<p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News: </strong>अजमेर की विशेष अदालत ने थानेदारों से मासिक वसूली करने के एक दशक पुराने मामले में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक अधिकारी और 11 थाना प्रभारी समेत सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया. राजस्थान पुलिस सेवा के एक अधिकारी समेत 15 लोगों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में आरोपी बनाया गया था. अजमेर की अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जनवरी 2013 में अजमेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा को कथित बिचौलिए रामदेव ठठेरा के साथ अपने अधिकार क्षेत्र के थाना प्रभारियों से मासिक वसूली करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दोनों के अलावा, एसीबी ने इस मामले में अजमेर के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल और अलग-अलग थानों के प्रभारी निरीक्षक खान मोहम्मद, हनुमान सिंह, कुशाल राम चौरड़िया, प्रमोद स्वामी, गोपाल लाल, बंशी लाल, जयपाल, रविंद्र यादव, सुनील विश्नोई और उप निरीक्षक अशोक विश्नोई, संजय शर्मा और आम नागरिक हेमंत जैन को भी गिरफ्तार किया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एक दशक पुराने मामले में आया फैसला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>चार आरोपियों के वकील उमरदान सिंह ने कहा, ‘‘एसीबी ने फर्जी मामला बनाया था. पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश किया गया, लेकिन सबूत पेश नहीं किए जा सके. इसलिए, अदालत ने आज सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया है.’’ एसीबी मामलों की सुनवाई करने वाली अजमेर की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अदालत ने फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>IPS समेत 15 आरोपियों को मिली राहत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सिंह ने कहा कि एसीबी ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा के आवास पर छापा मारा. हालांकि, अभियोजन पक्ष लिखित में सूत्रों की जानकारी नहीं दे सका. उन्होंने बताया कि फोन कॉल के ट्रांसक्रिप्ट कानूनी साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किए गए और ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे साबित हो सके कि किसी प्रकार का वित्तीय लेनदेन हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीणा पर रामदेव नामक व्यक्ति के माध्यम से थाना प्रभारियों से मासिक ‘बंदी’ या जबरन वसूली करने का आरोप एसीबी ने लगाया था. एसीबी ने कथित तौर पर रामदेव के पास से दो लाख रुपये भी बरामद किए गए थे, जो छापे के समय राजेश मीणा के साथ अजमेर स्थित उनके आवास पर ही था. अदालत में रामदेव ने मंदिर निर्माण के लिए नकदी ले जाने की बात कही. राजेश मीणा वर्तमान में जयपुर पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी-सुरक्षा) के पद पर तैनात हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस को थी तलाश, भीलवाड़ा में बाछड़ा गैंग के 7 सदस्य गिरफ्तार” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/7-members-of-banchhra-gang-wanted-by-five-states-including-rajasthan-arrested-in-bhilwara-ann-2749659″ target=”_self”>राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस को थी तलाश, भीलवाड़ा में बाछड़ा गैंग के 7 सदस्य गिरफ्तार</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News: </strong>अजमेर की विशेष अदालत ने थानेदारों से मासिक वसूली करने के एक दशक पुराने मामले में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक अधिकारी और 11 थाना प्रभारी समेत सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया. राजस्थान पुलिस सेवा के एक अधिकारी समेत 15 लोगों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में आरोपी बनाया गया था. अजमेर की अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जनवरी 2013 में अजमेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा को कथित बिचौलिए रामदेव ठठेरा के साथ अपने अधिकार क्षेत्र के थाना प्रभारियों से मासिक वसूली करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दोनों के अलावा, एसीबी ने इस मामले में अजमेर के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल और अलग-अलग थानों के प्रभारी निरीक्षक खान मोहम्मद, हनुमान सिंह, कुशाल राम चौरड़िया, प्रमोद स्वामी, गोपाल लाल, बंशी लाल, जयपाल, रविंद्र यादव, सुनील विश्नोई और उप निरीक्षक अशोक विश्नोई, संजय शर्मा और आम नागरिक हेमंत जैन को भी गिरफ्तार किया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एक दशक पुराने मामले में आया फैसला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>चार आरोपियों के वकील उमरदान सिंह ने कहा, ‘‘एसीबी ने फर्जी मामला बनाया था. पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश किया गया, लेकिन सबूत पेश नहीं किए जा सके. इसलिए, अदालत ने आज सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया है.’’ एसीबी मामलों की सुनवाई करने वाली अजमेर की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अदालत ने फैसला सुनाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>IPS समेत 15 आरोपियों को मिली राहत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सिंह ने कहा कि एसीबी ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा के आवास पर छापा मारा. हालांकि, अभियोजन पक्ष लिखित में सूत्रों की जानकारी नहीं दे सका. उन्होंने बताया कि फोन कॉल के ट्रांसक्रिप्ट कानूनी साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किए गए और ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे साबित हो सके कि किसी प्रकार का वित्तीय लेनदेन हुआ था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीणा पर रामदेव नामक व्यक्ति के माध्यम से थाना प्रभारियों से मासिक ‘बंदी’ या जबरन वसूली करने का आरोप एसीबी ने लगाया था. एसीबी ने कथित तौर पर रामदेव के पास से दो लाख रुपये भी बरामद किए गए थे, जो छापे के समय राजेश मीणा के साथ अजमेर स्थित उनके आवास पर ही था. अदालत में रामदेव ने मंदिर निर्माण के लिए नकदी ले जाने की बात कही. राजेश मीणा वर्तमान में जयपुर पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी-सुरक्षा) के पद पर तैनात हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस को थी तलाश, भीलवाड़ा में बाछड़ा गैंग के 7 सदस्य गिरफ्तार” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/7-members-of-banchhra-gang-wanted-by-five-states-including-rajasthan-arrested-in-bhilwara-ann-2749659″ target=”_self”>राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस को थी तलाश, भीलवाड़ा में बाछड़ा गैंग के 7 सदस्य गिरफ्तार</a></strong></p>
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