उत्तराखंड में शनिवार को टैंपो ट्रैवलर 660 फीट नीचे अलकनंदा नदी में गिर गया। हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल है। रुद्रप्रयाग में हुआ ये हादसा झांसी को बड़ा दर्द दे गया। यहां की साॅफ्टवेयर इंजीनियर आकांक्षा चौरसिया की हादसे में जान चली गई। जबकि उनकी सहेली छवि श्रीवास्तव और नमिता शर्मा घायल हो गईं। नमिता को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि छवि की हालत नाजुक है। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। घर पर ताला, पूरा परिवार उत्तराखंड में
मृतका आकांक्षा (25) पुत्री मनोज चौरसिया सीपरी बाजार के न्यू भांग वाली गली की रहने वाली थी। वह दिल्ली में रहकर एक कंपनी में जॉब करती थी। 7 दिन पहले ही वह अपने परिवार से मिलने झांसी आई थी और 13 जून को दिल्ली चली गई। 14 जून की रात को वह टूंगनाथ मंदिर के लिए रवाना हुई थी। अगले दिन हादसा हो गया। दोपहर करीब 3 बजे पिता मनोज के पास फोन आया कि एक्सीडेंट हो गया। रात करीब 9 बजे पिता मनोज, मां सुषमा, भाई अंश, ताऊ-ताई और चचेरा भाई जोनू आदि घर पर ताला लगाकर एक गाड़ी से उत्तराखंड के लिए रवाना हो गया। माता-पिता काे यकीन नहीं हो रहा था कि बेटी आकांक्षा अब इस दुनिया में नहीं रही। जब वे रविवार शाम को रुद्रप्रयाग पहुंचे तो बेटी की लाश देखकर चीख-चीखकर रोने लगे। शव खराब होने लगा तो हरिद्वार में किया संस्कार
मृतका के चचेरे भाई जोनू चौरसिया ने बताया- शनिवार रातभर सफर किया। सुबह हमें रुद्रप्रयाग पहुंचाना था, लेकिन गंगा दशहरा की वजह से हरिद्वार में भीषण जाम था। जाम में कई घंटे फंसने के बाद शाम करीब 4 बजे हम अस्पताल पहुंचे। तब आकांक्षा के शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका था। चूंकि, शव को रखे हुए 30 घंटे से ज्यादा हो गए थे, इससे शव खराब हाेने लगा था। ऐसे में परिवार ने हरिद्वार में अंतिम संस्कार करने का निर्णय किया। हम लेकर हम हरिद्वार पहुंचे और अंतिम संस्कार कर दिया। पढ़ने में बहुत होशियार थी आकांक्षा
आकांक्षा बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी। करीब 4 साल पहले भोपाल से बीटेक किया। इसके बाद वह प्राइवेट कंपनी में साॅफ्टवेयर इंजीनियर थी। उससे छोटी बहन अंकिता गुड़गांव में ICICI बैंक में जॉब करती है। सबसे छोटा भाई अंश 12वीं में पढता है। पिता की दुकान है। मां सुषमा गृहिणी हैं। वहीं, आकांक्षा की बचपन की सहेली केके पुरी निवासी अधिवक्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव की बेटी छवि श्रीवास्तव (27) गंभीर घायल है। उसका ऋषिकेश के एम्स में इलाज जारी है। वहां छवि को वेंटीलेटर पर रखा गया है। यहां से उसके परिजन भी ऋषिकेश एम्स पहुंच गए हैं। अधूरे सफर में छूटा आकांक्षा और छवि का साथ
हादसे में जान गंवाने वाली आकांक्षा और घायल छवि के बीच बचपन से ही गहरी दोस्ती थी। दोनों 5वीं कक्षा से साथ में पढ़ रहीं थीं और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी साथ-साथ की। इसके बाद नौकरी करने के लिए दिल्ली चली गईं। वहां भी उनकी दोस्ती का सफर बदस्तूर जारी रहा। नौकरी वे भले ही अलग-अलग कंपनियों में करतीं थीं, लेकिन नौकरी के बाद का ज्यादातर समय वह साथ में ही बिताती थीं। दोनों साथ में ही घूमने जा रही थी। अपनी यात्रा को लेकर वे बेहद खुश थीं। लेकिन, यात्रा पूरी होने से पहले ही दोनों का साथ छूट गया। हादसे में आकांक्षा की मौत हो गई, जबकि छवि घायल हो गई। उत्तराखंड में शनिवार को टैंपो ट्रैवलर 660 फीट नीचे अलकनंदा नदी में गिर गया। हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल है। रुद्रप्रयाग में हुआ ये हादसा झांसी को बड़ा दर्द दे गया। यहां की साॅफ्टवेयर इंजीनियर आकांक्षा चौरसिया की हादसे में जान चली गई। जबकि उनकी सहेली छवि श्रीवास्तव और नमिता शर्मा घायल हो गईं। नमिता को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि छवि की हालत नाजुक है। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। घर पर ताला, पूरा परिवार उत्तराखंड में
मृतका आकांक्षा (25) पुत्री मनोज चौरसिया सीपरी बाजार के न्यू भांग वाली गली की रहने वाली थी। वह दिल्ली में रहकर एक कंपनी में जॉब करती थी। 7 दिन पहले ही वह अपने परिवार से मिलने झांसी आई थी और 13 जून को दिल्ली चली गई। 14 जून की रात को वह टूंगनाथ मंदिर के लिए रवाना हुई थी। अगले दिन हादसा हो गया। दोपहर करीब 3 बजे पिता मनोज के पास फोन आया कि एक्सीडेंट हो गया। रात करीब 9 बजे पिता मनोज, मां सुषमा, भाई अंश, ताऊ-ताई और चचेरा भाई जोनू आदि घर पर ताला लगाकर एक गाड़ी से उत्तराखंड के लिए रवाना हो गया। माता-पिता काे यकीन नहीं हो रहा था कि बेटी आकांक्षा अब इस दुनिया में नहीं रही। जब वे रविवार शाम को रुद्रप्रयाग पहुंचे तो बेटी की लाश देखकर चीख-चीखकर रोने लगे। शव खराब होने लगा तो हरिद्वार में किया संस्कार
मृतका के चचेरे भाई जोनू चौरसिया ने बताया- शनिवार रातभर सफर किया। सुबह हमें रुद्रप्रयाग पहुंचाना था, लेकिन गंगा दशहरा की वजह से हरिद्वार में भीषण जाम था। जाम में कई घंटे फंसने के बाद शाम करीब 4 बजे हम अस्पताल पहुंचे। तब आकांक्षा के शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका था। चूंकि, शव को रखे हुए 30 घंटे से ज्यादा हो गए थे, इससे शव खराब हाेने लगा था। ऐसे में परिवार ने हरिद्वार में अंतिम संस्कार करने का निर्णय किया। हम लेकर हम हरिद्वार पहुंचे और अंतिम संस्कार कर दिया। पढ़ने में बहुत होशियार थी आकांक्षा
आकांक्षा बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी। करीब 4 साल पहले भोपाल से बीटेक किया। इसके बाद वह प्राइवेट कंपनी में साॅफ्टवेयर इंजीनियर थी। उससे छोटी बहन अंकिता गुड़गांव में ICICI बैंक में जॉब करती है। सबसे छोटा भाई अंश 12वीं में पढता है। पिता की दुकान है। मां सुषमा गृहिणी हैं। वहीं, आकांक्षा की बचपन की सहेली केके पुरी निवासी अधिवक्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव की बेटी छवि श्रीवास्तव (27) गंभीर घायल है। उसका ऋषिकेश के एम्स में इलाज जारी है। वहां छवि को वेंटीलेटर पर रखा गया है। यहां से उसके परिजन भी ऋषिकेश एम्स पहुंच गए हैं। अधूरे सफर में छूटा आकांक्षा और छवि का साथ
हादसे में जान गंवाने वाली आकांक्षा और घायल छवि के बीच बचपन से ही गहरी दोस्ती थी। दोनों 5वीं कक्षा से साथ में पढ़ रहीं थीं और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी साथ-साथ की। इसके बाद नौकरी करने के लिए दिल्ली चली गईं। वहां भी उनकी दोस्ती का सफर बदस्तूर जारी रहा। नौकरी वे भले ही अलग-अलग कंपनियों में करतीं थीं, लेकिन नौकरी के बाद का ज्यादातर समय वह साथ में ही बिताती थीं। दोनों साथ में ही घूमने जा रही थी। अपनी यात्रा को लेकर वे बेहद खुश थीं। लेकिन, यात्रा पूरी होने से पहले ही दोनों का साथ छूट गया। हादसे में आकांक्षा की मौत हो गई, जबकि छवि घायल हो गई। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर