आदमपुर में मंगलवार सुबह एक ऑयल मिल में आग लग गई। देखते ही देखते सारा सामान जलकर राख हो गया। आग बिजली शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। खरमपुर रोड पर जादूदा ऑयल मिल है। जिसमें बिनोला और खल का तेल निकाला जाता है। यहां पर रोज की तरह काम चल रहा था। सुबह अचानक बिजली का शॉर्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। वहां पर मौजूद लोगों ने आज को बुझाने के प्रयास किया, लेकिन वह आग पर काबू पाने में असफल रहे। उसके बाद आगजनी की घटना की सूचना फायर बिग्रेड को दी गई। सूचना मिलने के बाद फायर बिग्रेड की गाड़ियां भी मौके पर पहुंची। ऑयल मिल में रखे तेल में आग लगने के कारण पूरे मिल से गहरा धुआं निकलने लगा और आसमान में का गुबार दिखाई देने लगा। आदमपुर में मंगलवार सुबह एक ऑयल मिल में आग लग गई। देखते ही देखते सारा सामान जलकर राख हो गया। आग बिजली शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। खरमपुर रोड पर जादूदा ऑयल मिल है। जिसमें बिनोला और खल का तेल निकाला जाता है। यहां पर रोज की तरह काम चल रहा था। सुबह अचानक बिजली का शॉर्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। वहां पर मौजूद लोगों ने आज को बुझाने के प्रयास किया, लेकिन वह आग पर काबू पाने में असफल रहे। उसके बाद आगजनी की घटना की सूचना फायर बिग्रेड को दी गई। सूचना मिलने के बाद फायर बिग्रेड की गाड़ियां भी मौके पर पहुंची। ऑयल मिल में रखे तेल में आग लगने के कारण पूरे मिल से गहरा धुआं निकलने लगा और आसमान में का गुबार दिखाई देने लगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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19 सीटें कर सकती हैं हरियाणा में सियासी खेल:एग्जिट पोल एजेंसी का दावा, यहां BJP-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला; CM बोले-इन्हें हम जीतेंगे
19 सीटें कर सकती हैं हरियाणा में सियासी खेल:एग्जिट पोल एजेंसी का दावा, यहां BJP-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला; CM बोले-इन्हें हम जीतेंगे हरियाणा में 19 सीटें सियासी खेल कर सकती हैं। एक एग्जिट पोल एजेंसी के मुताबिक इस सीटों पर BJP और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। प्रदेश के कार्यवाहक CM नायब सैनी भी मान चुके हैं कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला था। उनका कहना है कि ये सीटें हम जीत जाएंगे। हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। उससे पहले एग्जिट पोल्स जारी किए गए। पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक, हरियाणा के 12 सर्वे में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। पार्टी को 56 सीटें मिलने का अनुमान है। भाजपा बहुमत से काफी दूर 27 सीटों पर सिमट सकती है। प्रदेश में इस बार 67.90% फीसदी वोटिंग हुई है, जो पिछले चुनाव से 0.02% कम है। 19 सीटों पर पेंच फंसा
सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, हरियाणा की 19 सीटों पर पेंच फंसा है। इन सीटों पर जीत का मार्जिन काफी कम दिख रहा है। ऐसे में ये सीटें किसी भी पार्टी के खाते में जा सकती हैं। सी वोटर के मुताबिक अगर ये सीटें कांग्रेस के खाते में जाती हैं तो पार्टी 60 से ऊपर भी सीटें जीत सकती हैं। हालांकि अगर ये बीजेपी के खाते में गईं तब भी सत्ताधारी पार्टी उस स्थिति में नहीं होगी कि जीत की हैट्रिक लगा सके। क्योंकि इन 19 सीटों में 13 पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। सीएम ने माना कुछ सीटों पर था कड़ा मुकाबला
कार्यवाहक सीएम नायब सैनी ने रविवार को पंचकूला में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी एग्जिट पोल गलत बताए। उन्होंने कहा कि इस बार भी हरियाणा में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। हालांकि इस दौरान उन्होंने माना कि बीजेपी का कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला जरूर था लेकिन इन सबके बाद भी सरकार भाजपा की ही बनेगी। हुड्डा बोले- भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनेगी
पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। एग्जिट पोल बेशक वोटिंग के बाद आए हों, लेकिन जनता अपना मन पहले ही बना चुकी थी और हमें इस बात का आभास था। 10 साल बाद क्या होगी कांग्रेस की वापसी?
हरियाणा में पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है। अगर इस बार एग्जिट पोल सच साबित हुए तो हरियाणा में कांग्रेस की 10 साल बाद वापसी होगी। एग्जिट पोल के मुताबिक, हरियाणा में बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का नुकसान उठाना पड़ा है। इसी वजह से इस बार बीजेपी को राज्य में हार का मुंह देखना पड़ सकता है। हरियाणा एग्जिट पोल में कांग्रेस सरकार,ट्रेंड BJP के पक्ष में
वर्ष 2000 से 2019 तक, हरियाणा में हुए 5 विधानसभा चुनाव के पोलिंग % से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो एक ट्रेंड नजर आता है। इन 24 बरसों में दो मर्तबा ऐसा हुआ जब वोटिंग % गिरा या फिर उसमें 1% तक की मामूली बढ़ोतरी हुई और दोनों ही बार राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी। उसका फायदा उस समय सत्ता में रही पार्टी को मिला। इस बार वोटर- खासकर जाट कम्युनिटी BJP के खिलाफ खुलकर बोलती नजर आई। दलित आबादी का बड़ा हिस्सा भी भाजपा से नाराज था। इसके बावजूद वोटिंग % नहीं बढ़ा। इससे लग रहा है कि विपक्ष में बैठी कांग्रेस के रणनीतिकार कहीं न कहीं इस गुस्से को वोटों में कन्वर्ट करने में चूक गए। साथ ही भाजपा के रणनीतिकार भी मतदान का दिन आने तक कहीं न कहीं चीजों को मैनेज करने में काफी हद तक कामयाब रहे।
कैप्टन अजय यादव बोले-मैं कोई साधु नहीं हूं:कांग्रेस में अपमानित कर रहे थे; इस्तीफा स्वीकार होते ही खुलासा करूंगा, भाजपा में जाने की अटकलें
कैप्टन अजय यादव बोले-मैं कोई साधु नहीं हूं:कांग्रेस में अपमानित कर रहे थे; इस्तीफा स्वीकार होते ही खुलासा करूंगा, भाजपा में जाने की अटकलें हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि कैप्टन की तरफ से अभी पत्ते नहीं खोले गए हैं। शुक्रवार को कैप्टन अजय यादव ने X पर दो और पोस्ट की। जिसमें लिखा-‘मैं कोई संत नहीं हूं और एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हूं, तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा मेरा इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद ही मैं अपने भविष्य की रणनीति तय करूंगा तथा कुछ नेताओं द्वारा मेरे राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई कार्यप्रणाली और बाधाओं का विस्तृत विवरण दूंगा।’ दूसरी पोस्ट में लिखा- ‘मैं इंतजार कर रहा हूं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लें तो मै मीडिया से मुलाकात करूंगा। मैं बताऊंगा कि कैसे दो साल से कुछ नेता मुझे अपमानित और परेशान कर रहे थे। कैप्टन अजय द्वारा पार्टी छोड़ने के फैसले पर उनके बेटे और पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने कहा-‘कैप्टन साहब ने ये फैसला कैसे और क्यों लिया ये तो वही बता सकते हैं। मैं कांग्रेस के साथ हूं।’ बता दें कि एक दिन पहले सोशल मीडिया (X) पर खुद की अनदेखी से खफा होकर कैप्टन ने दो पोस्ट करते हुए कांग्रेस ओबीसी विभाग के चेयरमैन पद छोड़ने सहित पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देने की जानकारी दी थी। कैप्टन के अचानक पार्टी छोड़ने से कांग्रेस में खलबली मच गई। कैप्टन ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि उनका पार्टी आलाकमान से मोहभंग हो चुका है। पहले भी बीजेपी में जाने की चर्चाएं चली दरअसल, कैप्टन अजय यादव के पहले भी कई बार बीजेपी जॉइन करने की चर्चाएं चली थी। 2014 और 2019 के चुनाव से पहले भी इस तरह की चर्चाएं हुई। हालांकि कैप्टन पार्टी में बने रहे। लेकिन अब पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी जॉइन करने की चर्चाओं को ज्यादा बल मिला है। राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने को उन्होंने गलत नहीं बताया था। उस समय भी आशंका व्यक्त की गई कि उनका कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। कैप्टन ने इस्तीफे की जानकारी के साथ कारण भी बताया कैप्टन ने गुरुवार की शाम X पर लिखा, ‘मैंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब मैं ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के OBC मोर्चा का चेयरमैन भी नहीं रहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इसकी जानकारी दे दी गई है।’ कैप्टन यादव ने आगे लिखा, ‘इस्तीफा देने का यह निर्णय वास्तव में बहुत कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों से जुड़ाव था। मेरे पिता दिवंगत राव अभय सिंह 1952 में कांग्रेस से विधायक बने और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मेरे साथ खराब व्यवहार किया गया। इससे मेरा पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।’ लालू यादव के समधी हैं कैप्टन अजय कैप्टन अजय यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के समधी है। कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव की 2011 में लालू यादव की बेटी अनुष्का से हुई थी। चिरंजीव भी काफी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर रहने के बाद 2019 में चिरंजीव राव रेवाड़ी सीट से विधायक चुने गए। इससे पहले उनके पिता कैप्टन अजय यादव लगातार 6 बार 1991 से 2014 तक इस सीट से विधायक रहे। कैप्टन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तत्कालीन सरकार में दोनों बार पावरफुल मंत्री भी रहे। लोकसभा टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे, बेटे की हार के बाद निराश पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे थे। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर राज बब्बर को यहां से मैदान में उतारा था। हालांकि कैप्टन की ये नाराजगी विधानसभा चुनाव आते-आते कम हो गई। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव को फिर से रेवाड़ी सीट से चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गए। उन्हें भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव ने 28769 वोटों से हराया है। बेटे की हार के बाद अजय यादव ने पार्टी नेताओं पर लापरवाही के आरोप लगाए थे। उन्होंने OBC विभाग पद को भी झुनझुना बताया था। हालांकि, पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की तो 7 दिन बाद कैप्टन यादव ने खुद ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं।
अजीत पवार की NCP में एक्टिव हुईं सोनिया दुहन:अगस्त में कांग्रेस में शामिल हुई थीं, महाराष्ट्र में जीत के बाद नेताओं की आरती उतारी
अजीत पवार की NCP में एक्टिव हुईं सोनिया दुहन:अगस्त में कांग्रेस में शामिल हुई थीं, महाराष्ट्र में जीत के बाद नेताओं की आरती उतारी हरियाणा कांग्रेस की नेता सोनिया दुहन एक बार फिर चर्चाओं में है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार गुट वाली NCP(राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाली सोनिया दुहन महाराष्ट्र की राजनीति में दोबारा सक्रिय हो गई हैं। मगर इस बार वह अजीत पवार वाली NCP कैंप के साथ खड़ी दिखाई दी हैं। हालांकि सोनिया दुहन ने अब तक कांग्रेस छोड़ने की बात नहीं की है मगर महाराष्ट्र के नतीजे आने के बाद वह NCP नेताओं की आरती कर विजय तिलक करती नजर आईं जिसमें अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता खड़े हैं। सोनिया दुहन ने खुद यह वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया हुआ है। बता दें कि करीब 2 महीने पहले सोनिया दुहन के साथ हरियाणा चुनाव के बीच हिसार की नारनौंद विधानसभा में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के मंच पर छेड़छाड़ हुई थी। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया था वहीं कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा ने भी इसे महिलाओं के अपमान के साथ जोड़ा था। इसके बाद सोनिया दुहन पूरे प्रचार से नदारद दिखी थी। अजीत पवार NCP का भाजपा से है गठबंधन
हरियाणा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने वाली सोनिया दुहन का अजीत पवार के साथ दिखने से हर कोई हैरान है। हिसार के नारनौंद में सोनिया दुहन का पैतृक आवास है। अजीत पवार की NCP का महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन है। अजीत पंवार की भाजपा के साथ काफी नजदीकियां भी हैं। सोनिया दुहन के NCP नेताओं के साथ दिखने को हरियाणा कांग्रेस के लिए एक और झटका माना जा रहा है। सोनिया दुहन नारनौंद से कांग्रेस की टिकट की प्रबल दावदारों में भी थी मगर उनकी टिकट काटकर ऐन वक्त पर जस्सी पेटवाड़ को टिकट दे दिया गया था। मई में छोड़ा था शरद पवार का साथ
महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से राजनीति करने वाले सोनिया दुहन अगस्त में कांग्रेस में शामिल हो गई थी। NCP के दो फाड़ होने पर वह शरद पवार के साथ बनी रही थीं लेकिन 2023 मई के आखिरी में उन्होंने NCP को छोड़ दिया था। इसके बाद अगस्त में सोनिया दुहन ने कांग्रेस का रुख कर लिया था। सोनिया दुहन पिछले काफी समय से हरियाणा में सक्रिय रही हैं। शरद पवार के करीब थीं दुहन
सोनिया दुहन सोशल मीडिया पर शरद पवार को अपना राजनीतिक गुरु बताती आई हैं। जब वह पुणे में पायलट की ट्रेनिंग ले रही थीं, तब वह शरद पवार की अगुवाई वाली NCP से प्रभावित हुई थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के चुनाव में उन्होंने NCP की स्टूडेंट विंग का नेतृत्व भी किया था। दुहन ने धीरज शर्मा के साथ NCP की छात्र विंग को संभाला था। सोनिया दुहन ने तब सुर्खियां बटोरी थीं जब NCP एनसीपी के दो फाड़ होने पर के बाद उन्होंने प्रफुल्ल पटेल की तस्वीर को NCP के स्टूडेंट विंग के ऑफिस से बाहर फेंक दिया था। इससे पहले वह साल 2019 में NCP के विधायकों को गुरुग्राम के होटल से रेस्क्यू करने को लेकर चर्चा में आई थीं।