पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने HSSC के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों के प्रमाण पत्र को रिजेक्ट कर दिया था और ज्यादा अंक लेने वाले उम्मीदवारों को अनारक्षित कैटेगरी में शामिल कर लिया था। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने फैसले में लिखा है कि विवादित आदेशों को रद्द किया जाता है। आगे याचिका दायर करने से बचने के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि इस निर्णय का लाभ उन सभी उम्मीदवारों को मिलेगा जिन्हें पिछड़ी जाति से सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं को फैसले में उठाया
हाईकोर्ट ने अपने डिटेल्ड ऑर्डर में लिखा है कि भर्ती विज्ञापन और नोटिफिकेशन के कोटेड सेक्शन से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रतिवादी (HSSC) परिवार पहचान पत्र (PPP) से जाति और पारिवारिक आय, संपत्ति के संबंध में आवेदकों के दावे को सत्यापित करने में सक्षम था। जब आवेदन आए थे, यह सुविधा उस समय उपलब्ध थी। आवेदकों ने CET के साथ-साथ दूसरे चरण की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। इस आधार पर उन्हें लाभ देने से इनकार करने का कोई सवाल ही नहीं था। यह तर्क बेबुनियाद है कि आवेदक ने नवीनतम ताजा बीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में ये दिया उदाहरण
हाईकोर्ट ने फैसले में लिखा है कि 17 अक्टूबर 2021 के नोटिफिकेशन और 22 मार्च 2022 के निर्देशों से पता चलता है कि बीसी प्रमाण पत्र में आय और संपत्ति आधारित जानकारी शामिल है। यह जारी होने की तारीख से 31 मार्च तक वैध है। हाईकोर्ट ने फैसले में यह टिप्पणी की
कोर्ट ने फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा है, ‘HSSC ने 5 और 6 अक्टूबर 2022 को CET आयोजित की थी। आवेदकों ने मई-जुलाई 2022 के दौरान अपने दस्तावेज दाखिल किए। CET के लिए दस्तावेज दाखिल करने के समय लागू वित्तीय वर्ष 2021-22 था। फरवरी-2024 में जारी मूल विज्ञापन के अनुसार, आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 था। जून 2024 में जारी विज्ञापन के अनुसार, आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 था। इस तरह 3 अलग-अलग वित्तीय वर्ष शामिल थे। CET पहला चरण था। इन वित्तीय वर्षों के दौरान उम्मीदवारों की वित्तीय स्थिति में बदलाव की संभावनाएं थीं। HSSC ने CET आयोजित करने के समय एक उम्मीदवार की वित्तीय स्थिति को सत्यापित और स्वीकार किया।’ 70 हजार अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा
हाईकोर्ट से इस फैसले से हरियाणा के करीब 70 हजार युवाओं को लाभ मिलेगा। पिछड़ा वर्ग के जिन युवाओं को HSSC ने आरक्षण के लाभ से वंचित कर दिया था, उन्हें CET में वापस आरक्षित किया जाएगा। इससे उन्हें HSSC के ग्रुप सी और डी में नौकरी पाने में आसानी होगी। CET के समय ही निर्धारित हुई पात्रता
आरक्षण का दावा करने की पात्रता निर्धारित करने वाली वित्तीय स्थिति CET के समय निर्धारित की गई थी। CET के शुरू होने से लेकर 28 जून 2024 के विज्ञापन के अनुसार, आवेदन दाखिल करने तक तीन अलग-अलग वित्तीय वर्ष शामिल थे। अधिनियम-2016 की धारा 5 के तहत जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, वित्तीय स्थिति 3 अलग-अलग वित्तीय वर्षों की आय के आधार पर निर्धारित नहीं की जाती है, जबकि इसे एक वर्ष की वार्षिक सकल आय के आधार पर निर्धारित किया जाता है, भले ही परिसंपत्तियों को लगातार 3 वर्षों का माना जाता है। 3 वित्तीय वर्षों की भागीदारी के कारण, 1 अप्रैल 2023 को कट-आफ डेट के रूप में मानना अनुचित होगा। खासकर जब CET के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 था। HSSC ने स्वीकार की अपनी गलती
HSSC ने विवादित आदेश में माना है कि बीसी प्रमाण पत्र कट ऑफ डेट यानी 1 अप्रैल 2023 से पहले का है। याचिकाकर्ताओं ने सरल पोर्टल से बीसी प्रमाण पत्र डाउनलोड किया है। याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न वर्षों के संलग्न बीसी प्रमाण पत्र जैसे नवीन पुत्र राज कुमार का बीसी प्रमाण पत्र 23 मार्च 2023 और दूसरे का 10 मार्च 2024 दिनांक का है। दोनों प्रमाण पत्र सरल पोर्टल से डाउनलोड किए गए हैं। अधिनियम-2021 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, एक आवेदक ऑफिशियल साइट पर अपनी डिटेल अपलोड करता है। सक्षम प्राधिकारी इस जानकारी का सत्यापन करता है। इसे ‘सत्यापित जानकारी’ कहा जाता है, जो सरल पोर्ट से प्राप्त बीसी प्रमाण पत्र का आधार बनती है। आवेदक सत्यापित जानकारी को अपडेट कर सकता है और सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्देशित होने पर अपडेट करने के लिए भी बाध्य है। यह प्रोसेस वैध है और आवेदकों ने इसी पालन किया। HSSC नहीं समझ पाया PPP पोर्टल प्रॉसेस
याचिकाकर्ताओं ने CET के लिए आवेदन दाखिल करने से पहले जानकारी अपलोड की थी। इस जानकारी के आधार पर सरल पोर्टल द्वारा बीसी प्रमाण पत्र जारी किया गया था। यदि कोई उम्मीदवार बीसी प्रमाण पत्र के लिए 2022 या 2023 या 2024 में आवेदन करता है तो सर्टिफिकेट का कंटेंट वही रहता है, अगर PPP पर वह डेटा अपडेट न हो। कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई के दौरान HSSC ने प्रमाण पत्र की तिथि के सवाल पर जोर दिया, जिससे पता चलता है कि या तो HSSC सरल और PPP पोर्टल की प्रणाली को समझने में विफल रहा है या फिर कुछ गलत संचार हुआ है। प्रतिवादी को किसी विशेष वित्तीय वर्ष की आय को शामिल करने वाला बीसी प्रमाण पत्र मांगना चाहिए। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने HSSC के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों के प्रमाण पत्र को रिजेक्ट कर दिया था और ज्यादा अंक लेने वाले उम्मीदवारों को अनारक्षित कैटेगरी में शामिल कर लिया था। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने फैसले में लिखा है कि विवादित आदेशों को रद्द किया जाता है। आगे याचिका दायर करने से बचने के लिए यह स्पष्ट किया जाता है कि इस निर्णय का लाभ उन सभी उम्मीदवारों को मिलेगा जिन्हें पिछड़ी जाति से सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है। हाईकोर्ट ने इन बिंदुओं को फैसले में उठाया
हाईकोर्ट ने अपने डिटेल्ड ऑर्डर में लिखा है कि भर्ती विज्ञापन और नोटिफिकेशन के कोटेड सेक्शन से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रतिवादी (HSSC) परिवार पहचान पत्र (PPP) से जाति और पारिवारिक आय, संपत्ति के संबंध में आवेदकों के दावे को सत्यापित करने में सक्षम था। जब आवेदन आए थे, यह सुविधा उस समय उपलब्ध थी। आवेदकों ने CET के साथ-साथ दूसरे चरण की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। इस आधार पर उन्हें लाभ देने से इनकार करने का कोई सवाल ही नहीं था। यह तर्क बेबुनियाद है कि आवेदक ने नवीनतम ताजा बीसी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में ये दिया उदाहरण
हाईकोर्ट ने फैसले में लिखा है कि 17 अक्टूबर 2021 के नोटिफिकेशन और 22 मार्च 2022 के निर्देशों से पता चलता है कि बीसी प्रमाण पत्र में आय और संपत्ति आधारित जानकारी शामिल है। यह जारी होने की तारीख से 31 मार्च तक वैध है। हाईकोर्ट ने फैसले में यह टिप्पणी की
कोर्ट ने फैसले में टिप्पणी करते हुए लिखा है, ‘HSSC ने 5 और 6 अक्टूबर 2022 को CET आयोजित की थी। आवेदकों ने मई-जुलाई 2022 के दौरान अपने दस्तावेज दाखिल किए। CET के लिए दस्तावेज दाखिल करने के समय लागू वित्तीय वर्ष 2021-22 था। फरवरी-2024 में जारी मूल विज्ञापन के अनुसार, आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 था। जून 2024 में जारी विज्ञापन के अनुसार, आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 था। इस तरह 3 अलग-अलग वित्तीय वर्ष शामिल थे। CET पहला चरण था। इन वित्तीय वर्षों के दौरान उम्मीदवारों की वित्तीय स्थिति में बदलाव की संभावनाएं थीं। HSSC ने CET आयोजित करने के समय एक उम्मीदवार की वित्तीय स्थिति को सत्यापित और स्वीकार किया।’ 70 हजार अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा
हाईकोर्ट से इस फैसले से हरियाणा के करीब 70 हजार युवाओं को लाभ मिलेगा। पिछड़ा वर्ग के जिन युवाओं को HSSC ने आरक्षण के लाभ से वंचित कर दिया था, उन्हें CET में वापस आरक्षित किया जाएगा। इससे उन्हें HSSC के ग्रुप सी और डी में नौकरी पाने में आसानी होगी। CET के समय ही निर्धारित हुई पात्रता
आरक्षण का दावा करने की पात्रता निर्धारित करने वाली वित्तीय स्थिति CET के समय निर्धारित की गई थी। CET के शुरू होने से लेकर 28 जून 2024 के विज्ञापन के अनुसार, आवेदन दाखिल करने तक तीन अलग-अलग वित्तीय वर्ष शामिल थे। अधिनियम-2016 की धारा 5 के तहत जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, वित्तीय स्थिति 3 अलग-अलग वित्तीय वर्षों की आय के आधार पर निर्धारित नहीं की जाती है, जबकि इसे एक वर्ष की वार्षिक सकल आय के आधार पर निर्धारित किया जाता है, भले ही परिसंपत्तियों को लगातार 3 वर्षों का माना जाता है। 3 वित्तीय वर्षों की भागीदारी के कारण, 1 अप्रैल 2023 को कट-आफ डेट के रूप में मानना अनुचित होगा। खासकर जब CET के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 था। HSSC ने स्वीकार की अपनी गलती
HSSC ने विवादित आदेश में माना है कि बीसी प्रमाण पत्र कट ऑफ डेट यानी 1 अप्रैल 2023 से पहले का है। याचिकाकर्ताओं ने सरल पोर्टल से बीसी प्रमाण पत्र डाउनलोड किया है। याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न वर्षों के संलग्न बीसी प्रमाण पत्र जैसे नवीन पुत्र राज कुमार का बीसी प्रमाण पत्र 23 मार्च 2023 और दूसरे का 10 मार्च 2024 दिनांक का है। दोनों प्रमाण पत्र सरल पोर्टल से डाउनलोड किए गए हैं। अधिनियम-2021 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, एक आवेदक ऑफिशियल साइट पर अपनी डिटेल अपलोड करता है। सक्षम प्राधिकारी इस जानकारी का सत्यापन करता है। इसे ‘सत्यापित जानकारी’ कहा जाता है, जो सरल पोर्ट से प्राप्त बीसी प्रमाण पत्र का आधार बनती है। आवेदक सत्यापित जानकारी को अपडेट कर सकता है और सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्देशित होने पर अपडेट करने के लिए भी बाध्य है। यह प्रोसेस वैध है और आवेदकों ने इसी पालन किया। HSSC नहीं समझ पाया PPP पोर्टल प्रॉसेस
याचिकाकर्ताओं ने CET के लिए आवेदन दाखिल करने से पहले जानकारी अपलोड की थी। इस जानकारी के आधार पर सरल पोर्टल द्वारा बीसी प्रमाण पत्र जारी किया गया था। यदि कोई उम्मीदवार बीसी प्रमाण पत्र के लिए 2022 या 2023 या 2024 में आवेदन करता है तो सर्टिफिकेट का कंटेंट वही रहता है, अगर PPP पर वह डेटा अपडेट न हो। कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई के दौरान HSSC ने प्रमाण पत्र की तिथि के सवाल पर जोर दिया, जिससे पता चलता है कि या तो HSSC सरल और PPP पोर्टल की प्रणाली को समझने में विफल रहा है या फिर कुछ गलत संचार हुआ है। प्रतिवादी को किसी विशेष वित्तीय वर्ष की आय को शामिल करने वाला बीसी प्रमाण पत्र मांगना चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
![HSSC को हाईकोर्ट से झटका:बीसी सर्टिफिकेट रिजेक्ट करने का ऑर्डर रद्द किया; कहा- लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता](https://images.bhaskarassets.com/thumb/1000x1000/web2images/521/2025/02/11/ezgif-3ec731c69bf708_1739256632.gif)