<p style=”text-align: justify;”><strong>Hathras Stampede:</strong> जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को हाथरस का दौरा किया. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पीड़ितों से मुलाकात कर उनका हाल जाना. साथ ही हादसे में मृतकों के परिजनों को दस-दस हजार और घायलों को पांच-पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर प्रतिनिधिमंडल ने घटना के दूसरे दिन से ही हाथरस का दौरा शुरू किया था. शनिवार को प्रतिनिधिमंडल का यह तीसरा दौरा रहा. इसके सदस्य सोखना गांव पहुंचे, जहां एक ही घर के तीन लोग समेत कुल चार लोगों ने अपनी हादसे में अपनी जान गंवा दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दुख की घड़ी में हम साथ</strong><br />इस दौरान उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का संदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि, सांप्रदायिक लोग दिलों में दूरियां पैदा करते हैं, जबकि जमीयत उलमा-ए-हिंद दिलों को जोड़ने का काम करता है. इस दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं, हमसे जो बन सका, वो हम कर रहे हैं. अल्लाह आपको इस दुख को सहने का धैर्य और सब्र दे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/IANSKhabar/status/1809566973774192711[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर मृतकों के परिजनों ने नम आंखों के साथ कहा, सरकार के अलावा हादसे के बाद सत्संग के आयोजक हमारे पास नहीं आए और न ही किसी ने हमें सांत्वना दी. सिर्फ आप लोग हमसे मिलने पहुंचे और सहायता के साथ सांत्वना भी दी. इसके लिए हम मदनी साहब का धन्यवाद करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रतिनिधिमंडल के अनुसार मौलाना सैयद अशहद रशीदी इस सिलसिले में जिला इकाइयों से लगातार संपर्क में हैं. हाथरस जमीयत उलमा के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद रमज़ान कासमी और महासचिव मौलाना फुरकान नदवी अपने साथियों के साथ पीड़ितों से लगातार मिल रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/hathras-stampede-political-parties-with-accused-dev-prakash-madhukar-funding-in-investigated-2731686″>हाथरस हादसा: मुख्य आरोपी का राजनीतिक दल से कनेक्शन! क्या पार्टी से मिलता था फंड? अब तक हुआ ये खुलासा</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>देश में मुहब्बत बांटने का काम कर रही</strong><br />मौलाना अरशद मदनी ने अपने एक बयान में कहा कि, जमीयत उलमा-ए-हिंद एक शताब्दी से देश में मुहब्बत बांटने का काम कर रही है. वह राहत और कल्याण कार्य धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है. क्योंकि कोई मुसीबत या त्रासदी यह पूछ कर नहीं आती कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुसीबत के समय जमीयत उलमा-ए-हिंद का सिद्धांत हमेशा मानव सेवा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह एक बड़ी त्रासदी है कि पीड़ितों का आंसू पोंछने के लिए अब तक जमीयत उलमा-ए-हिंद के अतिरिक्त कोई संगठन नहीं पहुंचा. देश में ऐसे लोग भी हैं, जो धर्म और कपड़ों से लोगों की पहचान करते हैं. हम ऐसे लोगों से कहना चाहते हैं कि वो आएं और धर्म और कपड़ों से लोगों की पहचान करें. वो आकर देख लें कि ऐसे लोगों का काम और चरित्र क्या है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हमारा प्रयास होना चाहिए कि इस देश में सदियों से हिंदूओं और मुसलमानों के बीच जो एकता स्थापित है उसे टूटने न दें. मुसलमान हिंदुओं के दुख-सुख में शामिल हों और हिंदू भाई मुसलमानों के दुख-सुख में शामिल हों. इसी से समाज में एकजुटता और आपसी एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Hathras Stampede:</strong> जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को हाथरस का दौरा किया. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने पीड़ितों से मुलाकात कर उनका हाल जाना. साथ ही हादसे में मृतकों के परिजनों को दस-दस हजार और घायलों को पांच-पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर प्रतिनिधिमंडल ने घटना के दूसरे दिन से ही हाथरस का दौरा शुरू किया था. शनिवार को प्रतिनिधिमंडल का यह तीसरा दौरा रहा. इसके सदस्य सोखना गांव पहुंचे, जहां एक ही घर के तीन लोग समेत कुल चार लोगों ने अपनी हादसे में अपनी जान गंवा दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दुख की घड़ी में हम साथ</strong><br />इस दौरान उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का संदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि, सांप्रदायिक लोग दिलों में दूरियां पैदा करते हैं, जबकि जमीयत उलमा-ए-हिंद दिलों को जोड़ने का काम करता है. इस दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं, हमसे जो बन सका, वो हम कर रहे हैं. अल्लाह आपको इस दुख को सहने का धैर्य और सब्र दे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/IANSKhabar/status/1809566973774192711[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर मृतकों के परिजनों ने नम आंखों के साथ कहा, सरकार के अलावा हादसे के बाद सत्संग के आयोजक हमारे पास नहीं आए और न ही किसी ने हमें सांत्वना दी. सिर्फ आप लोग हमसे मिलने पहुंचे और सहायता के साथ सांत्वना भी दी. इसके लिए हम मदनी साहब का धन्यवाद करते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रतिनिधिमंडल के अनुसार मौलाना सैयद अशहद रशीदी इस सिलसिले में जिला इकाइयों से लगातार संपर्क में हैं. हाथरस जमीयत उलमा के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद रमज़ान कासमी और महासचिव मौलाना फुरकान नदवी अपने साथियों के साथ पीड़ितों से लगातार मिल रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/hathras-stampede-political-parties-with-accused-dev-prakash-madhukar-funding-in-investigated-2731686″>हाथरस हादसा: मुख्य आरोपी का राजनीतिक दल से कनेक्शन! क्या पार्टी से मिलता था फंड? अब तक हुआ ये खुलासा</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>देश में मुहब्बत बांटने का काम कर रही</strong><br />मौलाना अरशद मदनी ने अपने एक बयान में कहा कि, जमीयत उलमा-ए-हिंद एक शताब्दी से देश में मुहब्बत बांटने का काम कर रही है. वह राहत और कल्याण कार्य धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है. क्योंकि कोई मुसीबत या त्रासदी यह पूछ कर नहीं आती कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुसीबत के समय जमीयत उलमा-ए-हिंद का सिद्धांत हमेशा मानव सेवा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यह एक बड़ी त्रासदी है कि पीड़ितों का आंसू पोंछने के लिए अब तक जमीयत उलमा-ए-हिंद के अतिरिक्त कोई संगठन नहीं पहुंचा. देश में ऐसे लोग भी हैं, जो धर्म और कपड़ों से लोगों की पहचान करते हैं. हम ऐसे लोगों से कहना चाहते हैं कि वो आएं और धर्म और कपड़ों से लोगों की पहचान करें. वो आकर देख लें कि ऐसे लोगों का काम और चरित्र क्या है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हमारा प्रयास होना चाहिए कि इस देश में सदियों से हिंदूओं और मुसलमानों के बीच जो एकता स्थापित है उसे टूटने न दें. मुसलमान हिंदुओं के दुख-सुख में शामिल हों और हिंदू भाई मुसलमानों के दुख-सुख में शामिल हों. इसी से समाज में एकजुटता और आपसी एकता को बढ़ावा दिया जा सकता है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड MP Rain News: श्योपुर में बीते 24 घंटे में रिकॉर्ड बारिश, घरों में पानी भरने से छतों पर कटी रात