‘आज कुर्बानी से मना कर रहे हैं कल कहेंगे..’, बाबा बागेश्वर के बयान पर AMU के प्रोफेसर का पलटवार

‘आज कुर्बानी से मना कर रहे हैं कल कहेंगे..’, बाबा बागेश्वर के बयान पर AMU के प्रोफेसर का पलटवार

<p style=”text-align: justify;”><strong>Bakrid 2025:</strong> बक़रीद पर जानवरों की कुर्बानी को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है. बाबा बागेश्वर धाम ने भी कुर्बानी पर आपत्ति जताते हुए जीव हत्या को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की बात कही है. उनके इस बयान पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर ने पलटवार किया है. उन्होंने बाबा बागेश्वर के बयान को खारिज करते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि अब क्या आपकी हर तरह की बात मानी जाएगी. आज कुर्बानी से मना कर रहे हैं कल रोजा, नमाज को लेकर कहोगे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एएमयू के थियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर ने बाबा बागेश्वर के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि जिस तरह से उनके द्वारा अभी तो कुर्बानी बैन करने को कहा जा रहा है और पशुओं को लेकर तमाम बातें की जा रही है. आज वह बकरा ईद को नहीं मानने की बात कर रहे हैं, आगे चलकर वह नमाज, रोजा और जकात को न पूरा करने की बात कहेंगे. यह चीज ठीक नहीं है. हज के मौके पर हजारों बकरों की कुर्बानी की जाती है. अगर आप कुर्बानी नहीं करते है तो आपका हज भी नहीं होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर पलटवार</strong><br />रिहाई अख़्तर ने कहा कि बाबा बागेश्वर ने जो बयान दिया वो ठीक नहीं है. हालांकि प्रशासन के अनुसार जो प्रतिबंधित पशु है उनकी कुर्बानी नहीं करनी चाहिए और सरकार की गाइडलाइन के अनुसार काम करना चाहिए. जिससे सरकार और लोगों की भावना किसी से जुड़ी हुई है तो उस पशु की कुर्बानी नहीं करनी चाहिए. लेकिन अब क्या उनकी हर की बात मानी जाएगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने बकरीद पर बलि प्रथा जीव हिंसा की निंदा की थी. उन्होंने कहा कि “जीव हिंसा किसी भी धर्म में उचित नहीं मानी जा सकती है. हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं. इस प्रकार हम बकरीद में दी जाने वाली कुर्बानी के पक्ष में नहीं है. जब किसी को हम जीवन नहीं दे सकते हैं, तो उसे मारने का अधिकार भी नहीं है. इसके और भी विकल्प है, उस वक्त कोई ऐसी व्यवस्था स्थिति रही होगी तो बकरे की कुर्बानी दी गई होगी.”&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bakrid 2025:</strong> बक़रीद पर जानवरों की कुर्बानी को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है. बाबा बागेश्वर धाम ने भी कुर्बानी पर आपत्ति जताते हुए जीव हत्या को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की बात कही है. उनके इस बयान पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर ने पलटवार किया है. उन्होंने बाबा बागेश्वर के बयान को खारिज करते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि अब क्या आपकी हर तरह की बात मानी जाएगी. आज कुर्बानी से मना कर रहे हैं कल रोजा, नमाज को लेकर कहोगे.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एएमयू के थियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रिहान अख्तर ने बाबा बागेश्वर के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि जिस तरह से उनके द्वारा अभी तो कुर्बानी बैन करने को कहा जा रहा है और पशुओं को लेकर तमाम बातें की जा रही है. आज वह बकरा ईद को नहीं मानने की बात कर रहे हैं, आगे चलकर वह नमाज, रोजा और जकात को न पूरा करने की बात कहेंगे. यह चीज ठीक नहीं है. हज के मौके पर हजारों बकरों की कुर्बानी की जाती है. अगर आप कुर्बानी नहीं करते है तो आपका हज भी नहीं होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर पलटवार</strong><br />रिहाई अख़्तर ने कहा कि बाबा बागेश्वर ने जो बयान दिया वो ठीक नहीं है. हालांकि प्रशासन के अनुसार जो प्रतिबंधित पशु है उनकी कुर्बानी नहीं करनी चाहिए और सरकार की गाइडलाइन के अनुसार काम करना चाहिए. जिससे सरकार और लोगों की भावना किसी से जुड़ी हुई है तो उस पशु की कुर्बानी नहीं करनी चाहिए. लेकिन अब क्या उनकी हर की बात मानी जाएगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने बकरीद पर बलि प्रथा जीव हिंसा की निंदा की थी. उन्होंने कहा कि “जीव हिंसा किसी भी धर्म में उचित नहीं मानी जा सकती है. हम बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं. इस प्रकार हम बकरीद में दी जाने वाली कुर्बानी के पक्ष में नहीं है. जब किसी को हम जीवन नहीं दे सकते हैं, तो उसे मारने का अधिकार भी नहीं है. इसके और भी विकल्प है, उस वक्त कोई ऐसी व्यवस्था स्थिति रही होगी तो बकरे की कुर्बानी दी गई होगी.”&nbsp;</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले- राम मंदिर में दोहरी प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के खिलाफ