अखिलेश ने झारखंड की 21 सीटों पर प्रत्याशी उतारे:कांग्रेस ने नहीं दी सीटें; 4 राज्यों में सपा को इंडी गठबंधन में नहीं मिली एक भी सीट

अखिलेश ने झारखंड की 21 सीटों पर प्रत्याशी उतारे:कांग्रेस ने नहीं दी सीटें; 4 राज्यों में सपा को इंडी गठबंधन में नहीं मिली एक भी सीट

सपा को महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी इंडी गठबंधन के साथियों ने झटका दिया। सपा को गठबंधन से सीटें न मिलने के बाद अखिलेश ने झारखंड में 21 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। सपा नेताओं का कहना है कि उन्हें इंडी गठबंधन की ओर से झारखंड में उचित सम्मान नहीं मिला। इस कारण सपा ने झारखंड में संगठन की मांग पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। सपा ने झारखंड में पहले चरण के चुनाव के लिए 11, दूसरे चरण के लिए 10 उम्मीदवार उतारे हैं। जिन सीटों पर सपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें-गढ़वा, बरही, मनिका, हुसैनाबाद, भनवाथपुर, छतरपुर, विश्रामपुर, जमशेदपुर, बरकट्ठा, बड़कागांव, कांके, पाकुड़, महेशपुर, जरमुंडी, राजमहल, बोरयो, सारठ, जमुआ, निरसा, टुंडी और बाघमारा हैं। 4 राज्यों के चुनाव में सपा को नहीं मिली एक भी सीट
लोकसभा चुनाव में सपा देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी और इंडी गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। महाराष्ट्र और झारखंड में सीटें न मिलना गठबंधन सहयोगी के तौर पर इसे सपा के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सपा को उम्मीद थी कि महाराष्ट्र जहां उसके दो विधायक हैं, वहां कम से कम गठबंधन के तहत सीटें जरूर मिलेंगी। लेकिन उसे यहां भी खाली हाथ रहना पड़ा। महाराष्ट्र में सपा ने 12 सीटों की मांग की थी। वहीं, हरियाणा में भी सपा चाहती थी कि उसे सीट मिले, लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं दी थी। हालांकि, हरियाणा में सपा ने चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन जम्मू कश्मीर में 20 प्रत्याशी उतारे थे। जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव लड़ रही पार्टी की सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। खबर आगे पढ़ें, पहले भास्कर पोल में हिस्सा ले सकते हैं… झारखंड में कांग्रेस को अपने खाते से देनी पड़ी राजद को सीटें
झारखंड में कांग्रेस नेताओं से गठबंधन के लिए बात करने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के नेता व्यास गौड़ को सौंपी गई थी। झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ राजद का गठबंधन था। कांग्रेस का कहना था कि उसे अपने कोटे की सीटों में से राजद को सीटें देनी पड़ी हैं। इसलिए वह सपा को सीट नहीं दे सकती। इसके बाद सपा ने यहां अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। अखिलेश ने जम्मू-कश्मीर में क्यों तोड़ा गठबंधन?
हरियाणा में अगर सपा प्रत्याशी उतारती तो गठबंधन के वोटों का बंटवारा होता, जबकि कश्मीर में ऐसा नहीं था। सपा पहली बार कश्मीर में चुनाव लड़ी। कांग्रेस के खिलाफ 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। हालांकि सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। दरअसल, सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनने का आधार चाहिए था। उस लिहाज से वह कश्मीर को सबसे मुफीद मान रही थी। पार्टी को उम्मीद थी कि हरियाणा के मुकाबले कश्मीर में ज्यादा वोट मिल सकते हैं। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। यूपी में कांग्रेस नहीं लड़ रही उपचुनाव
वहीं कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह यूपी में विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगी। राज्य के पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे ने ऐलान किया कि कांग्रेस उपचुनाव में इंडी गठबंधन का समर्थन करेगी। इसके बाद सपा ने गाजियाबाद और खैर सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। 7 सीटों पर सपा पहले ही प्रत्याशियों के नाम तय कर चुकी थी। सपा और कांग्रेस के बीच बदलते रहे हैं समीकरण
पहले भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच समीकरण समय-समय पर बदलते रहे हैं। कांग्रेस 1989 से यूपी की सत्ता में नहीं है। सपा केंद्र में कांग्रेस का और कांग्रेस राज्य में साथ देती रही है। लेकिन, दोनों मिलकर 2017 से पहले कभी चुनाव नहीं लड़े। न ही एक-दूसरे की सरकार में कभी शामिल रहे। मुलायम सिंह यादव हमेशा तीसरे मोर्चे के समर्थक रहे थे। तीसरे मोर्चे की सरकार में ही वह देश के रक्षा मंत्री भी बने थे। 2017 में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ समझौता किया था। इसके बावजूद कई सीटों पर कांग्रेस और सपा दोनों के प्रत्याशी मैदान में आ गए थे। कांग्रेस 114 सीटों पर चुनाव लड़ी और 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी ने 311 सीटों पर चुनाव लड़ा और 47 सीटों पर जीत हासिल की। यानी समझौते के बावजूद कम से कम 22 सीटें ऐसी थीं, जहां सपा और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने सामने थे। चुनाव हारने के बाद सपा-कांग्रेस का गठबंधन टूट गया। लंबे समय तक दोनों एक-दूसरे पर वार करते रहे। 2019 के चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ। यह गठबंधन भी फेल हो गया। 2022 के चुनाव में सपा ने छोटे दलों के साथ समझौता किया। इसमें आरएलडी, सुभासपा और अपनादल कमेरावादी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन ने प्रदेश में 125 सीटें हासिल कीं। हालांकि चुनाव के बाद आरएलडी और सुभासपा दोनों भाजपा के साथ हो गए। 2024 में सपा इंडी गठबंधन का हिस्सा बनी और यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी। उसे अप्रत्याशित सफलता हाथ लगी। 80 में से 43 सीटों पर सपा और कांग्रेस गठबंधन ने जीत हासिल की। ———————————————- ये भी पढ़ें: अखिलेश का 100 चूहे खाकर हज करने जैसा हाल-केशव:लखनऊ में सपा ने लगवाया नया पोस्टर- मठाधीश बाटेंगे और काटेंगे यूपी उपचुनाव की वोटिंग में अब सिर्फ 10 दिन बचे हैं। सपा और भाजपा के बीच बयानबाजी तेज हो गई। लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर रविवार को एक और पोस्टर लगाया गया। इसमें लिखा था- मठाधीश बांटेंगे और काटेंगे, PDA जोड़ेगी और जीतेगी…(पढ़ें पूरी खबर) सपा को महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी इंडी गठबंधन के साथियों ने झटका दिया। सपा को गठबंधन से सीटें न मिलने के बाद अखिलेश ने झारखंड में 21 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। सपा नेताओं का कहना है कि उन्हें इंडी गठबंधन की ओर से झारखंड में उचित सम्मान नहीं मिला। इस कारण सपा ने झारखंड में संगठन की मांग पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। सपा ने झारखंड में पहले चरण के चुनाव के लिए 11, दूसरे चरण के लिए 10 उम्मीदवार उतारे हैं। जिन सीटों पर सपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें-गढ़वा, बरही, मनिका, हुसैनाबाद, भनवाथपुर, छतरपुर, विश्रामपुर, जमशेदपुर, बरकट्ठा, बड़कागांव, कांके, पाकुड़, महेशपुर, जरमुंडी, राजमहल, बोरयो, सारठ, जमुआ, निरसा, टुंडी और बाघमारा हैं। 4 राज्यों के चुनाव में सपा को नहीं मिली एक भी सीट
लोकसभा चुनाव में सपा देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी और इंडी गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। महाराष्ट्र और झारखंड में सीटें न मिलना गठबंधन सहयोगी के तौर पर इसे सपा के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सपा को उम्मीद थी कि महाराष्ट्र जहां उसके दो विधायक हैं, वहां कम से कम गठबंधन के तहत सीटें जरूर मिलेंगी। लेकिन उसे यहां भी खाली हाथ रहना पड़ा। महाराष्ट्र में सपा ने 12 सीटों की मांग की थी। वहीं, हरियाणा में भी सपा चाहती थी कि उसे सीट मिले, लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं दी थी। हालांकि, हरियाणा में सपा ने चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन जम्मू कश्मीर में 20 प्रत्याशी उतारे थे। जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव लड़ रही पार्टी की सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। खबर आगे पढ़ें, पहले भास्कर पोल में हिस्सा ले सकते हैं… झारखंड में कांग्रेस को अपने खाते से देनी पड़ी राजद को सीटें
झारखंड में कांग्रेस नेताओं से गठबंधन के लिए बात करने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के नेता व्यास गौड़ को सौंपी गई थी। झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ-साथ राजद का गठबंधन था। कांग्रेस का कहना था कि उसे अपने कोटे की सीटों में से राजद को सीटें देनी पड़ी हैं। इसलिए वह सपा को सीट नहीं दे सकती। इसके बाद सपा ने यहां अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया। अखिलेश ने जम्मू-कश्मीर में क्यों तोड़ा गठबंधन?
हरियाणा में अगर सपा प्रत्याशी उतारती तो गठबंधन के वोटों का बंटवारा होता, जबकि कश्मीर में ऐसा नहीं था। सपा पहली बार कश्मीर में चुनाव लड़ी। कांग्रेस के खिलाफ 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। हालांकि सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। दरअसल, सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनने का आधार चाहिए था। उस लिहाज से वह कश्मीर को सबसे मुफीद मान रही थी। पार्टी को उम्मीद थी कि हरियाणा के मुकाबले कश्मीर में ज्यादा वोट मिल सकते हैं। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। यूपी में कांग्रेस नहीं लड़ रही उपचुनाव
वहीं कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह यूपी में विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ेगी। राज्य के पार्टी प्रभारी अविनाश पांडे ने ऐलान किया कि कांग्रेस उपचुनाव में इंडी गठबंधन का समर्थन करेगी। इसके बाद सपा ने गाजियाबाद और खैर सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। 7 सीटों पर सपा पहले ही प्रत्याशियों के नाम तय कर चुकी थी। सपा और कांग्रेस के बीच बदलते रहे हैं समीकरण
पहले भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच समीकरण समय-समय पर बदलते रहे हैं। कांग्रेस 1989 से यूपी की सत्ता में नहीं है। सपा केंद्र में कांग्रेस का और कांग्रेस राज्य में साथ देती रही है। लेकिन, दोनों मिलकर 2017 से पहले कभी चुनाव नहीं लड़े। न ही एक-दूसरे की सरकार में कभी शामिल रहे। मुलायम सिंह यादव हमेशा तीसरे मोर्चे के समर्थक रहे थे। तीसरे मोर्चे की सरकार में ही वह देश के रक्षा मंत्री भी बने थे। 2017 में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ समझौता किया था। इसके बावजूद कई सीटों पर कांग्रेस और सपा दोनों के प्रत्याशी मैदान में आ गए थे। कांग्रेस 114 सीटों पर चुनाव लड़ी और 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी ने 311 सीटों पर चुनाव लड़ा और 47 सीटों पर जीत हासिल की। यानी समझौते के बावजूद कम से कम 22 सीटें ऐसी थीं, जहां सपा और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने सामने थे। चुनाव हारने के बाद सपा-कांग्रेस का गठबंधन टूट गया। लंबे समय तक दोनों एक-दूसरे पर वार करते रहे। 2019 के चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ। यह गठबंधन भी फेल हो गया। 2022 के चुनाव में सपा ने छोटे दलों के साथ समझौता किया। इसमें आरएलडी, सुभासपा और अपनादल कमेरावादी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन ने प्रदेश में 125 सीटें हासिल कीं। हालांकि चुनाव के बाद आरएलडी और सुभासपा दोनों भाजपा के साथ हो गए। 2024 में सपा इंडी गठबंधन का हिस्सा बनी और यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी। उसे अप्रत्याशित सफलता हाथ लगी। 80 में से 43 सीटों पर सपा और कांग्रेस गठबंधन ने जीत हासिल की। ———————————————- ये भी पढ़ें: अखिलेश का 100 चूहे खाकर हज करने जैसा हाल-केशव:लखनऊ में सपा ने लगवाया नया पोस्टर- मठाधीश बाटेंगे और काटेंगे यूपी उपचुनाव की वोटिंग में अब सिर्फ 10 दिन बचे हैं। सपा और भाजपा के बीच बयानबाजी तेज हो गई। लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर रविवार को एक और पोस्टर लगाया गया। इसमें लिखा था- मठाधीश बांटेंगे और काटेंगे, PDA जोड़ेगी और जीतेगी…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर