Uttarakhand News: केदारनाथ घाटी समेत हिमालय पर मंडराया नया खतरा, प्रशासन 13 ग्लेशियर झीलों की करवाएगा स्टडी

Uttarakhand News: केदारनाथ घाटी समेत हिमालय पर मंडराया नया खतरा, प्रशासन 13 ग्लेशियर झीलों की करवाएगा स्टडी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी समेत उत्तराखंड के हिमालय पर नया खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है जिसमें बादल फटने और &nbsp;फ्लड की चेतावनी दी गई है, साथी उत्तराखंड सरकार ने ग्लेशियरों की स्टडी के लिए एक टीम बनाने का भी फैसला किया था क्योंकि उत्तराखंड में ग्लेशियरों की पिघलने की क्षमता दोगुनी हो गई है ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं.इसको लेकर राज्य सरकार अभी से इस सब पर स्टडी कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि केदारनाथ धाम के ऊपर मौजूद सुमेरु पर्वत से 30 जून 2024 को हिमस्खलन हुआ था. जिसकी तस्वीर सामने आए थी. जिसे एबीपी लाइव ने भी प्रमुखता से दिखाया था. उसे पिछले साल भी ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला था. हर साल ऐसे ही नजर देखने को मिल रहे है. इस सब को देखकर लगता है कि कहीं ऐसा ना हो कि इस बार आपदा पानी के बजाय पहाड़ से गिरने वाले बर्फ के रूप में सामने आए. केदारनाथ घाटी नहीं बल्कि ऐसे कई इलाके हैं जो इस खतरनाक हादसे के शिकार हो सकते हैं. इसको लेकर राज्य सरकार ने एक स्टडी करने का फैसला लिया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ग्लेशियर झीलों की हो रही स्टडी</strong><br />आपको बता दे कि राज्य सरकार ऊंचाई पर मौजूद ग्लेशियर झीलों की स्टडी करवा रही है. ताकि उनसे होने वाले खतरों की तैयारी पहले से की जा सके. इन झीलों के टूटने या फटने पर निचले इलाकों में 2013 जैसी आपदा ना आए. इससे पहले ही उसके इंतजाम कर लिए जाए. इसको लेकर स्टडी कराई जा रही है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर साईं ने एबीपी लाइव को बताया था, कि उत्तराखंड में मौजूद ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इनके पिघलने से कई जिले बन चुकी है. इन झीलों के टूटने या फिर फटने से निचले इलाकों में तबाही जैसा मंजर आ सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आईएमडी ने किया अलर्ट जारी</strong><br />इन झीलों की वजह से आने वाले समय में कभी भी आउटबर्स्ट फ्लड आने का खतरा बना हुआ है. उत्तराखंड राज्य डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट जिन 13 ग्लेशियर झीलों की स्टडी करने वाला है. उनमें से 5 ज्यादा खतरनाक है और इन्हें खतरनाक जोन में रखा गया है. इनमें से पिथौरागढ़ जिले के डर्मा,लसारीगघाटी,कुटियागटी घाटी, और चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में मौजूद वसुंधरा लाल हाई रिस्क में है. यह सभी झीले 0.02 से 0.50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली है. भारतीय मौसम विभाग विज्ञान केंद्र यानी आईएमडी ने चेतावनी जारी की है कि जुलाई महीने में पश्चिमी हिमालय में भारी बारिश हो सकती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2013 में केदारनाथ में हुआ था हादसा</strong><br />&nbsp;उत्तराखंड में मौजूद यह सभी ग्लेशियर झीलें 4000 मी यानी 13,123 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर है. उत्तराखंड सरकार जो स्टडी करने जा रही है. यह स्टडी जुलाई के पहले हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है. इससे इन ग्लेशियर झींलो सही ऊंचाई आकार और गहराई और खतरे का अंदाजा लगाया जा सकेगा. इन बर्फीली झीलों की स्टडी में भी अपने आप में खतरा होगा. ऐसे जिलों की वजह से उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में दो प्रमुख हादसे हुए हैं. पहले जून 2013 में केदारनाथ में हादसा हुआ था. जिसमें झील टूटने से फ्लड आया था. जिसमें 6000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में कुल 1266 ग्लेशियर झील&nbsp;</strong><br />उत्तराखंड में इस प्रकार की कितनी जिले हैं. इसको लेकर के एक स्टडी वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की एक रिपोर्ट में सामने आई थी. जिसका नाम ग्लेशियर लेक इन्वेंटरी आफ उत्तराखंड, इसमें उन सभी ग्लेशियर झीलों का जिक्र है, जो उत्तराखंड में काफी ऊंचाई पर है.यह सभी अलग-अलग बेसिन में ऊपर की तरफ है.अभी तक की जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कुल मिलाकर 1266 ग्लेशियर झीलें मौजूद है इनमें 809 सुपर ग्लेशियर लैस है इसके बाद 214 रिसेप्शन मौर्य डेम्ड लेक्स,आइस डेम्ड लेक,ग्लेशियर इरोशन और कुछ अन्य भी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सभी झीलों की स्टडी के लिए भेजी जाएगी टीम</strong><br />फिलहाल प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग इन सभी झीलों की एक स्टडी करने के लिए टीम भेजना वाला है. इस टीम का इन झीलों तक पहुंचना भी एक बड़ा काम होगा. क्योंकि ऐसे मौसम में इन झीलों की जानकारी लेना और रिपोर्ट तैयार करना विभाग के लिए कड़ी मेहनत का काम होगा. लेकिन इन सभी झींलो का निरीक्षण करना बेहद जरूरी है. क्योंकि आने वाले वक्त में इन झींलो से उत्पन्न होने वाले खतरे को मापना बेहद जरूरी है. इसको लेकर राज्य सरकार काफी कड़ाई से काम कर रही है. आने वाले खतरे को अभी से मापना समझदारी का काम है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी समेत उत्तराखंड के हिमालय पर नया खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. क्योंकि मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की है जिसमें बादल फटने और &nbsp;फ्लड की चेतावनी दी गई है, साथी उत्तराखंड सरकार ने ग्लेशियरों की स्टडी के लिए एक टीम बनाने का भी फैसला किया था क्योंकि उत्तराखंड में ग्लेशियरों की पिघलने की क्षमता दोगुनी हो गई है ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं.इसको लेकर राज्य सरकार अभी से इस सब पर स्टडी कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आपको बता दें कि केदारनाथ धाम के ऊपर मौजूद सुमेरु पर्वत से 30 जून 2024 को हिमस्खलन हुआ था. जिसकी तस्वीर सामने आए थी. जिसे एबीपी लाइव ने भी प्रमुखता से दिखाया था. उसे पिछले साल भी ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला था. हर साल ऐसे ही नजर देखने को मिल रहे है. इस सब को देखकर लगता है कि कहीं ऐसा ना हो कि इस बार आपदा पानी के बजाय पहाड़ से गिरने वाले बर्फ के रूप में सामने आए. केदारनाथ घाटी नहीं बल्कि ऐसे कई इलाके हैं जो इस खतरनाक हादसे के शिकार हो सकते हैं. इसको लेकर राज्य सरकार ने एक स्टडी करने का फैसला लिया है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ग्लेशियर झीलों की हो रही स्टडी</strong><br />आपको बता दे कि राज्य सरकार ऊंचाई पर मौजूद ग्लेशियर झीलों की स्टडी करवा रही है. ताकि उनसे होने वाले खतरों की तैयारी पहले से की जा सके. इन झीलों के टूटने या फटने पर निचले इलाकों में 2013 जैसी आपदा ना आए. इससे पहले ही उसके इंतजाम कर लिए जाए. इसको लेकर स्टडी कराई जा रही है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर साईं ने एबीपी लाइव को बताया था, कि उत्तराखंड में मौजूद ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इनके पिघलने से कई जिले बन चुकी है. इन झीलों के टूटने या फिर फटने से निचले इलाकों में तबाही जैसा मंजर आ सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आईएमडी ने किया अलर्ट जारी</strong><br />इन झीलों की वजह से आने वाले समय में कभी भी आउटबर्स्ट फ्लड आने का खतरा बना हुआ है. उत्तराखंड राज्य डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट जिन 13 ग्लेशियर झीलों की स्टडी करने वाला है. उनमें से 5 ज्यादा खतरनाक है और इन्हें खतरनाक जोन में रखा गया है. इनमें से पिथौरागढ़ जिले के डर्मा,लसारीगघाटी,कुटियागटी घाटी, और चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में मौजूद वसुंधरा लाल हाई रिस्क में है. यह सभी झीले 0.02 से 0.50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली है. भारतीय मौसम विभाग विज्ञान केंद्र यानी आईएमडी ने चेतावनी जारी की है कि जुलाई महीने में पश्चिमी हिमालय में भारी बारिश हो सकती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>2013 में केदारनाथ में हुआ था हादसा</strong><br />&nbsp;उत्तराखंड में मौजूद यह सभी ग्लेशियर झीलें 4000 मी यानी 13,123 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर है. उत्तराखंड सरकार जो स्टडी करने जा रही है. यह स्टडी जुलाई के पहले हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है. इससे इन ग्लेशियर झींलो सही ऊंचाई आकार और गहराई और खतरे का अंदाजा लगाया जा सकेगा. इन बर्फीली झीलों की स्टडी में भी अपने आप में खतरा होगा. ऐसे जिलों की वजह से उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में दो प्रमुख हादसे हुए हैं. पहले जून 2013 में केदारनाथ में हादसा हुआ था. जिसमें झील टूटने से फ्लड आया था. जिसमें 6000 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड में कुल 1266 ग्लेशियर झील&nbsp;</strong><br />उत्तराखंड में इस प्रकार की कितनी जिले हैं. इसको लेकर के एक स्टडी वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की एक रिपोर्ट में सामने आई थी. जिसका नाम ग्लेशियर लेक इन्वेंटरी आफ उत्तराखंड, इसमें उन सभी ग्लेशियर झीलों का जिक्र है, जो उत्तराखंड में काफी ऊंचाई पर है.यह सभी अलग-अलग बेसिन में ऊपर की तरफ है.अभी तक की जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कुल मिलाकर 1266 ग्लेशियर झीलें मौजूद है इनमें 809 सुपर ग्लेशियर लैस है इसके बाद 214 रिसेप्शन मौर्य डेम्ड लेक्स,आइस डेम्ड लेक,ग्लेशियर इरोशन और कुछ अन्य भी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सभी झीलों की स्टडी के लिए भेजी जाएगी टीम</strong><br />फिलहाल प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग इन सभी झीलों की एक स्टडी करने के लिए टीम भेजना वाला है. इस टीम का इन झीलों तक पहुंचना भी एक बड़ा काम होगा. क्योंकि ऐसे मौसम में इन झीलों की जानकारी लेना और रिपोर्ट तैयार करना विभाग के लिए कड़ी मेहनत का काम होगा. लेकिन इन सभी झींलो का निरीक्षण करना बेहद जरूरी है. क्योंकि आने वाले वक्त में इन झींलो से उत्पन्न होने वाले खतरे को मापना बेहद जरूरी है. इसको लेकर राज्य सरकार काफी कड़ाई से काम कर रही है. आने वाले खतरे को अभी से मापना समझदारी का काम है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Uttarakhand Rain: उत्तराखंड में भारी बारिश से अलकनंदा का जलस्तर बढ़ा, सुरक्षा के लिहाज से कई गांव कराए गए खाली