राम मंदिर में 18 मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा जून में:चंपत राय बोले- अक्षय तृतीया पर सिंहासन पर विराजमान कराएंगे; तांबे की गिलहरी भी स्थापित होगी अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के अलावा 18 और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा जून में होगी। तीन दिन प्राण प्रतिष्ठा का पूजन समारोह होगा। ये मूर्तियां राजस्थान के जयपुर में बनाई जा रही हैं, जो 15 अप्रैल के बाद बनकर अयोध्या पहुंच जाएंगी। इसके बाद 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के मौके पर सिंहासन पर मूर्तियों को रखा जाएगा। फिर जून में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। ट्रस्ट की बैठक में समारोह के दिन तय किए जाएंगे। ये बातें आज बुधवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं। जन्मभूमि में तांबे की गिलहरी स्थापित की जाएगी
चंपत राय ने कहा- मूतियां भारी हैं। इसलिए इन्हें सिंहासन पर रखने के लिए बड़ी मशीनों की मदद ली जाएगी। 30 अप्रैल तक टावर क्रेन मंदिर परिसर से हटा लेंगे। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां तेज की जाएंगी। सभी ध्वज दंड भी आ गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा से पहले इनकी सामूहिक पूजा की जाएगी। राम जन्मभूमि में तांबे की गिलहरी की बड़ी मूर्ति रखी जाएगी। इसे ऐसी जगह रखा जाएगा, जिस पर सभी की नजर पड़े। बता दें कि भगवान राम ने लंका तक पहुंचने के लिए रामसेतु का निर्माण शुरू किया, तब गिलहरी ने भी इसमें मदद करने की कोशिश की थी। वह रेत और मिट्टी के छोटे-छोटे ढेले उठाकर पुल में जोड़ने की कोशिश करती थी। पक्षियों के पानी के लिए तालाब बन रहा
चंपत राय ने बताया- प्रथम तल पर राम दरबार परकोटा में 6 मूर्तियों सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और हनुमान जी की स्थापना होनी है। शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति की स्थापना होगी। सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषाद राज, शबरी, अहिल्या मूर्ति की स्थापना होगी। मूर्तियों का श्रृंगार वस्त्र और आभूषण यह सब तैयार हो रहा है। जन्मभूमि में पक्षियों के पानी, बंदर के उछल-कूद के लिए तालाब बनाया जा रहा है। परकोटे में बन रहे छह मंदिरों के शिखर कलश लगेंगे
राम मंदिर के अलावा परकोटे में बन रहे छह मंदिरों (भगवान सूर्य, हनुमान, गणेश, माता जगदंबा, शंकर और माता अन्नपूर्णा) और सप्तमंडप के सात मंदिरों (महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, अहिल्या और शबरी) के साथ-साथ संत तुलसीदास और शेषावतार मंदिर के शिखर पर भी कलश स्थापित किए जाएंगे। इन सभी कलशों का सामूहिक पूजन संपन्न हो चुका है, और अब अलग-अलग तिथियों और मुहूर्तों में इन कलशों की स्थापना की जाएगी। फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार का दर्शन होगा
राम मंदिर के फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार की स्थापना के लिए सफेद संगमरमर का सिंहासन बनाया गया है। यहां प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम दरबार का दर्शन कर सकेंगे। ग्राउंड फ्लोर की ही तरह फर्स्ट फ्लोर पर भी सिंहासन बनाया गया है। गर्भगृह में भव्य नक्काशी की गई है। सामने मंडपम बनाया गया है। इसके खंभों में भी नक्काशी की गई है, जो कि जयपुर के पिंक सैंड स्टोन से बनाया गया है। राम मंदिर के 70 एकड़ परिसर में कुल 18 मंदिरों का निर्माण काम चल रहा है। ये मंदिर हैं परकोटा के देवी-देवताओं के 6 मंदिर, सप्त मंडल के ऋषियों-मुनियों के 7 मंदिर, मुख्य रामलला का मंदिर के भूतल, प्रथम तल और राम दरबार मंदिर के अलावा शेषावतार मंदिर, कुबरेश्वर महादेव का मंदिर व गोस्वामी तुलसीदास का मंदिर। राम मंदिर के परकोटा में कांस्य के 90 भित्तिचित्र लगने हैं। इसमें 11 भित्तिचित्र बनकर तैयार हैं। बाकी का निर्माण किया जा रहा है। मंदिरों का निर्माण काम 98% पूरा हुआ
चंपत राय ने बताया- मंदिर निर्माण का काम करीब 98% पूरा हो गया है। जून के पहले हफ्ते यह पूरा हो जाएगा। सप्त ऋषि मंदिरों में भी इतना ही काम हो चुका है। मई के आखिरी सप्ताह तक यह भी तैयार हो जाएगा। शेषावतार मंदिर में 45% काम हुआ है। उन्होंने बताया- संत तुलसीदास मंदिर की प्रतिमा का लोकार्पण रामनवमी पर हुआ। राम मंदिर के सभी 4 गेट जून तक तैयार होंगे चंपत राय ने बताया- मंदिर में प्रवेश के लिए अभी एक गेट बना है। गेट नंबर-11 बन रहा है। इसके बाद गेट नंबर-3 और गेट नंबर-10 बनाए जाएंगे। जून 2025 तक चारों गेट का निर्माण काम पूरा कर लिया जाएगा। इन सभी प्रवेश द्वार के नाम इस ढंग से रखे जाएंगे कि पूरे भारत की आध्यात्मिक एकात्म यहां प्रकट हो। रामानुज परंपरा, शंकराचार्य जी की परंपरा, वैष्णव में माधवाचार्य जी की परंपरा, अयोध्या में रामानंदाचार्य की परंपरा… यह चार परंपराएं ऐसी हैं, जिससे पूरे देश का एकात्म प्रकट होगा। मूर्ति बना रहे प्रशांत पांडेय बोले- यह एक पवित्र जिम्मेदारी है
मूर्तिकार प्रशांत पांडे की देखरेख में लगभग 20 कारीगरों की एक टीम मूर्तियों को अंतिम रूप दे रही है। प्रशांत पांडेय ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में बताया- जयपुर में सफेद संगमरमर से बनी यह मूर्ती लगभग 5 फीट की है। उन्होंने कहा- सभी मूर्तियां अंतिम प्रक्रिया में हैं। यह हमारे लिए सिर्फ कला नहीं है, यह एक पवित्र जिम्मेदारी है। अपने पिता सत्यनारायण पांडे की देखरेख में काम कर रहे प्रशांत पांडे ने कहा- पत्थर पर हर स्ट्रोक भक्ति से भरा हुआ है। हम सिर्फ मूर्तियां नहीं बना रहे हैं, हम भगवान राम और उनके मूल्यों की कहानी बता रहे हैं। राम दरबार मंदिर का आध्यात्मिक हृदय होगा। —————— ये खबर भी पढ़िए- प्रयागराज में गाजी की मजार पर जाने वाले 75% हिंदू: लोग बोले- यहां 3 बाबा और एक सती की समाधि; चढ़ाते हलवा पूड़ी और मांस ‘मैं 20 साल से मजार पर आ रहा हूं। गांव में हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। यहां एक मजार गाजी मियां की है। बाकी 4 हिंदू बुजुर्गों की समाधि हैं, जिन्हें लोग मजार ही कहते हैं। प्रसाद में कोई मांस चढ़ाता है, कोई हलवा-पूड़ी।’ ये कहना है राम प्रसाद केसरवानी का। वह सिकंदरा गांव में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर पूजा करने पहुंचे थे। यूपी में अचानक यह मजार इसलिए सुर्खियों में आ गई, क्योंकि 6 अप्रैल को मजार पर छात्र नेता मनेंद्र प्रताप सिंह ने भगवा झंडा फहरा दिया। गांव के हालात समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज मुख्यालय से 30Km दूर सिकंदरा गांव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट…