कांग्रेस में जाने का बयान का विरोध होने के बाद आखिरकार भजन गायक कन्हैया मित्तल अपने ही बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कांग्रेस जॉइन करने का फैसला वापस ले लिया है। कन्हैया मित्तल ने मंगलवार की दोपहर बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव होकर लोगों से माफी मांगी और कहा कि वह सनातनियों को सुनेंगे और सनातनियों को चुनेंगे। कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर कहा कि पिछले दो दिनों से उन्हें यह अहसास हुआ कि उनके सभी सनातनी भाई-बहन खासकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें इतना प्यार करता है और इतनी चिंता करता है कि दो दिनों से सब परेशान हैं और मैं सभी से माफी मांगता हूं। अपना बयान वापस लेता हूं कन्हैया मित्तल ने कहा कि सब परेशान हैं और जो मैंने अपने मन की बात कही थी कि, मैं कांग्रेस जॉइन कर रहा हूं, इस बयान को वापस लेता हूं। क्योंकि वह नहीं चाहते कि किसी भी सनातनी का भरोसा टूटे। हम सब राम के हैं और राम के रहेंगे कन्हैया मित्तल ने कहा कि हम सभी राम के हैं और राम के रहेंगे। एक बार फिर सभी से माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि कोई अपना ही होता है जो गलती करता है। मेरी गलती से सभी परेशान हुए हैं। कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी माफी मांगी और उनका धन्यवाद भी किया। 8 सितंबर को कांग्रेस में जाने का दिया था बयान कन्हैया मित्तल ने 8 सितंबर को भाजपा से निराश होकर कांग्रेस जॉइन करने का फैसला लिया था। जिसके बाद पंजाब, हरियाणा समेत यूपी, एमपी, राजस्थान में लोगों में कन्हैया मित्तल खिलाफ गुस्से की लहर पैदा हो गई थी। लुधियाना में भी हुआ विरोध लुधियाना में भी कन्हैया मित्तल का विरोध हुआ। जहां हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं ने कन्हैया मित्तल का कोई भी समारोह ना करवाने का ऐलान किया था। जिसके बाद कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर अपना बयान वापस लिया और माफी भी मांगी। कांग्रेस में जाने का बयान का विरोध होने के बाद आखिरकार भजन गायक कन्हैया मित्तल अपने ही बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कांग्रेस जॉइन करने का फैसला वापस ले लिया है। कन्हैया मित्तल ने मंगलवार की दोपहर बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव होकर लोगों से माफी मांगी और कहा कि वह सनातनियों को सुनेंगे और सनातनियों को चुनेंगे। कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर कहा कि पिछले दो दिनों से उन्हें यह अहसास हुआ कि उनके सभी सनातनी भाई-बहन खासकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें इतना प्यार करता है और इतनी चिंता करता है कि दो दिनों से सब परेशान हैं और मैं सभी से माफी मांगता हूं। अपना बयान वापस लेता हूं कन्हैया मित्तल ने कहा कि सब परेशान हैं और जो मैंने अपने मन की बात कही थी कि, मैं कांग्रेस जॉइन कर रहा हूं, इस बयान को वापस लेता हूं। क्योंकि वह नहीं चाहते कि किसी भी सनातनी का भरोसा टूटे। हम सब राम के हैं और राम के रहेंगे कन्हैया मित्तल ने कहा कि हम सभी राम के हैं और राम के रहेंगे। एक बार फिर सभी से माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि कोई अपना ही होता है जो गलती करता है। मेरी गलती से सभी परेशान हुए हैं। कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी माफी मांगी और उनका धन्यवाद भी किया। 8 सितंबर को कांग्रेस में जाने का दिया था बयान कन्हैया मित्तल ने 8 सितंबर को भाजपा से निराश होकर कांग्रेस जॉइन करने का फैसला लिया था। जिसके बाद पंजाब, हरियाणा समेत यूपी, एमपी, राजस्थान में लोगों में कन्हैया मित्तल खिलाफ गुस्से की लहर पैदा हो गई थी। लुधियाना में भी हुआ विरोध लुधियाना में भी कन्हैया मित्तल का विरोध हुआ। जहां हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं ने कन्हैया मित्तल का कोई भी समारोह ना करवाने का ऐलान किया था। जिसके बाद कन्हैया मित्तल ने लाइव होकर अपना बयान वापस लिया और माफी भी मांगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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8 दिसंबर को जारी होगा पंजाब निकाय चुनाव प्रोग्राम:सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को बताया, निर्वाचन आयोग को 2 हफ्ते का समय
8 दिसंबर को जारी होगा पंजाब निकाय चुनाव प्रोग्राम:सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को बताया, निर्वाचन आयोग को 2 हफ्ते का समय पंजाब में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर आज (3 दिसंबर) को पंजाब एंड हरियाणा सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत में सरकारी वकील ने कहा कि 8 दिसंबर को चुनाव का प्रोग्राम जारी कर दिया जाएगा। हालांकि हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को दो हफ्तों का समय दिया है। यह केस अदालत में बेअंत सिंह की तरफ से दायर किया गया था। पहले भी वह इस मामले को लेकर अदालत में पहुंचे थे। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला मामला पंजाब में 5 नगर निगम और 43 नगर परिषद के चुनाव को लेकर लंबी जंग चली। यह लड़ाई पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गई। 11 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कुल 10 सप्ताह में चुनाव करवाने को कहा था। शीर्ष अदालत ने 15 दिनों में चुनाव की नोटिफिकेशन और अगले 8 हफ्तों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए थे। राज्य सरकार की तरफ से 6 नवंबर को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उस आदेश में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए 10 दिन में चुनाव की नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश दिए थे। साथ ही कहा था कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर 50 हजार जुर्माना लगेगा, साथ ही अवमानना का केस चलेगा। वहीं, 21 नवंबर को सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि 25 नवंबर तक चुनाव की नोटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट ने केस का निटपारा कर दिया था। शहीदी जोड़ मेले के दौरान चुनाव न करवाने की मांग पंजाब के सभी राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग से मांग कर चुके है कि दिसंबर अंत में चुनाव न करवाए जाए, क्योंकि इस महीने के आखिर में शहीदी दिवस होता है। इस माह से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं। ऐसे में सभी चीजों का ध्यान रखा जाए। आम आदमी पार्टी की तरफ से भी इस बारे में निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश- शंभू बॉर्डर की एक लेन खोलें:एंबुलेंस, बुजुर्गों-महिलाओं-छात्रों को परेशानी हो रही; किसान बोले-15 अगस्त को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे
सुप्रीम कोर्ट का आदेश- शंभू बॉर्डर की एक लेन खोलें:एंबुलेंस, बुजुर्गों-महिलाओं-छात्रों को परेशानी हो रही; किसान बोले-15 अगस्त को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे सुप्रीम कोर्ट ने करीब 6 महीने से बंद पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर को आंशिक तौर पर खोलने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की कि हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोलने का आदेश दिया। इसके लिए पंजाब और हरियाणा के DGP के अलावा पटियाला, मोहाली और अंबाला के SP को मीटिंग कर इस पर फैसला लेने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई 22 अगस्त को होगी। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों के बीच सहमति बन जाती है तो फिर सुनवाई की तारीख का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। बता दें कि पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने को कहा था। इसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। इसके अलावा पंजाब और हरियाणा की सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत के लिए निष्पक्ष कमेटी के सदस्यों के नाम दे दिए हैं। इस कमेटी के सदस्य किसानों और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थ का काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर हम आप दोनों को नाम देने के लिए राजी करने में सफल रहे हैं, अब जब स्थिति ऐसी है तो आप किसानों को क्यों नहीं राजी करते? क्योंकि हाईवे पार्किंग (जगह) नहीं है। अदालत ने कहा कि भले ही चरणबद्ध तरीके से यातायात की अनुमति दी जाए, लेकिन जो वाहन सड़क पर चलने लायक हैं… लोगों को बहुत असुविधा हो रही है। इस वार्ता में समय लगेगा। वहीं किसानों ने ऐलान किया है कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वह पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के आह्वान पर MSP गारंटी कानून बना आर्थिक आजादी के लिए यह मार्च निकाले जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ… मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने शुरू की। हरियाणा की तरफ से सालिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता और पंजाब की तरफ से एडवोकेट जनरल (AG) गुरमिंदर सिंह ने किसानों से बात करने के लिए समिति के सदस्यों के नाम दिए।
AG : हम समिति के गठन से सहमत हैं। मेरे पास एक प्रतिष्ठित व्यक्ति का प्रस्ताव है।
SG : आपकी समिति के चयन के लिए हमारे पास कुछ और नाम हैं।
जस्टिस सूर्यकांत : आपके नाम 6 हैं।
SG : यह सही है।
जस्टिस सूर्यकांत : सुरजीत सिंह, क्या वह IAS में पदोन्नत अधिकारी थे? शायद वह एक बहुत प्रसिद्ध (टाउनप्लानर) थे! मैं सिर्फ पुष्टि करूंगा। जब मैं कुछ कार्यक्रमों में था, मैंने उन्हें (क्रम संख्या 5 पर नाम) सुना है। यहां तक कि क्रमांक 1…प्रशंसनीय…परास्नातक, PhD, बहुत ही विनम्र पृष्ठभूमि।
AG : एक व्यक्ति जितना जमीन से जुड़ा हो सकता है…
कोर्ट : हम प्रयासों की सराहना करते हैं। आपने उस व्यक्ति को चुना है जो राजनीतिक नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत : हम आप दोनों को नाम सुझाने के लिए मनाने में सफल रहे हैं। अब ऐसी स्थिति है तो आप किसानों को क्यों नहीं मनाते? क्योंकि राजमार्ग पार्किंग (स्थान) नहीं हैं।
AG : भले ही चरणबद्ध तरीके से यातायात की अनुमति दी गई हो, जो वाहन सड़क पर चलने लायक हैं। लोगों को बहुत असुविधा हो रही है। इस बातचीत में समय लगेगा।
जस्टिस सूर्यकांत : सोचिए कि वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और स्थानीय लोगों के लिए, जो चिकित्सा सुविधाओं के लिए पंजाब आते हैं, केवल एक ही लेन कैसे होगी?
SG : सुझाव ले लिया है, सरकार के समक्ष रखूंगा। मैं (इस पर) वापस आऊंगा।
जस्टिस सूर्यकांत : हम उन्हें नहीं चाहते। हम किसानों (ट्रैक्टर) को हटाने, मनाने के लिए पंजाब राज्य पर दबाव डाल रहे हैं। हम किसी सौहार्दपूर्ण समाधान तक इस मुद्दे को लंबित रखेंगे। हम समान रूप से चिंतित हैं। कोई नहीं चाहेगा कि किसान…
AG : और ऐसी धारणा मत बनाइए जो सच नहीं है।
जस्टिस कांत : हम एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे। आप दोनों राजमार्ग के आंशिक रूप से खोलने के संबंध में बातचीत करेंगे। आप जमीनी स्थिति जानते हैं और हम समाचार रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करना चाहते हैं। आप दोनों…
SG : दोनों राज्यों के DGP एक साथ बैठ सकते हैं।
SG : क्रमांक 3 का नाम…. नगर नियोजन विभाग में नहीं था।
जस्टिस कांत : उन्होंने बहुत अच्छा किया है…
SC का आदेश: इस बीच, हम पटियाला और अंबाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और दोनों जिलों के DC को एक बैठक आयोजित करने और एम्बुलेंस, आवश्यक सेवाओं, छात्राओं व आसपास के क्षेत्र के दैनिक यात्रियों के लिए शुरू में राजमार्ग को आंशिक रूप से खोलने के लिए तौर-तरीके तय करने का निर्देश देते हैं। यदि दोनों पक्ष समाधान करने में सक्षम हैं, तो उसे इस कोर्ट के आदेश का इंतजार करने की जरुरत नहीं है, और समाधान को तुरंत प्रभावी होने देना चाहिए। मामले को 22 अगस्त, 2024 को सुनवाई के लिए पोस्ट करें। पंधेर बोले- मार्ग खुलेगा तो अच्छा होगा
एक वीडियो जारी कर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बातें कही हैं। अभी कोर्ट की प्रॉसीडिंग नहीं आई है। 15 अगस्त का कार्यक्रम अभी चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की प्रॉसीडिंग पढ़ने के बाद दोनों फोरम इस पर कुछ बोल सकेंगे। जहां तक मीडिया की बात हैं कि दोनों राज्यों के DGP बैठ कर बात करेंगे, कमेटी बनेगी। ये सभी बातें हैं। अगर रास्ता खुलेगा तो यह सभी के लिए सुखद होगा। ट्रांसपोर्टर, व्यापारी, मरीज और आम जनता को अच्छा लगेगा। इससे हमें भी देश की राजधानी में जाकर अपना आंदोलन करने का हक मिलेगा। इस बारे में दोनों फोरम बैठकर बात करके ही ऑफिशियल जानकारी देंगे। व्यक्तिगत तौर पर अगर रास्ता खुलेगा तो यह अच्छी बात होगी। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों के MSP को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से आंदोलन पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने बॉर्डर पर पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इसके चलते अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
जालंधर पुलिस के 5 अधिकारी सस्पेंड:शिकायतों के निपटारे में बरती ढील, विभागीय जांच शुरू
जालंधर पुलिस के 5 अधिकारी सस्पेंड:शिकायतों के निपटारे में बरती ढील, विभागीय जांच शुरू जालंधर देहात पुलिस ने अपने पांच अफसरों को सस्पेंड किया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। आरोप है कि उन्होंने लोगों की शिकायतों को लेकर लापरवाही बरती थी। जिसके बाद लोगों में गुस्सा था। जालंधर रूरल के एसएसपी हरप्रीत सिंह खख ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शिकायत आने पर कार्रवाई की गई। पांच अफसरों में तीन थानेदार सस्पेंड किए पांच अधिकारियों में तीन थानेदार हैं, जबकि दो निचले स्तर के अधिकारी है। सिपाही व हलवदार पद पर है। जो काफी समय से ड्यूटी पर गैर हाजिर थे। सस्पेंड किए गए लावलपुर चौकी इंचार्ज को लोग बार-बार नशों से जुड़ी शिकायतें दे रहे थे । लेकिन उनकी तरफ से शिकायतों पर लापरवाही बरती जा रही थी । कासो ऑपरेशन में पकड़े आरोपी पर भी उचित कार्रवाई नहीं की गई । जिससे लोगों में गुस्सा था। इसी तरह भोगपुर थाने में एएसआई थे। उन्होंने अपनी ड्यूटी को सही तरीके से नहीं किया। नाके पर गलत व्यवहार किया। साथ ही दूसरी पार्टी पर राजीनामे का प्रेशर डाला। इस दौरान एक और फौजदारी केस हुआ। जबकि लोहिया थाने में अवतार सिंह नाम के थानेदार ने 307 केस में जांच ढीली की। जिससे लोगों को इंसाफ मिलने में देरी हुई। उन्होंने बताया कि पुलिस को सख्त हिदायत है लोगों को शिकायतों को सुने। जो भी अफसर नियम तोड़ेगा, उस पर कार्रवाई होगी। लोगों की भावनाओं पर पूरी नहीं उतरी पुलिस एसएसपी ने बताया कि बडे़ दुख से कहना पड़ रहा है कि हमारी पुलिस लोगों की भावनाओं पर पूरी नहीं उतरती है। उन्होंने ध्यान में आया है कि हमारे पांच अफसरों ने लोगों की शिकायतों को लापरवाही से ढील किया। जिससे लोगों में गुस्सा आया। उन्होंने सभी मुलाजिमों को कहा है कि अपनी डयूटी को अच्छे तरीके से पूरा करे।