अमायरा डेथ केस: मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया:लुधियाना में CP और RTO को लिखा- कार्रवाई करें; बच्ची की स्कूल में मौत हुई थी

अमायरा डेथ केस: मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया:लुधियाना में CP और RTO को लिखा- कार्रवाई करें; बच्ची की स्कूल में मौत हुई थी

चंडीगढ़ रोड सेक्टर 32 स्थित बीसीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्कूल वैन की चपेट में आने से 6 वर्षीय बच्ची की मौत के मामले में संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग ने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के सचिव को स्कूली बच्चों को ले जाने वाले अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को है। आयोग ने पुलिस कमिश्नर और आरटीओ सचिव को सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। कमिश्नर ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि कई स्कूल बसें सड़कों पर चलने लायक नहीं हैं (खराब हालत में) और कुछ बसें बिना जरूरी दस्तावेजों के भी चल रही हैं। कमिश्नर ने यह भी कहा कि छात्रों को ले जाने वाली कुछ बसें स्कूलों में पंजीकृत नहीं हैं। 4 फरवरी को हुई थी अधिकारियों की बैठक स्कूल परिसर में स्कूल बस की चपेट में आने से 6 वर्षीय बच्ची अमायरा सूद की दुखद मौत का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा कि चूंकि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, इसलिए उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होगी और कानून के अनुसार इसे लॉजिकल निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा। लुधियाना के भोलापुर गांव के गुरु नानक नगर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता जसबीर सिंह की शिकायत पर यह आदेश जारी किए गए हैं। जसबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने दिसंबर 2024 में मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर बच्ची की मौत का उदाहरण देते हुए बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। बताया जा रहा है कि स्कूली वैन और बसों से जुड़ी लगातार दुर्घटनाओं का संज्ञान लेते हुए डिप्टी कमिश्नर (डीसी) जितेंद्र जोरवाल ने 4 फरवरी को अधिकारियों की बैठक बुलाई थी और स्कूलों को छात्रों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले निजी वाहनों का विवरण और जरूरी दस्तावेज प्रशासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। डीसी ने सभी स्कूलों को सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के अनुपालन की पुष्टि करते हुए स्व-घोषणा प्रस्तुत करने का आदेश दिया, भले ही उन्होंने परिवहन सेवाओं को आउटसोर्स किया हो या नहीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की लापरवाही या बहानेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए स्कूलों को इस नीति को सख्ती से लागू करना चाहिए। चंडीगढ़ रोड सेक्टर 32 स्थित बीसीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल में स्कूल वैन की चपेट में आने से 6 वर्षीय बच्ची की मौत के मामले में संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग ने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के सचिव को स्कूली बच्चों को ले जाने वाले अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को है। आयोग ने पुलिस कमिश्नर और आरटीओ सचिव को सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। कमिश्नर ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि कई स्कूल बसें सड़कों पर चलने लायक नहीं हैं (खराब हालत में) और कुछ बसें बिना जरूरी दस्तावेजों के भी चल रही हैं। कमिश्नर ने यह भी कहा कि छात्रों को ले जाने वाली कुछ बसें स्कूलों में पंजीकृत नहीं हैं। 4 फरवरी को हुई थी अधिकारियों की बैठक स्कूल परिसर में स्कूल बस की चपेट में आने से 6 वर्षीय बच्ची अमायरा सूद की दुखद मौत का जिक्र करते हुए आयोग ने कहा कि चूंकि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, इसलिए उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होगी और कानून के अनुसार इसे लॉजिकल निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा। लुधियाना के भोलापुर गांव के गुरु नानक नगर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता जसबीर सिंह की शिकायत पर यह आदेश जारी किए गए हैं। जसबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने दिसंबर 2024 में मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर बच्ची की मौत का उदाहरण देते हुए बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। बताया जा रहा है कि स्कूली वैन और बसों से जुड़ी लगातार दुर्घटनाओं का संज्ञान लेते हुए डिप्टी कमिश्नर (डीसी) जितेंद्र जोरवाल ने 4 फरवरी को अधिकारियों की बैठक बुलाई थी और स्कूलों को छात्रों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले निजी वाहनों का विवरण और जरूरी दस्तावेज प्रशासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। डीसी ने सभी स्कूलों को सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के अनुपालन की पुष्टि करते हुए स्व-घोषणा प्रस्तुत करने का आदेश दिया, भले ही उन्होंने परिवहन सेवाओं को आउटसोर्स किया हो या नहीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी तरह की लापरवाही या बहानेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए स्कूलों को इस नीति को सख्ती से लागू करना चाहिए।   पंजाब | दैनिक भास्कर