‘विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) का दर्शन करने मेरी मां दो साल पहले गयी थी। गांव के लोगों के साथ गयी तो पर लौटी नहीं। हमने कई बार उन्हें ढूंढा। दो महीने तक पूरे महाराष्ट्र में ढूंढा पर वो नहीं मिली तो फिर थाने में तहरीर दी। पता चला की वो किसी और ट्रेन में चढ़कर कहीं और निकल गयी। एक दिन पुलिस स्टेशन से फोन आया की आप की माता जी मिल गयी हैं। वहां पहुंचा तो अपना घर आश्रम का पता लगा। उनसे आकर मिला। अब उन्हें लेकर घर जाना है कल बस उस दिन से दिल बहुत खुश है।’ ये कहकर गणेश रामभाऊ दोने की आंखों से आंसू छलक उठा। गणेश मजदूरी करके अपने घर पालन-पोषण करते हैं। गणेश ने कहा मेरी मां मुझे मिल गयी अब क्या चाहिए। ऐसे एक नहीं कई कहानियां काशी के अपना घर आश्रम में रह रही हैं। जिनमे से 142 लोग कल अपने परिजनों के साथ अपने घर लौट जाएंगे। उनकी कहानियां भी उनके साथ चली जाएंगी। उनके घर वालों से मिलने के लिए अपना घर आश्रम ने आधार कार्ड को सहारा बनाया और उन्हें अब परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। लेकिन अपना घर आश्रम में रह रहे इन लोगों के वारिस उन तक कैसे पहुंचे? इन्हे कहां से रेस्क्यू किया गया था ? इन सब चीजों को जानने के लिए हमने अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन से बात की और साथ ही यहां की 3 कहानियों को भी जाना, जो अब घर लौट रही हैं। पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले तीन ‘प्रभु जी’ की कहानियां जिन्हे मिल गया है उनका परिवार कल होंगी घर रवाना… काशी के सामनेघाट स्थित अपना घर आश्रम में 1000 से अधिक लावारिस और संस्थाओं द्वारा पहुंचाए गए मजबूर और भीख मांगने वाले लोग रहते हैं। इन्हे यहां ‘प्रभु जी’ के उद्बोधन से बुलाया जाता है। सबका सेक्शन अलग-अलग है लेकिन आज यहां खुशी का अलग ही माहौल है। क्योंकि 142 लोग आज अपने परिजनों के साथ अपने घर को रवाना होंगे। पहला केस- महाराष्ट्र की असरा बाई दोने (65) दो साल से लापता दो साल पहले विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) गयीं थीं दर्शन को
महाराष्ट्र से वाराणसी के अपना घर आश्रम पहुंचे गणेश राम भाऊ दोने काफी खुश हैं। उनसे बात की तो उन्होंने कहा- मां विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) मोहल्ले के लोगों के साथ दो साल पहले दर्शन को गयी थीं। 65 साल की उम्र में तीर्थाटन के लिए गयी मां काफी खुश थी लेकिन वह वापस नहीं आएगी इस बात से हम लोग अनिभिज्ञ थे। मोहल्ले के लोग वापस आये लेकिन मेरी मां उनके साथ नहीं थी। मुझे झटका लगा और मै अपने साथियों संग विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) रवाना हो गया। मंदिर में मन्नत मांग वापस लौट आया
गणेश ने बताया- मै मजदूरी करके घर का पालन-पोषण करता हूं। पिता जी का देहांत हो चुका है। मां के गायब होने के बाद टूट सा गया था। मां के बारे में पता चला की वो शोलापुर स्टेशन से किसी और ट्रेन से कहीं चली गई। ऐसे में मां आसरा बाई दोने (65) को ढूढ़ना मुश्किल हो गया। वहां पुलिस में दो महीने बाद तहरीर दी। तब तक कई स्थानों पर उन्हें ढूंढा था। धीरे-धीरे दो साल बीत गए पर उनकी कोई खबर नहीं आयी थी। मुझे मेरी दुनिया मिल गई है
गणेश ने बताया आज से एक महीना पहले थाने से पुलिस आयी थी। उसने कहा तुम्हारी मां मिल गई है। इसपर थाने पहुंचा तो यहां का पता दिया गया। यहां आने का खर्च भी पुलिस ने दिया है। मां से मिलने की बहुत खुशी है मुझे मेरी दुनिया मिल गई है। मुड़ैला में मिली थी असरा बाई
अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन ने बताया- असरा बाई दो साल पहले मुड़ैला में मिली थी। एक फोन कॉल पर हमारी टीम उन्हें वहां से रेस्क्यू करके यहां लायी थी। लेकिन वो कभी सही पता नहीं बता पायीं पर अब वो अपने परिजनों के साथ आज जा रही हैं। दूसरा केस- नादमीन बीबी (65) डेढ़ साल से मध्य प्रदेश के सिवनी से थीं लापता माता जी की मानसिक स्थित ठीक नहीं थी
मध्य प्रदेश के सिवनी के रहने वाले अफरोज खान की मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उनकी मां नादमीन बीबी (65) अब अपना घर आश्रम में हैं। नादमीन के बेटे अफरोज ने बताया- मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह अक्सर गांव-घर से 8-10 के लिए लापता हो जाती थी और फिर वापस आ जाती थी। 6 जून 2023 को भी वह घर निकली थी। एक महीना नहीं लौटी तो शुरू किया ढूंढना
अफरोज ने बताया- 2023 में निकली मां का कोई आता-पता नहीं चला। वो दस दिन क्या एक महीने तक वापस नहीं आयी। ऐसे में हम सभी को चिंता हुई और सरपंच जी को बताया।उन्होंने भी ढूंढा लेकिन वो नहीं मिलीं। हम बहुत परेशान हुए और फिर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। दिन बीतता गया पर मां की कोई खबर नहीं थी। अपना घर आश्रम से आया फोन, तो झूम उठे सब भाई
अफरोज मोटर मैकेनिक हैं और उनके 5 भाई हैं। अफरोज सबसे बड़े हैं। अफरोज ने बताया। इन डेढ़ सालों में हमें कोई भी सूचना मिलती थी तो हम तुरंत उस तरफ दौड़ पड़ते थे और जब वहां मां नहीं मिलती तो निराशा होती थी। इसी दौरान एक दिन अपना घर आश्रम वाराणसी से डॉ निरंजन का फोन आया हमारे पूर्व सरपंच के पास। उन्होंने हमें बुलाया और फिर हम यहां आये। मां से मिलकर निकल पड़े खुशी के आंसू
अफरोज ने बताया- यहां पहुंचे तो मां से मिले। उन्होंने हमें फौरन पहचान लिया। यहां आकर उनका स्वास्थ्य थोड़ा बेहतर लग रहा है। बहुत खुशी है कि मां मिल गई अब उन्हें कल घेर लेकर जाना है। नादमीन को पुलिस कैंट थाने से लेकर आयी थी।
तीसरा केस- अनिता देवी (60 ) औरंगाबाद बिहार की रहने वाली हैं। डेढ़ साल से लापता थीं। मां के घर शादी में गई थीं, वहां से लापता
अपना घर आश्रम में औरंगबाद जिले के अरविंद कुमार शर्मा अपनी मां अनिता देवी (60) को लेने पहुंचे हैं। अनीता को चंदौली से पुलिस ने लाकर अपना अगर आश्रम में दाखिल कराया था। अरविंद ने बताया- डेढ़ साल पहले मेरे मामा के घर शादी थी। वहां से वापस लौटने में मां लापता हो गई। उनकी बहुत तलाश की गई लेकिन वो नहीं मिली। मैंने चार दिन खाना नहीं खाया। घूमता रहा और उन्हें ढूंढता रहा। पुलिस को सूचना दी, तो बोली आ जायेगी
अरविंद ने बताया- पुलिस को हमने दो महीने बाद सूचना दी की मेरी मां लापता है। इसपर पुलिस ने पहले तो खोजबीन की पर 6 महीने बाद वो भी सुस्त पड़ गई। पुलिस ने कहना शुरू कर दिया की जब मिलेगी तो बताया जाएगा। हमने आस छोड़ दी थी लेकिन भगवान पर भरोसा था। डॉक्टर निरंजन का आया फोन
अरविंद ने बताया- एक दिन डॉक्टर निरंजन का फोन आया और उन्होंने पूछा कि अनीता तुम्हारी कौन हैं। तो मैंने कहा मां तो बोले बनारस आ जाओ यहां तुम्हारी मां हैं उन्हें ले जाओ। बस उस दिन चलकर यहां आया और मां से मिला। मां को देखकर बहुत खुशी हुई अब उन्हें कल लेकर घर जाऊंगा। अब जानिए अपना घर आश्रम ने कैसे ढूंढा इन तीन और कुल 142 लोगों एक परिजनों को और कितने लावारसी यहां रह रहे हैं ? 2018 में खुला अपना घर आश्रम
सामनेघाट इलाके में बने अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन ने बताया- यह आश्रम यहां 2018 में खोला गया था। यहां बनारस की गलियों, बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन और फ्लाईओवर के नीचे से लोगों को यहां लाकर रखा जाता है और उनकी सेवा की जाती है। उन्हें यहां रहना, खाना और इलाज मुफ्त दिया जा रहा है। रोजाना यहां तीन-चार प्रभु जी यहां आते हैं और दो चार वापस जाते हैं। 60 प्रतिशत आते हैं मानसिक कमजोर और गूंगे-बहरे
डॉ निरंजन ने बताया- हमारे यहां रोजाना लोगों के आने और जाने का सिलसिला लगा रहता है। जो लोग यहां लाए जाते हैं। उनके स्वस्थ होने के बाद उनके परिजनों। सरपंच, मुखिया या प्रधान का पता चलता है तो हम उन्हें फोन कर सूचना देते हैं। लेकिन यहां लाए जाने वाले 60 प्रतिशत लोग गूंगे-बहरे या मानसिक रूप से अक्षम लोग हैं। जिनके घर ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को घर भेजना हमारे लिए हमेशा से चैलेन्ज रहा है। डीएम और सीडीओ ने की मदद
डॉ निरंजन ने बताया- हमारे यहां कुल इस समय 541 प्रभु जी वर्तमान में हैं। अभी तक हम लोगों ने कुल 1180 को उनके परिजनों से मिलवाया है। ऐसे में जो मानसिक विक्षिप्त हैं ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए हमने डीएम एस राजलिंगम और सीडीओ हिमांशु नागपाल से बात की। उन्होंने इसको एक मुहीम की तरह लिया और जिला प्रशासन के तरफ से इन्होने UID से संपर्क कर यहां के प्रभु जी का आधार बनाने की अनुमति ली और यहां कैंप लगाया गया। आधार कैंप में 142 लोगों का आधार पहले से मिला, जिनसे मिले परिजन
डॉ के निरंजन ने बताया- इसके बाद अपना घर आश्रम में वृहद आधार कार्ड कैंप लगा। इसमें 142 लोगों का पूर्व में आधार होना पाया गया। उनकी डिटेल निकाली गई और फिर उनके परिजनों की तलाश शुरू की गई। इस प्रक्रिया से 142 लोगों के परिजनों से संपर्क हो सका और वो लोग अपने परिजनों को लेने के लिए दो दिन पहले से ही वाराणसी पहुंचने लगे हैं। उन्हें एक महीने पहले यह बात बताई गई थी और वो आकर अपने परिजनों का वेरिफिकेशन कर चुके हैं। ‘विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) का दर्शन करने मेरी मां दो साल पहले गयी थी। गांव के लोगों के साथ गयी तो पर लौटी नहीं। हमने कई बार उन्हें ढूंढा। दो महीने तक पूरे महाराष्ट्र में ढूंढा पर वो नहीं मिली तो फिर थाने में तहरीर दी। पता चला की वो किसी और ट्रेन में चढ़कर कहीं और निकल गयी। एक दिन पुलिस स्टेशन से फोन आया की आप की माता जी मिल गयी हैं। वहां पहुंचा तो अपना घर आश्रम का पता लगा। उनसे आकर मिला। अब उन्हें लेकर घर जाना है कल बस उस दिन से दिल बहुत खुश है।’ ये कहकर गणेश रामभाऊ दोने की आंखों से आंसू छलक उठा। गणेश मजदूरी करके अपने घर पालन-पोषण करते हैं। गणेश ने कहा मेरी मां मुझे मिल गयी अब क्या चाहिए। ऐसे एक नहीं कई कहानियां काशी के अपना घर आश्रम में रह रही हैं। जिनमे से 142 लोग कल अपने परिजनों के साथ अपने घर लौट जाएंगे। उनकी कहानियां भी उनके साथ चली जाएंगी। उनके घर वालों से मिलने के लिए अपना घर आश्रम ने आधार कार्ड को सहारा बनाया और उन्हें अब परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। लेकिन अपना घर आश्रम में रह रहे इन लोगों के वारिस उन तक कैसे पहुंचे? इन्हे कहां से रेस्क्यू किया गया था ? इन सब चीजों को जानने के लिए हमने अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन से बात की और साथ ही यहां की 3 कहानियों को भी जाना, जो अब घर लौट रही हैं। पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले तीन ‘प्रभु जी’ की कहानियां जिन्हे मिल गया है उनका परिवार कल होंगी घर रवाना… काशी के सामनेघाट स्थित अपना घर आश्रम में 1000 से अधिक लावारिस और संस्थाओं द्वारा पहुंचाए गए मजबूर और भीख मांगने वाले लोग रहते हैं। इन्हे यहां ‘प्रभु जी’ के उद्बोधन से बुलाया जाता है। सबका सेक्शन अलग-अलग है लेकिन आज यहां खुशी का अलग ही माहौल है। क्योंकि 142 लोग आज अपने परिजनों के साथ अपने घर को रवाना होंगे। पहला केस- महाराष्ट्र की असरा बाई दोने (65) दो साल से लापता दो साल पहले विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) गयीं थीं दर्शन को
महाराष्ट्र से वाराणसी के अपना घर आश्रम पहुंचे गणेश राम भाऊ दोने काफी खुश हैं। उनसे बात की तो उन्होंने कहा- मां विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) मोहल्ले के लोगों के साथ दो साल पहले दर्शन को गयी थीं। 65 साल की उम्र में तीर्थाटन के लिए गयी मां काफी खुश थी लेकिन वह वापस नहीं आएगी इस बात से हम लोग अनिभिज्ञ थे। मोहल्ले के लोग वापस आये लेकिन मेरी मां उनके साथ नहीं थी। मुझे झटका लगा और मै अपने साथियों संग विठ्ठल मंदिर (पंढरपूर) रवाना हो गया। मंदिर में मन्नत मांग वापस लौट आया
गणेश ने बताया- मै मजदूरी करके घर का पालन-पोषण करता हूं। पिता जी का देहांत हो चुका है। मां के गायब होने के बाद टूट सा गया था। मां के बारे में पता चला की वो शोलापुर स्टेशन से किसी और ट्रेन से कहीं चली गई। ऐसे में मां आसरा बाई दोने (65) को ढूढ़ना मुश्किल हो गया। वहां पुलिस में दो महीने बाद तहरीर दी। तब तक कई स्थानों पर उन्हें ढूंढा था। धीरे-धीरे दो साल बीत गए पर उनकी कोई खबर नहीं आयी थी। मुझे मेरी दुनिया मिल गई है
गणेश ने बताया आज से एक महीना पहले थाने से पुलिस आयी थी। उसने कहा तुम्हारी मां मिल गई है। इसपर थाने पहुंचा तो यहां का पता दिया गया। यहां आने का खर्च भी पुलिस ने दिया है। मां से मिलने की बहुत खुशी है मुझे मेरी दुनिया मिल गई है। मुड़ैला में मिली थी असरा बाई
अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन ने बताया- असरा बाई दो साल पहले मुड़ैला में मिली थी। एक फोन कॉल पर हमारी टीम उन्हें वहां से रेस्क्यू करके यहां लायी थी। लेकिन वो कभी सही पता नहीं बता पायीं पर अब वो अपने परिजनों के साथ आज जा रही हैं। दूसरा केस- नादमीन बीबी (65) डेढ़ साल से मध्य प्रदेश के सिवनी से थीं लापता माता जी की मानसिक स्थित ठीक नहीं थी
मध्य प्रदेश के सिवनी के रहने वाले अफरोज खान की मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उनकी मां नादमीन बीबी (65) अब अपना घर आश्रम में हैं। नादमीन के बेटे अफरोज ने बताया- मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह अक्सर गांव-घर से 8-10 के लिए लापता हो जाती थी और फिर वापस आ जाती थी। 6 जून 2023 को भी वह घर निकली थी। एक महीना नहीं लौटी तो शुरू किया ढूंढना
अफरोज ने बताया- 2023 में निकली मां का कोई आता-पता नहीं चला। वो दस दिन क्या एक महीने तक वापस नहीं आयी। ऐसे में हम सभी को चिंता हुई और सरपंच जी को बताया।उन्होंने भी ढूंढा लेकिन वो नहीं मिलीं। हम बहुत परेशान हुए और फिर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। दिन बीतता गया पर मां की कोई खबर नहीं थी। अपना घर आश्रम से आया फोन, तो झूम उठे सब भाई
अफरोज मोटर मैकेनिक हैं और उनके 5 भाई हैं। अफरोज सबसे बड़े हैं। अफरोज ने बताया। इन डेढ़ सालों में हमें कोई भी सूचना मिलती थी तो हम तुरंत उस तरफ दौड़ पड़ते थे और जब वहां मां नहीं मिलती तो निराशा होती थी। इसी दौरान एक दिन अपना घर आश्रम वाराणसी से डॉ निरंजन का फोन आया हमारे पूर्व सरपंच के पास। उन्होंने हमें बुलाया और फिर हम यहां आये। मां से मिलकर निकल पड़े खुशी के आंसू
अफरोज ने बताया- यहां पहुंचे तो मां से मिले। उन्होंने हमें फौरन पहचान लिया। यहां आकर उनका स्वास्थ्य थोड़ा बेहतर लग रहा है। बहुत खुशी है कि मां मिल गई अब उन्हें कल घेर लेकर जाना है। नादमीन को पुलिस कैंट थाने से लेकर आयी थी।
तीसरा केस- अनिता देवी (60 ) औरंगाबाद बिहार की रहने वाली हैं। डेढ़ साल से लापता थीं। मां के घर शादी में गई थीं, वहां से लापता
अपना घर आश्रम में औरंगबाद जिले के अरविंद कुमार शर्मा अपनी मां अनिता देवी (60) को लेने पहुंचे हैं। अनीता को चंदौली से पुलिस ने लाकर अपना अगर आश्रम में दाखिल कराया था। अरविंद ने बताया- डेढ़ साल पहले मेरे मामा के घर शादी थी। वहां से वापस लौटने में मां लापता हो गई। उनकी बहुत तलाश की गई लेकिन वो नहीं मिली। मैंने चार दिन खाना नहीं खाया। घूमता रहा और उन्हें ढूंढता रहा। पुलिस को सूचना दी, तो बोली आ जायेगी
अरविंद ने बताया- पुलिस को हमने दो महीने बाद सूचना दी की मेरी मां लापता है। इसपर पुलिस ने पहले तो खोजबीन की पर 6 महीने बाद वो भी सुस्त पड़ गई। पुलिस ने कहना शुरू कर दिया की जब मिलेगी तो बताया जाएगा। हमने आस छोड़ दी थी लेकिन भगवान पर भरोसा था। डॉक्टर निरंजन का आया फोन
अरविंद ने बताया- एक दिन डॉक्टर निरंजन का फोन आया और उन्होंने पूछा कि अनीता तुम्हारी कौन हैं। तो मैंने कहा मां तो बोले बनारस आ जाओ यहां तुम्हारी मां हैं उन्हें ले जाओ। बस उस दिन चलकर यहां आया और मां से मिला। मां को देखकर बहुत खुशी हुई अब उन्हें कल लेकर घर जाऊंगा। अब जानिए अपना घर आश्रम ने कैसे ढूंढा इन तीन और कुल 142 लोगों एक परिजनों को और कितने लावारसी यहां रह रहे हैं ? 2018 में खुला अपना घर आश्रम
सामनेघाट इलाके में बने अपना घर आश्रम के डॉ के निरंजन ने बताया- यह आश्रम यहां 2018 में खोला गया था। यहां बनारस की गलियों, बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन और फ्लाईओवर के नीचे से लोगों को यहां लाकर रखा जाता है और उनकी सेवा की जाती है। उन्हें यहां रहना, खाना और इलाज मुफ्त दिया जा रहा है। रोजाना यहां तीन-चार प्रभु जी यहां आते हैं और दो चार वापस जाते हैं। 60 प्रतिशत आते हैं मानसिक कमजोर और गूंगे-बहरे
डॉ निरंजन ने बताया- हमारे यहां रोजाना लोगों के आने और जाने का सिलसिला लगा रहता है। जो लोग यहां लाए जाते हैं। उनके स्वस्थ होने के बाद उनके परिजनों। सरपंच, मुखिया या प्रधान का पता चलता है तो हम उन्हें फोन कर सूचना देते हैं। लेकिन यहां लाए जाने वाले 60 प्रतिशत लोग गूंगे-बहरे या मानसिक रूप से अक्षम लोग हैं। जिनके घर ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को घर भेजना हमारे लिए हमेशा से चैलेन्ज रहा है। डीएम और सीडीओ ने की मदद
डॉ निरंजन ने बताया- हमारे यहां कुल इस समय 541 प्रभु जी वर्तमान में हैं। अभी तक हम लोगों ने कुल 1180 को उनके परिजनों से मिलवाया है। ऐसे में जो मानसिक विक्षिप्त हैं ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए हमने डीएम एस राजलिंगम और सीडीओ हिमांशु नागपाल से बात की। उन्होंने इसको एक मुहीम की तरह लिया और जिला प्रशासन के तरफ से इन्होने UID से संपर्क कर यहां के प्रभु जी का आधार बनाने की अनुमति ली और यहां कैंप लगाया गया। आधार कैंप में 142 लोगों का आधार पहले से मिला, जिनसे मिले परिजन
डॉ के निरंजन ने बताया- इसके बाद अपना घर आश्रम में वृहद आधार कार्ड कैंप लगा। इसमें 142 लोगों का पूर्व में आधार होना पाया गया। उनकी डिटेल निकाली गई और फिर उनके परिजनों की तलाश शुरू की गई। इस प्रक्रिया से 142 लोगों के परिजनों से संपर्क हो सका और वो लोग अपने परिजनों को लेने के लिए दो दिन पहले से ही वाराणसी पहुंचने लगे हैं। उन्हें एक महीने पहले यह बात बताई गई थी और वो आकर अपने परिजनों का वेरिफिकेशन कर चुके हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर