शिरोमणी अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 अक्टूबर यानी मंगलवार को पेश हुए, जिन्हें शिरोमणि अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। उनके द्वारा भेजा गया इस्तीफा अकाली दल द्वारा मंजूर कर लिया गया है। इसकी जानकारी अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई है। एक लेटर शेयर करते हुए दलजीत चीमा ने इसकी जानकारी साझा की है। चीमा ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा- शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने विरसा सिंह वल्टोहा का प्राथमिक सदस्यता एवं शिअद के सभी पदों से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इस्तीफे की प्रति यहां संलग्न की जा रही है। श्री अकाल तख्त के आदेश मैं झुककर स्वीकार करता हूं इससे पहले वल्टोहा ने कहा था कि श्री अकाल तख्त साहिब पर सिंह साहिब के सामने पेश होने के बाद मेरे बारे में जो आदेश जारी किया गया है, मैं उसे सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं। इस आदेश को लागू करने के लिए शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व को किसी भी खतरे में डाले बिना, मैं स्वयं अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता छोड़ता हूं। मुझे पता है कि अकाली दल का नेतृत्व मुझसे बहुत प्यार करता है और हमेशा मेरा समर्थन एक शास्त्रीय विचारक का करेगा। एक विनम्र सिख के रूप में, मैं सिंह साहिबों के आदेश को दिल से स्वीकार करता हूं। मेरी जिंदगी में एक अकाली को अकाली दल से तोड़ने के लिए सिख राजनीति में यह पहला मामला है। यह पहला बहुत ही आश्चर्यजनक आदेश है। उन्होंने कहा कि आज अकाली विरोधी ताकतें जरूर खुश होंगी। हां ज्ञानी हरप्रीत और अन्य लोगों ने ऐसा आदेश देकर अकाली खेमे में दहशत पैदा करने की कोशिश जरूर की है। लेकिन तख्तों से सिख धर्म से जोड़ने और अकाली सोच से जोड़ने के लिए कदम उठाए जाते हैं न कि खौफ पैदा करने के लिए। वीडियोग्राफी सार्वजनिक करने की मांग वल्टोहा ने कहा कि आज मैंने विनम्रतापूर्वक सिंह साहबों के सामने अपना पक्ष रखा। सिंह साहबों ने पेशी बैठक की शुरुआत में मुझसे कहा कि, आपकी पूरी सुनवाई की वीडियो ग्राफी की जा रही है, जिसे बाद में मीडिया के लिए जारी किया जाएगा। मेरे जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह जी से अनुरोध है कि कृपया वीडियो ग्राफी के वीडियो मीडिया को सार्वजनिक करें। मेरा अनुरोध है कि कृपया मेरे स्पष्टीकरण पत्र और उस पेन ड्राइव को सार्वजनिक करें जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी के भाजपा और केंद्र सरकार के साथ संबंध साबित करने वाले दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए थे। अगर किसी कारण से श्री अकाल तख्त साहिब सचिवालय ने मेरा स्पष्टीकरण पत्र और पेन ड्राइव सबूतों के साथ जारी नहीं किया तो कल मैं खुद यह सब सार्वजनिक कर दूंगा। श्री अकाल तख्त साहिब ने दिए थे आदेश आपको बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब ने पेशी के बाद शिरोमणि अकाली दल को आदेश दिए हैं कि विरसा सिंह वल्टोहा को पार्टी से निकाला जाए। पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ को 24 घंटे में उन्हें अकाली दल से निकालने के लिए कहा गया है। साथ ही उनकी प्रारंभिक मेंबरशिप को भी खारिज की जाएगी। शिरोमणि अकाली दल में 10 साल तक उनकी वापसी पर रोक लगाई जाए। अगर इसके बाद भी वह कुछ बयानबाजी करते है तो सख्त फैसला लिया जाएगा। इस मौके जत्थेदारों ने कहा कि उन्होंने विश्वासघात किया। उनकी हालचाल पूछने के बहाने रिकॉर्डिंग की है। बता दें कि विरसा सिंह वल्टोहा मंगलवार को श्री अकाल तख्त साहिब पेश हुए थे। उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से 15 अक्तूबर को सुबह 9 बजे सबूतों सहित पेश होने के आदेश दिए गए थे। विरसा सिंह वल्टोहा ने दो दिन पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों पर आरएसएस और बीजेपी का दबाव बताया था। शिरोमणी अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब पर 15 अक्टूबर यानी मंगलवार को पेश हुए, जिन्हें शिरोमणि अकाली दल छोड़ने के आदेश दिए गए थे। उनके द्वारा भेजा गया इस्तीफा अकाली दल द्वारा मंजूर कर लिया गया है। इसकी जानकारी अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा द्वारा दी गई है। एक लेटर शेयर करते हुए दलजीत चीमा ने इसकी जानकारी साझा की है। चीमा ने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा- शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने विरसा सिंह वल्टोहा का प्राथमिक सदस्यता एवं शिअद के सभी पदों से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इस्तीफे की प्रति यहां संलग्न की जा रही है। श्री अकाल तख्त के आदेश मैं झुककर स्वीकार करता हूं इससे पहले वल्टोहा ने कहा था कि श्री अकाल तख्त साहिब पर सिंह साहिब के सामने पेश होने के बाद मेरे बारे में जो आदेश जारी किया गया है, मैं उसे सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं। इस आदेश को लागू करने के लिए शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व को किसी भी खतरे में डाले बिना, मैं स्वयं अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता छोड़ता हूं। मुझे पता है कि अकाली दल का नेतृत्व मुझसे बहुत प्यार करता है और हमेशा मेरा समर्थन एक शास्त्रीय विचारक का करेगा। एक विनम्र सिख के रूप में, मैं सिंह साहिबों के आदेश को दिल से स्वीकार करता हूं। मेरी जिंदगी में एक अकाली को अकाली दल से तोड़ने के लिए सिख राजनीति में यह पहला मामला है। यह पहला बहुत ही आश्चर्यजनक आदेश है। उन्होंने कहा कि आज अकाली विरोधी ताकतें जरूर खुश होंगी। हां ज्ञानी हरप्रीत और अन्य लोगों ने ऐसा आदेश देकर अकाली खेमे में दहशत पैदा करने की कोशिश जरूर की है। लेकिन तख्तों से सिख धर्म से जोड़ने और अकाली सोच से जोड़ने के लिए कदम उठाए जाते हैं न कि खौफ पैदा करने के लिए। वीडियोग्राफी सार्वजनिक करने की मांग वल्टोहा ने कहा कि आज मैंने विनम्रतापूर्वक सिंह साहबों के सामने अपना पक्ष रखा। सिंह साहबों ने पेशी बैठक की शुरुआत में मुझसे कहा कि, आपकी पूरी सुनवाई की वीडियो ग्राफी की जा रही है, जिसे बाद में मीडिया के लिए जारी किया जाएगा। मेरे जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह जी से अनुरोध है कि कृपया वीडियो ग्राफी के वीडियो मीडिया को सार्वजनिक करें। मेरा अनुरोध है कि कृपया मेरे स्पष्टीकरण पत्र और उस पेन ड्राइव को सार्वजनिक करें जिसमें ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी के भाजपा और केंद्र सरकार के साथ संबंध साबित करने वाले दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए थे। अगर किसी कारण से श्री अकाल तख्त साहिब सचिवालय ने मेरा स्पष्टीकरण पत्र और पेन ड्राइव सबूतों के साथ जारी नहीं किया तो कल मैं खुद यह सब सार्वजनिक कर दूंगा। श्री अकाल तख्त साहिब ने दिए थे आदेश आपको बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब ने पेशी के बाद शिरोमणि अकाली दल को आदेश दिए हैं कि विरसा सिंह वल्टोहा को पार्टी से निकाला जाए। पार्टी के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ को 24 घंटे में उन्हें अकाली दल से निकालने के लिए कहा गया है। साथ ही उनकी प्रारंभिक मेंबरशिप को भी खारिज की जाएगी। शिरोमणि अकाली दल में 10 साल तक उनकी वापसी पर रोक लगाई जाए। अगर इसके बाद भी वह कुछ बयानबाजी करते है तो सख्त फैसला लिया जाएगा। इस मौके जत्थेदारों ने कहा कि उन्होंने विश्वासघात किया। उनकी हालचाल पूछने के बहाने रिकॉर्डिंग की है। बता दें कि विरसा सिंह वल्टोहा मंगलवार को श्री अकाल तख्त साहिब पेश हुए थे। उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से 15 अक्तूबर को सुबह 9 बजे सबूतों सहित पेश होने के आदेश दिए गए थे। विरसा सिंह वल्टोहा ने दो दिन पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों पर आरएसएस और बीजेपी का दबाव बताया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु ने राजा वड़िंग की जीत के बाद एक पोस्ट डालकर अपने दिल के दर्द को जाहिर किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि-रास्ते भी जिद्दी है, मंजिलें भी जिद्दी है, देखते है कल क्या होता है,हौंसले भी जिद्दी है। आशु थे लुधियाना लोकसभा टिकट के प्रबल दावेदार
बता दें लोकसभा चुनाव में रवनीत सिंह बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद भारत भूषण आशु एक मात्र बड़ा चेहरा लुधियाना से थे लेकिन शहर के कुछ पूर्व विधायकों के बगावती सुरों के कारण हाईकमान ने प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को लुधियाना से उम्मीदवार घोषित कर दिया। शहर में चर्चा यह भी रही है कि वड़िंग का आशु ग्रुप ने खुलकर समर्थन नहीं किया। वड़िंग की जीत के जश्न और दफ्तर के उद्घाटन पर आशु रहे नदारद वड़िंग को जिला लुधियाना से कम वोट मिले जबकि ग्रामीण इलाकों से वड़िंग को बंपर वोट मिले जिस कारण वह जीते। वड़िंग की जीत के बाद जो शहर में जश्न मनाया गया उसमें भी आशु गैरहाजिर रहे। वड़िंग से ने जब अपने सांसदीय दफ्तर का बचत भवन में उद्घाटन किया उस समय भी भारत भूषण आशु नदारद रहे। यह भी एक बड़ा कारण है कि वड़िंग और आशु में दूरियां बढ़ी है। पत्रकारों के द्वारा कई बार वड़िंग से यह सवाल भी किया जा चुका है कि क्या आशु उनसे नाराज है तो वड़िंग का जवाब हमेश यही रहा है कि वह किसी से नाराज नहीं है। वह सभी को मनाने की कोशिश में रहते है लेकिन अब कोई न माने तो वह क्या करें। वह कांग्रेस को पंजाब में एकजुट रखेंगे। पंजाब विजिलेंस भी कर चुकी जांच ये मामला पहले पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की तरफ से उठाया गया था। इस मामले में विजिलेंस कोर्ट में चालान भी पेश कर चुकी है। इसके बाद इस मामले से जुड़े दस्तावेज ईडी ने मांगे थे और मामले की जांच अपने स्तर पर शुरू की थी। सूचना के अनुसार ईडी ने भारत भूषण आशु को आज पेश होने के लिए कहा था। जाने क्या है टेंडर घोटाला : स्कूटर, बाइक पर माल की ढुलाई दिखाई लेबर ट्रांसपोर्टेशन टेंडर घोटाला में अनाज मंडियों में आरोपी वाहनों पर नकली नंबर प्लेट लगाकर माल की ढुलाई करते थे। वहीं, आरोपियों ने टेंडर लेने से पहले विभाग में गलत वाहनों के नंबर लिखवा दिए। जांच के दौरान पता चला कि जो नंबर लिखवाए थे वह स्कूटर, बाइक आदि टू-व्हीलर के थे। जिन वाहनों के यह नंबर हैं, वह माल ढोने के लिए मान्य ही नहीं हैं। इस मामले में करीब 2 महीने पहले कुछ ट्रांसपोर्ट मालिकों व ठेकेदारों की ओर से उस समय के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु पर कुछ कॉन्ट्रेक्टर और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप लगे थे। अब इस मामले में जांच के बाद विजिलेंस की ओर से FIR दर्ज करके गिरफ्तारी करनी शुरू कर दी गई है। आशु पर टेंडरिंग के 2 हजार करोड़ के घोटाले का भी आरोप है।