लखनऊ के इकाना स्टेडियम में UP T- 20 लीग में रविवार को लखनऊ फाल्कंस और मेरठ मावेरिक्स के बीच मैच खेला गया। लखनऊ ने मेरठ को 7 विकेट से हरा दिया है। लखनऊ ने 18 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 123 रन बनाए। समर्थ सिंह ने 37 बॉल पर ने 50 रन बनाए। उन्होंने 3 चौके और 3 छक्के लगाए। मेरठ की शुरुआत बेहद धीमी रही। मेरठ ने 20 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 122 रन बनाए। इससे पहले काशी रुद्रास और नोएडा किंग्स के बीच मैच खेला गया। काशी ने नोएडा को 79 रन से हरा दिया है। नोएडा की टीम 20 ओवर में 88 रन पर ऑल आउट हो गई। काशी की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट के नुकसान पर 167 रन बनाए थे। कप्तान करण शर्मा ने तूफानी बल्लेबाजी करने हुए 53 बॉल पर 69 रन बनाए। करण ने 5 चौके और 3 छक्के लगाए। प्रिंस यादव ने 35 बॉल में 4 छक्के लगाकर 36 रन बनाए। टारगेट चेज करने उतरी नोएडा की शुरुआत बेहद धीमी रही। कोई भी बल्लेबाज देर तक नहीं खेल पाया। लखनऊ के इकाना स्टेडियम में UP T- 20 लीग में रविवार को लखनऊ फाल्कंस और मेरठ मावेरिक्स के बीच मैच खेला गया। लखनऊ ने मेरठ को 7 विकेट से हरा दिया है। लखनऊ ने 18 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 123 रन बनाए। समर्थ सिंह ने 37 बॉल पर ने 50 रन बनाए। उन्होंने 3 चौके और 3 छक्के लगाए। मेरठ की शुरुआत बेहद धीमी रही। मेरठ ने 20 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 122 रन बनाए। इससे पहले काशी रुद्रास और नोएडा किंग्स के बीच मैच खेला गया। काशी ने नोएडा को 79 रन से हरा दिया है। नोएडा की टीम 20 ओवर में 88 रन पर ऑल आउट हो गई। काशी की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट के नुकसान पर 167 रन बनाए थे। कप्तान करण शर्मा ने तूफानी बल्लेबाजी करने हुए 53 बॉल पर 69 रन बनाए। करण ने 5 चौके और 3 छक्के लगाए। प्रिंस यादव ने 35 बॉल में 4 छक्के लगाकर 36 रन बनाए। टारगेट चेज करने उतरी नोएडा की शुरुआत बेहद धीमी रही। कोई भी बल्लेबाज देर तक नहीं खेल पाया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जले:NICU में भर्ती थे, 37 बच्चे खिड़की तोड़कर बाहर निकाले गए; योगी ने डिप्टी सीएम को भेजा
झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जले:NICU में भर्ती थे, 37 बच्चे खिड़की तोड़कर बाहर निकाले गए; योगी ने डिप्टी सीएम को भेजा झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। एनआईसीयू वार्ड की खिड़की तोड़कर 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, वहीं हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना के बाद मेडिकल कॉलेज में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। जिलाधिकारी समेत सभी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। सीएम योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया। सीएम योगी ने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। यूपी के डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक झांसी के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ स्वास्थ्य सचिव भी मौजूद हैं। घटना की 4 तस्वीरें… डीएम ने कहा- अंदर फंसे बच्चों को नहीं बचाया जा सका
डीएम अविनाश कुमार ने कहा;- बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए हैं। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए हैं। 10 बच्चों की मौत हो गई है। शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग
कमिश्नर विमल दुबे ने बताया कि अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सिलेंडर ब्लास्ट के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कुछ देर तक समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने जब एसएनसीयू वार्ड से धुंआ निकलते देखा तो वहां अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल के कर्मचारी शिशु वार्ड की तरफ भागे। रोते-बिलखते बच्चों के परिजन भी उनके पीछे-पीछे भागे। हालांकि, आग की लपटों और धुएं की वजह से कोई वार्ड में नहीं घुस पाया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़की का शीशा तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। आग लगने के बाद भी नहीं बजा सेफ्टी अलार्म
दमकल कर्मी मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे रहे। वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी। झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा, ‘NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई, आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन आग तुरंत फैल गई थी। 10 बच्चों की अभी तक मृत्यु हो गई है, बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है।’ झांसी हादसे की 3 बड़ी लापरवाही परिजनों ने क्या कुछ बताया… परिजन बोले- डॉक्टर की कमी से बच्चे की मौत रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा- 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं। अचानक हल्ला मचा…बच्चा बचाओ, कोई कुछ बचा नहीं सका संतरा ने कहा- मेरे बेटे राज किशन सविता का बेटा हुआ था। वह वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे। तभी आग लग गई। हम उसे उठा नहीं पाए। सभी लोग चिल्लाने लगे आग लग गई, आग लग गई। हम अंदर नहीं जा पाए। हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। आग लगने ही डॉक्टर भाग गए महोबा के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए। अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे। 10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए देखे। हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला। ये आग कैसे लगी, ये हमें नहीं पता। ————————- हादसे से जुड़ी ये भी एक खबर पढ़ें: मऊ में हादसे के बाद बवाल और लाठीचार्ज:भीड़ ने अस्पताल पर पथराव किया, पुलिस जीप तोड़ी; सीओ-कोतवाल घायल मऊ के घोसी में शुक्रवार देर शाम बवाल हो गया। दो बाइकों की आपस में भिड़ंत हो गई। हादसे के बाद दोनों बाइक सवार युवक एक-दूसरे को पीटने लगे। चाकू से हमला करते हुए एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। पुलिस ने बीच-बचाव कराते हुए दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया…(पढ़ें पूरी खबर)
Ratan Tata Death: ‘रतन टाटा को मिले भारत रत्न’, महाराष्ट्र कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
Ratan Tata Death: ‘रतन टाटा को मिले भारत रत्न’, महाराष्ट्र कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी <p><strong>Ratan Tata Death News:</strong> टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया. जिसको लेकर महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बैठक में इस संबंध में शोक प्रस्ताव पेश किया. इस अवसर पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें केंद्र से रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध किया गया.</p>
<p>इससे पहले एक्स पर पोस्ट कर सीएम <a title=”एकनाथ शिंदे” href=”https://www.abplive.com/topic/eknath-shinde” data-type=”interlinkingkeywords”>एकनाथ शिंदे</a> ने एक्स पर पोस्ट कर रतन टाटा के निधन पर शोक भी जताया था. जिसमें उन्होंने लिखा कि रतन टाटा के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है. टाटा भारतीय उद्योग जगत के महानतम लोगों में से एक थे. टाटा समूह के माध्यम से उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय उद्योग को दुनिया में एक उल्लेखनीय स्थान मिले. उन्हें उनकी नैतिकता, नेतृत्व और राष्ट्र प्रेम के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनमें अंदर निर्णय लेने का असाधारण गुण था. उन्होंने हमारे जीवन को बदल दिया. उन्होंने दुनिया में भारत को देखने के तरीके को बदल दिया. </p>
लखीमपुर खीरी में रात में पटाखे फोड़कर भगा रहे बाघ:लाठी-डंडे लेकर रखवाली, झुंड में ही गांव वाले निकल रहे बाहर
लखीमपुर खीरी में रात में पटाखे फोड़कर भगा रहे बाघ:लाठी-डंडे लेकर रखवाली, झुंड में ही गांव वाले निकल रहे बाहर जिला- लखीमपुर खीरी, गांव- मूढ़ा जवाहर गांव, समय- रात 8 बजे गांव में जाने वाली सड़क के दोनों तरफ गन्ने के खेत हैं। सड़क किनारे झाड़ियां उगी हैं। इससे आधी सड़क ही चलने लायक दिखती है। गांव के एक छोर पर पूरी तरह सन्नाटा था। कोई भी बाहर नहीं दिख रहा था। हर कोई अपने घरों में कैद हो गया था। गांव के दूसरे छोर की तरफ जाने पर करीब 20 लोगों का एक ग्रुप दिखा। इनके हाथों में डंडे थे। ये बीच-बीच में पटाखे फोड़ रहे थे। पूछने पर बताया, यह इसलिए कर रहे ताकि बाघ गांव की तरफ न आए। इससे लोगों को भी सचेत कर रहे कि बाहर नहीं सोएं। घर के अंदर या फिर छत पर सोएं। यह गांव लखीमपुर खीरी जिले की गोला तहसील में पड़ता है। यहां कई बार बाघ देखा गया, इसलिए वन विभाग ने कैमरे लगा दिए। मचान बना दिए। पिंजरा रखकर बाघ को पकड़ने की कोशिश की जा रही।
यह डर सिर्फ मूढ़ा जवाहर गांव का नहीं, 50 गांवों में डर का माहौल है। बाघ डेढ़ महीने में 5 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। हालात यह हो गए कि शाम होते ही लोग गांव से बाहर निकलना छोड़ देते हैं, 8 बजे तक घरों में कैद हो जाते हैं। बाघ से बचाव के लिए गांव वालों और वन-विभाग की क्या तैयारियां हैं? विभाग की बाघ पकड़ने की कोशिशों को लेकर गांव वालों का क्या कहना है? क्या इसका कोई असर हुआ? इस रिपोर्ट में पढ़िए… गांव के अनूप यादव कहते हैं- हमारा बच्चा 12वीं में पढ़ता है। उसका 5 किमी दूर स्कूल है। जब तक वह स्कूल से आ नहीं जाता, चिंता लगी रहती है। खाना तक ठीक ढंग से नहीं खा पा रहे। सिर्फ मैं नहीं, पूरे क्षेत्र में लोग बाघ के हमले से डर रहे हैं। पहले तो वन विभाग यहां रहता भी था, लेकिन अब दूसरी जगह हमला हुआ तो वह भी चले गए। बाघ के डर से लोग काम पर नहीं जा रहे, बच्चों को स्कूल जाना भी बंद
इसी गांव में हमारी मुलाकात अवधेश से हुई। वह बाघ को लेकर परेशान हैं। कहते हैं- मेरे दो बच्चे हैं। दोनों यहां से 5 किलोमीटर दूर गोला में पढ़ते हैं। हम उनकी 2 हजार रुपए महीने की फीस जमा करते हैं, लेकिन दोनों स्कूल नहीं जा पा रहे। स्कूल में कहते हैं, फीस भरिए। अब आखिर हम कहां से भरें फीस? हम तो काम पर ही नहीं जा पा रहे, पैसा कैसे आएगा? हम लोग पटाखा फोड़कर खुद को किसी तरह से बचाए हैं। गांव वालों का आरोप- वन विभाग बाघ को पकड़ने की कोशिश नहीं कर रहा
इसी गांव के नंदलाल भार्गव कहते हैं- 15 दिन में हमारे इलाके में दो लोगों को बाघ ने मार डाला। इससे डर कुछ ऐसा है कि लोग मार्केट तक नहीं जा पा रहे। जानवरों के लिए चारा तक नहीं ला पा रहे। रातभर लोग अलग-अलग जगहों पर बैठकर पहरा दे रहे। मशालें जलाते हैं। जो बाघ हमला कर रहा है, वह यहां दो साल से है। गांव के कई लोगों ने इसे देखा, लेकिन वन विभाग पकड़ने की कोशिश नहीं कर रहा। वकील सुचेंद्र कुमार मिश्रा कहते हैं- पास के दो गांव में दो लोगों को बाघ खा गया। दोनों बेहद गरीब परिवार से हैं। आप बताइए, उनका परिवार कैसे चलेगा। बहुत बुरी स्थिति है। हमारे तो गांव के बाहर एक जो बाग है, वहां बाघ रहता है। ये सूचना हम लोगों ने वन विभाग को भी दी, लेकिन उसके कर्मचारी भी वहां जाने से बचने लगे हैं। वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पकड़ने का आदेश देते हैं, लेकिन यहां कोई ठोस कदम नहीं उठाना चाहता। जगह- अजान गांव, समय- रात के 11 बजे गांव वालों का दावा- विभाग पकड़ने की जगह बाघ को खाना दे रहा
रात के करीब 11 बजे हम अजान गांव पहुंचे। पूरे गांव में सन्नाटा था। कोई भी घर के बाहर नजर नहीं आया। यहां हमें घर के बाहर श्रीकृष्ण वर्मा मिले। वह कहते हैं- हमारे पूरे गांव में इस बात की चर्चा है कि वन विभाग बाघ को पकड़ना ही नहीं चाहता। वह तो बाघ के भोजन का प्रबंध कर रहा है। यह सुनने में अजीब लगा, हमने पूछा- कैसे? श्रीकृष्ण कहते हैं- इन लोगों ने आबादी से दूर गन्ने के खेतों के बीच पिंजरा लगाया है। वहां ये पड्डा यानी भैंस का बच्चा ले जाकर बांधते हैं। इस दौरान गांव के किसी व्यक्ति को नहीं ले जाते। कल ही जो पड्डा लगाया, उसे बाघ खा गया। अब अगर पिंजरा है, तो उसके अंदर क्यों नहीं बांधते? अगर उसके अंदर बांधा जाए तो बाघ को आसानी से पकड़ा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। उस खौफ की कहानी जब लोगों का बाघ से सामना हुआ- बाघ का बच्चा देखा तो साइकिल उल्टा मोड़ा और जान बचाकर भागा
क्षेत्र के अनीश अहमद बताते हैं- मैं रपटा पुल की तरफ जा रहा था। मैंने देखा, वहीं सामने बाघ का बच्चा खड़ा था। मेरे होश उड़ गए। कुछ समझ ही नहीं आया। अचानक मैंने साइकिल घुमाई। वहां से जितनी तेज हो सकता है, उतनी तेज भगाकर अपनी जान बचाई। मैंने वहां तो एक ही बच्चा देखा, लेकिन संभव है कि वहां बाघिन और उसका दूसरा भी बच्चा हो। इस घटना के बाद मैं उधर कभी अकेले नहीं गया। बाघ को अक्सर गन्ने के खेतों से आते-जाते देखा
हम मूढ़ा अस्सी गांव पहुंचे। इसी गांव में पिछले हफ्ते जाकिर को गन्ना बांधते वक्त बाघ ने अपना शिकार बनाया था। यहां के शिवाजी वर्मा बताते हैं- हमने कई बार बाघ देखा। वह अक्सर गन्ने के खेतों से होकर आता-जाता रहता है। अब हमारे गांव में उसने शिकार कर लिया, इसलिए यहां लोगों में जबरदस्त डर है। लोग अपने गन्ने के खेतों में नहीं जा पा रहे। गन्ने को नहीं बांधने से सब गिरता जा रहा। एक बाघ के चलते किसानों का बहुत नुकसान हो रहा। इसी गांव के पितंबर कहते हैं- हमने अपने जीवन में बाघ को लेकर इतना डर नहीं देखा। 25 साल पहले भी बाघ आया था। उस वक्त एक व्यक्ति मेरे गांव का दूसरा बगल वाले गांव का खा गया था। लेकिन उस वक्त इतना डर नहीं लगा, जितना आज लग रहा। कोई भी व्यक्ति आज बाहर नहीं जा रहा। वन विभाग यहां बाघ पकड़ने नहीं, उसे सुरक्षा देने आता है। शाम 4 बजे के बाद कोई गांव से बाहर नहीं जा रहा
हम दो दिन में करीब 20 गांवों में गए। इन सभी गांव के हालात एक जैसे दिखे। शाम को 4 बजे के बाद कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर अकेले नहीं जाता। रात 8 बजे तक घर के बच्चों को घरों में कैद कर दिया जाता है। हर दो घंटे पर पटाखे फोड़े जा रहे। लाठी-डंडों के साथ लोग समूह में बैठे दिखे। कुछ तो दबी जुबान में यह भी कहते हैं कि अगर हमें लिखित आदेश मिल जाए तो हम बाघ को पकड़ लें, चाहे जिंदा पकड़ें या फिर मुर्दा। DFO बोले- बाघ रॉयल जानवर, वह पिंजरे में नहीं जाता
गांव वालों के आरोप पर DFO संजय बिस्वाल कहते हैं- यह सही है कि हम लोग पड्डे को पिंजरे के बाहर बांधते हैं, लेकिन एक पड्डा पिंजरे के अंदर भी होता है। असल में बाघ रॉयल जानवर है, वह पिंजरे में नहीं जाता। हमारी कोशिश होती है, पड्डे के जरिए उसे उस जगह दोबारा बुलाया जाए। फिर जब वह आराम से बैठकर खाए तो हम उसे ट्रेंकुलाइज (बेहोश) करें। अगर वह भाग रहा होगा, तो हम उसे बेहोश नहीं कर सकते। वह बताते हैं- बाघ अपने शिकार को मारकर एक बार में नहीं खाता। वह दोबारा खाने के लिए आता है। दुधवा टाइगर रिजर्व लेकर बाहर से यहां टाइगर को पकड़ने के लिए टीमें काम कर रही हैं। ऐसे में गांव वालों में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि प्रशासन बाघ को पकड़ना नहीं चाहता। बाघ को पकड़ने के लिए प्रशासन की तैयारियां DFO ने कहा- गन्ने के खेतों की वजह से बाघ पकड़ने में आ रही दिक्कत
हमने वन विभाग के इंतजाम को लेकर डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) संजय कुमार बिस्वाल से बात की। वह बताते हैं- हमारी टीम बाघ को पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही है। हमने इलाके में 40 कैमरे लगाए हैं। दो ड्रोन के जरिए निगरानी कर रहे हैं। बाघ अगर दिखता है, तो उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए दो डॉक्टर लगे हैं। इसके अलावा वन विभाग के तमाम कर्मचारी लगे हैं। हमने पूछा, बाघ पकड़ने में दिक्कत कहां आ रही? DFO कहते हैं- आपने देखा होगा कि पूरे इलाका गन्ने की फसल से भरा हुआ है। कई-कई किलोमीटर तक सिर्फ गन्ना दिखता है। जब भी सर्च अभियान चलता है, बाघ इन्हीं गन्नों के सहारे भाग जाता है या फिर कहीं छिप जाता है। वह ड्रोन में नहीं आ पा रहा। DFO आगे बताते हैं- जिन जगहों पर बाघ बार-बार देखा जा रहा, हमने उन जगहों पर पिंजरा लगाया है। वहां मचान बनाई जा रही, ताकि बाघ को ट्रेंकुलाइज किया जा सके। बाकी रात में कोई सर्च अभियान नहीं चल रहा। लोगों को जागरूक कर रहे कि रात में घर के बाहर न निकलें। हमारी कोशिश है कि बाघ जल्द से जल्द पकड़ लिया जाए। ये खबर भी पढ़ें… टाइगर 5 दिन में 3 बच्चों को खा गया; लखीमपुर में बंदूक लिए वनकर्मियों में भी खौफ, किसानों ने खेत जाना छोड़ा राजधानी लखनऊ से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लखीमपुर जिले में 50 से ज्यादा गांवों में बाघ का खौफ है। बाघ 5 दिन के भीतर तीन बच्चों को खा गया। जब तक शोर मचता है, आदमखोर शिकार कर गन्ने के खेतों में कहां गायब हो जाता है, पता नहीं चलता। पूरी खबर पढ़ें…