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<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वरिष्ठता विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है. सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों के बीच एडीएम पद पर तैनाती को लेकर उत्पन्न हुआ यह विवाद राज्य में प्रशासनिक तंत्र के भीतर दरार पैदा कर रहा है. मामला तब और गंभीर हो गया, जब दो अधिकारियों की तैनाती के आदेशों को रोक दिया गया. इसके बाद सीधी भर्ती से जुड़े पीसीएस अधिकारियों ने विरोध का रुख अपना लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीधी भर्ती से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रमोशन पाए गए अधिकारियों को उनके बराबर या उनसे वरिष्ठ मानना अनुचित है. इस संदर्भ में 19 अधिकारियों को पदोन्नति देकर एडीएम बनाए जाने के फैसले पर सीधी भर्ती के अधिकारी सवाल उठा रहे हैं. उनका दावा है कि ऐसा करना उनके अधिकारों और नियमों का उल्लंघन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2012 और 2014 बैच के पीसीएस अधिकारी को मिले मौका<br /></strong>उल्लेखनीय है कि 2012 और 2014 बैच के सीधी भर्ती पीसीएस अधिकारी लंबे समय से एडीएम पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे. हालांकि, प्रमोशन से आए अधिकारियों को इस पद पर प्राथमिकता दिए जाने से उनका असंतोष बढ़ गया. मामले के दोनों पक्ष मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से मिले. सीधी भर्ती अधिकारियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि प्रमोशन से आए अधिकारियों को गलत तरीके से वरिष्ठता दी जा रही है. दूसरी ओर, प्रमोशन से आए अधिकारियों ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय नियमों के अनुसार लिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीधी भर्ती अधिकारियों और प्रमोशन पाए अधिकारियों के बीच खींचातानी <br /></strong>सीधी भर्ती अधिकारियों का तर्क है कि राज्य सरकार ने वरिष्ठता निर्धारण में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है. उनका कहना है कि 2016 में वरिष्ठता सूची जारी होने के बाद इसे मान्य किया जाना चाहिए, जबकि प्रमोशन पाए अधिकारियों को जूनियर सूची में रखा गया था. दूसरी तरफ, प्रमोशन पाए अधिकारी अपनी वरिष्ठता को सही ठहराने के लिए सरकार के पिछले फैसलों और तदर्थ नियमों का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि 31 मई 2019 को जारी नियमावली के तहत उनका प्रमोशन और वरिष्ठता दोनों जायज हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रमुख सचिव ने मामले नियमानुसार हल का भरोसा दिया<br /></strong>मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने दोनों पक्षों को संतुलित समाधान का भरोसा दिया है. प्रमुख सचिव ने दोनों पक्षों की बात सुनी और कहा कि मामले को नियमानुसार हल किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. यह विवाद न केवल अधिकारियों के बीच तनाव को बढ़ा रहा है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज पर भी असर डाल रहा है. अधिकारियों का ध्यान अपने कर्तव्यों से हटकर वरिष्ठता विवाद पर केंद्रित हो गया है, जिससे निचले स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वरिष्ठा विवाद राज्यों के लिए भी जटिल<br /></strong>यह विवाद प्रशासनिक ढांचे में गहरे अंतर्विरोध को उजागर करता है. वरिष्ठता विवाद केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों में भी देखा गया है. हालांकि, इस मामले का समाधान न्यायिक निर्देशों और पारदर्शी प्रक्रिया के आधार पर किया जाना चाहिए. राज्य सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकाले ताकि प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके. सरकार और संबंधित विभाग से मामले में अंतिम निर्णय का इंतजार है. यदि विवाद का सही तरीके से समाधान नहीं होता, तो यह मामला और भी जटिल हो सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को कैसे हल करती है और दोनों पक्षों को संतुष्ट करने में कितनी सफल रहती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/allahabad-high-court-bans-the-notice-to-demolish-houses-to-widen-the-road-in-mahakumbh-ann-2846342″>इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार के इस आदेश पर लगाई रोक, घरों का होना था ध्वस्तीकरण</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड में प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वरिष्ठता विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है. सीधी भर्ती और पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों के बीच एडीएम पद पर तैनाती को लेकर उत्पन्न हुआ यह विवाद राज्य में प्रशासनिक तंत्र के भीतर दरार पैदा कर रहा है. मामला तब और गंभीर हो गया, जब दो अधिकारियों की तैनाती के आदेशों को रोक दिया गया. इसके बाद सीधी भर्ती से जुड़े पीसीएस अधिकारियों ने विरोध का रुख अपना लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सीधी भर्ती से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रमोशन पाए गए अधिकारियों को उनके बराबर या उनसे वरिष्ठ मानना अनुचित है. इस संदर्भ में 19 अधिकारियों को पदोन्नति देकर एडीएम बनाए जाने के फैसले पर सीधी भर्ती के अधिकारी सवाल उठा रहे हैं. उनका दावा है कि ऐसा करना उनके अधिकारों और नियमों का उल्लंघन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2012 और 2014 बैच के पीसीएस अधिकारी को मिले मौका<br /></strong>उल्लेखनीय है कि 2012 और 2014 बैच के सीधी भर्ती पीसीएस अधिकारी लंबे समय से एडीएम पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे. हालांकि, प्रमोशन से आए अधिकारियों को इस पद पर प्राथमिकता दिए जाने से उनका असंतोष बढ़ गया. मामले के दोनों पक्ष मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से मिले. सीधी भर्ती अधिकारियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि प्रमोशन से आए अधिकारियों को गलत तरीके से वरिष्ठता दी जा रही है. दूसरी ओर, प्रमोशन से आए अधिकारियों ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय नियमों के अनुसार लिया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीधी भर्ती अधिकारियों और प्रमोशन पाए अधिकारियों के बीच खींचातानी <br /></strong>सीधी भर्ती अधिकारियों का तर्क है कि राज्य सरकार ने वरिष्ठता निर्धारण में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है. उनका कहना है कि 2016 में वरिष्ठता सूची जारी होने के बाद इसे मान्य किया जाना चाहिए, जबकि प्रमोशन पाए अधिकारियों को जूनियर सूची में रखा गया था. दूसरी तरफ, प्रमोशन पाए अधिकारी अपनी वरिष्ठता को सही ठहराने के लिए सरकार के पिछले फैसलों और तदर्थ नियमों का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि 31 मई 2019 को जारी नियमावली के तहत उनका प्रमोशन और वरिष्ठता दोनों जायज हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रमुख सचिव ने मामले नियमानुसार हल का भरोसा दिया<br /></strong>मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने दोनों पक्षों को संतुलित समाधान का भरोसा दिया है. प्रमुख सचिव ने दोनों पक्षों की बात सुनी और कहा कि मामले को नियमानुसार हल किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा. यह विवाद न केवल अधिकारियों के बीच तनाव को बढ़ा रहा है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज पर भी असर डाल रहा है. अधिकारियों का ध्यान अपने कर्तव्यों से हटकर वरिष्ठता विवाद पर केंद्रित हो गया है, जिससे निचले स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वरिष्ठा विवाद राज्यों के लिए भी जटिल<br /></strong>यह विवाद प्रशासनिक ढांचे में गहरे अंतर्विरोध को उजागर करता है. वरिष्ठता विवाद केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के अन्य राज्यों में भी देखा गया है. हालांकि, इस मामले का समाधान न्यायिक निर्देशों और पारदर्शी प्रक्रिया के आधार पर किया जाना चाहिए. राज्य सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकाले ताकि प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके. सरकार और संबंधित विभाग से मामले में अंतिम निर्णय का इंतजार है. यदि विवाद का सही तरीके से समाधान नहीं होता, तो यह मामला और भी जटिल हो सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को कैसे हल करती है और दोनों पक्षों को संतुष्ट करने में कितनी सफल रहती है.</p>
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