भ्रष्टाचार की डायरी-2:स्लॉटर हाउस मालिक और पूर्व DM की रियल स्टेट कंपनी से लेनदेन; 400 करोड़ का बोगस बिल पेमेंट, 500 करोड़ की कमाई छिपाई बरेली के स्लाॅटर हाउस (पशु काटने वाली कंपनी) में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के छापे के दौरान मिले लेनदेन के आंकड़ों से बड़े खुलासे हुए हैं। कंपनी के मालिक शकील कुरैशी ने तीन स्लाॅटर हाउस के नाम पर 472 करोड़ 38 लाख 22 हजार 460 रुपए का भुगतान बोगस बिल पर किया। डीएम बरेली रह चुके पूर्व आईएएस राघवेंद्र विक्रम सिंह की रियल स्टेट कंपनी से भी लेनदेन के सबूत मिले हैं। 552 करोड़ के अघोषित टर्नओवर को भी छुपाया गया है। इसका खुलासा स्लॉटर हाउस (मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) के मालिक शकील कुरैशी के स्टेटमेंट से हुआ है, जो उन्होंने इनकम टैक्स विभाग को दिया। 21 दिसंबर, 2022 को कुरैशी के स्लॉटर हाउस पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा। इसमें टैक्स चोरी पकड़ी गई। आयकर टीम ने 8 और 9 फरवरी, 2023 को कुरैशी को पूछताछ के लिए बुलाया था। सबसे पहले पढ़िए पूर्व DM की कंपनी से कैसे जुड़े तार…
21 दिसंबर, 2022 को इनकम टैक्स के अफसरों ने शकील कुरैशी के लखनऊ स्थित ऑफिस में छापा मारा। डिजिटल डाटा सीज किया, जिसमें एक नोटिंग मिली। इसमें वाइसऑउल रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड (Wiseowl Real Estates Pvt Ltd) से 2 जनवरी, 2020 में शकील कुरैशी के बैंक ऑफ बड़ौदा के अकाउंट में 1 करोड़ रूपए भेजे गए थे। फिर 30 लाख रुपए शकील के अकाउंट से वाइसऑल कंपनी को भेजे गए। इसके बारे में इनकम टैक्स के अफसरों ने जब शकील कुरैशी से सवाल किया तो उसका जवाब था- इस नोटिंग के विषय में ज्यादा कुछ याद नहीं है। मेसर्स वाइसऑउल रियल स्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड पूर्व आईएएस राघवेंद्र विक्रम सिंह की कंपनी है। इन्हें मैं 1998 से जानता हूं। जब ये बरेली के सिटी मजिस्ट्रेट थे। साल 2017-18 में यह बरेली के डीएम थे। अब पढ़िए…ऐसी कंपनी की एंट्री, जिसका स्ट्रक्चर तक नहीं था 472 करोड़ के बोगस बिल पर हुआ पेमेंट
तीन स्लाटर हाउस- मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अलावा मेसर्स अल सुमामा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हैं। इन सभी कंपनियों में शकील कुरैशी शेयर होल्डर हैं। इन कंपनियों पर आरोप है, फाइनेंशियल ईयर 2015-16 से 21 दिसंबर 2022 तक (जिस दिन इनकम टैक्स विभाग ने सर्च किया) प्रवीण रस्तोगी की कंपनी मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स से लाइव स्टॉक (जिंदा जानवर) की सप्लाई ली, जबकि रस्तोगी की कंपनी का न कोई फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर था और न ही फिजिकल लाइव स्टॉक। इनकम टैक्स के अफसरों ने सवाल किया कि क्यों न यह माना जाए कि 472 करोड़ 38 लाख 22 हजार 460 रूपए पशु खरीदने की वास्तविक राशि न होकर बोगस बिल का भुगतान है। इस सवाल के जवाब में शकील कुरैशी ने अपने रिकॉर्डेड स्टेटमेंट में कहा- मेसर्स रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में मैं सिर्फ एक आंशिक शेयर होल्डर हूं। उसके सेल-परचेज के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल सुमामा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की कुल खरीद सिर्फ 32 करोड़ की है, जोकि मैंने पशुओं की खरीद के लिए ही की है। इनकम टैक्स विभाग के बरामद किए गए डाटा में मेसर्स मारिया फ्रोजन ने 231 करोड़ 59 लाख 91 हजार 183 रुपए, मेसर्स रहबर फूड ने 161 करोड़ 42 लाख 59 हजार 706 रुपए और मेसर्स अल सुमामा ने 79 करोड़ 35 लाख 71 हजार 571 रुपए की खरीद की है। आयकर विभाग की जांच में पाया गया कि लाइव स्टॉक की यह खरीद वास्तविक नहीं थी। इस सवाल के जवाब में शकील कुरैशी ने कहा- इस संबंध मुझे कुछ नहीं कहना है। अब जानिए प्रवीण रस्तोगी की कहानी…
मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स के मालिक प्रवीण रस्तोगी ने इनकम टैक्स विभाग को बयान दिया कि किसी भी मीट कारोबारी को कोई लाइव स्टॉक सप्लाई नहीं किया गया है, बल्कि बोगस बिल बनाकर मीट कारोबारियों को एकोमोडेशन इंट्री देते हैं। मेसर्स विवेक इंटरप्राइजेज भी उनके साथ इस काम में शामिल है। प्रवीण रस्तोगी ने फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में पहली बार यह काम शुरू किया था। उसकी संभल स्थित फैक्ट्री में आग लगने की वजह से बड़ा नुकसान हो गया था। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बोगस बिल बनाने के धंधे में उतरा। कुछ मीट कारोबारियों को लाइव स्टॉक के बोगस बिल की सप्लाई शुरू की। हैरानी की बात यह है कि अपने बयान में रस्तोगी ने यह स्वीकारा है कि उसका न कोई फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर था और न ही कोई फिजिकल लाइव स्टॉक की सप्लाई। सारा काम कागज पर निपटाकर मीट कारोबारियों को 0.2 फीसदी से 0.3 फीसदी कमीशन के एवज में बोगस बिल की सप्लाई करता था। शकील कुरैशी की कम्पनियां बैंकिंग चैनल के जरिए उसे पैसे भेज देती थीं और वह अपना कमीशन निकालकर बाकी पैसे नगद में कुरैशी को वापस कर देता था। रस्तोगी के मुताबिक, यह सारा काम ब्रोकर्स के माध्यम से होता था, जो एंट्री लेने वाली पार्टी को जानते हैं और पेमेंट लेने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती थी। शकील ने प्रवीण रस्तोगी को जानने से इनकार किया
हालांकि शकील कुरैशी ने इनकम टैक्स अफसरों को बताया कि वह प्रवीण रस्तोगी से कभी नहीं मिला। उसका कहना है- मेरी कंपनियाें मेसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स अल सुमामा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड से पशुओं की खरीद के बदले जो भुगतान किया जाता है, वह किसानों से पशुओं की सप्लाई फैक्ट्री पर करने के एवज में किया जाता है। पशुओं को किसानों ने ही मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स और मेसर्स विवेक इंटरप्राइजेज के कोड पर चढ़वाया है। कंपनी मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स और मेसर्स विवेक इंटरप्राइजेज की केवाईसी अपने पास रखती है। जिसमें दिए गए बैंक खाते में खरीदे हुए पशुओं की धनराशि का भुगतान कर दिया जाता है। मेरी कंपनियों के द्वारा मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स और मेसर्स विवेक इंटरप्राइजेज से कोई एकोमोडेशन एंट्री नहीं ली गई है। यही नहीं, शकील कुरैशी ने विभाग को बताया कि सिर्फ 32 करोड़ की खरीद हुई है। हालांकि, विभाग द्वारा किए गए अगले सवाल के जवाब में शकील कुरैशी मानता है कि गलती से मैंने 32 करोड़ बता दिया था। वह कहता है कि प्रवीण रस्तोगी की फर्मों की कुल खरीद 310 करोड़ 95 लाख 62 हजार 754 रुपए की राशि को बोगस न माना जाए। हालांकि जब इनकम टैक्स विभाग ने प्रवीण रस्तोगी के बयान का हवाला देते हुए पूछा कि खुद प्रवीण रस्तोगी ने माना है कि उनकी कंपनी लाइव स्टॉक की सप्लाई न करके बोगस बिल ही देती है। ऐसे में 310 करोड़ की लाइव स्टॉक की खरीद को बोगस क्यों न माना जाए? इस सवाल के जवाब में शकील कुरैशी कहते हैं, मुझे इस संबंध में कुछ नहीं कहना है। कुरैशी की कंपनी के कर्मचारी चेक भुनाकर नकदी इकट्ठा करते थे
जब शकील कुरैशी ने प्रवीण रस्तोगी को जानने से इनकार कर दिया तो इनकम टैक्स के अफसरों ने उन्हें प्रवीण रस्तोगी का बयान दिखाया। जिसमें प्रवीण रस्तोगी ने बताया, “मारिया फ्रोजन एग्रो के एक कर्मचारी रमीज हैं, जो मेरी फर्म के अकाउंटस से मेरी साइन चेक के जरिए पैसे निकालकर कुरैशी की कंपनियों को वापस कर देते हैं। इसी तरह कंपनी के कुछ अन्य कर्मचारी के नाम विवेक जोशी, अल्तमस और अमान इत्यादि हैं। जो मेरी फर्म जैसे मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स के चेक के जरिए मेरे बैंक अकाउंट से पैसे निकाल मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स इत्यादि को वापस कर देते हैं।” इस बयान को देखने के बाद शकील कुरैशी इनकम टैक्स अफसरों को जवाब देता है, “ऐसा नहीं है कि हमारे कर्मचारी मेसर्स एशियन एग्रो प्रोडक्ट्स एवं मेसर्स विवेक इंटरप्राइजेज के खातों से उनके साइन किए हुए चेक के माध्यम से रूपए निकालते हैं। साथ ही रमीज मेसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी है। विवेक जोशी हमारी कंपनी के अकाउंटेंट सेक्शन में काम करते हैं। अल्तमस और अमन ऑफिस बॉय हैं। यह सभी मेरी कंपनी में काम करते हैं।” हालांकि, शकील कुरैशी से जब पूछा गया कि अगर सभी आपकी कंपनी के कर्मचारी हैं तो यह क्यों न माना जाए कि आपके कहने पर ही नगद लेनदेन किया गया है? इस सवाल के जवाब में शकील कुरैशी कहते हैं, हमने ऐसा काेई निर्देश कभी नहीं दिया है और इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेसर्स सारा कंपनी शकील कुरैशी की बेनामी कंपनी है
इस सवाल के संबंध में इनकम टैक्स विभाग ने 21 दिसंबर 2022 को सर्चिंग के दौरान लखनऊ के शालीमार टाइटेनियम, विभूति खंड स्थित मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स सारा कंपनी के ऑफिस पर छापा मारा था। यहां मिले दस्तावेज के अनुसार शकील कुरैशी की कंपनी को मेसर्स सारा कंपनी ने 2019 से 2023 यानी 4 वित्तीय वर्ष में 102 करोड़ 47 लाख 45 हजार 681 रुपए के जिंदा जानवरों की सप्लाई की गई थी। हालांकि, इन जानवरों को कैसे बरेली तक भेजा गया, इसका कोई सबूत नहीं मिल पाया था। सबूत में जैसे ट्रांसपोर्टेशन, बिल्टी, लोकल वेंडर की डिटेल्स वगैरह नहीं मिली थी। इसके लिए मेसर्स सारा कंपनी के ऑफिस एडमिनिस्ट्रेटर नीतीश कुमार और सारा कंपनी के मालिक साहिल सिद्दीकी का बयान लिया गया, लेकिन वह भी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए। इस पर आयकर विभाग ने सवाल किया कि ऐसे में क्यों न माना जाए कि मेसर्स सारा कंपनी के द्वारा वास्तविकता में कोई भी लाइव स्टॉक की आपूर्ति शकील कुरैशी की कंपनी को नहीं की गई है। यह सिर्फ कागजों पर तैयार की गई है। यह मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्रालि की बोगस परचेज है? इस पर शकील कुरैशी ने जवाब दिया कि सारा कंपनी से जो भी लाइव स्टॉक की खरीद की जाती है, उससे संबंधित दस्तावेज जैसे गेट पास और मेसर्स कंपनी द्वारा जारी बिल हमारे पास उपलब्ध हैं। जो मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा। हालांकि, शकील कुरैशी के इस जवाब के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों ने बताया कि जांच में पाया गया है कि मेसर्स सारा कंपनी शकील कुरैशी की कंपनी मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्रालि की बेनामी फर्म है। इस संबंध में विभाग ने कुरैशी के सामने मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्रालि के जनरल मैनेजर आशीष खरे का बयान सामने रखा। जिसमें आशीष खरे ने स्वीकार किया है कि मेसर्स सारा कंपनी का संचालन मारिया ग्रुप के बरेली हेड ऑफिस से ही किया जाता है। साथ ही मेसर्स सारा कंपनी के किस बैंक खाते से कितना कैश की निकासी और जमा करना है साथ ही सभी तरह के निर्देश मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्रालि के बरेली हेड ऑफिस से ही मिलते हैं। इसके बाद शकील कुरैशी से लखनऊ स्थित ऑफिस के किराए के संबंध में भी पूछताछ हुई। दरअसल, एक ही ऑफिस में सारा कंपनी और मारिया कंपनी दोनों के ऑफिस चलते हैं। हालांकि इन सब सवालों के जवाब के रूप में शकील कुरैशी ने अंत में कहा, ऐसा नहीं है कि सारा कंपनी, मेसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स कंपनी की बेनामी फर्म है। वह एक अलग इकाई है। जिसके मालिक साहिल सिद्दीकी हैं। यह फर्म 2013 में बनाई गई थी, जबकि मारिया कंपनी बाद में बनी है। रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड का 2018 से 2022 का अघोषित टर्न ओवर 552 करोड़ से ज्यादा क्यों है?
रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में शकील कुरैशी शेयर होल्डर हैं। शकील ने कहा- चार साल की 552 करोड़ 76 लाख 56 हजार 384 रूपए की आय को अघोषित टर्नओवर मानते हुए इसका इनकम टैक्स मेसर्स रहबर फूड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। भ्रष्टाचार की डायरी-1 पढ़ें…
स्लॉटर हाउस मालिक ने अफसरों को गिफ्ट दिए, शराब पिलाई…ताकि रोज 600 जानवर कटते रहें यूपी में स्लॉटर हाउस चलाने के लिए मालिक अफसरों पर रुपए लुटाता रहा। हर दिन 600 मवेशी कटते रहे। बदले में सब इंस्पेक्टर से लेकर बड़े अफसर मौज करते रहे। दो जिलों की पुलिस रिश्वत लेती रही। डीएम को 26 हजार की टेबल भेंट की गई तो एसएसपी पर 1 लाख रुपए खर्च किए गए। इसका खुलासा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) को दिए लिखित स्टेटमेंट से हुआ है। स्टेटमेंट बरेली के स्लॉटर हाउस मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शकील कुरैशी ने दिया। पूरी खबर पढ़ें….