कनाडा के सरे शहर में स्थित प्रतिष्ठित लक्ष्मी नारायण मंदिर की दीवारों पर 19 अप्रैल की रात को खालिस्तान समर्थक नारे लिखे गए हैं। यह घटना ऐसे समय पर हुई जब 20 अप्रैल को सरे में वार्षिक नगर कीर्तन का आयोजन होना था, जिसमें लाखों सिख श्रद्धालु पहुंचे। लेकिन इसमें खालिस्तानी समर्थकों की मौजूगी ने कनाडाई सरकार पर सवाल उठा दिए हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर “खालिस्तान जिंदाबाद”, “फ्री पंजाब” के अलावा अन्य भड़काऊ नारे स्प्रे पेंट से लिखे पाए गए। घटना के तुरंत बाद मंदिर प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया और एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस विभाग ने घटना को संभावित घृणा अपराध मानते हुए जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यह एक योजनाबद्ध कृत्य हो सकता है, जिसका उद्देश्य धार्मिक आयोजन से पहले माहौल को अस्थिर करना है। वैंकूवर में गुरुद्वारे पर भी ग्रैफिटी लक्ष्मी नारायण मंदिर के अलावा, वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे की दीवार पर भी इसी तरह का खालिस्तान समर्थक ग्रैफिटी पाया गया है। हालांकि, गुरुद्वारा प्रशासन ने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी है और जांच में सहयोग की बात कही है। यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों घटनाएं आपस में जुड़ी हैं या नहीं, लेकिन समय और शैली की समानता को देखते हुए पुलिस इन पहलुओं की भी जांच कर रही है। समुदायों की संयुक्त अपील हिंदू और सिख समुदायों के नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की है और धार्मिक स्थलों के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया है। आयोजकों ने नगर कीर्तन को शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित करने की बात दोहराई है और प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। वहीं, नगर कीर्तन में खालिस्तान समर्थकों की मौजूगी पर भी सवाल उठाए हैं। 5 लाख के करीब सिख श्रद्धालु पहुंचे सरे की 2025 वैसाखी परेड धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक बनी। गुरुद्वारा साहिब दस्मेश दरबार के नेतृत्व में निकाली गई इस परेड में पारंपरिक पंजाबी लोक संस्कृति, सेवा भाव और सिख परंपरा की झलक हर कदम पर देखने को मिली। सजे-धजे फ्लोट्स, बच्चों और युवाओं की रंगारंग प्रस्तुतियां, और जगह-जगह पर लगाई गईं लंगर सेवाएं इस आयोजन को सिख समुदाय की एकता और सेवा भावना का प्रतीक बनाती हैं। खालिस्तानी की मौजदगी ने उठाए सवाल परेड में कई स्थानों पर खालिस्तान समर्थक झंडे, भारत विरोधी नारे और अलगाववादी झांकियां प्रदर्शित की गईं। इनमें से कुछ फ्लोट्स पर सिख अलगाववाद से जुड़े विवादास्पद चेहरों और नारों का खुला प्रदर्शन किया गया। ऐसे दृश्य आयोजन की मूल धार्मिक भावना से भटकाव की आशंका भी दिखाते हैं और कनाडा व भारत के संबंधों में अनावश्यक तनाव उत्पन्न कर सकते हैं। यह परिस्थिति दोनों देशों की सरकारों और प्रवासी समुदायों के लिए एक गंभीर विचार-विमर्श का विषय बनती जा रही है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक स्थलों पर राजनीतिक उकसावे के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। पहले भी निशाना बने हैं हिंदू मंदिर यह कोई पहली घटना नहीं है जब कनाडा में किसी हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया हो। पिछले दो वर्षों में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं: इन घटनाओं में अधिकतर मामलों में आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, जिससे हिंदू समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना बढ़ी है। कनाडा के सरे शहर में स्थित प्रतिष्ठित लक्ष्मी नारायण मंदिर की दीवारों पर 19 अप्रैल की रात को खालिस्तान समर्थक नारे लिखे गए हैं। यह घटना ऐसे समय पर हुई जब 20 अप्रैल को सरे में वार्षिक नगर कीर्तन का आयोजन होना था, जिसमें लाखों सिख श्रद्धालु पहुंचे। लेकिन इसमें खालिस्तानी समर्थकों की मौजूगी ने कनाडाई सरकार पर सवाल उठा दिए हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर “खालिस्तान जिंदाबाद”, “फ्री पंजाब” के अलावा अन्य भड़काऊ नारे स्प्रे पेंट से लिखे पाए गए। घटना के तुरंत बाद मंदिर प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया और एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस विभाग ने घटना को संभावित घृणा अपराध मानते हुए जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यह एक योजनाबद्ध कृत्य हो सकता है, जिसका उद्देश्य धार्मिक आयोजन से पहले माहौल को अस्थिर करना है। वैंकूवर में गुरुद्वारे पर भी ग्रैफिटी लक्ष्मी नारायण मंदिर के अलावा, वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे की दीवार पर भी इसी तरह का खालिस्तान समर्थक ग्रैफिटी पाया गया है। हालांकि, गुरुद्वारा प्रशासन ने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी है और जांच में सहयोग की बात कही है। यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों घटनाएं आपस में जुड़ी हैं या नहीं, लेकिन समय और शैली की समानता को देखते हुए पुलिस इन पहलुओं की भी जांच कर रही है। समुदायों की संयुक्त अपील हिंदू और सिख समुदायों के नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की है और धार्मिक स्थलों के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया है। आयोजकों ने नगर कीर्तन को शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित करने की बात दोहराई है और प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। वहीं, नगर कीर्तन में खालिस्तान समर्थकों की मौजूगी पर भी सवाल उठाए हैं। 5 लाख के करीब सिख श्रद्धालु पहुंचे सरे की 2025 वैसाखी परेड धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक बनी। गुरुद्वारा साहिब दस्मेश दरबार के नेतृत्व में निकाली गई इस परेड में पारंपरिक पंजाबी लोक संस्कृति, सेवा भाव और सिख परंपरा की झलक हर कदम पर देखने को मिली। सजे-धजे फ्लोट्स, बच्चों और युवाओं की रंगारंग प्रस्तुतियां, और जगह-जगह पर लगाई गईं लंगर सेवाएं इस आयोजन को सिख समुदाय की एकता और सेवा भावना का प्रतीक बनाती हैं। खालिस्तानी की मौजदगी ने उठाए सवाल परेड में कई स्थानों पर खालिस्तान समर्थक झंडे, भारत विरोधी नारे और अलगाववादी झांकियां प्रदर्शित की गईं। इनमें से कुछ फ्लोट्स पर सिख अलगाववाद से जुड़े विवादास्पद चेहरों और नारों का खुला प्रदर्शन किया गया। ऐसे दृश्य आयोजन की मूल धार्मिक भावना से भटकाव की आशंका भी दिखाते हैं और कनाडा व भारत के संबंधों में अनावश्यक तनाव उत्पन्न कर सकते हैं। यह परिस्थिति दोनों देशों की सरकारों और प्रवासी समुदायों के लिए एक गंभीर विचार-विमर्श का विषय बनती जा रही है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक स्थलों पर राजनीतिक उकसावे के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। पहले भी निशाना बने हैं हिंदू मंदिर यह कोई पहली घटना नहीं है जब कनाडा में किसी हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया हो। पिछले दो वर्षों में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं: इन घटनाओं में अधिकतर मामलों में आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, जिससे हिंदू समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना बढ़ी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
