प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लखनऊ जोनल कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दो आरोपियों शांतनु गुप्ता और अब्दुल वहाब यासिर को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई M/s Hatsh Telecommunication Pvt Ltd और अन्य कंपनियों से जुड़ी हुई है, जिनपर ड्रग तस्करी का आरोप है। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लखनऊ यूनिट द्वारा 1985 के एनडीपीएस एक्ट के तहत दायर शिकायतों और चार्जशीटों के आधार पर यह जांच शुरू की गई थी। इस मामले में शंतनु गुप्ता व अब्दुल वहाब यासिर पर आरोप है कि उन्होंने भारत से अमेरिका में साइकोट्रॉपिक पदार्थों की तस्करी की। कॉल सेंटर के जरिए ड्रग्स की सप्लाई जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपियों ने 2012 से 2017 के बीच 6 कंपनियां बनाईं। अमेरिका में दवा की सप्लाई करने के लिए लखनऊ में एक कॉल सेंटर बनाया गया। इस काल सेंटर से अमेरिकी नागरिकों का डेटा प्राप्त कर उन्हें प्रतिबंधित दवाइयां बेचने का काम करते थे। आरोपियों ने Skype App का इस्तेमाल करके अमेरिकी नागरिकों से संपर्क किया, उनके ऑर्डर लिए और एडवांस पेमेंट हासिल कर भारतीय पोस्ट के माध्यम से दवाइयां अमेरिका भेजी। सवा तीन करोड़ की संपत्ति हो चुकी है जब्त जांच के दौरान पता चला कि इन कंपनियों के खातों में 2012 से 2017 तक 23.67 करोड़ रुपये की राशि जमा हुई। ED ने अपनी जांच में 3.22 करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की, जिसे उन्होंने 20 अक्टूबर 2023 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जब्त किया। ED के अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई में आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस सबूत मिल चुके हैं, और आगे की जांच जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लखनऊ जोनल कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दो आरोपियों शांतनु गुप्ता और अब्दुल वहाब यासिर को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई M/s Hatsh Telecommunication Pvt Ltd और अन्य कंपनियों से जुड़ी हुई है, जिनपर ड्रग तस्करी का आरोप है। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लखनऊ यूनिट द्वारा 1985 के एनडीपीएस एक्ट के तहत दायर शिकायतों और चार्जशीटों के आधार पर यह जांच शुरू की गई थी। इस मामले में शंतनु गुप्ता व अब्दुल वहाब यासिर पर आरोप है कि उन्होंने भारत से अमेरिका में साइकोट्रॉपिक पदार्थों की तस्करी की। कॉल सेंटर के जरिए ड्रग्स की सप्लाई जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपियों ने 2012 से 2017 के बीच 6 कंपनियां बनाईं। अमेरिका में दवा की सप्लाई करने के लिए लखनऊ में एक कॉल सेंटर बनाया गया। इस काल सेंटर से अमेरिकी नागरिकों का डेटा प्राप्त कर उन्हें प्रतिबंधित दवाइयां बेचने का काम करते थे। आरोपियों ने Skype App का इस्तेमाल करके अमेरिकी नागरिकों से संपर्क किया, उनके ऑर्डर लिए और एडवांस पेमेंट हासिल कर भारतीय पोस्ट के माध्यम से दवाइयां अमेरिका भेजी। सवा तीन करोड़ की संपत्ति हो चुकी है जब्त जांच के दौरान पता चला कि इन कंपनियों के खातों में 2012 से 2017 तक 23.67 करोड़ रुपये की राशि जमा हुई। ED ने अपनी जांच में 3.22 करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की, जिसे उन्होंने 20 अक्टूबर 2023 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जब्त किया। ED के अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई में आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस सबूत मिल चुके हैं, और आगे की जांच जारी है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
ईडी ने दो शातिर ड्रग तस्करों को किया गिरफ्तार:लखनऊ में काल सेंटर बनाकर अमेरिका में बेचते थे प्रतिबंधित दवाएं
