वाराणसी IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में अब पीड़िता की मां सामने आई हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट में बेटी की जिरह टलने के बाद मां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और वाराणसी जिला जज को ई-मेल भेजा। लिखा-बार-बार पेशी पर आने से बेटी पर मानसिक असर पड़ रहा है। बार-बार समन आते हैं। परिवार दबाव में है। मेरी बेटी के साथ जो दरिंदगी हुई, उसके तीनों आरोपियों को सजा की जगह जमानत मिल गई। वह लोग आराम से घर पर हैं। बेटी बेंगलुरु में इंटर्नशिप कर रही है। 31 जनवरी के बाद ही वाराणसी लौटेगी। बार-बार पेशी से परेशान हो चुकी है। हम ये लड़ाई सिर्फ न्याय के लिए लड़ रहे हैं। हमें आरोपियों को सजा दिलानी है। हम गवाही भी देंगे। मगर स्थितियों पर कोर्ट को विचार करना चाहिए। अब मां की बात विस्तार से पढ़िए… मां ने लिखा- आरोपियों की जमानत से बेटी पर गहरा असर
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और वाराणसी के जिला जज को मेल में बताया कि मेरा परिवार बेंगलुरु में रहता है। देश के कानून के भरोसे अपनी 20 वर्षीय बेटी का दाखिला IIT-BHU वाराणसी में कराया था। 2 नवंबर, 2023 को मेरी बेटी के साथ दरिंदगी की गई। लंका थाने में केस दर्ज कराया गया, लेकिन आरोपी नहीं मिले। लगभग 2 महीने बाद 3 आरोपी कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान उर्फ अभिषेक चौहान को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप जैसी धाराओं में 6 महीने के अंदर ही आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, जो कई सवाल खड़े करती हैं। इस जमानत के बाद मेरी बेटी पर गहरा असर पड़ा है। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब
जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। अदालत के चक्कर में छूट गई परीक्षाएं और क्लास
मां ने बताया कि गैंगरेप के बाद बेटी पूरी तरह से टूट गई, तब परिवार और करीबियों ने उसे संभाला। बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना करना, उसके लिए मुश्किल भरा है। वह सुनवाई के दौरान नियमित पढ़ाई और क्लास छोड़ दीं, पढ़ाई पर वह फोकस नहीं कर पा रही थी। नवंबर और दिसंबर में होने वाली परीक्षाएं भी बहुत बेहतर नहीं हुईं। गैंगरेप, कोर्ट केस का उस पर गहरा असर पड़ा। जिससे पढ़ाई, प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप सत्र और सेमेस्टर परीक्षाएं प्रभावित हुई। वह अच्छा महसूस नहीं कर रही। अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही है। कोर्ट पीड़िता की परेशानियां समझे
मां ने अपने प्रार्थना पत्र के अगले पैरा में कोर्ट से भावनात्मक अपील भी की। लिखा- बलात्कार एक जघन्य अपराध है, इससे न केवल शारीरिक कष्ट होता है बल्कि पीड़ित को जिंदगी भर के लिए मानसिक आघात तक पहुंचता है। हर बार जब उसे जिरह के लिए बुलाया जा रहा है, तो उसे पूरे जघन्य अपराध की याद दिलाई जा रही है। कोर्ट में पुकार के बाद सुनवाई के दौरान बीते घटनाक्रम को दोहराया जाता है, अभियोजन के अलावा बचाव पक्ष के वकील उससे उसी अपराध के गहरे सवाल करते हैं और जवाब भी देना होता है। POCSO की तरह कोर्ट इस मामले में भी सीमाएं तय करे
लिखा- इस मामले पर कोर्ट तत्काल विचार करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पीड़िता बार-बार अपमानित न हो। POCSO की तरह इस केस में भी कुछ सीमाएं निर्धारित होनी चाहिए। वयस्क लड़की के मामले में भी कई बार पीड़िता को अदालत में बुलाया जाना ठीक नहीं होगा, वर्चुअल पेशी उसे इससे बचाएगी। वर्चुअल पेशी की दी थी अनुमति
छात्रा ने कोर्ट में वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया था कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है। जज ने कोर्ट परिसर के विशेष वीटनेस रूम से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। पहले आनंद फिर कुनाल और सक्षम की हो चुकी रिहाई
वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सबसे पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन कई शर्तें लगा दीं। आनंद के जमानत स्वीकार होते ही दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन जमानतदारों के वैरिफिकेशन के चलते उसकी भी रिहाई 24 अगस्त को हो सकी। इसके बाद 4 जुलाई को तीसरे आरोपी सक्षम पटेल ने जमानत अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने कुछ दिन बाद गैंगरेप में जमानत दे दी, लेकिन गैंगस्टर में आपत्ति दाखिल हो गई। अब गैंगस्टर के केस में सक्षम पटेल की याचिका हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 16 सितंबर को खारिज कर दी। इसके बाद उसने डबल बेंच में अपील की, जहां कोर्ट ने सभी पहलुओं को सुनकर पुलिस रिपोर्ट तलब की। पुलिस ने कोर्ट में कमजोर रिपोर्ट पेश की, जिस पर अभियोजन की बहस भी फीकी रही और मजबूत आधार नहीं होने के चलते सक्षम पटेल को जमानत मिली। —————————- ये भी पढ़ें :
वाराणसी कोर्ट में जिरह करने नहीं पहुंची IIT-BHU गैंगरेप पीड़िता:पीड़िता के बेंगलुरु जाने से पहली वर्चुअल पेशी टली, आरोपियों की HC में अपील वाराणसी के IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में पीड़िता की आज पहली वर्चुअल पेशी टल गई। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने पीड़िता को बयान पर जिरह के लिए तलब किया था लेकिन पीड़िता नहीं पहुंची। पढ़िए पूरी खबर… वाराणसी IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में अब पीड़िता की मां सामने आई हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट में बेटी की जिरह टलने के बाद मां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और वाराणसी जिला जज को ई-मेल भेजा। लिखा-बार-बार पेशी पर आने से बेटी पर मानसिक असर पड़ रहा है। बार-बार समन आते हैं। परिवार दबाव में है। मेरी बेटी के साथ जो दरिंदगी हुई, उसके तीनों आरोपियों को सजा की जगह जमानत मिल गई। वह लोग आराम से घर पर हैं। बेटी बेंगलुरु में इंटर्नशिप कर रही है। 31 जनवरी के बाद ही वाराणसी लौटेगी। बार-बार पेशी से परेशान हो चुकी है। हम ये लड़ाई सिर्फ न्याय के लिए लड़ रहे हैं। हमें आरोपियों को सजा दिलानी है। हम गवाही भी देंगे। मगर स्थितियों पर कोर्ट को विचार करना चाहिए। अब मां की बात विस्तार से पढ़िए… मां ने लिखा- आरोपियों की जमानत से बेटी पर गहरा असर
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और वाराणसी के जिला जज को मेल में बताया कि मेरा परिवार बेंगलुरु में रहता है। देश के कानून के भरोसे अपनी 20 वर्षीय बेटी का दाखिला IIT-BHU वाराणसी में कराया था। 2 नवंबर, 2023 को मेरी बेटी के साथ दरिंदगी की गई। लंका थाने में केस दर्ज कराया गया, लेकिन आरोपी नहीं मिले। लगभग 2 महीने बाद 3 आरोपी कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान उर्फ अभिषेक चौहान को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप जैसी धाराओं में 6 महीने के अंदर ही आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, जो कई सवाल खड़े करती हैं। इस जमानत के बाद मेरी बेटी पर गहरा असर पड़ा है। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब
जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। अदालत के चक्कर में छूट गई परीक्षाएं और क्लास
मां ने बताया कि गैंगरेप के बाद बेटी पूरी तरह से टूट गई, तब परिवार और करीबियों ने उसे संभाला। बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना करना, उसके लिए मुश्किल भरा है। वह सुनवाई के दौरान नियमित पढ़ाई और क्लास छोड़ दीं, पढ़ाई पर वह फोकस नहीं कर पा रही थी। नवंबर और दिसंबर में होने वाली परीक्षाएं भी बहुत बेहतर नहीं हुईं। गैंगरेप, कोर्ट केस का उस पर गहरा असर पड़ा। जिससे पढ़ाई, प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप सत्र और सेमेस्टर परीक्षाएं प्रभावित हुई। वह अच्छा महसूस नहीं कर रही। अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही है। कोर्ट पीड़िता की परेशानियां समझे
मां ने अपने प्रार्थना पत्र के अगले पैरा में कोर्ट से भावनात्मक अपील भी की। लिखा- बलात्कार एक जघन्य अपराध है, इससे न केवल शारीरिक कष्ट होता है बल्कि पीड़ित को जिंदगी भर के लिए मानसिक आघात तक पहुंचता है। हर बार जब उसे जिरह के लिए बुलाया जा रहा है, तो उसे पूरे जघन्य अपराध की याद दिलाई जा रही है। कोर्ट में पुकार के बाद सुनवाई के दौरान बीते घटनाक्रम को दोहराया जाता है, अभियोजन के अलावा बचाव पक्ष के वकील उससे उसी अपराध के गहरे सवाल करते हैं और जवाब भी देना होता है। POCSO की तरह कोर्ट इस मामले में भी सीमाएं तय करे
लिखा- इस मामले पर कोर्ट तत्काल विचार करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पीड़िता बार-बार अपमानित न हो। POCSO की तरह इस केस में भी कुछ सीमाएं निर्धारित होनी चाहिए। वयस्क लड़की के मामले में भी कई बार पीड़िता को अदालत में बुलाया जाना ठीक नहीं होगा, वर्चुअल पेशी उसे इससे बचाएगी। वर्चुअल पेशी की दी थी अनुमति
छात्रा ने कोर्ट में वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया था कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है। जज ने कोर्ट परिसर के विशेष वीटनेस रूम से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। पहले आनंद फिर कुनाल और सक्षम की हो चुकी रिहाई
वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सबसे पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर, 2023 को जमानत याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर कई बार सुनवाई हुई और तारीख बढ़ती रही। आनंद ने परिजन की बीमारी समेत कई कारण बताए, तो कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन कई शर्तें लगा दीं। आनंद के जमानत स्वीकार होते ही दूसरे आरोपी कुणाल ने भी 2 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 4 जुलाई को कोर्ट ने उसकी भी जमानत स्वीकार कर ली, लेकिन जमानतदारों के वैरिफिकेशन के चलते उसकी भी रिहाई 24 अगस्त को हो सकी। इसके बाद 4 जुलाई को तीसरे आरोपी सक्षम पटेल ने जमानत अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने कुछ दिन बाद गैंगरेप में जमानत दे दी, लेकिन गैंगस्टर में आपत्ति दाखिल हो गई। अब गैंगस्टर के केस में सक्षम पटेल की याचिका हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 16 सितंबर को खारिज कर दी। इसके बाद उसने डबल बेंच में अपील की, जहां कोर्ट ने सभी पहलुओं को सुनकर पुलिस रिपोर्ट तलब की। पुलिस ने कोर्ट में कमजोर रिपोर्ट पेश की, जिस पर अभियोजन की बहस भी फीकी रही और मजबूत आधार नहीं होने के चलते सक्षम पटेल को जमानत मिली। —————————- ये भी पढ़ें :
वाराणसी कोर्ट में जिरह करने नहीं पहुंची IIT-BHU गैंगरेप पीड़िता:पीड़िता के बेंगलुरु जाने से पहली वर्चुअल पेशी टली, आरोपियों की HC में अपील वाराणसी के IIT-BHU में छात्रा से गैंगरेप केस में पीड़िता की आज पहली वर्चुअल पेशी टल गई। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने पीड़िता को बयान पर जिरह के लिए तलब किया था लेकिन पीड़िता नहीं पहुंची। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर