दातासिंह वाला-खनौरी किसान मोर्चे पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज 67वें दिन भी जारी रहा। वहीं, शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के नेतृत्व में किसान डटे हुए हैं। किसानों ने उम्मीद जताई है कि शुक्रवार से शुरू हुए बजट सत्र में केंद्र सरकार किसानों और कृषि के लिए विशेष बजट आवंटित करेगी। केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को बातचीत का निमंत्रण दिया है, जबकि 13 फरवरी को किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर बड़ा इकट्ठ करने जा रहे हैं। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान आंदोलन-2 को एक साल पूरा हो जाएगा। इसके देखते हुए बड़ी गिनती में किसान शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। लेकिन इससे पहले केंद्र को चाहिए कि बजट किसानों पर केंद्रित रहे। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार को लगता है, उनकी पॉलिसी ठीक है। अगर ऐसा है तो रुपया लगातार क्यों गिर रहा है और अपने न्यूनतम वेल्यू पर क्यो हैं। मानें वादों को बजट में करें पेश किसान और मजदूर अपनी जायज मांगों को लेकर शंभू, खनौरी और रत्नपुरा बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं। किसानों ने मांग रखी है कि केंद्र सरकार ने जिन मांगों को लागू करने का लिखित वादा किया था और जिसे मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था, को बजट में जोड़ा जाए। एमएसपी खरीद गारंटी कानून लागू करे केंद्र किसान नेताओं ने बताया कि एमएसपी खरीद गारंटी कानून, डॉ. स्वामीनाथन आयोग के C²+50 के फार्मूले के अनुसार फसलों के दाम, किसानों-मजदूरों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति जैसी मांगों को लागू करवाने के लिए यह आंदोलन चल रहा है। इसलिए, केंद्र सरकार को चालू बजट सत्र में कृषि क्षेत्र की इन मांगों के लिए बजट में कोटा आरक्षित रखना चाहिए। यदि सरकार इस बजट में किसानों और मजदूरों के कल्याण के लिए कोटा निर्धारित नहीं करती है, तो यह बजट भी किसानों के लिए केवल खानापूर्ति ही साबित होगा। मृतक किसान के लिए मुआवजे की मांग सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि एक और किसान, प्रगट सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह, गांव कक्कड़ तहसील लोपोके, जिला अमृतसर, शंभू मोर्चे पर अपनी जायज मांगों के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। किसान संगठन मांग करते हैं कि परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाए। डल्लेवाल की शरीर अभी भी कमजोर साथ ही 11 फरवरी से 13 फरवरी तक होने वाली तीन किसान महापंचायतों को सफल बनाने के लिए किसान नेता पूरी रणनीति में जुटे हुए हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज (शनिवार) 67वें दिन में प्रवेश कर गया है। हालांकि भूख हड़ताल के कारण डल्लेवाल का शरीर कमजोर हो गया है। इसके कारण उन्हें बुखार आ गया है, वह जरा सी भी हरकत बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। तीन प्वाइंटों से समझे किसानों की अगली स्ट्रेटजी 1. 14 फरवरी को केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में किसानों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। इससे पहले किसान बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जुटकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि आंदोलन को भले ही एक साल हो गया है। लेकिन उनके हौसले अभी भी बुलंद हैं। साथ ही वे लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। 2. दूसरी बात यह कि किसान बिल्कुल भी आक्रामकता नहीं दिखा रहे हैं। वे बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से मोर्चे पर डटे हुए हैं। वहीं, जिस तरह से डल्लेवाल का अनशन चल रहा है। उसने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। डल्लेवाल ने खुद लोगों को संदेश भेजकर इस आंदोलन में शामिल होने को कहा है। 3. किसानों का फोकस इस आंदोलन को पंजाब से बाहर ले जाने पर है। ऐसे में अब हरियाणा और राजस्थान पर फोकस बढ़ा दिया गया है। इसी प्लानिंग के तहत पहले हरियाणा से किसानों के जत्थे लगातार खनौरी पहुंच रहे थे। वहीं, अब महापंचायत और ट्रैक्टर मार्च इसका हिस्सा हैं। क्योंकि जैसे ही दूसरे राज्यों के किसान इसमें शामिल हो जाएंगे, उसके बाद सरकार पर भी दबाव बनेगा। दातासिंह वाला-खनौरी किसान मोर्चे पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज 67वें दिन भी जारी रहा। वहीं, शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के नेतृत्व में किसान डटे हुए हैं। किसानों ने उम्मीद जताई है कि शुक्रवार से शुरू हुए बजट सत्र में केंद्र सरकार किसानों और कृषि के लिए विशेष बजट आवंटित करेगी। केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को बातचीत का निमंत्रण दिया है, जबकि 13 फरवरी को किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर बड़ा इकट्ठ करने जा रहे हैं। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान आंदोलन-2 को एक साल पूरा हो जाएगा। इसके देखते हुए बड़ी गिनती में किसान शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। लेकिन इससे पहले केंद्र को चाहिए कि बजट किसानों पर केंद्रित रहे। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार को लगता है, उनकी पॉलिसी ठीक है। अगर ऐसा है तो रुपया लगातार क्यों गिर रहा है और अपने न्यूनतम वेल्यू पर क्यो हैं। मानें वादों को बजट में करें पेश किसान और मजदूर अपनी जायज मांगों को लेकर शंभू, खनौरी और रत्नपुरा बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं। किसानों ने मांग रखी है कि केंद्र सरकार ने जिन मांगों को लागू करने का लिखित वादा किया था और जिसे मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया था, को बजट में जोड़ा जाए। एमएसपी खरीद गारंटी कानून लागू करे केंद्र किसान नेताओं ने बताया कि एमएसपी खरीद गारंटी कानून, डॉ. स्वामीनाथन आयोग के C²+50 के फार्मूले के अनुसार फसलों के दाम, किसानों-मजदूरों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति जैसी मांगों को लागू करवाने के लिए यह आंदोलन चल रहा है। इसलिए, केंद्र सरकार को चालू बजट सत्र में कृषि क्षेत्र की इन मांगों के लिए बजट में कोटा आरक्षित रखना चाहिए। यदि सरकार इस बजट में किसानों और मजदूरों के कल्याण के लिए कोटा निर्धारित नहीं करती है, तो यह बजट भी किसानों के लिए केवल खानापूर्ति ही साबित होगा। मृतक किसान के लिए मुआवजे की मांग सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि एक और किसान, प्रगट सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह, गांव कक्कड़ तहसील लोपोके, जिला अमृतसर, शंभू मोर्चे पर अपनी जायज मांगों के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। किसान संगठन मांग करते हैं कि परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाए। डल्लेवाल की शरीर अभी भी कमजोर साथ ही 11 फरवरी से 13 फरवरी तक होने वाली तीन किसान महापंचायतों को सफल बनाने के लिए किसान नेता पूरी रणनीति में जुटे हुए हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन आज (शनिवार) 67वें दिन में प्रवेश कर गया है। हालांकि भूख हड़ताल के कारण डल्लेवाल का शरीर कमजोर हो गया है। इसके कारण उन्हें बुखार आ गया है, वह जरा सी भी हरकत बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। तीन प्वाइंटों से समझे किसानों की अगली स्ट्रेटजी 1. 14 फरवरी को केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में किसानों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। इससे पहले किसान बॉर्डर पर बड़ी संख्या में जुटकर यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि आंदोलन को भले ही एक साल हो गया है। लेकिन उनके हौसले अभी भी बुलंद हैं। साथ ही वे लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। 2. दूसरी बात यह कि किसान बिल्कुल भी आक्रामकता नहीं दिखा रहे हैं। वे बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से मोर्चे पर डटे हुए हैं। वहीं, जिस तरह से डल्लेवाल का अनशन चल रहा है। उसने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। डल्लेवाल ने खुद लोगों को संदेश भेजकर इस आंदोलन में शामिल होने को कहा है। 3. किसानों का फोकस इस आंदोलन को पंजाब से बाहर ले जाने पर है। ऐसे में अब हरियाणा और राजस्थान पर फोकस बढ़ा दिया गया है। इसी प्लानिंग के तहत पहले हरियाणा से किसानों के जत्थे लगातार खनौरी पहुंच रहे थे। वहीं, अब महापंचायत और ट्रैक्टर मार्च इसका हिस्सा हैं। क्योंकि जैसे ही दूसरे राज्यों के किसान इसमें शामिल हो जाएंगे, उसके बाद सरकार पर भी दबाव बनेगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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