‘2021 में मुझे ऐसा एहसास हुआ कि मैंने कुछ गलत किया। इसके बाद कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। मन में आत्मज्ञानी थी। उसके बाद मैंने भागवत गीता-रामचरित मानस को पढ़ना स्टार्ट किया। मन शांत होने लगा।’ ये कहना है कि एपल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुमार पांडे का। जो अब अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर स्वामी केशवानन्द सरस्वती बन चुके हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में पढ़िए। विवेक ने अचानक संन्यासी बनने का फैसला क्यों लिया? उनके परिवार में कौन-कौन है? वो कैसे जनसेवा करना चाहते हैं? पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल : आप इंजीनियरिंग लाइन से संन्यासी कैसे बन गए?
जवाब : 2021 में मेरी मनु स्थिति ऐसी हो गई थी कि मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। मेरे जीवन में कुछ ऐसा हुआ था, जिसको लेकर मन में आत्मज्ञानी थी। तब मैंने नौकरी छोड़ी। इसके बाद जीतेंद्रानंद महाराज जी के सानिध्य में आ गया। उन्हीं के साथ तीन से चार महीने रहने लगा। धर्म को लेकर तमाम बातें हुई, जो मेरे मन को भा गई। सवाल : आपने क्या-क्या जाॅब की, और कहां पर की?
जवाब : IOS डेवलपर का काम करता हूं। मैंने एपल सहित तमाम कंपनियों में फ्रीलांस काम किया है। किसी भी कंपनी को IOS में चलने वाले एप बनवाने होते हैं, तो उसको मैं बनाता था। मैं कोलकाता में ही रहकर या काम करता था। सवाल : परिवार वालों का कितना सपोर्ट रहा?
जवाब : मेरे परिवार में माताजी हैं। भाई हैं और अगर एक शब्द में कहूं तो आज के कलयुग में मेरे भ्राता राम के जैसे हैं। जब मैं उनसे संन्यास लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि संन्यास अपनाना और उसका पालन करना काफी कठिन है। इसलिए सोच समझ कर इस लाइन में जाना। लेकिन, मैंने ठान लिया था। मैं संन्यासी बनूंगा। सवाल : आजकल के युवाओं को आप कहेंगे
जवाब : बहुत से लोग धर्म से जुड़े हैं। जो धर्म के लिए कार्य भी करना चाहते हैं। हमारे सनातन की व्यवस्था काफी सहज है। धर्म में कुछ ऐसे नियम हैं अगर हम उसे करते हैं, तो हम सनातनी हैं। जो युवा भटके हैं, उन्हें अपने शास्त्रों को जानना चाहिए। सवाल : अब आप लोगों को किस मुद्दे पर जागरूक करना चाहते हैं?
जवाब : हम जिस चीज के लिए काम कर रहे हैं, उसके लिए हमें उत्तम होना काफी जरूरी है। मैं धर्म को लेकर सच्ची जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम करूंगा। इसको लेकर मैं सोशल मीडिया पर भी काफी जागरूकता फैलाऊंगा, जिससे गलत चीज लोगों के बीच तक न जाने पाए। वाराणसी के रहने वाले हैं विवेक
विवेक वाराणसी के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई सीएचएस से हुई है। कानपुर से बी. काम किया। कोलकाता से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके बड़े भाई इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं। जिनकी खुद की कंपनी है।
————————————————— इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- एपल की नौकरी छोड़ सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने लिया संन्यास:स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने दिलाई दीक्षा, बोले-अब सनातन की सेवा करेंगे महाकुंभ में एपल की नौकरी छोड़ सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने संन्यास ले लिया। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने उन्हें दीक्षा मंत्र दिया। इंजीनियर विवेक कुमार पांडे के साथ कोलकाता के उपकुर्वाण ने भी संन्यास लिया। पढ़ें पूरी खबर ‘2021 में मुझे ऐसा एहसास हुआ कि मैंने कुछ गलत किया। इसके बाद कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। मन में आत्मज्ञानी थी। उसके बाद मैंने भागवत गीता-रामचरित मानस को पढ़ना स्टार्ट किया। मन शांत होने लगा।’ ये कहना है कि एपल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुमार पांडे का। जो अब अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री दंडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर स्वामी केशवानन्द सरस्वती बन चुके हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में पढ़िए। विवेक ने अचानक संन्यासी बनने का फैसला क्यों लिया? उनके परिवार में कौन-कौन है? वो कैसे जनसेवा करना चाहते हैं? पढ़िए पूरी बातचीत… सवाल : आप इंजीनियरिंग लाइन से संन्यासी कैसे बन गए?
जवाब : 2021 में मेरी मनु स्थिति ऐसी हो गई थी कि मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। मेरे जीवन में कुछ ऐसा हुआ था, जिसको लेकर मन में आत्मज्ञानी थी। तब मैंने नौकरी छोड़ी। इसके बाद जीतेंद्रानंद महाराज जी के सानिध्य में आ गया। उन्हीं के साथ तीन से चार महीने रहने लगा। धर्म को लेकर तमाम बातें हुई, जो मेरे मन को भा गई। सवाल : आपने क्या-क्या जाॅब की, और कहां पर की?
जवाब : IOS डेवलपर का काम करता हूं। मैंने एपल सहित तमाम कंपनियों में फ्रीलांस काम किया है। किसी भी कंपनी को IOS में चलने वाले एप बनवाने होते हैं, तो उसको मैं बनाता था। मैं कोलकाता में ही रहकर या काम करता था। सवाल : परिवार वालों का कितना सपोर्ट रहा?
जवाब : मेरे परिवार में माताजी हैं। भाई हैं और अगर एक शब्द में कहूं तो आज के कलयुग में मेरे भ्राता राम के जैसे हैं। जब मैं उनसे संन्यास लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि संन्यास अपनाना और उसका पालन करना काफी कठिन है। इसलिए सोच समझ कर इस लाइन में जाना। लेकिन, मैंने ठान लिया था। मैं संन्यासी बनूंगा। सवाल : आजकल के युवाओं को आप कहेंगे
जवाब : बहुत से लोग धर्म से जुड़े हैं। जो धर्म के लिए कार्य भी करना चाहते हैं। हमारे सनातन की व्यवस्था काफी सहज है। धर्म में कुछ ऐसे नियम हैं अगर हम उसे करते हैं, तो हम सनातनी हैं। जो युवा भटके हैं, उन्हें अपने शास्त्रों को जानना चाहिए। सवाल : अब आप लोगों को किस मुद्दे पर जागरूक करना चाहते हैं?
जवाब : हम जिस चीज के लिए काम कर रहे हैं, उसके लिए हमें उत्तम होना काफी जरूरी है। मैं धर्म को लेकर सच्ची जानकारी लोगों तक पहुंचाने का काम करूंगा। इसको लेकर मैं सोशल मीडिया पर भी काफी जागरूकता फैलाऊंगा, जिससे गलत चीज लोगों के बीच तक न जाने पाए। वाराणसी के रहने वाले हैं विवेक
विवेक वाराणसी के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई सीएचएस से हुई है। कानपुर से बी. काम किया। कोलकाता से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके बड़े भाई इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं। जिनकी खुद की कंपनी है।
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