अमृतसर में लोहड़ी का त्योहार अपनी अनूठी परंपराओं के साथ मनाया गया। जहां पूरे देश में लोहड़ी की शुरुआत शाम को होती है, वहीं अमृतसर में यह उत्सव सुबह 5 बजे से ही शुरू हो जाता है। शहर की खासियत है कि यहां लोग छतों पर चढ़कर पतंगबाजी के साथ त्योहार का आनंद लेते हैं। शहर का आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज गया, जिसमें लोगों ने पतंगबाजी के साथ-साथ तेज आवाज में गाने बजाकर माहौल को और भी रंगीन बना दिया। कई जगहों पर माइक लगाकर पतंग उड़ाने और पेच लड़ाने की ललकार लगाई गई। जब किसी की पतंग कटती, तो पूरा परिवार एक साथ जश्न मनाता। इस दौरान छतों पर ही खान-पान का दौर भी चलता रहा। लोहड़ी से जुड़ी कथा लोहड़ी से जुड़ी एक प्रमुख लोक कथा दुल्ला भट्टी की है, जिन्होंने कई लड़कियों को अमीर सौदागरों से बचाया था। इसी कारण लोहड़ी के दिन उनके गीत गाने की परंपरा है। शाम को परंपरागत रूप से अलाव जलाकर अग्नि पूजन किया जाएगा। स्कूल और कॉलेजों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां छात्राओं ने गिद्दा नृत्य के साथ त्योहार का आनंद लिया। इस तरह अमृतसर में लोहड़ी का त्योहार एक अनूठे अंदाज में मनाया गया, जो किसी अन्य शहर में देखने को नहीं मिलता। यहां देखें लोहड़ी पर्व से जुड़ी फोटो… स्कूल कालेजों में गिद्दा की धूम स्कूल और कॉलेजों में गिद्दे की थाप पर लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है। छुट्टी के एक दिन पहले ही स्टूडेंट्स के साथ पूरी मस्ती की जाती है और मूंगफली, रेवड़ियां और गजक का वितरण किया गया। लोहड़ी का गीत सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
कुड़ी दा सालू पाटा
सालू कौन समेटे मामे चूरी कुट्टी
जिमींदारां लुट्टी
जमींदार सुधाए
गिन गिन पोले लाए
इक पोला घट गया
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया इक पोला होर आया
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया
सिपाही फेर के ले गया
सिपाही नूं मारी इट्ट
भावें रो ते भावें पिट्ट
साहनूं दे लोहड़ी
तेरी जीवे जोड़ी
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे अमृतसर में लोहड़ी का त्योहार अपनी अनूठी परंपराओं के साथ मनाया गया। जहां पूरे देश में लोहड़ी की शुरुआत शाम को होती है, वहीं अमृतसर में यह उत्सव सुबह 5 बजे से ही शुरू हो जाता है। शहर की खासियत है कि यहां लोग छतों पर चढ़कर पतंगबाजी के साथ त्योहार का आनंद लेते हैं। शहर का आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज गया, जिसमें लोगों ने पतंगबाजी के साथ-साथ तेज आवाज में गाने बजाकर माहौल को और भी रंगीन बना दिया। कई जगहों पर माइक लगाकर पतंग उड़ाने और पेच लड़ाने की ललकार लगाई गई। जब किसी की पतंग कटती, तो पूरा परिवार एक साथ जश्न मनाता। इस दौरान छतों पर ही खान-पान का दौर भी चलता रहा। लोहड़ी से जुड़ी कथा लोहड़ी से जुड़ी एक प्रमुख लोक कथा दुल्ला भट्टी की है, जिन्होंने कई लड़कियों को अमीर सौदागरों से बचाया था। इसी कारण लोहड़ी के दिन उनके गीत गाने की परंपरा है। शाम को परंपरागत रूप से अलाव जलाकर अग्नि पूजन किया जाएगा। स्कूल और कॉलेजों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां छात्राओं ने गिद्दा नृत्य के साथ त्योहार का आनंद लिया। इस तरह अमृतसर में लोहड़ी का त्योहार एक अनूठे अंदाज में मनाया गया, जो किसी अन्य शहर में देखने को नहीं मिलता। यहां देखें लोहड़ी पर्व से जुड़ी फोटो… स्कूल कालेजों में गिद्दा की धूम स्कूल और कॉलेजों में गिद्दे की थाप पर लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है। छुट्टी के एक दिन पहले ही स्टूडेंट्स के साथ पूरी मस्ती की जाती है और मूंगफली, रेवड़ियां और गजक का वितरण किया गया। लोहड़ी का गीत सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
कुड़ी दा सालू पाटा
सालू कौन समेटे मामे चूरी कुट्टी
जिमींदारां लुट्टी
जमींदार सुधाए
गिन गिन पोले लाए
इक पोला घट गया
ज़मींदार वोहटी ले के नस गया इक पोला होर आया
ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया
सिपाही फेर के ले गया
सिपाही नूं मारी इट्ट
भावें रो ते भावें पिट्ट
साहनूं दे लोहड़ी
तेरी जीवे जोड़ी
साहनूं दे दाणे तेरे जीण न्याणे पंजाब | दैनिक भास्कर