अंबानी के मेहमानों को मिलेगा बनारसी फैब्रिक का खास बैग:​​​​​​​कारीगरों ने 22 दिन में तैयार किया, साथ में 1 खास साड़ी भी भेजी, जिसमें रियल जरी लगी

अंबानी के मेहमानों को मिलेगा बनारसी फैब्रिक का खास बैग:​​​​​​​कारीगरों ने 22 दिन में तैयार किया, साथ में 1 खास साड़ी भी भेजी, जिसमें रियल जरी लगी

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में 4 दिन बचे हैं। शाही शादी को खास बनाने के लिए बनारस से कई ऑर्डर हुए हैं। इन्ही में से एक है अनंत की शादी के मेहमानों को मिलने वाला खास बैग। जिसका फैब्रिक काशी के बुनकरों ने तैयार किया है। उसे मुंबई भेजा है। वहां के डिजाइनर इस फैब्रिक से खास बैग तैयार करेंगे। इसके अलावा काशी की शिव शक्ति प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा एक रियल जरी साड़ी भी मुंबई भेजी गई है, जो बनारसी साड़ी के जंगला ट्रेंड की है। फैब्रिक तैयार करने में कितने दिन लगे और यहां कपड़ा कितना खास है, ये समझिए… इस खास फैब्रिक के बारे में जानने और उसकी कारीगरी समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम शिव शक्ति प्राइवेट लिमिटेड के ऑफिस पहुंची और उसके मालिक ध्रुव कुमार पांडेय से मुलाकात की। ध्रुव कुमार पांडेय नेशनल अवार्डी हैं और आर्टिजंस से पिछले 35 वर्षों से जुड़े हुए हैं। ध्रुव ने बताया – बनारस के क्राफ्ट से संबंधित जो भी बाहर के लोगों को जरूरत होती है। उसे हम प्रोवाइड करवाते हैं। शिव शक्ति आर्टिजंस प्राइवेट लिमिटेड ने अनंत अंबानी की प्री-वेडिंग में मेहमानों के लिए खास बैग के लिए एक हजार मीटर कपड़ा भेजा है, जो ब्रोकेट है। एक दिन में बनता है सिर्फ दो मीटर
यह कपड़ा बनारस में हैंडलूम पर बनाया जाता है। बनारसी ब्रोकेट एक दिन में दो मीटर से ज्यादा नहीं बना सकता है। क्योंकि इसमें जरी की मात्रा अधिक होती है और हैवी कपड़ा होता है। जिससे उसका बैग खिल के आता है और लोगों को गिफ्ट करने के लिए अच्छा होता है। ध्रुव ने बताया – इस कपड़े को बनाने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है और इसे स्किल्ड आर्टिजन ही बना सकते हैं। यह कपड़ा 3 हजार रुपए से 35 सौ रुपए मीटर तक का होता है। 22 दिन में पूरा किया ऑर्डर, पावरलूम पर बना कपड़ा
ध्रुव कुमार पांडेय ने बताया- ऑर्डर बहुत जल्दी बनाकर देना था। इसलिए इस बार यह फैब्रिक हैंडलूम की जगह पावर लूम पर दिन-रात मेहनत कर 22 दिनों में तैयार किया गया और मुंबई भेजा गया है। उम्मीद है कि इस बार भी इससे बैग बनाया जाएगा। रियल जरी की जंगला साड़ी गई मुंबई, नीता को आई है पसंद
ध्रुव कुमार ने बताया- बैग के फैब्रिक के अलावा हमारे यहां से 20 से ज्यादा साड़ियां भी स्पेशल ऑर्डर पर गईं हैं। उसके अलावा भी कई साड़ियां मुंबई भेजी गई हैं। इनमें एक रियल जरी की जंगला ट्रेंड की बनारसी साड़ी खास है। जिसे नीता अंबानी ने पसंद किया है। 24 घंटे में 7 इंच बनती है जंगला बनारसी साड़ी
ध्रुव ने बताया – बनारसी जंगला साड़ी ट्रेंड कारीगर ही बना सकते हैं। इसके लिए फूल स्किल्ड बुनकर चाहिये क्योंकि इसमें रियल जरी का काम हुआ है। उन्होंने बताया कि इस साड़ी को एक दिन में दो स्किल्ड बुनकर 3 इंच और दिन रात की शिफ्ट में काम करके 7 इंच बुनते हैं। जो रियल जरी की जंगला साड़ी नीता अंबानी को पसंद आई है। उसे 4 महीने से अधिक में बुना गया है। 400 ग्राम रियल जरी का हुआ इस्तेमाल
​​​​​​​इस बनारसी जंगला कढ़ुआ साड़ी में 400 ग्राम रियल जरी का इस्तेमाल हुआ है। इसमें 400 ग्राम चांदी पर गोल्ड की प्लेटिंग की गई है। इसका वजन कुल 800 ग्राम है। एक साड़ी बनने में बुनकर के अलावा 20 से 25 लोगों का सहयोग लिया जाता है। सबसे पहले प्रिपरेशन होती है। ड्राइंग करते हैं। डिजाइन ले-आउट बनाते हैं। नक्शा बनता है। पंचिंग होती है। फिर पत्ता कटता है। इसके बाद यह साड़ी हैंडलूम पर जाती है। ऐसे में कुल 20 से 25 लोगों के हाथ से गुजरती है। रखनी पड़ती है सावधानी
​​​​​​​उन्होंने बताया- इसकी बुनाई हैंडलूम पर दो स्किल्ड आर्टिजंस करते हैं। इसे बुनते समय हैंडलूम की पिक पर ध्यान देना होता है। उसे एक स्पीड में ही बार-बार लेना पड़ता है। वरना साड़ी में डिफेक्ट आने का डर रहता है। उन्होंने कहा कि इस साड़ी को बनाने के बाद हैंडलूम से खोलने में भी ध्यान देना होता है। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में 4 दिन बचे हैं। शाही शादी को खास बनाने के लिए बनारस से कई ऑर्डर हुए हैं। इन्ही में से एक है अनंत की शादी के मेहमानों को मिलने वाला खास बैग। जिसका फैब्रिक काशी के बुनकरों ने तैयार किया है। उसे मुंबई भेजा है। वहां के डिजाइनर इस फैब्रिक से खास बैग तैयार करेंगे। इसके अलावा काशी की शिव शक्ति प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा एक रियल जरी साड़ी भी मुंबई भेजी गई है, जो बनारसी साड़ी के जंगला ट्रेंड की है। फैब्रिक तैयार करने में कितने दिन लगे और यहां कपड़ा कितना खास है, ये समझिए… इस खास फैब्रिक के बारे में जानने और उसकी कारीगरी समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम शिव शक्ति प्राइवेट लिमिटेड के ऑफिस पहुंची और उसके मालिक ध्रुव कुमार पांडेय से मुलाकात की। ध्रुव कुमार पांडेय नेशनल अवार्डी हैं और आर्टिजंस से पिछले 35 वर्षों से जुड़े हुए हैं। ध्रुव ने बताया – बनारस के क्राफ्ट से संबंधित जो भी बाहर के लोगों को जरूरत होती है। उसे हम प्रोवाइड करवाते हैं। शिव शक्ति आर्टिजंस प्राइवेट लिमिटेड ने अनंत अंबानी की प्री-वेडिंग में मेहमानों के लिए खास बैग के लिए एक हजार मीटर कपड़ा भेजा है, जो ब्रोकेट है। एक दिन में बनता है सिर्फ दो मीटर
यह कपड़ा बनारस में हैंडलूम पर बनाया जाता है। बनारसी ब्रोकेट एक दिन में दो मीटर से ज्यादा नहीं बना सकता है। क्योंकि इसमें जरी की मात्रा अधिक होती है और हैवी कपड़ा होता है। जिससे उसका बैग खिल के आता है और लोगों को गिफ्ट करने के लिए अच्छा होता है। ध्रुव ने बताया – इस कपड़े को बनाने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है और इसे स्किल्ड आर्टिजन ही बना सकते हैं। यह कपड़ा 3 हजार रुपए से 35 सौ रुपए मीटर तक का होता है। 22 दिन में पूरा किया ऑर्डर, पावरलूम पर बना कपड़ा
ध्रुव कुमार पांडेय ने बताया- ऑर्डर बहुत जल्दी बनाकर देना था। इसलिए इस बार यह फैब्रिक हैंडलूम की जगह पावर लूम पर दिन-रात मेहनत कर 22 दिनों में तैयार किया गया और मुंबई भेजा गया है। उम्मीद है कि इस बार भी इससे बैग बनाया जाएगा। रियल जरी की जंगला साड़ी गई मुंबई, नीता को आई है पसंद
ध्रुव कुमार ने बताया- बैग के फैब्रिक के अलावा हमारे यहां से 20 से ज्यादा साड़ियां भी स्पेशल ऑर्डर पर गईं हैं। उसके अलावा भी कई साड़ियां मुंबई भेजी गई हैं। इनमें एक रियल जरी की जंगला ट्रेंड की बनारसी साड़ी खास है। जिसे नीता अंबानी ने पसंद किया है। 24 घंटे में 7 इंच बनती है जंगला बनारसी साड़ी
ध्रुव ने बताया – बनारसी जंगला साड़ी ट्रेंड कारीगर ही बना सकते हैं। इसके लिए फूल स्किल्ड बुनकर चाहिये क्योंकि इसमें रियल जरी का काम हुआ है। उन्होंने बताया कि इस साड़ी को एक दिन में दो स्किल्ड बुनकर 3 इंच और दिन रात की शिफ्ट में काम करके 7 इंच बुनते हैं। जो रियल जरी की जंगला साड़ी नीता अंबानी को पसंद आई है। उसे 4 महीने से अधिक में बुना गया है। 400 ग्राम रियल जरी का हुआ इस्तेमाल
​​​​​​​इस बनारसी जंगला कढ़ुआ साड़ी में 400 ग्राम रियल जरी का इस्तेमाल हुआ है। इसमें 400 ग्राम चांदी पर गोल्ड की प्लेटिंग की गई है। इसका वजन कुल 800 ग्राम है। एक साड़ी बनने में बुनकर के अलावा 20 से 25 लोगों का सहयोग लिया जाता है। सबसे पहले प्रिपरेशन होती है। ड्राइंग करते हैं। डिजाइन ले-आउट बनाते हैं। नक्शा बनता है। पंचिंग होती है। फिर पत्ता कटता है। इसके बाद यह साड़ी हैंडलूम पर जाती है। ऐसे में कुल 20 से 25 लोगों के हाथ से गुजरती है। रखनी पड़ती है सावधानी
​​​​​​​उन्होंने बताया- इसकी बुनाई हैंडलूम पर दो स्किल्ड आर्टिजंस करते हैं। इसे बुनते समय हैंडलूम की पिक पर ध्यान देना होता है। उसे एक स्पीड में ही बार-बार लेना पड़ता है। वरना साड़ी में डिफेक्ट आने का डर रहता है। उन्होंने कहा कि इस साड़ी को बनाने के बाद हैंडलूम से खोलने में भी ध्यान देना होता है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर