<p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Latest News: </strong>मुंबई के मलाड पश्चिम के मालवणी इलाके में स्थित एक मदरसे से जुड़े 7 छात्रों ने इस साल SSC (Secondary School Certificate) यानी 10वीं की परीक्षा को पास कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इन सभी छात्रों ने पहले पवित्र कुरान को पूरी तरह याद किया था और हाफिज बने थे. अब उन्होंने 10वीं की परीक्षा में भी सफलता पाई है. हाफिज उन छात्रों को कहा जाता है, जो कुरान को पूरी तरह याद कर लेते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के मुताबिक इन छात्रों ने ‘जामिया तजवीदुल कुरान’ और ‘नूर मेहर हाई स्कूल’ से पढ़ाई की, जो ‘नूर मेहर चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा संचालित हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रस्ट के संस्थापक सैयद अली, जिन्हें आमतौर पर ‘अली भाई’ के नाम से जाना जाता है, ने 2000 में मदरसे की स्थापना की थी और 2008 में वहां औपचारिक शिक्षा की शुरुआत की. 2012 से SSC की परीक्षा दिलवाई जा रही है और तब से अब तक 12 हाफिज इस परीक्षा को पास कर चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा में भी आगे बढ़ें- सैयद अली</strong><br />सैयद अली का कहना है, “हम चाहते हैं कि हाफिज सिर्फ धार्मिक ज्ञान में ही नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा में भी आगे बढ़ें और कॉलेज-विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेकर प्रोफेशनल बनें.” उन्होंने बताया कि इस साल 7 हाफिजों ने एसएससी की परीक्षा दी और सभी सफल हुए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>डॉक्टर बनना चाहते हैं सफल छात्र</strong><br />यह शिक्षा मॉडल इसलिए भी अनोखा है. क्योंकि छात्र मदरसे की धार्मिक पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल की पढ़ाई भी करते हैं. यह पूरा कार्यक्रम एक बंगले में संचालित होता है, जिसमें छात्र रहते और पढ़ते हैं. बिहार से आए छात्र मोहम्मद अल्ताफ ने बताया, “मैं हाफिज हूं और अब मैं 11वीं विज्ञान वर्ग में दाखिला ले सकता हूं. मेरा सपना है डॉक्टर बनना और इसके लिए मैं NEET की तैयारी करूंगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>SSC की परीक्षा ये छात्र प्राइवेट कैंडिडेट्स के रूप में देते हैं. इस मॉडल की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व छात्र शेख रुहुल्लाह, जिन्होंने 2015 में हाफिज बनने के बाद एसएससी पास किया, अब कंप्यूटर इंजीनियर हैं और दुबई की एक AI कंपनी में कार्यरत हैं. रुहुल्लाह कहते हैं, “मैं आज जो कुछ भी हूं, वह इस मदरसे और स्कूल की संयुक्त शिक्षा व्यवस्था की वजह से हूं. अगर यह न होता, तो शायद आज भी मैं जीवन का रास्ता ढूंढ रहा होता.”</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Latest News: </strong>मुंबई के मलाड पश्चिम के मालवणी इलाके में स्थित एक मदरसे से जुड़े 7 छात्रों ने इस साल SSC (Secondary School Certificate) यानी 10वीं की परीक्षा को पास कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इन सभी छात्रों ने पहले पवित्र कुरान को पूरी तरह याद किया था और हाफिज बने थे. अब उन्होंने 10वीं की परीक्षा में भी सफलता पाई है. हाफिज उन छात्रों को कहा जाता है, जो कुरान को पूरी तरह याद कर लेते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जानकारी के मुताबिक इन छात्रों ने ‘जामिया तजवीदुल कुरान’ और ‘नूर मेहर हाई स्कूल’ से पढ़ाई की, जो ‘नूर मेहर चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा संचालित हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रस्ट के संस्थापक सैयद अली, जिन्हें आमतौर पर ‘अली भाई’ के नाम से जाना जाता है, ने 2000 में मदरसे की स्थापना की थी और 2008 में वहां औपचारिक शिक्षा की शुरुआत की. 2012 से SSC की परीक्षा दिलवाई जा रही है और तब से अब तक 12 हाफिज इस परीक्षा को पास कर चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा में भी आगे बढ़ें- सैयद अली</strong><br />सैयद अली का कहना है, “हम चाहते हैं कि हाफिज सिर्फ धार्मिक ज्ञान में ही नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा में भी आगे बढ़ें और कॉलेज-विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेकर प्रोफेशनल बनें.” उन्होंने बताया कि इस साल 7 हाफिजों ने एसएससी की परीक्षा दी और सभी सफल हुए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>डॉक्टर बनना चाहते हैं सफल छात्र</strong><br />यह शिक्षा मॉडल इसलिए भी अनोखा है. क्योंकि छात्र मदरसे की धार्मिक पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल की पढ़ाई भी करते हैं. यह पूरा कार्यक्रम एक बंगले में संचालित होता है, जिसमें छात्र रहते और पढ़ते हैं. बिहार से आए छात्र मोहम्मद अल्ताफ ने बताया, “मैं हाफिज हूं और अब मैं 11वीं विज्ञान वर्ग में दाखिला ले सकता हूं. मेरा सपना है डॉक्टर बनना और इसके लिए मैं NEET की तैयारी करूंगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>SSC की परीक्षा ये छात्र प्राइवेट कैंडिडेट्स के रूप में देते हैं. इस मॉडल की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व छात्र शेख रुहुल्लाह, जिन्होंने 2015 में हाफिज बनने के बाद एसएससी पास किया, अब कंप्यूटर इंजीनियर हैं और दुबई की एक AI कंपनी में कार्यरत हैं. रुहुल्लाह कहते हैं, “मैं आज जो कुछ भी हूं, वह इस मदरसे और स्कूल की संयुक्त शिक्षा व्यवस्था की वजह से हूं. अगर यह न होता, तो शायद आज भी मैं जीवन का रास्ता ढूंढ रहा होता.”</p> महाराष्ट्र बिहार के दरभंगा में बिना इजाजत अंबेडकर छात्रावास पहुंचे राहुल गांधी, PM मोदी पर बरसे
Maharashtra: मलाड में मदरसे के 7 हाफिज छात्रों ने पेश की नई मिसाल, पास की SSC की परीक्षा
