7. चौहान- 7,000<br />8. अति पिछड़ा- 30,000</p>
<p>कुल मिलाकर देखा जाए तो यह उपचुनाव सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल सपा की साख का सवाल बन गया है. उत्तर प्रदेश की सभी 9 सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा. इससे पहले मतदान के लिए 13 नवंबर प्रस्तावित था, लेकिन त्योहारों के मद्देनजर चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी गई है. 23 नवंबर को चुनावी नतीजों का ऐलान किया जाएगा.</p>
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