Mumbai: ‘मैं संतुष्ट हूं, मेरे आंखों के सामने…,’ Operation Sindoor पर क्या बोले अपनों को खोने वाले?

Mumbai: ‘मैं संतुष्ट हूं, मेरे आंखों के सामने…,’ Operation Sindoor पर क्या बोले अपनों को खोने वाले?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Operation Sindoor</strong>: पहलगाम आतंकवादी हमले में अपने पिता और दो नजदीकी रिश्तेदारों को खोने वाले हर्षल लेले ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा मंगलवार देर रात पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ &lsquo;ऑपरेशन सिंदूर&rsquo; को अंजाम दिये जाने के बाद संतोष जताया है. लेले ने कहा, &lsquo;&lsquo;मैं संतुष्ट हूं, मेरे दिवंगत पिता को अब शांति मिली होगी.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकियों ने 22 अप्रैल को लेले की आंखों के सामने उनके पिता और दो नजदीकी रिश्तेदारों को गोली मार दी थी. उन्होंने याद करते हुए कहा, &lsquo;&lsquo;मेरे एक रिश्तेदार ने आतंकवादियों से उन्हें छोड़ देने की विनती की, लेकिन उन्हें गोली मार दी गई. उन पर, मेरे दूसरे रिश्तेदार या मेरे पिता पर कोई दया नहीं दिखाई गई.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ठाणे जिले के डोंबिवली में संवाददाताओं से कहा, &lsquo;&lsquo;ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिये जाने के तरीके से मैं खुश हूं. जिन नौ स्थानों से आतंकवादी अपनी गतिविधियां चला रहे थे, उन पर हमला किया गया. हम इस तरह की और कार्रवाई की उम्मीद करते हैं.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>हर्षल के पिता संजय लेले और उनके रिश्तेदार अतुल मोने और हेमंत जोशी 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले 26 लोगों में शामिल थे. अतुल मोने की पत्नी अनुष्का मोने ने कहा कि उन्हें पता है कि उनकी क्षति अपूरणीय है, फिर भी बुधवार की जवाबी कार्रवाई महत्वपूर्ण थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने संवाददाताओं से कहा, &lsquo;&lsquo;जिन्हें हमने खो दिया है, वे कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन सेना की यह कार्रवाई और मुहंतोड़ जवाब, उनके बलिदान के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है. आतंकवादियों ने सिर्फ व्यक्तियों पर हमला नहीं किया, उन्होंने भारत की आत्मा पर हमला किया था. और भारत ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने यह भी कहा कि &lsquo;ऑपरेशन सिंदूर&rsquo; का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मोने ने कहा, &lsquo;&lsquo;यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सम्मान का मामला है. <a title=”ऑपरेशन सिंदूर” href=”https://www.abplive.com/topic/operation-sindoor” data-type=”interlinkingkeywords”>ऑपरेशन सिंदूर</a> राजनीति से ऊपर है. यह न्याय के बारे में है, चुनाव के बारे में नहीं. &rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक रिश्तेदार जयंत भावे ने कहा, &lsquo;&lsquo;यह वह न्याय था जिसकी हम उम्मीद कर रहे थे.&rsquo;&rsquo; <a title=”पहलगाम” href=”https://www.abplive.com/topic/pahalgam-terror-attack” data-type=”interlinkingkeywords”>पहलगाम</a> हमले के दौरान घायल हुए नवी मुंबई निवासी सुबोध पाटिल (60) ने भी संतोष जताया. उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;मैं ज्यादा नहीं बोल सकता, लेकिन मैं कहूंगा कि यह अच्छा है कि भारत ने बदला लिया.&rsquo;&rsquo; उन्होंने कहा कि यह आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Operation Sindoor</strong>: पहलगाम आतंकवादी हमले में अपने पिता और दो नजदीकी रिश्तेदारों को खोने वाले हर्षल लेले ने भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा मंगलवार देर रात पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ &lsquo;ऑपरेशन सिंदूर&rsquo; को अंजाम दिये जाने के बाद संतोष जताया है. लेले ने कहा, &lsquo;&lsquo;मैं संतुष्ट हूं, मेरे दिवंगत पिता को अब शांति मिली होगी.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकियों ने 22 अप्रैल को लेले की आंखों के सामने उनके पिता और दो नजदीकी रिश्तेदारों को गोली मार दी थी. उन्होंने याद करते हुए कहा, &lsquo;&lsquo;मेरे एक रिश्तेदार ने आतंकवादियों से उन्हें छोड़ देने की विनती की, लेकिन उन्हें गोली मार दी गई. उन पर, मेरे दूसरे रिश्तेदार या मेरे पिता पर कोई दया नहीं दिखाई गई.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ठाणे जिले के डोंबिवली में संवाददाताओं से कहा, &lsquo;&lsquo;ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिये जाने के तरीके से मैं खुश हूं. जिन नौ स्थानों से आतंकवादी अपनी गतिविधियां चला रहे थे, उन पर हमला किया गया. हम इस तरह की और कार्रवाई की उम्मीद करते हैं.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>हर्षल के पिता संजय लेले और उनके रिश्तेदार अतुल मोने और हेमंत जोशी 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले 26 लोगों में शामिल थे. अतुल मोने की पत्नी अनुष्का मोने ने कहा कि उन्हें पता है कि उनकी क्षति अपूरणीय है, फिर भी बुधवार की जवाबी कार्रवाई महत्वपूर्ण थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने संवाददाताओं से कहा, &lsquo;&lsquo;जिन्हें हमने खो दिया है, वे कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन सेना की यह कार्रवाई और मुहंतोड़ जवाब, उनके बलिदान के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है. आतंकवादियों ने सिर्फ व्यक्तियों पर हमला नहीं किया, उन्होंने भारत की आत्मा पर हमला किया था. और भारत ने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने यह भी कहा कि &lsquo;ऑपरेशन सिंदूर&rsquo; का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मोने ने कहा, &lsquo;&lsquo;यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सम्मान का मामला है. <a title=”ऑपरेशन सिंदूर” href=”https://www.abplive.com/topic/operation-sindoor” data-type=”interlinkingkeywords”>ऑपरेशन सिंदूर</a> राजनीति से ऊपर है. यह न्याय के बारे में है, चुनाव के बारे में नहीं. &rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक रिश्तेदार जयंत भावे ने कहा, &lsquo;&lsquo;यह वह न्याय था जिसकी हम उम्मीद कर रहे थे.&rsquo;&rsquo; <a title=”पहलगाम” href=”https://www.abplive.com/topic/pahalgam-terror-attack” data-type=”interlinkingkeywords”>पहलगाम</a> हमले के दौरान घायल हुए नवी मुंबई निवासी सुबोध पाटिल (60) ने भी संतोष जताया. उन्होंने कहा, &lsquo;&lsquo;मैं ज्यादा नहीं बोल सकता, लेकिन मैं कहूंगा कि यह अच्छा है कि भारत ने बदला लिया.&rsquo;&rsquo; उन्होंने कहा कि यह आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि है.</p>
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