करनाल में नेशनल हाईवे पर अज्ञात वाहन ने व्यक्ति को टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौत हो गई है। मृतक अपनी ड्युटी खत्म करके पैदल ही घर लौट रहा था। इसी दौरान सड़क क्रॉस करते समय हादसा हो गया। क्योंकि हाईवे पर गांव के पास फुटओवरब्रिज नहीं बना हैं। हादसा सोमवार देर रात उचानी गांव में हुआ है। मृतक की पहचान 50 वर्षीय केहर सिंह निवासी उचानी गांव के रूप में हुई है। ऊचानी गांव के पास हाईवे क्रॉस करने के लिए फुटओवरब्रिज नहीं है, इसलिए वह पैदल ही सड़क क्रॉस कर रहा था। गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन इसी दौरान एक तेज रफ्तार वाहन ने उसे टक्कर मार दी। ग्रामीण शिव कुमार व परिजनों ने बताया कि गाड़ी की टक्कर लगने से केहर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था। हादसा होता देख आसपास के लोग मौके पर एकत्रित हो गए और गंभीर हालत में उसे करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हादसे से कुछ ही दूर एक क्षतिग्रस्त कार भी खड़ी हुई मिली है। जो पंजाब की है। परिजनों को शक है कि इसी कार द्वारा टक्कर मारी गई होगी और पुलिस से पूरे मामले की गहनता से जांच करने की मांग की है। चार बच्चों के सिर से उठा पिता का साया शिव कुमार ने बताया कि केहर सिंह घर में कमाने वाला इकलौता था। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। उनके चार बच्चे है, जिसमें दो लड़के और दो लड़कियां है। केहर सिंह की मौत से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। करनाल में नेशनल हाईवे पर अज्ञात वाहन ने व्यक्ति को टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौत हो गई है। मृतक अपनी ड्युटी खत्म करके पैदल ही घर लौट रहा था। इसी दौरान सड़क क्रॉस करते समय हादसा हो गया। क्योंकि हाईवे पर गांव के पास फुटओवरब्रिज नहीं बना हैं। हादसा सोमवार देर रात उचानी गांव में हुआ है। मृतक की पहचान 50 वर्षीय केहर सिंह निवासी उचानी गांव के रूप में हुई है। ऊचानी गांव के पास हाईवे क्रॉस करने के लिए फुटओवरब्रिज नहीं है, इसलिए वह पैदल ही सड़क क्रॉस कर रहा था। गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन इसी दौरान एक तेज रफ्तार वाहन ने उसे टक्कर मार दी। ग्रामीण शिव कुमार व परिजनों ने बताया कि गाड़ी की टक्कर लगने से केहर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था। हादसा होता देख आसपास के लोग मौके पर एकत्रित हो गए और गंभीर हालत में उसे करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हादसे से कुछ ही दूर एक क्षतिग्रस्त कार भी खड़ी हुई मिली है। जो पंजाब की है। परिजनों को शक है कि इसी कार द्वारा टक्कर मारी गई होगी और पुलिस से पूरे मामले की गहनता से जांच करने की मांग की है। चार बच्चों के सिर से उठा पिता का साया शिव कुमार ने बताया कि केहर सिंह घर में कमाने वाला इकलौता था। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। उनके चार बच्चे है, जिसमें दो लड़के और दो लड़कियां है। केहर सिंह की मौत से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा की रीना स्नो लेपर्ड मिशन पर:7000 मीटर से ऊंची 5 चोटियों की चढ़ाई पर मिलती है उपाधि, पहली बाधा पार
हरियाणा की रीना स्नो लेपर्ड मिशन पर:7000 मीटर से ऊंची 5 चोटियों की चढ़ाई पर मिलती है उपाधि, पहली बाधा पार हरियाणा के हिसार के बालक गांव की रहने वाली पर्वतारोही रीना भट्टी स्नो लेपर्ड का खिताब जीतने के मिशन पर हैं। रीना ने 2 महीने पहले ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से पर महज 20 घंटे 50 मिनट में चढ़ाई कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। अब रीना की नजर स्नो लेपर्ड के खिताब पर है। रीना का दावा है कि आज तक किसी भारतीय ने यह खिताब नहीं जीता है। इस खिताब को जीतने के लिए रीना को 7000 फीट ऊंची 5 पर्वत चोटियों पर चढ़ना होगा। रीना ने 1 चोटी पर चढ़ाई पूरी कर ली है। उन्होंने 23,406 फीट (7,134 मीटर) ऊंची इब्न सिना पीक (लेनिन पीक) को फतह किया है। रीना ने बताया कि “मैंने कैंप से साढ़े 6 घंटे की चढ़ाई के बाद यह चोटी फतह की। मैं 14 जुलाई को दिल्ली से गई थी। मैंने 18 जुलाई को चढ़ाई शुरू की और 26 जुलाई को चोटी पूरी कर ली। आज तक कोई भारतीय इस चोटी पर नहीं चढ़ सका है।” क्या है स्नो लेपर्ड की उपाधि यह उपाधि भूतपूर्व सोवियत संघ द्वारा शुरू की गई थी। स्नो लेपर्ड की उपाधि सोवियत संघ के विभिन्न देशों में 5 चोटियों पर चढ़ने के लिए दी जाती है। ताजिकिस्तान में पामीर पर्वतों में 3 चोटियां हैं, इस्माइल समानी पीक (पूर्व में कम्युनिज्म पीक) 7,495 मीटर (24,590 फीट), पीक कोरझेनेव्स्काया 7,105 मीटर (23,310 फीट), और इब्न सिना पीक (पूर्व में लेनिन पीक) 7,134 मीटर (23,406 फीट) किर्गिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर। तियान शान में 2 चोटियां हैं, किर्गिस्तान में जेंगिश चोकुसु (पूर्व में पीक पोबेडा) 7,439 मीटर (24,406 फीट) और खान तेंगरी किर्गिस्तान-कजाकिस्तान सीमा पर 7,010 मीटर (23,000 फीट) ऊंची है। खान तेंगरी की ऊंचाई 6,995 मीटर (22,949 फीट) है, लेकिन इसकी हिमनदी की चोटी 7,010 मीटर (23,000 फीट) तक बढ़ जाती है। इस कारण से, इसे 7,000 मीटर (23,000 फीट) की चोटी माना जाता है। इनमें से, पीक पोबेडा चढ़ाई के लिए अब तक की सबसे कठिन और खतरनाक है, इसके बाद खान तेंगरी, इस्माइल समानी पीक, पीक कोरझेनेव्स्काया और लेनिन (इब्न सिना) पीक हैं। स्नो लेपर्ड में ये 5 पीक शामिल हैं
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2. जेंगीश चोकसु 24,406 फीट (7,439 मीटर)
3. इब्न सिना पीक 23,406 फीट (7,134 मीटर)
4. शिखर कोरझेनेव्स्काया 23,310 फीट (7,100 मीटर)
5. खान तेंगरी 22,999 फीट (7,010 मीटर) रीना बना चुकी हैं नेशनल रिकॉर्ड
रीना ने 20 घंटे 50 मिनट के अंतराल में में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और दुनिया की सबसे ऊंची चौथी चोटी माउंट ल्होत्से को फतह किया था। रीना ने पिछली 21 मई को सुबह 10:10 बजे माउंट एवरेस्ट और 22 मई को सुबह 6:55 बजे माउंट ल्होत्से पर तिरंगा फहराया था। रीना मूलरूप से गांव बालक की रहने वाली हैं, वह हिसार के श्यामलाल बाग में रहती हैं। वहीं 2022 में रीना ने 70 घंटे में माउंट कांग यात्से और माउंट जोजंगो चोटी को फतह कर रिकॉर्ड बनाया था। 2 चोटी को एक साथ फतह करने वाली रीना हरियाणा की पहली पर्वतारोही बन गई थी। माउंट कांग यात्से लद्दाख में 6250 मीटर और माउंट जोजंगो 6240 मीटर ऊंची चोटी है। इससे पहले रीना माउंट किलिमंजारो और नन सहित विभिन्न चोटियों को फतह कर चुकी हैं। रीना के पिता बलवान सिंह ऑटो मार्केट में काम करते हैं जबकि माता बाला देवी गृहिणी हैं।